सामान्य निर्देश-
(i) प्रश्न-पत्र में दो खंड दिए गए हैं- खंड 'क' और खंड 'ख'।
(ii) खंड 'क' में पाठ्यपूरक प्रश्न पूछे गए हैं। सभी प्रश्नों के उपप्रश्न दिए गए हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
(iii) खंड 'ख' में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं। सभी प्रश्नों के उपप्रश्न दिए गए हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
प्रश्न.1: निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए-
(क) मध्यम वर्गीय लोग अपने अतिथियों का स्वागत अपनी सीमा से बढ़-चढ़कर क्यों करते हैं?
(ख) 'धर्म की आड़' इस पाठ के आधार पर कौन-सा कार्य देश की स्वाधीनता के विरुद्ध समझा जाए?
(ग) मन्दिर में सुखिया के पिता के साथ कौन-सी घटना घटित हुई?
(क) मध्यमवर्ग में दिखावा अधिक छाया हुआ है इसलिए वे लोग अपने अतिथियों का स्वागत सत्कार अपने सामर्थ्य से बढ़-चढ़कर करते हैं। चाहे ऐसा करने से उनका बजट बिगड़ जाए, परन्तु वे आदर सत्कार में कोई कमी नहीं रखना चाहते।
(ख) यदि किसी धर्म के मानने वाले जबरदस्ती दूसरों के धर्म में टाँग अड़ाएँ, बाधा पहुँचाएँ, तो उनका इस प्रकार का कार्य देश की स्वाधीनता के विरुद्ध समझा जाए। दूसरों की स्वतंत्रता में बाधक समझा जाए।
(ग) मन्दिर में सुखिया के पिता के साथ यह घटना घटित हुई कि मन्दिर से प्रसाद लेकर लौटने के बाद सुखिया के पिता को लोगों द्वारा पहचान लिया गया कि वह अछूत है। उन्होंने उसे बहुत मारा-पीटा तथा जेल पहुँचा दिया।
प्रश्न.2: निम्नलिखित में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 60-70 शब्दों में लिखिए।
(क) अतिथि को जाने के लिए लेखक ने किस-किस तरह से संकेत दिए?
(ख) प्रसाद लेकर मंदिर के द्वार पर पहुँचने पर सुखिया के पिता को क्या सुनाई दिया ? 'एक फूल की चाह' कविता के आधार पर लिखिए।
(क) अतिथि को जाने के लिए लेखक ने कई तरह से संकेत दिए। लेखक अतिथि के सामने उसे दिखाकर तारीखें बदलता है। तारीखें बदलते समय वह इस बात को दोहराता है कि आज कौन-सी तारीख हो चुकी है। ऐसा करके वह अतिथि को जाने की याद दिलाना चाहता है। इसके अतिरिक्त उसने धोबी को कपड़े देने की अपेक्षा लॉण्डी में कपड़े देने का सुझाव दिया जिससे कपड़े जल्दी धुलकर आ सकें। उसके द्वारा कहे गए 'जल्दी धुल सकें' वाक्य में यह भी संकेत था कि अतिथि को शीघ्र अपने घर लौट जाना चाहिए। लेखक ने अतिथि से अपनी नाराजगी दशति हए उससे गप्पें मारना और साथ में ठहाके लगाना बंद कर दिया। उनके बीच का सौहार्द बोझिल होकर बोरियत में परिवर्तित हो गया। घर में खाना 'डिनर' से चलकर 'खिचड़ी' पर आ गया। यह भी एक ठोस संकेत था, अतिथि को वापस भेजने का। इस तरह लेखक ने अतिथि को शीघ्र घर वापस जाने के लिए कई संकेत दिए।
(ख) सुखिया की इच्छा को पूरा करने के लिए उसका पिता पुजारी से प्रसाद लेकर जैसे ही मंदिर के द्वार पर पहुँचा उसे कुछ लोगों ने पहचान लिया कि वह जाति से अछूत है। तब वे आपस में कहने लगे कि इसे पकड़ो ताकि भागकर जाने न पाए। यह धूर्त है। भले मनुष्यों के समान साफ-सुथरे कपड़े पहनकर हमें धोखा दे रहा था। इसने मंदिर में घुसकर उसकी पवित्रता को नष्ट कर दिया है। यह पापी है।
प्रश्न.3: निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर 40-50 शब्दों में लिखिए
(क) 'दिये जल उठे' पाठ के शीर्षक की सार्थकता सिद्ध कीजिए।
(ख) दोनों भाइयों ने मिलकर कुएँ में नीचे उतरने की क्या युक्ति अपनाई?
