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अपठित पद्यांश- 2 | Hindi Vyakaran (हिन्दी व्याकरण) Class 8 PDF Download

अपठित पद्यांश


अपठित काव्यांश भी गद्यांश की भाँति बिना पढ़ा अंश होता है। यह पाठ्यक्रम के बाहर से लिया जाता है। इसके द्वारा छात्रों की काव्य संबंधी समझ का मूल्यांकन किया जाता है। इसके अंतर्गत विषय वस्तु का मूल्यांकन किया जाता है। इसके अंतर्गत विषय वस्तु, अलंकार, भाषिक योग्यता संबंधी समझ की परख की जाती है।

अपठित काव्यांश हल करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:
  • दिए गए काव्यांश को कम से कम दो-तीन बार अवश्य पढ़ें।
  • पूछे गए प्रश्नों के उत्तरों को रेखांकित कर लें।
  • प्रश्नों के उत्तर सरल भाषा में लिखें।
  • उत्तर काव्यांश से ही होना चाहिए।

उदाहरण ( उत्तर सहित)

11. निम्नलिखित काव्यांश तथा उन पर आधारित प्रश्नोत्तर ध्यानपूर्वक पढ़िए-
रेशम जैसी हँसती खिलती, नभ से आई एक किरण
फूल-फूल को मीठी, मीठी, खुशियाँ लाई एक किरण
पड़ी ओस की कुछ बूंदें, झिलमिल-झिलमिल पत्तों पर
उनमें जाकर दिया जलाकर, ज्यों मुसकाई एक किरण
लाल-लाल थाली-सा सूरज, उठकर आया पूरब में
फिर सोने के तारों जैसी, नभ में छाई एक किरण
(i) कवि ने किरण के लिए किन-किन विशेषणों का प्रयोग किया है?
(क) रेशम जैसी
(ख) हँसती खिलती
(ग) सोने के तारों जैसी
(घ) उपर्युक्त सभी

उत्‍तर:  (घ) उपर्युक्त सभी

(ii) किरण फूलों के लिए क्या खुशियाँ लेकर आई?
(क) सुंदरता
(ख) सुगंध
(ग) मीठी-मीठी खुशियाँ
(घ) विभिन्न रंग 

उत्‍तर: (ख) सुगंध

(iii) ओस की बूंदों ने पत्तों पर क्या किया?
(क) उन्हें चमका दिया
(ख) उन पर एक दिया-सा जला दिया
(ग) उन्हें नहला दिया
(घ) उन्हें चमका दिया 

उत्‍तर: (ग) उन्हें नहला दिया

(iv) सूरज की विशेषता है
(क) वह गोल-गोल है।
(ख) वह गोल-गोल तथा लाल-लाल है।
(ग) वह लाल-लाल थाली जैसा है।
(घ) वह लाल-लाल गेंद जैसा है। 

उत्‍तर: (ग) वह लाल-लाल थाली जैसा है।


12. निम्नलिखित काव्यांश तथा उन पर आधारित प्रश्नोत्तर ध्यानपूर्वक पढ़िए-
आज जीत की रात
पहरुए, सावधान रहना।
खुले देश के द्वार
अचल दीपक समान रहना
प्रथम चरण है नये स्वर्ग का
है मंजिले का छोर
इस जन-मंथन से उठ आई
पहली रतन हिलोर
अभी शेष है पूरी होना
जीवन मुक्ता डोर
क्योंकि नहीं मिट पाई दुख की
विगत साँवली कोर
ले युग की पतवार
बने अंबुधि समान रहना
पहरुए, सावधान रहना
ऊँची हुई मशाल हमारी
आगे कठिन डगर है।
शत्रु हट गया, लेकिन उसकी
छायाओं का डर है,
शोषण से मृत है समाज ,
कमज़ोर हमारा घर है।
किंतु आ रही नई जिंदगी
यह विश्वास अमर है।

(i) कविता देश की कौन-सी सुखद घटना की ओर संकेत करती है?
(क) युद्ध में जीत
(ख) 15 अगस्त की सुखद घटना
(ग) गणतंत्र दिवस की सुखद घटना
(घ) विपत्तियों से छुटकारे की रात

उत्‍तर: (ख) 15 अगस्त की सुखद घटना

(ii) ‘पहरुए’ की ‘दीपक’ और ‘अंबुधि’ के समान बने रहने को क्यों कहा गया है?
(क) क्योंकि दीपक ही प्रकाश देता है और अपनी गहराई से सबको प्रेरणा देता है
(ख) दीपक और सागर के समान परोपकारी बनने की प्रेरणा
(ग) दीपक और सागर के समान अटल बनने की प्रेरणा
(घ) दीपक और सागर की तरह महान बनने की प्रेरणा 

