सामान्य निर्देश:
(i) इस प्रश्न पत्र में दो खंड हैं- खंड 'क' और खंड 'ख'
(ii) सभी प्रश्न अनिवार्य हैं। यथासंभव सभी प्रश्नों के उत्तर क्रमानुसार ही लिखिए।
(iii) लेखन कार्य में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखिए।
(iv) खंड-'क' में कुल 3 प्रश्न हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए इनके उपप्रश्नों के उत्तर दीजिए।
(v) खंड-'ख' में कुल 4 प्रश्न हैं। सभी प्रश्नों के साथ विकल्प दिए गए हैं। निर्देशानुसार विकल्प का ध्यान रखते हुए चारों प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
प्रश्न.1: निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 25-30 शब्दों में लिखिए।
(क) गाँव की मिट्टी पर पड़ने वाली पानी की पहली बूंद का असर जानने वाले नेता कौन थे?
(ख) "साँवले सपनों की याद" पाठ में सालिम अली प्रकृति और पर्यावरण के प्रति चिंतित थे ? पर्यावरण को बचाने के लिए उनके द्वारा किए गए प्रयासों का उल्लेख कीजिए।
(ग) प्रेमचंद जैसे साहित्यकार की फोटो में उनके फटे जूतों को देखकर परसाई जी की मनोदशा पर टिप्पणी कीजिए।
(घ) "सभी नदियाँ पहाड़ थोड़े ही फोड़ती हैं" पंक्ति में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए।
(क) चौधरी चरण सिंह किसान राजनेता के रूप में प्रसिद्ध थे। उनका बचपन गाँव में ही बीता था इसीलिए वे गाँव की मिट्टी पर पड़ने वाली पानी की पहली बूंद की सौंधी सुगंध से परिचित थे।
(ख) सालिम अली बड़े उदार, पक्षी-प्रेमी और प्रकृति-विज्ञानी थे। उन्होंने केरल की 'साइलेंट वैली' को बचाने हेतु तत्कालीन प्रधानमंत्री चौ. चरणसिंह से बात की, लेह-लद्दाख के पक्षियों के संरक्षण के लिये कार्य भी किये।
(ग) लॉरेंस प्रकृति-प्रेमी थे। उनका पूरा जीवन एक खुली किताब के समान था। उनके जीवन से सम्बन्धित कोई बात छिपी हुई नहीं है। छत पर बैठने वाली गौरैया के साथ भी वे काफी समय बिताते थे। गौरैया का व्यवहार भी मित्रवत् था। तभी उनकी पत्नी ने यह बात कही।
(ग) प्रेमचंद जैसे महान कथाकार, उपन्यास-सम्राट, युग-प्रवर्तक की ऐसी बदहाल दशा की कल्पना परसाई जी ने नहीं की थी। परन्तु एक महान साहित्यकार के इस दुख को स्वयं महसूस करते हुए परसाई जी द्रवित होकर रोना चाहते थे।
व्याख्यात्मक हलःप्रेमचंद जैसे साहित्यकार की फोटो में उनके फटे जूते देखकर परसाई जी का मन रोने को करता है। उन्हें प्रेमचन्द जैसे महान साहित्यकार की बदहाली से बहुत दुख होता है। उनके पास विशेष अवसरों पर पहनने के लिए भी अच्छे कपड़े और जूते नहीं थे। उनकी आर्थिक दुरावस्था की कल्पना से लेखक बहुत अधिक दुखी हो रहे थे।
(घ) सभी नदियाँ पहाड़ को फोड़कर रास्ता नहीं बनाती 'अपितु रास्ता बदलकर निकल जाती हैं।' समाज की बुराइयों व रूढ़िवादी परम्पराओं को देखकर भी बहुत से विचारवान लोग कुछ नहीं करते, चुप रहकर मूकदर्शक बने
रहते हैं। प्रेमचंद जी ने ऐसे लोगों पर व्यंग्य किया है, यह उनका ठोकर मारना था।
व्याख्यात्मक हलःलेखक ने समाज की कुरीतियों से न जूझने की प्रवृत्ति पर व्यंग्य किया है। वह कहते हैं कि उनसे संघर्ष करने की अपेक्षा प्रेमचंद को अपना मार्ग ही बदल लेना चाहिए था, जिससे उन्हें कष्ट भी नहीं होता और राह भी आसान हो जाती।
प्रश्न.2: निम्नलिखित में से किन्ही तीन प्रश्नों के उत्तर 25-30 शब्दों में दीजिए।
(क) 'मोहन के व्रत पर' पंक्ति का आशय 'कैदी और कोकिला' कविता के आधार पर व्यक्त कीजिए तथा उन परिस्थितियों का भी उल्लेख कीजिए जिनमें यह व्रत धारण किया था।
(ख) कवि किन कष्टों में रातभर कहाँ जागता था और कोयल से वह क्या जानना चाहता था? 'कैदी और कोकिला' कविता के आधार पर उत्तर दीजिए।
(ग) आपके विचार से बच्चों को काम पर क्यों नहीं भेजा जाना चाहिए ? उन्हें क्या करने के मौके मिलने चाहिए ?