(ग) लेखिका महादेवी वर्मा गिल्लू को अत्यधिक स्नेह करने के बावजूद लिफाफे में बंद क्यों कर देती थीं?
(क) गांधी जी देश सेवा को धार्मिक कार्य के समान महान मानते थे। जिस प्रकार यह विश्वास है कि तीर्थ यात्रा का सम्पूर्ण लाभ पैदल यात्रा द्वारा ही मिलता है, उसी प्रकार गांधी जी ने दांडी कूच पैदल ही किया। इससे स्पष्ट होता है कि गाँधी जी कष्टों और विघ्नों से घबराते नहीं थे। कठिन-से-कठिन परिस्थिति में वे आत्मजयी बनकर औरों के लिए प्रेरणा के स्रोत बने। वे देश की आजादी के लिए लड़ी जा रही लड़ाई को धर्म मानते थे इसलिए उसे पवित्र भावना से पूरा करना चाहते थे।
(ख) कुएँ में चिट्ठियाँ गिर जाने पर दोनों भाई सहम गए और डरकर रोने लगे। छोटा भाई जोर-जोर से और लेखक आँख डबडबा कर रो रहा था। तभी उन्हें एक युक्ति सूझी। उनके पास एक धोती में चने बँधे थे, दो धोतियाँ उन्होंने कानों पर बाँध रखी थीं और दो धोतियाँ वे पहने हुए थे। उन्होंने पाँचों धोतियाँ मिलाकर कसकर गाँठ बाँधकर रस्सी बनाई। लेखक ने धोती के एक सिरे पर डंडा बाँधा, तो दूसरा सिरा चरस के डेंग पर कसकर बाँध दिया और उसके चारों ओर चक्कर लगाकर एक और गाँठ लगाकर छोटे भाई को पकड़ा दिया। लेखक धोती के सहारे कुएँ के बीचों-बीच उतरने लगा। छोटा भाई रो रहा था, पर लेखक ने उसे विश्वास दिलाया कि वह साँप को मारकर चिट्ठियाँ ले आएगा।
(ग) गिल्लू का महादेवी वर्मा से बहुत लगाव था। वह लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए तरह-तरह की शरारतें तब तक किया करता जब तक लेखिका उसे पकड़ने के लिए न उठती। इसलिए कभी-कभी लेखिका गिल्लू की शरारतों से परेशान हो उसे एक लम्बे लिफाफे में इस तरह रख देती कि सिर के अतिरिक्त उसका शेष शरीर लिफाफे के अंदर रहे। गिल्लू इसी स्थिति में मेज पर दीवार के सहारे घंटों खड़ा रहकर लेखिका के कार्यों को देखता। काजू या बिस्कुट देने पर उसी स्थिति में लिफाफे के बाहर वाले पंजों से पकड़कर उन्हें कुतर-कुतर कर खाता।
प्रश्न.4: निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर संकेत बिन्दुओं के आधार पर लगभग 150 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।
(क) मेरी अविस्मरणीय यात्रा
संकेत बिंदु-कब, कहाँ, अनुभव, विशेष बात।
(ख) मेरा प्रिय खिलाड़ी
संकेत बिंदु-कौन, प्रिय होने के कारण, विशेषता।
(ग) मेरा शहर
संकेत बिंदु-कौन-सा, विशेषता, हमारा कर्त्तव्य।
(क) मेरी अविस्मरणीय यात्रा
संकेत बिंदु- कब, कहाँ, अनुभव, विशेष बात।