उत्‍तर: (क) क्योंकि दीपक ही प्रकाश देता है और अपनी गहराई से सबको प्रेरणा देता है

(iii) शोषण से मृत है समाज कमज़ोर हमारा घर है – पंक्ति का अर्थ क्या है?
(क) देश की हालत खास्ता है।
(ख) देश की आर्थिक स्थिति दयनीय है।
(ग) देश की सामाजिक स्थिति ठीक नहीं है।
(घ) देश की आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था कमजोर है।

उत्‍तर: (घ) देश की आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था कमजोर है। 

(iv) ‘ले युग की पतवार बने अंबुधि समान रहना’ पंक्ति में अलंकार है?
(क) 
उत्प्रेक्षा
(ख) रूपक
(ग) उपमा
(घ) मानवीकरण

उत्‍तर: (ग) उपमा


13. निम्नलिखित काव्यांश तथा उन पर आधारित प्रश्नोत्तर ध्यानपूर्वक पढ़िए-

ऐसा है आवेश देश में जिसका पार नहीं।
देखा माता का ऐसा रक्तिम श्रृंगार नहीं।
कंठ-कंठ में गान उमड़ते माँ के वंदन के।
कंठ-कंठ में गान उमड़ते माँ के अर्चन के।
शीश-शीश में भाव उमड़ते माँ पर अर्पण के।
प्राण-प्राण में भाव उमड़ते शोणित तर्पण के।
जीवन की धारा में देखी ऐसी धार नहीं।
सत्य अहिंसा का व्रत अपना कोई पाप नहीं।
विश्व मैत्री का व्रत भी कोई अभिशाप नहीं।
यही सत्य है सदा असत की टिकती चाप नहीं।
सावधान हिंसक! प्रतिहिंसा की कोई माप नहीं।
कोई भी प्रस्ताव पराजय का स्वीकार नहीं।
ऐसा है आवेश देश में जिसका पार नहीं। 

(i) उपरोक्त पद्यांश में किसके आवेश’ का उल्लेख हुआ है?
(क) माता के
(ख) देश के
(ग) शत्रु के
(घ) इनमें से कोई नहीं 

उत्‍तर: (ii) देश के

(ii) कवि के मतानुसार असत्य है-
(क) स्थायी
(ख) व्रत
(ग) अभिशाप
(घ) अस्थायी 

उत्‍तर: (i) स्थायी

प्रश्न 3. ‘रक्ति श्रृंगार’ का अर्थ है
(क) वीर सपूतों का रक्त बलिदान करना
(ख) रक्त बहाना
(ग) शत्रु का खून बहाना 
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं

उत्‍तर: (वीर सपूतों का रक्त बलिदान करना

प्रश्न 4. ‘शोणित तर्पण’ का अर्थ है
(क) खून बहाकर आक्रमणकारी के पितरों का श्राद्ध करना
(ख) शत्रु का शोषण करना
(ग) दुखी होकर श्राद्ध करना
(घ) वीर सपूतों का रक्त बलिदान करना

उत्‍तर: () शत्रु का शोषण करना

प्रश्न 5. पद्यांश में ‘माता’ का प्रतीक है–
(क) देवी की
(ख) विश्वमैत्री की
(ग) सत्य-अहिंसा की
(घ) राष्ट्र (देश) की 

उत्‍तर: (घ) राष्ट्र (देश) की


14. निम्नलिखित काव्यांश तथा उन पर आधारित प्रश्नोत्तर ध्यानपूर्वक पढ़िए-
जग-जीवन में जो चिर महान,
सौंदर्यपूर्ण और सत्यप्राण,
मैं उसका प्रेमी बनूं नाथ!
जिससे मानव-हित हो समान!
जिससे जीवन में मिले शक्ति
छूटे भय-संशय, अंधभक्ति,
मैं वह प्रकाश बन सकें नाथ!
मिल जावे जिसमें अखिल व्यक्ति !

