Class 6 Exam  >  Class 6 Notes  >  Additional Study Material for Class 6  >  Worksheet Solutions: निबंध

निबंध Class 5 Worksheet EVS

विज्ञान के चमत्कार

“विज्ञान ने हम सबको, दिए बहुत उपहार, सेवक बनकर कर रहा, यह सब पर उपकार।”

रूपरेखा:

  1. भूमिका, 
  2. विज्ञान की देन या उपहार-
    (क) विद्युत के क्षेत्र में
    (ख) यातायात के क्षेत्र में
    (ग) चिकित्सा के क्षेत्र में
    (घ) मनोरंजन के क्षेत्र में
    (ङ) गणना के क्षेत्र में
  3. विज्ञान के दुरुपयोग
  4. उपसंहार

भूमिका: वर्तमान युग विज्ञान के युग के नाम से या वैज्ञानिक युग के नाम से लोकप्रिय हुआ है। विज्ञान के अनेक प्रकार के आविष्कारों ने हमारे जीवन जीने के ढंग को पूरा ही बदल दिया है। आज प्रत्येक छोटी से छोटी तथा बड़ी से बड़ी वस्तु जो हम अपने जीवन में प्रयोग में लाते हैं, वे सभी विज्ञान की ही देन हैं। अगर सत्य कहा जाए तो वह यह है कि आज हम विज्ञान के बिना आगे नहीं बढ़ सकते। विज्ञान आज प्रत्येक मनुष्य की मूलभूत आवश्यकता बन गई है।
विज्ञान की देन (विद्युत के क्षेत्र में): विज्ञान के इस अद्भुत उपहार से कौन परिचित नहीं है जिसके कारण हम अनेक काम कर सकते हैं। रेडियो, टेलीविजन, कम्प्यूटर, वाशिंग मशीन, पंखे, कूलर, प्रिंटिग प्रेस आदि ऐसे ही छोटे-बड़े हजारों यंत्र विद्युत के द्वारा ही चलते हैं। बिजली से हमें देखने के लिए प्रकाश मिलता है और बड़े-बड़े उद्योग-धंधों में भी विद्युत को प्रयोग में लाया जाता है। विद्युत-रॉड से हम कुछ ही सेकंड में पानी को नहाने के लिए गर्म कर सकते हैं। आज जितने भी मोबाइल फोन हैं, उनकी बैटरी विद्युत से ही चार्ज की जाती हैं।
यातयात के क्षेत्र में: यातयात के क्षेत्र में विज्ञान ने तो अभूतपूर्व प्रगति की है। आज विज्ञान के कारण रेल, मोटर, वायुयान, जलयान आदि आरामदायक यातायात के साधनों का प्रयोग हो रहा है। इन साधनों के कारण महीनों की यात्रा कुछ ही घंटों में पूरी कर ली जाती है। आज की इक्कीसवीं शताब्दी में तो मनुष्य-निर्मित रॉकेट दूसरे ग्रहों तक पहुँच गए हैं। चंद्रमा पर मानव द्वारा बनाया गया रॉकेट आज से 40 वर्ष पहले उतर चुका था। वैज्ञानिक देन (चिकित्सा के क्षेत्र में)- चिकित्सा के क्षेत्र में विज्ञान के आविष्कार मनुष्य के लिए वरदान सिद्ध हुए हैं। आज मनुष्य अपने पर किसी अन्य मनुष्य के अंग प्रत्यारोपित करा सकता है। एक्स-रे द्वारा मनुष्य के शरीर के भीतर के सभी अंगों के बारे में जाना जा सकता है। अल्ट्रासाउंड, सी.टी. स्केन के द्वारा विभिन्न रोगों का पता आसानी से लगाया जा सकता है। विज्ञान ने अनेक घातक एवं असाध्य रोगों का उपचार ढूँढ लिया है।
मनोरंजन के क्षेत्र में: विज्ञान ने प्रत्येक क्षेत्र में अपना कदम रखा है। रेडियो, टेलीविजन, टेपरिकार्डर, डी. जे., कम्प्यूटर गेम्स आदि ने तो बैठे-बैठे मनुष्य को अत्यंत आनंद दिया है। मोबाइल में आप चलते-चलते आराम से अकेले में घंटों तक मनोरंजन कर सकते हैं।
गणना के क्षेत्र में: अगर गणना के क्षेत्र में विज्ञान की अद्वितीय प्रगति कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति न होगी। कम्प्यूटर इक्कीसवीं शताब्दी का एक मुख्य अंग बन गया है, इसके बिना किसी भी क्षेत्र में गणना नहीं की जा सकती। किताब लिखना, बैंकों में हिसाब करना, उपग्रहों संबंधी जानकारी लेना, चिकित्सा में चेक-अप करना, दुकानों में सामानों का बिल बनाना, विभिन्न खेलों के एक्शन देखना, यहाँ तक कि इंटरनेट के गूगल से बैठे-बैठे विश्व भ्रमण करना इसी से संभव हुआ है।
विज्ञान के उपहारों का दुरुपयोग: हम जानते हैं कि विकास के साथ विनाश भी समान रूप से जुड़ा है। विज्ञान से हमें केवल लाभ ही हो ऐसा संभव नहीं है। विज्ञान ने इतने भीषण अस्त्र-शस्त्रों (जैसे- परमाणु बम, मिसाइल, डायनामाइट) आदि का निर्माण किया है कि ये एक समय में सैकड़ों व्यक्तियों को मार सकते हैं, इनका प्रयोग निश्चित रूप से हमारे लिए एक अभिशाप है। ऐसा ही अणु बम अमेरिका ने विश्व युद्ध के दौरान जापान के हिरोशिमा और नागासाकी महानगरों पर फैंके थे जहाँ हजारों लोग मारे गए और लाखों का सामान नष्ट हो गया था।
उपसंहार: विज्ञान अपनी हानि स्वयं नहीं करता। विज्ञान के आविष्कारों का दुरुपयोग करने वाले ही इसकी हानि के जिम्मेदार हैं। यदि इन आविष्कारों का केवल मानव कल्याण हेतु सोच-समझकर प्रयोग किया जाए तो निश्चित ही यह पृथ्वी स्वर्ग बन सकती है।