मैंने अलग-अलग साधनों से अपने जीवन में कई यात्राएँ की हैं। मैं रमेश चौहान एक गाँव का रहने वाला हूँ जो आगरा जिले में आता है। मैं अपनी परीक्षा देने के लिए नागपुर जा रहा था। मैं अभी आगरा कैंट रेलवे स्टेशन पर ट्रेन के इंतजार में खड़ा था तभी थोड़ी देर में ट्रेन आ गई और मैं अपना बैग लेकर उसमें चढ़ गया।
मैं अभी तक अकेला ही था लेकिन तभी अचानक एक लड़का मेरी तरफ दौड़ा, जिसका नाम अमन था और मुझसे कुछ कहने की कोशिश करने लगा लेकिन वह इतना अधिक घबराया हुआ था कि कुछ भी नहीं बोल पा रहा था। मैंने उसे तसल्ली दी और उससे उसके विषय में पूछा तो वह बोला कि वह भी महाराष्ट्र जा रहा है लेकिन उसकी सीट कन्फर्म नहीं है। मैंने उसे धैर्य बंधाते हुए अपनी सीट पर बैठा लिया।
अब वह शांत व प्रसन्न नजर आ रहा था। फिर धीरे-धीरे हम दोनों में बातचीत शुरू हो गई और कुछ देर में ऐसा महसूस हुआ कि हम दोनों एक-दूसरे को काफी अच्छी तरह से जानते हैं। रेल तेजी से गंतव्य की ओर चली जा रही थी। हम दोनों ने एक साथ भोजन किया। हवा तेज थी जब हम नागपुर से कुछ दूर ही थे तभी हमें संतरों के दूर-दूर तक फैले बाग दिखने लगे। संतरों की खुशबू से वातावरण महक रहा था। जब नागपुर रेलवे स्टेशन पर आकर रेल रुकी और मैं अमन (जो अब तक मेरा दोस्त बन चुका था,) को अलविदा कहकर रेल से उतर गया। एक अजनबी की मदद व अमन के व्यवहार से मेरा मन प्रसन्न था। अतः हमें जब कभी दूसरों की सहायता करने का अवसर मिले तो हमें अपने कर्त्तव्य का निर्वाह अवश्य करना चाहिए।(ख) मेरा प्रिय खिलाड़ी
संकेत बिंदु- प्रिय होने के कारण, विशेषता।
मेरा प्रिय खिलाड़ी क्रिकेट की दुनिया का जादूगर व बादशाह सचिन तेन्दुलकर है। वे क्रिकेट के विश्व प्रसिद्ध खिलाड़ी हैं। प्रत्येक खिलाड़ी उनके समान खेलने व बनने के स्वप्न देखता है। सचिन ने जब क्रिकेट की दुनिया में कदम रखा उस समय वह सबसे कम उम्र के खिलाड़ी थे। अपने सधे हुए खेलने के तरीके व अपनी खेल भावना के कारण वह एक प्रिय खिलाड़ी बन गए। सचिन एक गम्भीर स्वभाव के खिलाड़ी हैं। जब वह मैदान पर होते हैं तो सभी दर्शकों की निगाहें उन्हीं पर टिकी रहती हैं। उनके खेलने के अंदाज को देखकर सभी दाँतों तले अपनी अंगुलियाँ दबा लेते हैं। खेल के विपरीत परिस्थितियों में होने पर भी वे अपना संयम नहीं खोते हैं और सामान्य होकर खेल को खेलते हैं। विपक्षी खिलाड़ियों में सदैव ही उन्हें आउट करने की होड़ लगी रहती है। उन्होंने अब तक कई शतक और अर्द्धशतक बनाए हैं।
उनके खेलने के तरीके की प्रशंसा केवल उनके साथी खिलाड़ी ही नहीं वरन् अन्य देशों के खिलाड़ी भी करते हैं। सचिन जब भी मैदान पर आते हैं तो शतक अथवा अर्द्धशतक पूरा होने तक मैदान पर डटे रहते हैं। उनमें एक सफल कप्तान के भी सभी गुण विद्यमान हैं। उनकी कप्तानी में भारत ने कई मैच भी जीते हैं।
