7. महानगरों में बढ़ता प्रदूषण
विज्ञान ने आज मानव को अनेक उपहार दिए हैं। इन्हीं के कारण ही आज मानव जल, थल और आकाश का स्वामी बन बैठा है। विज्ञान ने जहाँ हमें अनेक प्रकार के वरदान दिए हैं, वहीं कुछ समस्याओं को भी जन्म दिया है, जिनमें प्रदूषण की समस्या प्रमुख है। ‘प्रदूषण’ का अर्थ है- विशेष प्रकार से दूषित होना। यानी पर्यावरण के संतुलन का दोषपूर्ण हो जाना। प्रदूषण के कारण ही जल, थल और वायु दूषित हो गई है।
सभ्यता के विकास के साथ जंगल कटते गए। ज्यों-ज्यों आबादी बढ़ी आवास के लिए अधिक स्थान की आवश्यकता पड़ी। खेती के लिए अधिक भूमि तथा ईंधन के लिए अधिक लकड़ी की आवश्यकता हुई । इस प्रकार भूमि की कमी को वनों की कटाई करके करते रहे। वनों की अंधाधुंध कटाई के कारण प्रकृति का संतुलन बिगड़ गया है। साथ ही सड़कों पर बढ़ते यातायात तथा औद्योगिक इकाइयों के कारण निकलते धुएँ से वायु प्रदूषित हो रहा है। आसमान में उड़ते विमानों, कल कारखानों तथा वाहनों आदि से प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। नगरों से निकलने वाला कचरा, गंदगी, कारखानों का प्रदूषित अवशेष नदियों में प्रवाहित करने से जल पीने योग्य नहीं रह गया। गंगा जैसी नदी जिसका जल पवित्र था वह आज प्रदूषण की चपेट में है। यह प्रदूषित जल पेड़-पौधे, जीव-जंतुओ और मानव-जीवन सभी के लिए हानिकारक है। धरती का जलस्तर भी गिर गया है। वाहन, लाउडस्पीकर, यान रेलगाड़ियाँ, कारखाने आदि चारों तरफ भरपूर ध्वनि-प्रदूषण फैलाते हैं। कारखाने विषैली गैस तथा धुआँ छोड़ते हैं। सड़कों पर लाखों की संख्या में दौड़ते वाहन कार्बन तथा अन्य गैस छोड़ते हैं जो मनुष्य ही नहीं वनस्पतियों तक के लिए हानिकारक हैं। बिजली बनाने के संयंत्र भी धुआँ और राख उगलते हैं। ये सब वायु को विषाक्त बना देते हैं। ये जहरीली हवा रक्तचाप, दमा, त्वचा संबंधी अनेक रोगों को जन्म देती है। इस प्रदूषित वायु के कारण शहरों के पेड़े-पौधे भी प्रभावित होते हैं। इस प्रकार वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण आदि प्रदूषण के प्रकार हैं।
बड़े-बड़े नगरों में आवास की भारी समस्या है। इसीलिए वहाँ झुग्गी झोपड़ियाँ बन जाती हैं जिसमें मज़दूर आदि रहते हैं। इसके कारण गंदगी होती है तथा भूमि प्रदूषण होती है। भूमि प्रदूषण के कारण अनेक रोगों का जन्म होता है।
यद्यपि प्रदूषण एक विश्वव्यापी समस्या है तथापि इसका एक मात्र समाधान वृक्षारोपण है। वृक्ष वातावरण को शुद्ध वायु प्रदान करते हैं। औद्योगिक इकाइयों को यदि घनी आबादी वाले क्षेत्रों से हटाकर नगरों से दूर स्थापित किया जाए, इससे प्रदूषण के विस्तार को रोका जा सकता है। वनों की अंधाधुंध कटाई पर रोक लगाई जानी चाहिए।
8. मेरा प्यारा भारत वर्ष
हमारा देश भारत संसार का सर्वश्रेष्ठ देश है। यह एक बहुत ही प्राचीन देश है। यह देश अपनी भौगोलिक, सांस्कृतिक व प्राकृतिक विभिम्नताओं के कारण विश्वभर में अनूठा है। पहले इसका नाम आर्यावर्त था। मुगलों ने इसका नाम हिंदुस्तान और अंग्रेज़ों ने इंडिया रखा। यहाँ के निवासी आर्य कहलाते थे। महा प्रतापी राजा दुष्यंत के पुत्र भरत से इसका नाम भारत पड़ी।