(घ) काम पर जाने वाले बच्चे किन-किन सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं और क्यों? 'बच्चे काम पर जा रहे हैं' कविता के आधार पर लिखिए।
(क) 'मोहन के व्रत पर' का आशय मोहनदास करमचंद गाँधी के द्वारा किए गए आह्वान तथा आज़ादी की लड़ाई से है। देश को अंग्रेज़ोंसे आज़ाद कराने के लिए उन्होंने असहयोग आन्दोलन का सूत्रपात किया और अंग्रेज़ो भारत छोड़ो' का नारा दिया। कवि भी उनके आह्वान पर नौकरी छोड़कर आजादी की लड़ाई में कूद पड़ा।
(ख) कवि को कारागार में भरपेट भोजन नहीं मिलता था, कोल्हू में बैल की जगह जुतना पड़ता था, गालियाँ और अपमान मिलता था। इन कष्टों के कारण वह रात-रात भर जागता था। कवि कोयल से यह जानना चाहता है कि वह क्या संदेशा लाई है, उसकी कूक में वेदना का भाव क्यों है?(ग) मेरे विचार में बच्चों को काम पर नहीं भेजा जाना चाहिए, उन्हें पढ़ने-लिखने का पूरा मौका मिलना चाहिए ताकि वे शिक्षा प्राप्त कर अपने जीवन को संवार सकें। उन्हें खेलने-कूदने का उचित अवसर मिलना चाहिए ताकि वे तन-मन से स्वस्थ बन सकें। उन्हें अपने माता-पिता, सगे-सम्बन्धियों और आस-पड़ोस से पूरा प्रेम मिलना चाहिए। ऐसा होने से ही उनके व्यक्तित्व का समुचित विकास हो सकेगा।
(घ) काम पर जाने वाले बच्चे शिक्षा प्राप्ति, खेलकूद और मनोरंजन के उपकरणों से वंचित रह जाते हैं। बच्चों के सुविधा और मनोरंजन के उपकरणों से वंचित रहने का कारण है कि उनके माँ-बाप गरीब हैं। जब उनके पास पेट भरने के लिए रोटी ही नहीं है तो उनके पास उनके लिए खेल-खिलौने कहाँ से आ सकते हैं? इसलिए उनके बच्चे खेलने नहीं बल्कि काम करने के लिए जाते हैं।
प्रश्न.3: निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए।
(क) कहा जाता है कि महिलाएँ शक्तिशाली होंगी तो समाज भी शक्तिशाली बनेगा। समाज में महिलाओं की स्थिति को सुदृढ़ बनाने के लिए अपनी ओर से सुझाव दीजिए।
(ख) अपनी बेटी का रिश्ता तय करने के लिए रामस्वरूप उमा से जिस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा कर रहे हैं, वह उचित क्यों नहीं
(ग) 'टिहरी बाँध पुनर्वास के साहब और माटी वाली वृद्ध महिला के मध्य हुई बातचीत इस प्रकार की बाँध योजनाओं पर कैसे प्रश्न चिह्न लगाती है? समझाइए।
(क) समाज में महिलाओं की स्थिति को दृढ़ करने के लिए सबसे पहले उनका शिक्षित होना अनिवार्य है। उसके साथ ही समाज को जागरूक किया जा सकता है। अपनी आत्मरक्षा के उपाय खुद करने हैं ऐसी हिम्मत व साहस की भावना भर कर उनका आत्मबल बढ़ाया जा सकता है। लिंगभेद को समाप्त करके भी महिलाओं की स्थिति को सुदृढ़ बनाया जा सकता है।
(ख) रामस्वरूप चाहते थे कि उनकी बेटी उमा पाउडर वगैरह लगाकर सज-धज कर लड़के वालों के सामने दिखावटी सामान की तरह प्रस्तुत हो जाए। उमा को यह सब पसंद नहीं था। वे उमा की पढ़ाई-लिखाई भी छिपा रहे थे। रामस्वरूप ये सब गलत कर रहे थे क्योंकि इस तरह झूठ के आधार पर रिश्तों को बनाना उचित नहीं। इससे लड़की का सारा जीवन बर्बाद होने का डर रहता है। यदि हम समाज में बदलाव या सुधार लाना चाहते हैं, तो नारी शिक्षा और स्वतन्त्रता को महत्व देना चाहिए। दहेज जैसी बुरी प्रथा का विरोध करना चाहिए।