इस प्रकार सचिन मेरे प्रिय खिलाड़ी हैं और मैं सदैव उनके जैसा खेलने का प्रयास करता हूँ। यद्यपि मैं जानता हूँ कि इसके लिए अत्यधिक परिश्रम की आवश्यकता है, किन्तु मैं परिश्रम से पीछे नहीं हटूगा और भविष्य में उनके जैसा खिलाड़ी अवश्य बनूँगा।(ग) मेरा शहर
संकेत बिंदु- कौन-सा शहर, विशेषता, हमारा कर्त्तव्य।मैं हिसार शहर में रहता हूँ। यह हरियाणा राज्य में है। हरियाणवी में हिसार शब्द का अर्थ किला या दुर्ग होता है। कहा जाता है कि किसी समय दिल्ली के राजा पृथ्वीराज का यही एक किला था। उसकी पराजय और मृत्यु के बाद राज्य के साथ किला भी मुसलमान राजाओं के हाथों में चला गया। सन 1356 में सम्राट फिरोजशाह तुगलक ने इस किले को दुबारा बनवाकर हिसार नाम रखा। यह शहर चारों तरफ से ऊँची-ऊँची दीवारों से घिरा है। शहर में आने-जाने के लिए चार मुख्य द्वार हैं। शहर के पूरब में एक नहर है। शहर की आबादी लगभग साठ हजार है। यहाँ के अधिकांश निवासी हिन्दू हैं। हमारे शहर में तीन हाईस्कूल हैं। तीनों ही स्कूलों की इमारतें बड़ी शानदार हैं। स्टेशन रोड पर मेमोरियल हॉल की शानदार इमारत हर गुजरने वाले का ध्यान आकर्षित करती है। शहर में एक नगरपालिका, दीवानी व फौजदारी अदालतें हैं तथा हिसार डिवीजन का मुख्यालय भी यहीं पर है। शहर में नलों द्वारा पानी की व्यवस्था है तथा पूरे शहर में बिजली है।
शहर के आस-पास कई प्राचीन स्मारक हैं जिसमें 600 वर्ष पुराना गुजरी' महल प्रमुख है। यहाँ के गाय-बैल और साँड़ बड़े मशहूर हैं। यहाँ साल में दो बार बड़े पशु मेले लगते हैं, जो पूरे भारत में प्रसिद्ध हैं। राजस्थान के रेगिस्तानी इलाके के निकट होने के कारण यहाँ गर्मियों में भीषण गर्मी व सर्दियों में तेज ठंड पड़ती है। धीरे-धीरे यहाँ लघु और कुटीर उद्योगों के स्थापित होने से विकास के मार्ग खुलने लगे हैं। हरियाणा राज्य को हिसार पर गर्व है। हमारा कर्त्तव्य है कि हम एक आदर्श नागरिक बनकर शहर को साफ-सुथरा रखें और इसके विकास में योगदान दें। ताकि हमारा शहर हिसार प्रदूषण मुक्त होकर लोगों के आकर्षण का केन्द्र बने और अपनी पहचान बनाए रखे।
प्रश्न.5: पत्र लेखन
(क) अपने मित्र को स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल की प्रेरणा देते हुए पत्र लिखिए।
(ख) आपकी सखी की माताजी की अचानक मृत्यु की सूचना मिली है। इस विषय में उसको सांत्वना पत्र लिखिए।
(क)
31, हरीश नगर
मेरठ।
दिनांक : 18 जुलाई, 20.......