इसके उत्तर में हिमालय, दक्षिण में हिंद महासागर, पूर्व में बंगलादेश तथा वर्मा है। पश्चिम में पाकिस्तान तथा अरब सागर है। इसके पड़ोसी देशों में नेपाल, बंगलादेश, चीन, वर्मा, श्रीलंका आदि हैं। जनसंख्या की दृष्टि से भारत विश्व का दूसरे नंबर का देश है। इसकी जनसंख्या एक अरब तीस करोड़ हैं। संसार के जितने मौसम होते हैं वे सब हमारे देश में देखने को मिलते हैं। सरदी, गरमी, बरसात सभी तरह के यहाँ मौसम होते हैं। यहाँ का धरातल पहाड़ी, समतल, रेतीला सभी प्रकार का है। यहाँ सालों भर बहने वाली नदियाँ गंगा, यमुना, कृष्णा और कावेरी जैसी नदियाँ यहाँ की पुण्यभूमि को सींचती हैं। यहाँ अनेक धर्म, जाति और संप्रदायों के लोग आपस में प्रेम से रहते हैं। यहाँ अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं। तथा हर प्रांत के अलग-अलग त्योहार व उत्सव मनाए जाते हैं।
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद इस देश ने शिक्षा, उद्योग, कला-कौशल, निर्माण कार्य, प्रशासन आदि सभी क्षेत्रों में काफ़ी उन्नति की है। हमारे देश के नागरिकों को जीवन स्तर ऊँचा उठा है। विश्व में बहुत आदर की दृष्टि से देखा जाता है। यहाँ वास्तुकला, शिल्पकला, हस्तकला के उत्कृष्ट नमूने देखने को मिलते हैं। ऐतिहासिक इमारतों में ताजमहल, कुतुबमीनार, कोणार्क का सूर्य मंदिर, अजंता ऐलोरा की गुफाएँ आदि विश्व के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। सचमुच हमारा देश भारत संसार का सर्वश्रेष्ठ देश है। शायद इसलिए कवि इकबाल ने कहा था कि- ‘सारे जहाँ से अच्छा हिंदोस्ताँ हमारा।
9. पुस्तकालय
पुस्तकें ज्ञान का भंडार होती हैं। पुस्तकें हमें अनेक विषयों से अनेक प्रकार की जानकारी प्रदान कराती हैं। ‘पुस्तकालय’ ज्ञान का मंदिर होता है, जो हमारी ज्ञान-पिपासा शांत कराने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। यह ज्ञान तथा मनोरंजन प्रदान करने का उत्तम साधन है।
पुस्तकालय में अनेक प्रकार की पुस्तकें, समाचार पत्र-पत्रिकाएँ तथा अन्य पठन-सामग्री संग्रहीत की जाती हैं। इन पुस्तकों पर विषय के अनुसार क्रमसंख्या पड़ी रहती है। जब किसी को कोई पुस्तकें दी जाती हैं तो पुस्तक पर अंकित क्रमसंख्या उसके नाम के आगे रजिस्टर में दर्ज कर दी जाती हैं। जब किसी व्यक्ति को किसी पुस्तक की आवश्यकता पड़ती है, तो वह पुस्तक का क्रमांक या पुस्तक का नाम और पुस्तकालयाध्यक्ष को बताता है और पुस्तकालयाध्यक्ष पुस्तक को निकालकर उसे दे देता है। इस प्रकार पुस्तकालय को काम अत्यंत व्यवस्थित एवं आधुनिक है।
पुस्तकालय निजी तथा सार्वजनिक दो प्रकार के होते हैं। कुछ लोग व्यक्तिगत तौर पर पुस्तकों को जमा करते हैं तथा घरेलू पुस्तकालय तैयार कर लेते हैं जो निजी पुस्तकालय कहलाता है। दफ़्तर, स्कूल, कॉलेज तथा प्रत्येक क्षेत्र में सार्वजनिक पुस्तकालयों में वैज्ञानिक सुविधाएँ भी उपलब्ध हैं।
हर पुस्तकालय में वाचनालय होता है जहाँ बच्चे-बड़े कुछ भी पढ़ सकते हैं। पुस्तकालय में हर भाषा में समाचार पत्र उपलब्ध होते हैं। हर भाषा है की पुस्तकों का लाभ उठाना है तो पुस्तकालय इसका सर्वोत्तम साधन है। पुस्तकें हमारी सबसे अच्छी मित्र है तथा पुस्तकालय इन्हें दिलाने का अच्छा साधन हैं। पुस्तकालय के प्रति हमारा कुछ कर्तव्य भी है। एक तो हमें पुस्तकों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखना चाहिए। उसके पृष्ठ न फाडू, न ही गंदा करें, इसके लिए सदैव सतर्क रहना चाहिए। कई लोग पुस्तक का नुकसान करते हैं, इससे वे जन व समाज सबका बुरा करते हैं। ऐसा करके न केवल पुस्तक का नुकसान करते हैं बल्कि अन्य लोगों को उस पठन-सामग्री का लाभ नहीं मिल सकता है।