(ग) टिहरी बाँध पुनर्वास के साहब और माटी वाली वृद्ध महिला के मध्य हुई बातचीत इस प्रकार की बाँध योजनाओं से उत्पन्न विस्थापन की समस्या पर बहुत बड़ा प्रश्न चिह्न लगाती है। टिहरी बाँध बनाने में हजारों को रोजगार, खेत, घर, नौकरी, मजदूरी से हाथ धोना पड़ा। उनके सामने रोजगार और घर की समस्या उत्पन्न हो गई है। विस्थापितों के लिए केवल सरकार का ही नहीं, हम भारतवासियों का सहयोग भी अनिवार्य है तभी इस प्रकार की योजनाएँ सफल हो सकेंगी।
रचनात्मक लेखन:
प्रश्न.4: निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिन्दुओं के आधार पर लगभग 150 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए
(क) परोपकार
संकेत-बिन्दु- (i) परोपकार का अर्थ, (ii) परोपकार से लाभ, (iii) परोपकारी व्यक्तियों के उदाहरण।
(ख) दूरदर्शन
संकेत-बिन्दु- (i) दूरदर्शन की भूमिका, (ii) शैक्षणिक लाभ, (iii) विकास में योगदान।
(ग) आतंकवाद के दुष्परिणाम
संकेत-बिन्दु- (i) आतंकवाद के प्रसार के कारण, (ii) भारत और विश्व में आतंकवाद, (iii) निदान के उपाय।
(क) परोपकार
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। परस्पर सहयोग उसके जीवन का महत्वपूर्ण अंग है। परस्पर सहयोग के अभाव में समाज का अस्तित्व ही नहीं रह जाता। व्यासजी ने कहा है-'परहित साधन ही पुण्य है और दूसरों को कष्ट देना ही पाप है।' परोपकार के समान दूसरा धर्म नहीं है। परोपकार का प्रत्यक्ष उदाहरण प्रकृति में देखने को मिलता है, मेघ दूसरों के लिए वर्षा करते हैं, वायु दूसरों के लिए चलती है तथा सरिता दूसरों की प्यास बुझाने के लिए बहती है। पुष्प अपनी सुगन्ध बिखेर कर, वृक्ष स्वयं धूप सहकर और पथिकों को छाया प्रदान करके हमें परोपकार की प्रेरणा देते प्रतीत होते हैं। परोपकार करने वाला मनुष्य पूज्य बन जाता है। परहित के कारण गाँधीजी, सुकरात, राजा शिवि तथा ऋषि दधीचि ने अपना जीवन बलिदान कर दिया। बुद्ध, महावीर जैसे महापुरुषों ने तप्त मानवता को परोपकार का पावन मार्ग दिखाया। पंचशील का सिद्धान्त भी परोपकार की ही देन है। हमारा कर्त्तव्य है कि हम इन उपकारी महापुरुषों के जीवन का अनुकरण करें। यही हमारे जीवन का सबसे बड़ा धर्म है, परन्तु हमें यह परोपकार केवल सेवा की भावना को ही लेकर करना चाहिए। परोपकार करते समय तो हमें यह अभिमान भी नहीं होना चाहिए कि हमने व्यक्ति के लिए यह भलाई का कार्य किया है। निःस्वार्थ भाव से हमें परोपकार के कार्यों में समय लगाना चाहिए।
(ख) दूरदर्शन
दूरदर्शन आधुनिक युग में मनोरंजन का एक महत्वपूर्ण साधन है जो मानव को मनोरंजन देने के साथ-साथ प्रेरणा और शिक्षा प्रदान करता है। इसके माध्यम से हम घर बैठे लाखों मील दूर की घटनाओं को अपनी आँखों से देख सकते हैं। दूरदर्शन के दो पहलू हैं-(i) सदुपयोग और (ii) दुरुपयोग। दूरदर्शन के अच्छे कार्यक्रमों का हमारे मन पर अच्छा प्रभाव पड़ता है, हम उससे प्रेरणा प्राप्त कर सकते हैं। दूसरी ओर इसमें दिखाई गई हिंसा, हत्या, बलात्कार, अश्लीलता आदि कार्यक्रम समाज पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। आज