स्वतंत्रता-दिवस ( 15 अगस्त)

“शहीदों की चिताओं पर, लगेंगे हर बरस मेले। वतन पर मिटने वालों का, यही बाकी निशां होगा।।”

रूपरेखा:

  1. भूमिका, स्वाधीनता के लिए संघर्ष
  2. मनाने की तिथि तथा कारण
  3. मनाने का पूर्ण विवरण
  4. मनाने का महत्त्व
  5. उपसंहार 

भूमिका: कभी सोने की चिड़िया कहलाने वाला हमारा महान देश अपने राजाओं की आपसी फूट के कारण वर्षों तक गुलामी की जंजीरों में जकड़ा रहा। भारत में असंख्य विदेशी घुस आए और यहाँ का संपूर्ण बहुमूल्य सामान ले गए। धीरे-धीरे उन्होंने यहाँ अपने पाँव जमा लिए और हमारे देश में अपना शासन शुरू कर दिया। अंग्रेजों की दोहरी नीति थी। “फूट डालो और राज करो” की नीति के चलते उनके विरुद्ध सन् 1857 से 1947 तक लगभग 100 वर्षों तक लगातार देशवासी संघर्ष करते रहे। इस दौरान कई भारतवासी अंग्रेजों की गोलियों का शिकार बने और न जाने कितने देशवासियों को कठोर यातनाएँ सहनी पड़ीं। स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करके कई वीर सपूत शहीद हो गए। झाँसी की रानी, मंगल पांडे, तात्या टोपे से लेकर लाला लाजपत राय, तिलक, चन्द्रशेखर आजाद, भगत सिंह, सुभाषचन्द्र बोस, पंडित जवाहरलाल नेहरू, महात्मा गाँधी जैसे अनेक देशभक्तों के अथक प्रयासों से 15 अगस्त, 1947 को हमें विदेशी शासन से मुक्ति मिली।
मनाने के कारण: 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने भारत की राजधानी दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर पर तिरंगा फहराया था। इसी दिन से प्रत्येक वर्ष यह परंपरा चली आ रही है। मनाने का रूपः- स्वतंत्रता-दिवस वैसे तो देश के प्रत्येक कोने में उत्साह के साथ मनाया जाता है, परंतु दिल्ली में इस राष्ट्रीय पर्व को विशेष उल्लास के साथ मनाया जाता है। पूरे देश में इस दिन सरकारी इमारतों, स्कूलों, कॉलेजों, अन्य निजी कार्यालयों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है। राजधानी में तथा प्रत्येक राज्य में प्रभात फेरियाँ निकाली जाती हैं तथा देश के अमर शहीदों को उनकी समाधि पर जाकर श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। इस दिन देश में सार्वजनिक अवकाश रहता है। दिल्ली की ऐतिहासिक इमारत लाल किले पर ध्वजारोहण 15 अगस्त के दिन प्रतिवर्ष सुबह से ही हजारों लोग एकत्रित होने लगते हैं। ठीक प्रातः साढ़े सात बजे देश के प्रधानमंत्री लालकिले की प्राचीर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराकर अपने देशवासियों को संदेश देते हैं जिसमें वे सरकार की विभिन्न गतिविधियों से जनता को अवगत कराते हैं। इस दिन पहले सुबह राष्ट्रगान गाया जाता है फिर तुरंत बाद देश की गरिमा के लिए इक्कीस तोपों की सलामी दी जाती है। रात्रि में देश के सभी सरकारी कार्यालयों पर प्रकाश की अच्छी व्यवस्था की जाती है।
उपसंहार: हमें अपने देश की स्वाधीनता, एकता और अखंडता की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए। इस दिन हमें एक जगह एकत्रित होकर अपने शहीदों को नमन करना चाहिए। हमें अपने देश में सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए तथा प्रत्येक व्यक्ति के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना चाहिए। इस प्रकार देश में शांति और भाईचारा बना रहेगा और देश प्रगति कर सकेगा।