प्रश्न 1. कवि ने ‘चिर महान’ किसे कहा है?
(क) मानव को
(ख) ईश्वर को
(ग) जो सत्य और सुंदर से संपूर्ण हो
(घ) शक्ति को 

उत्‍तर: () ईश्वर को

प्रश्न 2. कवि कैसा प्रकाश बनना चाहता है?
(क) जिससे सब तरफ उजाला हो जाए।
(ख) अज्ञान का अंधकार दूर हो जाए।
(ग) जो जीने की शक्ति देता है।
(घ) जिसमें मनुष्य सभी भेदभाव भुलाकर एक हो जाते हैं।

उत्‍तर: (जिसमें मनुष्य सभी भेदभाव भुलाकर एक हो जाते हैं।

प्रश्न 3. कवि ने ‘अखिल व्यक्ति का प्रयोग क्यों किया है?
(क) कवि समस्त विश्व के व्यक्तियों की बात करना चाहता है।
(ख) कवि अमीर लोगों की बात कहना चाहता है।
(ग) कवि भारत के व्यक्तियों की ओर संकेत करना चाहता है।
(घ) कवि ब्रह्मज्ञानी बनना चाहता है। 

उत्‍तर: (कवि समस्त विश्व के व्यक्तियों की बात करना चाहता है।

प्रश्न 4. कवि ने कविता की पंक्तियों के अंत में विस्मयादिबोधक चिह्न प्रयोग क्यों किया है?
(क) कविता को तुकांत बनाने के लिए
(ख) कवि अपनी इच्छा प्रकट कर रहा है।
(ग) इससे कविता का सौंदर्य बढ़ता है।
(घ) पूर्ण विराम की लीक से हटने के लिए

उत्‍तर: () कवि अपनी इच्छा प्रकट कर रहा है।

प्रश्न 5. कविता का मूलभाव क्या है?
(क) कल्याण
(ख) अमरदान की प्राप्ति
(ग) विश्व-परिवार की भावना
(घ) सत्य की प्राप्ति 

उत्‍तर: (विश्व-परिवार की भावना

15. निम्नलिखित काव्यांश तथा उन पर आधारित प्रश्नोत्तर ध्यानपूर्वक पढ़िए-
ओ महमूदा मेरी दिल जिगरी
तेरे साथ मैं भी छत पर खड़ी हूँ
तुम्हारी रसोई तुम्हारी बैठक और गाय-घर में पानी घुस आया
उसमें तैर रहा है घर का सामान
तेरे बाहर के बाग का सेब का दरख्त
टूट कर पानी के साथ बह रहा है।
अगले साल इसमें पहली बार सेब लगने थे
तेरी बल खाकर जाती कश्मीरी कढ़ाई वाली चप्पल
हुसैन की पेशावरी जूती
बह रहे हैं गंदले पानी के साथ
तेरी ढलवाँ छत पर बैठा है।
घर के पिंजरे का तोता
वह फिर पिंजरे में आना चाहता है।
महमूदा मेरी बहन
इसी पानी में बह रही है तेरी लाडली गऊ
इसका बछड़ा पता नहीं कहाँ है।
तेरी गऊ के दूध भरे थन ।
अकड़ कर लोहा हो गए हैं।
जम गया है दूध
सब तरफ पानी ही पानी
पूरा शहर डल झील हो गया है।
महमूदा, मेरी महमूदा
मैं तेरे साथ खड़ी हूँ।
मुझे यकीन है छत पर जरूर
कोई पानी की बोतल गिरेगी
कोई खाने का सामान या दूध की थैली
मैं कुरबान उन बच्चों की माँओं पर
जो बाढ़ में से निकलकर ।
बच्चों की तरह पीड़ितों को
सुरक्षित स्थान पर पहुँचा रही हैं।
महमूदा हम दोनों फिर खड़े होंगे
मैं तुम्हारी कमलिनी अपनी धरती पर…
उसे चूम लेंगे अपने सूखे होठों से
पानी की इसे तबाही से फिर निकल आएगा
मेरा चाँद जैसा जम्मू
मेरा फूल जैसा कश्मीर।

प्रश्न 1. घर में पानी घुसने का कारण है
(क) नल और नाली की खराबी
(ख) बाँध का टूटना
(ग) प्राकृतिक आपदा
(घ) नदी में रुकावट 
 

उत्‍तर: (प्राकृतिक आपदा

प्रश्न 2. महमूदा की बहन को विश्वास नहीं है
(क) छत पर पानी की बोतल गिरेगी
(ख) कुछ खाने-पीने की सहायता पहुँचेगी
(ग) कोई हैलीकॉप्टर उन्हें बचाने छत पर आएगा
(घ) इस मुसीबत से निकल जाएँगे

उत्‍तर: () इस मुसीबत से निकल जाएँगे

प्रश्न 3. “मेरा चाँद जैसा जम्मू
मेरा फूल जैसा कश्मीर’ का भावार्थ है
(क) जम्मू और कश्मीर में फिर से चाँद दिखने लगेगा,
(ख) जम्मू और कश्मीर का सौंदर्य वापिस लौटेगा,
(ग) जम्मू और कश्मीर स्वर्ग है,
(घ) जम्मू और कश्मीर चाँद और फूल जैसा सुंदर है, 