के विद्यार्थी वर्ग पर दूरदर्शन का प्रभाव सर्वाधिक है, वे अपने विद्यार्थी जीवन के अमूल्य समय का दुरुपयोग व्यर्थ के मनोरंजक कार्यक्रम देखने में करते हैं। आजकल दूरदर्शन पर कई नए कार्यक्रम, रियल्टी शो, ज्ञानवर्धक विज्ञान से संबंधित कार्यक्रम प्रसारित हो रहे हैं, जिन्हें देखने पर ज्ञान के साथ-साथ मनोरंजन भी होता है। भविष्य में दूरदर्शन ज्ञानवर्धक कार्यक्रमों के प्रचार और प्रसार का साधन होने के साथ मनोरंजन के रूप में आपत्तिजनक कार्यक्रम पर रोक लगाएगा ऐसी आशा है। दूरदर्शन के द्वारा नवीन जानकारियाँ उपलब्ध होती हैं तथा विद्यार्थियों का मानसिक विकास होता है।
(ग) आतंकवाद के दुष्परिणाम
तंकवाद भय उत्पन्न करने की प्रक्रिया है। यह एक प्रकार का उन्माद तो है ही साथ ही दूसरों की बर्बादी का प्रयास भी है। आजादी के बाद देश में अनेक आतंकवादी संगठनों द्वारा आतंकवादी हिंसा का प्रचार-प्रसार किया गया है। आज हमारा देश ही नहीं वरन् सारा विश्व आतंकवाद की छाया में साँस ले रहा है। 13 दिसम्बर, 2001 को भारत के संसद भवन पर आतंकियों द्वारा हमला किया गया। 11 सितम्बर, 2001 को अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर भी हमला हुआ। इस तरह पूरा संसार आतंकवाद की चपेट में है। इस समस्या का वास्तविक हल ढूँढ़ने के लिए सर्वप्रथम सरकार को अपनी गुप्तचर एजेंसियों को सशक्त और विशेष सक्रिय बनाना चाहिए। सीमा पार से प्रशिक्षित आतंकवादियों व हथियारों के आने पर कड़ी चौकसी रखनी होगी। लोगों को गुमराह होने से रोकना होगा व विश्वास की भावना जगानी होगी। इसके साथ ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी मिलकर प्रयास करने होंगे।
प्रश्न.5: अपने नगर में व्याप्त बिजली कटौती से उत्पन्न समस्याओं का उल्लेख करते हुए किसी लोकप्रिय दैनिक समाचार पत्र के संपादक को पत्र लिखिए।
छोटी बहन को समय के सदुपयोग की सलाह देते हुए पत्र लिखिए।
सेवा में,
मुख्य संपादक महोदय,
अ.ब.स. समाचार-पत्र,
अ.ब.स. नगर।
दिनांक: 03 अप्रैल, 20xx
विषय- बिजली की कटौती से उत्पन समस्याओं के सम्बन्ध में।
मान्यवर,
इस पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्यान अपने इलाके में बिजली संकट से उत्पन्न कठिनाइयों की ओर दिलाना चाहता हूँ। आजकल हमारी सी.बी.एस.ई. बोर्ड की दसवीं की परीक्षाएँ चल रही हैं। ऐसी स्थिति में बार-बार बिजली चले जाने से हम छात्रों को पढ़ाई करने में बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बिजली की इस आँख-मिचौली से हम छात्रों की पढ़ाई में व्यवधान पड़ता है। इसका हमारे परीक्षा-परिणाम पर भी बुरा प्रभाव पड़ेगा। बिजली जाने का कोई निश्चित समय भी नहीं है, जब भी हम छात्रों के पढ़ने का समय होता है तो बिजली चली जाती है।
आपसे अनुरोध है कि हम छात्रों के हित को ध्यान में रखते हुए इस समाचार को अपने लोकप्रिय समाचार-पत्र के मुख पृष्ठ पर जगह देकर संबंधित अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट करने की कृपा करें जिससे हमारी समस्या शीघ्र दूर हो सके। इसके लिए हम सब आभारी रहेंगे।
धन्यवाद।
भवदीय,
अ.ब.स.