प्रिय मित्र राकेश,
सप्रेम नमस्कार।
मैं यहाँ कुशलपूर्वक हूँ और तुम्हारी कुशलता की कामना करता हूँ। कल ही तुम्हारे द्वारा मेरे जन्मदिन के उपहारस्वरूप भेजा गया चायनीज कैमरा प्राप्त हुआ। बहुत प्रसन्नता हुई, लेकिन यदि यह कैमरा स्वदेशी होता, तो और अधिक प्रसन्नता होती। स्वदेशी वस्तुओं की गुणवत्ता विदेशी वस्तुओं से कम नहीं होती, वरन स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग से हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत होती है, जो देश के विकास में सहायक है।
मित्र ! हमारे प्रधानमंत्री द्वारा भी 'मेक इन इंडिया' को बढ़ावा दिया जा रहा है। कहा भी गया है-'स्वदेशी बनो, स्वदेशी अपनाओ।' अतः हमें स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग को बढ़ावा देना चाहिए।
आशा है तुम मेरे सुझाव पर ध्यान देते हुए स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग को दैनिक जीवन में बढ़ावा दोगे और दूसरों को भी प्रेरित करोगे। घर में सभी बड़ों को मेरा चरण-स्पर्श और छोटों को शुभ-स्नेह।
तुम्हारा मित्र,
मोहित
(ख)4/73 इन्दिरा नगर,
कानपुर।
दिनांक.......
प्रिय श्वेता,
नमस्कार।
आज ही तुम्हारे पत्र से मालूम हुआ कि तुम्हारी पूज्य माता जी का स्वर्गवास हो गया है। मेरा मन शोक से व्याकुल हो गया है। मुझे अब भी वे दिन याद हैं, जब हम दोनों के परिवार लखनऊ में पास-पास रहते थे। एक ही गली में रहने के कारण हर समय का साथ था। तुम्हारी माताजी मुझे पुत्री के समान स्नेह करती थीं। मैं जब पिछले वर्ष उनसे मिली थी तो वे काफी दुबली हो गई थीं और आँखों से साफ देखा भी नहीं पाती थीं। उनकी आत्मा उस दुबली देह में कष्ट का अनुभव कर रही थी। प्रत्येक शरीर अन्त में समाप्त होता है। ईश्वर के इस नियम पर किसी का वश नहीं चलता। इस दु:खद अवसर पर मैं स्वयं उपस्थित होना चाहती थी, किन्तु कई दिन से बीमार चल रही हूँ। डॉक्टर ने दस दिन के लिए पूर्ण विश्राम की सलाह दी है। ईश्वर से यही प्रार्थना करती हूँ कि माताजी की आत्मा को अपने चरणों में स्थान दें और परिवार को इस असहनीय दुःख को सहन करने की शक्ति दें। स्वस्थ होकर मैं शीघ्र ही तुमसे मिलने आऊँगी।
शोकाकुल हृदय,
क,ख, ग
प्रश्न.6: निम्नलिखित दिए गए किन्हीं दो विषयों पर संदेश लेखन कीजिए।
(क) रमज़ान त्योहार की शुभकामनाएँ देते हुए संदेश लेखन।
(ख) कोरोना महामारी बचाव हेतु सरकार द्वारा संदेश।
अपने मित्र को होली की शुभकामनाओं संबंधी संदेश लिखिए।
(क) रमज़ान त्योहार की शुभकामनाएँ देते हुए संदेश लेखन
"संदेश" दिनांक 25.4.20xx
प्रातः- 6.00 बजे
प्रिय मित्र, मैं तुम्हें और तुम्हारे परिवार को रमज़ान पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ देता हूँ। ईश्वर तुम्हें और तुम्हारे परिवार को | खुशियाँ ही खुशियाँ दे। इसी शुभकामना के साथ-
फलक पर चाँद आया है
नई खुशियाँ संग लाया है,
इबादत में सबके सर झुकेंगे,
ईश्वर सबकी हर इच्छा पूरी करेंगे।
तुम्हारा राजेश