पुस्तकालयों के कुछ नियम होते हैं जिनका पालन करना अनिवार्य है। पुस्तकालय में निश्चित समय के लिए पुस्तकें घर ले जाने की अनुमति होती है। पुस्तकालय का उपयोग करने वालों को चाहिए कि इस अवधि से पहले ही पुस्तकें वापस कर दें। पुस्तकालय में शांत बैठकर पुस्तकों या पत्र-पत्रिकाओं का अध्ययन करना चाहिए। पुस्तकों पर कोई निशान नहीं लगाना चाहिए और न ही उनमें कुछ फाड़ना चाहिए।
इस प्रकार हम पुस्तकालयों का पूरी तरह से लाभ उठा सकते हैं। पुस्तकालय सार्वजनिक संपत्ति होती है। इसलिए वहाँ बैठकर पुस्तकालय के नियमों का पालन करना चाहिए और शांति बनाए रखनी चाहिए। वहाँ जाकर समय का सदुपयोग करना चाहिए।
10. कुशल भारत : सफल भारत
सफलता जादू से नहीं मिलती है। सफल होने के लिए जरूरी कौशल की आवश्यकता होती है। यह सार्वभौमिक सत्य नई पीढ़ी पर भी उतना ही लागू होता है। युवा ऊर्जा किसी भी देश के सामाजिक एवं आर्थिक विकास को गति देने वाली ताकत बन सकती है, बशर्ते उसे प्रभावी रूप से दिशा दी जाए। कौशल विकास और रोजगार इस ताकत को आगे बढ़ाने के सबसे अच्छे साधन हैं।
युवा जनसंख्या के मामले में भारत के पास दुनिया का सबसे बड़ा भंडार है, फिर भी भारतीय नियोक्ता कुशल मानव बल की जबरदस्त किल्लत से जूझ रहे हैं। कारण रोजगार के लिए आवश्यक विशेषज्ञता की कमी। श्रम ब्यूरो की 2014 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में औपचारिक रूप से कुशल कार्यबल का वर्तमान आकार केवल 2 प्रतिशत है। इसके अलावा पारंपरिक शिक्षा प्राप्त करने वाले युवाओं के बड़े वर्ग की रोजगार संबंधी योग्यता की चुनौती भी है। भारतीय शिक्षा व्यवस्था शानदार मस्तिष्कों को जन्म देती रही है, लेकिन रोजगार विशेष के लिए जरूरी कौशल की उसमें कमी है। कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से निकल रही प्रतिभा और रोजगार योग्य कौशल की संभावना एवं मानक के मामले में उसकी अनुकूलता के बीच बड़ा अंतर है। अंग्रेजी बोलने वाली जनसंख्या के इस वर्ग में राष्ट्र तथा पूरी दुनिया की कौशल संबंधी जरूरत पूरी करने की क्षमता है। जरूरत है तो सटीक एवं पर्याप्त कौशल विकास तथा प्रशिक्षण की, जो इस ताकत को तकनीकी रूप से कुशल मानव बल के सबसे बड़े स्रोत में बदल सकते हैं।
सरकार द्वारा आरंभ किए गए स्किल इंडिया मिशन का लक्ष्य कौशल प्रदान करते हुए रोज़गार के लिए कुशल कार्य बल तैयार कर इस समस्या का समाधान उपलब्ध कराना है। मिशन का लक्ष्य 2022 तक 40 करोड़ से अधिक लोगों को कौशल प्रदान करना तथा उनकी पसंद के कौशलों का प्रशिक्षण देते हुए उनकी रोजगार संबंधी योग्यता को बढ़ाना है। समावेशी वृद्धि के लिए सभी स्तरों पर कुशल मानव संसाधन अनिवार्य है। कौशल विकास को अलग-थलग करके नहीं देखा जा सकता। इसे कौशल प्रशिक्षण को एक ही समय में शिक्षा तथा रोजगार से जोड़ने की अटूट प्रक्रिया होना पड़ेगा। सरकारी एजेंसियाँ और व्यवस्था अकेले यह काम पूरा नहीं कर सकते। कौशल प्रदान करने की प्रक्रिया में निजी क्षेत्र, गैर सरकारी संगठनों, कौशल प्रशिक्षण के अनुभव वाले शिक्षण संस्थानों को जुटना पड़ेगा। सभी वर्गों को समान महत्त्व दिए जाने की आवश्यकता है।