अ.ब.स. मोहल्ला
अ.ब.स. नगर।
अथवा परीक्षा भवन,
क ख ग नगर,
16.7.20.....
प्रिय नेहा,ढेर सारा प्यारा!
आशा है तुम सकुशल होगी। छात्रावास में भी तुम्हारा मन लग गया होगा। अब तक तुम्हारी दिनचर्या भी नियमित हो गई होगी। प्रिय नेहा, तुम सौभाग्यशाली हो कि तुमने एक अच्छे विद्यालय व छात्रावास में प्रवेश लिया है। तुम्हें स्वतंत्र रहकर अपना जीवन स्वयं बनाना है। बड़ी बहन होने के नाते मैं तुम्हें यह कहना चाहती हूँ कि वहाँ रहकर तुम समय का सदुपयोग करना। ऐसी दिनचर्या बनाना जिसमें अपने अध्ययन को अधिक समय दे सको। तुम्हें पता है, समय और लहरें किसी की प्रतीक्षा नहीं करती। यदि हम दिनचर्या का पालन नहीं करेंगे तो पछताने का भी अवसर नहीं मिलेगा। निष्ठापूर्वक पालन करने से ऐसा हो नहीं सकता कि सफलता न मिले, इसलिए वर्ष का एक-एक दिन अध्ययन में लगाना। मम्मी और पापा की ओर से आशीर्वाद।
तुम्हारी बहन,
प्रीति।
प्रश्न.6: (क) आपने अपना गृहकार्य नहीं किया है। इसका कारण बताते हुए शिक्षक के साथ होने वाला संवाद लिखिए।
इंटरनेट के उपयोग को लेकर दो छात्रों के मध्य संवाद लिखिए।
(ख) गाँव से कुछ दूरी पर रेलगाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई है। दो मित्र वहाँ पीड़ितों की सहायता के लिए जाना चाहते हैं। उनके मध्य हुए संवाद का लेखन कीजिए।
परीक्षा से एक दिन पूर्व दो मित्रों की बातचीत का संवाद लेखन कीजिए।
(क)
शिक्षक : (छात्र की ओर संकेत करते हुए) रमन ! अपना गृहकार्य दिखाओ।रमन : (डरते हुए) श्रीमान् ! आज मैं गृहकार्य करके नहीं ला सका।
शिक्षक : क्यों?
रमन : कल मेरी माताजी की तबियत अचानक खराब हो गई थी जिसके कारण में अपना गृहकार्य पूरा नहीं कर पाया।
शिक्षक : क्या तुम सच बोल रहे हो?
रमन : हाँ सर ! मैं बिल्कुल सच कह रहा हूँ।
शिक्षक : कोई बात नहीं। अब कैसी तबियत है माँ की?
रमन : पहले से बहुत सुधार है।
शिक्षक : ठीक है कल, आज और कल दोनों दिन का गृहकार्य पूरा करके अवश्य लाना।
रमन : जी श्रीमान् ! कल अवश्य दिखा दूँगा। धन्यवाद !
अथवा मोहन : क्या तुमने कल का गृहकार्य पूरा कर लिया ? तुमने किससे सहायता ली ?
सोहन : हाँ, मैंने इंटरनेट से सहायता ली।
मोहन : मित्र! यह क्या होता है ?
सोहन : इंटरनेट पर सभी विषयों के बारे में जानकारी उपलब्ध होती है।मोहन : तुम्हें किसने बताया ?