अथवा मित्र को स्वतंत्रता दिवस पर शुभकामना संदेश
"संदेश" 15 अगस्त, 20xx
प्रात:- 8.00 बजे
प्रिय मित्र
वर्ष 20xx के स्वतंत्रता दिवस की बहुत-बहुत बधाई। मेरी ईश्वर से प्रार्थना है कि आप सभी के लिए यह स्वतंत्रता दिवस मंगलमय हो। ईश्वर से यह भी प्रार्थना है कि हम सब सदैव इस स्वतंत्र (खुली) हवा में साँस लेते रहें और | हमारा देश खुशहाल रहे। देश को स्वतंत्रता दिलवाने वाले सभी शहीदों को शत-शत नमन। हमें आज प्रण करना | चाहिए कि हम भी अपने देश की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर देंगे।
तुम्हारा मित्र
मोहन
(ख) कोरोना महामारी बचाव हेतु सरकार द्वारा संदेश
"संदेश" 23 मार्च, 20xx
समय प्रातः- 10.00 बजे
प्रिय देशवासियों,
आप सभी से कोरोना काल के दौरान घर में रहने का आग्रह है। कोरोना महामारी के कारण कुछ देश ही नहीं अपितु संपूर्ण संसार त्रस्त है। आप सभी एक-दूसरे से सामाजिक दूरी बना कर रखें, सदैव मुँह व नाक को ढककर रखें एवं बार-बार हाथ धोएँ। सभी के जीवन की मंगलकामना के साथ।
क, ख, ग मंत्रालय
अथवा अपने मित्र को होली की शुभकामनाओं संबंधी संदेश
"संदेश" 18, मार्च, 20xx
समय : प्रातः 6.30 बजे
प्रिय मित्र,
रोहित
कल रंगों का त्योहार होली है। तुम्हें और तुम्हारे परिवार को होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ। होली का त्योहार | तुम्हारे जीवन में बहुत सारी खुशियाँ और रंग लाए। मेरे और मेरे परिवार की ओर से होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
तुम्हारा मित्र
सुमित
प्रश्न.7: निम्नलिखित दिए गए किन्हीं दो विषयों पर संवाद लेखन कीजिए।
(क) "दुनिया में भुखमरी और कुपोषण" विषय पर अपने मित्र के साथ संवाद लिखिए।
भारत में बढ़ते भ्रष्टाचार पर दो मित्रों में संवाद लिखिए।
(ख) 'प्रदूषण की गहरी समस्या' विषय पर अपने मित्र से संवाद कीजिए।
किसी सहपाठी की शिकायत कर रहे छात्र और कक्षा अध्यापिका का संवाद लिखिए।
(क) "दुनिया में भुखमरी और कुपोषण" इस विषय पर अपने मित्र के साथ संवाद
रमेश – आओ नरेश, बैठो। तुम्हें पता है हमारे देश में भुखमरी और कुपोषण बच्चों का बचपन छीन रहा है।
नरेश - रमेश अपना देश ही क्या, दुनिया में बहुत से ऐसे देश हैं, खासकर, अफ्रीकी देश जो इस समस्या का सामना कर रहे
रमेश - हाँ! हमारे देश के भी कई प्रदेशों में यह समस्या है। भुखमरी असल में कुपोषण का मूल कारण है। हाँ ! कहीं-कहीं धनाभाव के कारण दो वक्त का खाना नसीब नहीं है और कहीं प्राकृतिक आपदाओं में सब नष्ट हो गया है इसलिए खाना नसीब नहीं है।
नरेश - बिलकुल ठीक कह रहे हो रमेश, भुखमरी ही कुपोषण का कारण है। कहीं-कहीं पैदावार को अत्यधिक खादों एवं कीटनाशकों से जहरीला बनाकर कुपोषण की ओर ढकेल रहे हैं। अतः सारी दुनिया को जागरूक होकर अब भुखमरी व कुपोषण के खिलाफ जागरूक होना ही होगा।
अथवा भारत में बढ़ते भ्रष्टाचार पर दो मित्रों में संवाद:
कार्तिक - इतनी सुबह-सुबह कहाँ जाने की तैयारी है, मित्र?