युवाओं को कौशल प्रदान करने के लिए शिक्षा का व्यवसायीकरण बेहद महत्त्वपूर्ण है। उसके साथ ही समाज के अन्य वर्गों जैसे महिलाओं, हाशिए पर पड़े लोगों, आदिवासियों आदि को ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों की आवश्यकता है, जो उनकी विविध एवं विशिष्ट जरूरतों के अनुसार हों। हाशिए पर पड़े अधिकतर वर्गों को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने में निरक्षरता एक समस्या हो सकती है,
लेकिन महिलाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने में पारिवारिक मसलों और सामाजिक बंधनों से भी जूझना पड़ सकता है। किसी भी कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए इन तथ्यों को ध्यान में रखने की ज़रूरत है।
भारत पहले ही उच्च आर्थिक वृद्धि की राह पर चलना आरंभ कर चुका है। इस गति को बढ़ाने के लिए हमें ऐसे कौशल के उन्नयन पर ध्यान देने की जरूरत है, जो वैश्विक आर्थिक परिदृश्य के अनुसार प्रासंगिक हैं। कौशल प्रशिक्षण की सुविधाओं का विस्तार ही एकमात्र चुनौती नहीं है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय मंच पर स्पर्धा करने योग्य बनने के लिए कौशल की गुणवत्ता बढ़ाना भी एक चुनौती ही है। राष्ट्रीय कौशल विकास एवं उद्यमशीलता नीति 2015 गति के साथ, मानक के अनुरूप एवं सतत रूप से व्यापक स्तर पर कौशल प्रदान करने की चुनौती से निपटने का प्रस्ताव करती है। उसका लक्ष्य कौशल प्रदान करने के लिए देश में चल रही सभी गतिविधियों को एक सर्वोच्च रूपरेखा प्रदान करना है। वह कौशल प्रदान करने की प्रक्रिया का मानकीकरण करने और उसे राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तरों पर माँग के केंद्रों से जोड़ने का प्रयास भी करती है।
प्रयास के साथ कौशल में वृधि करने से सफलता मिलती है। सरकार के हाल के प्रयासों के कारण कौशल विकास के कार्यक्रम ने ‘आंदोलन’ का रूप धर लिया है। सरकार के इन प्रयासों के फल मिलने में कुछ समय लग सकता है, किंतु भविष्य में ‘कुशल भारत’ देश को प्रसन्न, स्वस्थ एवं संपन्न अर्थात् ‘कौशल भारत’ होने की दिशा में ले जाएगा और इस तरह कुशल भारत, कौशल भारत को नारा चरितार्थ हो जाएगा।
11. आतंकवाद
आतंकवाद कैसा भी हो उसका उद्देश्य भय पैदा करना ही होता है। आतंकवाद का अर्थ है-हिंसा की धमकी अथवा हिंसापूर्ण कार्य अथवा लोगों में भय पैदा करके अपनी माँगें मनवाना। लैटिन भाषा के शब्द टेरेरे (Terrere) से बना टेरर (Terror) शब्द का अर्थ, आतंक या भय है।
आतंकवाद के कई रूप हैं; जैसे-धार्मिक आतंकवाद, जिसके अंतर्गत अलकायदा, लश्कर ए तैयबा, आई. एस. आई. एस जैसे आतंकी संगठन शामिल हैं। अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन द्वारा अमेरिका में एक बड़े आतंकी घटना 9/11 को अंजाम दिया गया था, तो वहीं वर्ष 2013 में अलकायदा से अलग होकर अबू बकर अल बगदादी ने ‘आई. एस. आई. एस. का गठन किया। आई. एस. आई. एस. का पूरा नाम ‘इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया’ है। इस संगठन ने जून, 2014 में मोसुल समेत इराक के कई इलाकों पर कब्ज़ा करने और पहले से सीरियाई कब्जे वाले इलाकों को