सोहन : कल जब मैंने अपने बड़े भाई से सहायता माँगी तो उन्होंने मुझे इंटरनेट पर उपलब्ध सामग्री के बारे में बताया।
मोहन : अच्छा ! यह तो बड़ी अच्छी बात है।
सोहन : मित्र! अब हम अपना कार्य आसानी से कर सकेंगे
मोहन : इंटरनेट पर हम और क्या-क्या कर सकते हैं
सोहन : इंटरनेट पर हम बैंकिंग, टिकिटिंग, शॉपिंग आदि अनेक कार्य घर बैठे कर सकते हैं।
मोहन : अरे वाह ! फिर तो मैं भी इंटरनेट से सहायता जरूर लूँगा। धन्यवाद मित्र ! इतनी उपयोगी जानकारी देने के लिए।
(ख)
अर्णव : नमस्ते संजय! घबराए हुए कहाँ से भागे आ रहे हो।
संजय : नमस्ते अर्णव! तुमने सुना नहीं शायद, रेलगाड़ी के डिब्बे पटरी से उतर गए हैं।
अर्णव : क्या जान-माल की ज्यादा क्षति हुई है?
संजय : हाँ, दो डिब्बे पटरी से उतरकर आपस में टकरा गए हैं।
अर्णव : पर, अब तुम कहाँ जा रहे हो? ।
संजय : मैं गाँववालों को खबर करने जा रहा हूँ।
अर्णव : मैं भी तुम्हारे साथ चलता हूँ। मैं लोगों से कहूँगा कि यात्रियों के लिए कुछ आवश्यक सामान भी ले चलें।
संजय : यह ठीक रहेगा।
अर्णव : मैं गोपी चाचा से कहता हूँ कि वे अपनी जीप से सबको ले चलें। उनकी जीप से घायलों को अस्पताल तक पहुँचाया जा सकता है।
संजय : डॉ. रमेश अंकल को भी साथ ले चलना। वे घायलों की प्राथमिक चिकित्सा कर सकेंगे।
अर्णव : तुम्हारा यह सुझाव बहुत अच्छा है।
संजय : चलो, सबको लेकर वहाँ जल्दी से पहुँचते हैं।अथवा आकाश : नमस्ते रमन, कुछ परेशान से दिखते हो?
रमन : नमस्ते आकाश, कल हमारी गणित की परीक्षा है।
आकाश : मैंने तो पूरा पाठ्यक्रम दोहरा लिया है, और तुमने?
रमन : पाठ्यक्रम तो मैंने भी दोहरा लिया है, पर कई सवाल ऐसे हैं, जो मुझे नहीं आ रहे हैं
आकाश : ऐसा क्यों?
रमन : जब वे सवाल समझाए गए थे, तब बीमारी के कारण मैं स्कूल नहीं जा सका था।
आकाश : कोई बात नहीं चलो, मैं तुम्हें समझा देता हूँ। शायद तुम्हारी समस्या हल हो जाए।
रमन : पर इससे तो तुम्हारा समय बेकार जाएगा।
प्रश्न.7: निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में लघु कथा लिखिए।
(क) तीर्थयात्रा
(ख) एकता में बल
(क) तीर्थयात्रा
बहुत समय पहले एक गाँव में हरिहर नाम का एक दयालु और सीधा-सच्चा किसान रहता था। वह बहुत परिश्रमी था। उडुपि के मन्दिर में भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन करने की उसकी बहुत इच्छा थी, लेकिन धनाभाव के कारण पूरी नहीं हो पाती थी। वह सदैव अपनी इच्छापूर्ति हेतु थोड़ा-थोड़ा धन बचाता रहता। जब उसके पास कुछ रुपए एकत्र हो गए तब वह अपनी पत्नी से रास्ते के लिए भोजन लेकर उडुपि के लिए एक तीर्थयात्रियों के दल के साथ चल दिया। मार्ग में उसने भूख-प्यास और दर्द से कराहते एक बूढ़ा आदमी देखा। हरिहर का मन उसे देख द्रवित हो उठा। पूछने पर पता चला कि बूढ़े व्यक्ति का एक बेटा बहुत बीमार है और दूसरे बेटे ने भी तीन दिन से कुछ खाया नहीं है। यह जानकर हरिहर ने उडुपि जाने से पहले उस बूढ़े व्यक्ति की सहायता करने का निश्चय