मयंक - अरे भाई! अपने क्षेत्र के विधायक के यहाँ जा रहा हूँ।
कार्तिक - क्यों क्या हुआ, खैरियत तो है?
मयंक - क्या बताऊँ मित्र, पिछले एक हफ्ते से बिजली नहीं आ रही है, इसलिए उनके यहाँ जा रहा हूँ।
कार्तिक - तो इसमें विधायक जी क्या करेंगे?
मयंक - मैं तो बिजली विभाग के चक्कर लगा-लगाकर हार गया, अब विधायक जी से ही सिफारिश करवाऊँगा, तभी काम बनेगा।
कार्तिक - क्या समय आ गया है। बात-बात में सिफारिशें और रिश्वत के बिना काम ही नहीं चलता। मैंने भी अपना टेलीफोन इसी तरह ठीक करवाया है।
मयंक - ऊपर से नीचे तक सभी भ्रष्टाचार में लिप्त होंगे, तो आम गरीब जनता को कौन सुनेगा? जबकि प्रभावशाली लोगों के काम चुटकी बजाते ही हो जाते हैं।
कार्तिक - सरकार भी तो कुछ सख्ती नहीं करती।
मयंक - सरकार भी किस-किस को पकड़ेगी? बड़े-बड़े अधिकारी भी तो भ्रष्ट हैं।
(ख) प्रदूषण की गहरी समस्या पर अपने मित्र से संवाद लेखन:राकेश - अरे मित्र ! सुबह-सुबह कहाँ से आ रहे हो?
सुरेश - थोड़ी देर के लिए भ्रमण करने निकला था, पास के पार्क से आ रहा हूँ।
राकेश - आजकल तो शुद्ध वायु का मानो अकाल ही पड़ गया है। बस सुबह-सुबह इसका थोड़ा आनंद लिया जा सकता है। दिन भर तो प्रदूषित वायु में ही साँस लेनी पड़ती है।
सुरेश - बिल्कुल ठीक कह रहे हो, मित्र! शहरों में प्रदूषण इस हद तक बढ़ गया है कि जीना मुश्किल हो गया है। इस प्रदूषण से लोगों का स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
राकेश - हाँ ! साँस, त्वचा, आँख तथा पेट के रोग बढ़ते जा रहे हैं, जिनके बढ़ने का कारण पर्यावरण प्रदूषण भी है।
सुरेश - न जाने सरकार इसे रोकने का प्रयास क्यों नहीं करती?
राकेश - सरकार करे भी क्या? बढ़ती आबादी के कारण गंदगी बढ़ती जा रही है। भूमि की कमी पड़ने के कारण पेड़ों की कटाई की जा रही है। वाहनों की संख्या लगातार बढ़ रही है, साथ ही उद्योग-धंधों का भी बहुत तेजी से विस्तार हो रहा है। ये सभी प्रदूषण में वृद्धि करते हैं।
सुरेश - कम से कम इतना तो किया ही जा सकता है कि औद्योगिक इकाइयों को शहरों से दूर स्थापित किया जाए, झुग्गी-झोंपड़ियों का पुनर्वास भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों से हटाकर कहीं और किया जाए।
राकेश - हाँ ! सरकार को इतना तो करना ही चाहिए। साथ ही नागरिकों को भी गंदगी नहीं फैलानी चाहिए तथा अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना चाहिए।
अथवा किसी सहपाठी की शिकायत कर रहे छात्र और कक्षा अध्यापिका का संवाद:
व्याख्यात्मक हल:अमित - गुरुजी प्रणाम!