उत्‍तर: () जम्मू और कश्मीर का सौंदर्य वापिस लौटेगा,

प्रश्न 4. कवयित्री माताओं पर क्यों न्यौछावर होना चाहती है?
(क) दूसरों को बचाने के कार्य में जुटी हैं।।
(ख) बच्चों को सुरक्षित स्थान पर पहुँचा रही हैं।
(ग) स्वयं भूखी रहकर बच्चों की देखभाल करती हैं।
(घ) रसद पहुँचाने का कार्य कर रही हैं। 

उत्‍तर: () बच्चों को सुरक्षित स्थान पर पहुँचा रही हैं।

प्रश्न 5. पूरा शहर डल झील जैसा लग रहा है, क्योंकि
(क) डल झील का फैलाव बढ़ गया है।
(ख) पूरे शहर में पानी भर गया है।
(ग) पूरे शहर में शिकारे चलने लगे हैं।
(घ) झील में नगर का प्रतिबिंब झलक रहा है। 

उत्‍तर: (पूरे शहर में पानी भर गया है।

16. निम्नलिखित काव्यांश तथा उन पर आधारित प्रश्नोत्तर ध्यानपूर्वक पढ़िए-
तेरे-मेरे बीच कहीं है एक घृणामय भाईचारा।
संबंधों के महासमर में तू भी हारा मैं भी हारा॥
बँटवारे ने भीतर-भीतर
ऐसी-ऐसी डाह जगाई।
जैसे सरसों के खेतों में
सत्यानाशी उग-उग आई ॥
तेरे-मेरे बीच कहीं है टूट-अनटूटा पतियारा।।
संबंधों के महासमर में तू भी हारा मैं भी हारा॥
अपशब्दों की बंदनवारें
अपने घर हम कैसे जाएँ।
जैसे साँपों के जंगल में
पंछी कैसे नीड़ बनाएँ।
तेरे-मेरे बीच कहीं है भूला-अनभूला गलियारा।
संबंधों के महासमर में तू भी हारा मैं भी हारा॥
बचपन की स्नेहिल तसवीरें
देखें तो आँखें दुखती हैं।
जैसे अधमुरझी कोंपल से
ढलती रात ओस झरती है।
तेरे-मेरे बीच कहीं है बूझा-अनबूझा उजियारा।
संबंधों के महासमर में तू भी हारा मैं भी हारा॥

प्रश्न 1. कविता से किस बँटवारे की बात हो सकती है?
(क) दो भाइयों का बँटवारा
(ख) दो देशों के बीच का बँटवारा
(ग) संपत्ति का बँटवारा
(घ) दो शरणार्थियों के बीच का बँटवारा

उत्‍तर: (दो भाइयों का बँटवारा

प्रश्न 2. ‘तेरे-मेरे बीच कहीं है एक घृणामय भाईचारा’ का भाव है–
(क) परस्पर संबंधों में इतनी घृणा हो गई कि भाईचारा कहाँ रह गया।
(ख) जब परस्पर संबंधों में दरार आ जाती है तो भाईचारे का प्रश्न ही नहीं उठता।
(ग) परस्पर संबंधों के बीच घृणा के बीज बोए गए फिर भी भाईचारा बना रहा।
(घ) बँटवारे में घृणा के सिवाय और कुछ नहीं। 

उत्‍तर: () परस्पर संबंधों में इतनी घृणा हो गई कि भाईचारा कहाँ रह गया।

प्रश्न 3. सरसों के खेतों में सत्यानाशी’ किसे कहा गया है?
() काम बिगाड़ने वाले लोगों को
() दीमक को
(लोगों को
() परस्पर ईष्र्याभाव को

उत्‍तर: () परस्पर ईष्र्याभाव को

प्रश्न 4. अपशब्दों की बंदनवारें’ कैसे प्रभावित करती हैं?
(मनुष्य को परेशान करती हैं।
() अपनों से मिलने से रोकती हैं।
(सजावट के काम आती हैं।
() मेल-मिलाप की गुंजाइश नहीं रह जाती। 

उत्‍तर: () अपनों से मिलने से रोकती हैं।

प्रश्न 5. बचपन की तसवीरें क्या आशा जगाती हैं?
(आँसुओं में मलिनता धुल जाएगी और उजाला होगा।
(यौवन ठीक-ठाक गुजरेगा।
(घर के बुजुर्ग शांति स्थापित कर पाएँगे।
(बीता हुआ बचपन लौट आएगा। 

उत्‍तर: (आँसुओं में मलिनता धुल जाएगी और उजाला होगा।

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