किया। हरिहर के साथियों ने हरिहर को समझाया कि तुमने बहुत मुश्किल से तीर्थयात्रा के लिए धन एकत्र किया है अगर यह नष्ट हो गया तो शायद तुम फिर कभी नहीं जा पाओगे लेकिन हरिहर अपने निश्चय पर अडिग रहा। वह बूढ़े व्यक्ति के साथ उसके घर गया तथा उन्हें भरपेट भोजन कराया। इसके बाद वह बूढ़े व्यक्ति और उसके बेटे के लिए दवाई लाया। हरिहर की सेवा से कुछ ही दिनों में सब ठीक हो गया। हरिहर ने बचे हुए पैसे बूढ़े व्यक्ति को कुछ काम-धन्धा शुरू करने के लिए दे दिए। हरिहर अपनी तीर्थयात्रा बीच में छोड़कर वापस घर लौट आया। उसने अपनी पत्नी को सारा वृत्तांत कह सुनाया। पत्नी भी पति के सेवाभाव व दयालुता से बहुत खुश हुई। उस रात हरिहर ने स्वप्न में देखा कि श्रीकृष्ण उससे कह रहे हैं कि हरिहर तुम मेरे सच्चे भक्त हो। जिस बूढ़े व्यक्ति की तुमने सहायता के लिए अपनी वर्षों की इच्छा का त्याग कर दिया वह मैं ही था। बूढ़े व्यक्ति का रूप रखकर तुम्हारी परीक्षा ले रहा था। इस तरह हरिहर असहाय व्यक्ति की सेवा को सच्ची ईश्वर सेवा मान बिना तीर्थयात्रा के ही पुण्य का भागीदार बन गया।
(ख) एकता में बल
एक बार एक शिकारी पक्षियों को पकड़ने के लिए जंगल में गया। वहाँ उसने अपना जाल फैलाया और उस पर दाना बिखेर दिया तथा स्वयं झाड़ियों के पीछे छिप गया। तभी कबूतरों का एक झुण्ड वहाँ से गुजरा। जंगल में दाना बिखरा देख वे उसे चुगने के लिए बेचैन हो नीचे उतरने लगे। तभी उनमें से एक बुद्धिमान कबूतर को कुछ सन्देह हुआ। उसने सभी कबूतरों को सावधान किया कि अवश्य ही कुछ गड़बड़ है अन्यथा जंगल में इतना दाना कहाँ से आया। लेकिन किसी ने उसकी बात नहीं मानी। वे सभी कबूतर दाना चुगने नीचे उतरे और शिकारी के बिछाए जाल में फंस गए। अब वे उड़ नहीं पा रहे थे। उन्होंने बहुत प्रयास किया लेकिन सब बेकार। सब निराश हो गए। तब बुद्धिमान कबूतर ने उन्हें हिम्मत बँधाते हुए सुझाव दिया कि यदि हम सब एक साथ पूरी ताकत लगाकर उड़ने की कोशिश करें तो इस जाल को अपने साथ लेकर उड़ सकते हैं। तब सबने पूरी ताकत के साथ उड़ने का दम लगाया और वास्तव में वे जाल सहित उड़ चले। यह देख झाड़ियों में छिपा शिकारी उनके पीछे दौड़ा लेकिन कबूतरों की एकता की शक्ति के कारण वह असफल रहा। गाँव में कबूतरों के मित्र मूषक रहते थे। वे जाल सहित मूषकों के पास पहुँचे। मूषकों ने अपने दाँतों से जाल काट दिया जिससे कबूतर फिर से आज़ाद होकर उड़ने लगे। इस तरह एकता की शक्ति से उन्हें शिकारी की कैद से मुक्ति मिली।
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1. कक्षा 09 की परीक्षा कब होगी? |
2. कक्षा 09 की परीक्षा कैसे तैयारी करें? |
3. कक्षा 09 की परीक्षा में कितने प्रश्न पूछे जाएंगे? |
4. कक्षा 09 की परीक्षा में नकल या अनुप्रयोग करने पर क्या होगा? |
5. कक्षा 09 की परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए कौन-कौन से टिप्स फॉलो करें? |
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