मिलाकर खिलाफत साम्राज्य की घोषणा की और बगदादी ने खुद को खलीफा घोषित कर दिया। आई. एस. आई. एस. ने वर्ष 2013 में लगभग 350 आतंकी हमले किए। अभी हाल ही में 15 नवंबर, 2015 को पेरिस में हुए आतंकी हमले में 130 से अधिक लोगों के मारे जाने की सूचना है। इसको इसी आतंकी संगठन द्वारा अंजाम दिया गया है। इस आतंकी संगठन ने पूरे विश्व को आतंकित कर दिया है। अमेरिका, रूस समेत विश्व की कई बड़ी शकि तयाँ इस आतंकी संगठन को समाप्त करने के लिए लगातार सीरिया में बमबारी कर रही हैं और आई. एस. आई. एस. के ठिकानों को निशाना बना रही हैं। आतंकवाद के रूप में नारको आतंकवाद, साइबर आतंकवाद, आत्मघाती आतंकवाद एवं वैचारिक आतंकवाद भी पूरे विश्व में फैल चुका है।
वर्तमान में भारत भी आतंक से पीड़ित है, वह भी अपने पड़ोसी देश द्वारा प्रायोजित आतंकवाद के कारण। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी आतंकवाद की भेंट चढ़ गईं। भारत की संसद पर आतंकी हमले हुए और देश की संप्रभुता को तहस-नहस करने का प्रयास किया गया। देश की आर्थिक राजधानी कही जाने वाली मुंबई बार-बार आतंकियों के निशाने पर रही है तो वहीं पंजाब और जम्मू-कश्मीर भी आतंक का दंश झेल रहे हैं। विशेषकर जम्मू-कश्मीर पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद का मुख्य शिकार बना हुआ है।
आतंकवाद पैर पसारते-पसारते विश्व स्तर तक अपनी जड़ जमा चुका है। उसके तार आज विश्व स्तर पर फैले हैं। उसे सबसे ताकतवर, समृद्ध और सुरक्षा की दृष्टि से सशक्त माना जाता है। अमेरिका दूसरे देशों में पनपते हुए आतंक की खिल्ली उड़ाता था, आतंक से बेखबर अमेरिका के गगनचुंबी टावर जब धू-धू करके धरती में समा गए, तब उसके कान खड़े हुए। संपूर्ण अमेरिका काँप उठा। वहाँ के राष्ट्रपति ने हाथ उठाकर प्रतिज्ञा की कि आतंकी संगठन का मुखिया ओसामा बिन लादेन यदि चूहे के बिल में भी छिपा होगा, वहाँ से भी ढूंढ़ निकालेंगे। इस कारण अफगानिस्तान तहस-नहस हुआ, पाक में भी संदिग्ध स्थानों पर बम बरसाए, परंतु लादेन का अता-पता नहीं चला। लादेन ने अफगानिस्तान में रहते अपना अस्तित्व दिखाया। इसी तरह पाक में बैठकर ही मुंबई और दिल्ली में तहलका मचाया। इस तरह आतंकियों की अंतर्राष्ट्रीय शक्ति जोर पकड़ती जा रही है। इस तरह प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से विश्व के अनेक देश आतंक से प्रभावित हैं।
लाइलाज होता हुआ आतंकवाद ऐसे ही प्रचार-प्रसार पाता गया तो देशों पर इनका साम्राज्य भी हो सकता है। आतंकी गुटों ने परमाणु केंद्रों पर अधिकार कर लिया तो बंदर के हाथ में गई तलवार सर्व विनाश का कारण बन सकती है। समय रहते राष्ट्रों ने एकजुट होकर आतंक के विरुद्ध इच्छाशक्ति नहीं दिखाई तो आतंकवाद अपना प्रभुत्व बढ़ाता जाएगा। उसके बाद चेतना आई तो बहुत देर हो गई होगी। आज खुद की बनाई गई कुल्हाड़ी अपने ही पैरों में गिरती हुई दिखाई दे रही है। कवि की निम्न पंक्तियाँ भारत में आतंक के बारे में सटीक ही हैं
संसद पर जब चली गोलियाँ, भारत की आँख खुली रह जाय।
हुए जवान शहीद भारत के, अफ़जल सुरक्षा दिया बढ़ाय।
आँसू बहाए शहीद पत्नियाँ, अफ़जल निश्चित रहा हर्षाय।
हुआ धमाका फिर मुंबई में, सोता भारत फिर-फिर जगजाय।।
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