अध्यापक - अरे अमित ! क्या बात है? तुम सब एक साथ यहाँ क्यों एकत्र हुए हो?
अमित - श्रीमान् ! हमारी कक्षा का मोहित वर्मा और उसके दो मित्रों की हम शिकायत करना चाहते हैं।
श्याम - मोहित अपने मित्रों के साथ मिलकर आए दिन हमें परेशान करता है।
अन्य छात्र - वे सबका मजाक उड़ाते हैं, चिढ़ाते हैं और हम पर रौब जमाते हैं।
अमित - वे अपना गृहकार्य समय पर नहीं करते और बाद में जबरदस्ती हमारी कॉपी ले जाते हैं। मना करने पर धमकाते हैं।
अन्य छात्र - राहुल की हिंदी विषय की कॉपी उन्होंने गुम कर दी और आज उससे गणित विषय की कॉपी माँग रहे थे। मना करने पर उन्होंने राहुल के साथ मारपीट भी की।
अध्यापक - मोहित के इस प्रकार के आचरण की शिकायत तुमने पहले क्यों नहीं की?
अमित - हमने उसे समझाने का बहुत प्रयास किया, लेकिन उसकी शरारतों के लगातार बढ़ने पर हमें शिकायत के लिए विवश होना पड़ा।
अध्यापक - खैर, मैं तुम्हारे कक्षाध्यापक से बात कर इस समस्या का शीघ्र ही कोई हल खोज लूँगा। अब तुम सब कक्षा में जाओ।
प्रश्न.8: निम्नलिखित दिए गए किन्हीं दो विषयों पर नारा लेखन कीजिए।
(क) कोरोना महामारी।
'शिक्षा का महत्व'।
(ख) नेत्रदान संबंधी नारा लेखन।
'पर्यावरण सुरक्षा' पर नारा लेखन।
(क) कोरांना महामारा
संशय हो या डर बिल्कुल न घबराएँ,
साबुन से रगड़ें हाथ और जीवन बचाएँ।अथवा 'शिक्षा का महत्व'
- जन-जन की है आवाज़,
पढ़ा-लिखा हो सभ्य समाज।- बच्चों की शिक्षा है ज़रूरी,
तभी बढ़ेगी अगली पीढ़ी।- शिक्षा जन-जन का अधिकार है,
शिक्षा ही मूल आधार है।- लड़का हो या लड़की, सबको श्रेष्ठ बनाओ,
ज्ञान का दीपक प्रज्ज्वलित करो, सबको प्रकाश फैलाओ।- गाँव-गाँव, गली-गली शिक्षा का अभियान चलाओ,
लड़का हो या लड़की सबका जीवन बेहतर बनाओ।(ख) नेत्रदान संबंधी नारा लेखन:
- सब दानों में सबसे प्रधान,
नेत्रदान-महादान।- नेत्रदान का संकल्प करें
मृत्यु के बाद मृत्युंजय बनें।अथवा 'पर्यावरण सुरक्षा' पर नारा लेखन:
- पर्यावरण की सुरक्षा, जीवन की रक्षा।
पेड़-पौधे लगाओ, प्रदूषण भगाओ,- जन-जीवन को सुरक्षित बनाओ।
पेड़ और पेड़ लगाओ,- संसार को सुरक्षित बनाओ
- जागरूकता को फैलाना है,
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1. दिए गए लेख शीर्षक के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके विस्तृत उत्तरों के साथ प्रदान करें। |
2. दिए गए लेख में विभिन्न खण्डों के बारे में कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके विस्तृत उत्तरों के साथ प्रदान करें। |
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