दशहरा (विजयदशमी)

“जब-जब पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है और पाप बढ़ता जाता है,

तब-तब प्रभु यहाँ अवतार लेते हैं और विश्व सुख पाता है।”

भूमिका: समय-समय पर भारत के त्योहार आकर हमें कोई न कोई संदेश अथवा प्रेरणा देते रहते हैं। ये त्योहार हमारे प्राचीन गौरव के प्रतीक हैं। इन त्योहारों के आधार पर ही हम अपनी प्राचीन सभ्यता एवं संस्कृति से जुड़े रहते हैं। भारत के विभिन्न त्योहारों में दशहरा भी एक विशेष त्योहार है जो विजयदशमी के नाम से भी प्रसिद्ध है।

त्योहार मनाने का समय- दशहरे का पर्व आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी के दिन आता है। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रथमा से नवरात्र आरंभ होते हैं। नवरात्र नौ दिन तक चलते हैं, इन नौ दिनों में मंदिरों में दुर्गा पूजा की जाती है। नवमी के बाद दशमी को दशहरे का पर्व मनाया जाता है।
पौराणिक कथा: प्रत्येक त्योहार या पर्व को मनाने के पीछे कुछ न कुछ कारण अवश्य होता है। विजयदशमी का पवित्र दिन श्री राम कथा से जुड़ा है। इसी दिन राजा दशरथ के पुत्र श्री राम ने लंका के अत्याचारी राक्षसराज रावण का वध किया था। रावण के साथ श्री राम ने समस्त अत्याचारियों का विनाश किया और तभी से संपूर्ण देश में रामराज्य स्थापित हो गया था। इसी घटना की याद में यह त्योहार विशेष रूप से हिंदू धर्मावलंबियों द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है। बंगाल में इसे दुर्गा-पूजा के रूप में मनाया जाता है।
मनाने का रूप या ढंग: दशहरा पर्व से ठीक दस दिन पहले से उत्तर भारत में स्थान-स्थान पर श्री रामकथा (रामलीला) का आयोजन प्रारंभ हो जाता है। रामलीला रात्रि आठ बजे से शुरू की जाती है जो ग्यारह तक नियमित रूप से चलती है। रामलीला देखने गाँव-गाँव से शहर-शहर से विशाल जनसमूह उमड़ पड़ता है। इन्हीं दिनों स्थान-स्थान पर रामचरितमानस का पाठ भी दोहराया जाता है। लोग घर पर नवरात्रों के दिन व्रत रखते हैं और नौ दिन तक माँ दुर्गा की पूजा करते हैं। बंगाल में माँ दुर्गा की जिन प्रतिमाओं की पूजा-अर्चना की जाती है, उन्हें विजयदशमी के दिन नदी या समुद्र में विसर्जित कर दिया जाता है। इसी दिन श्री राम, लक्ष्मण, सीता तथा समस्त वानर-दल की आकर्षक झाँकियाँ निकाली जाती हैं। एक बड़े तथा खुले मैदान में लोग रावण, मेघनाद तथा कुंभकरण के बड़े-बड़े पुतले बनाते हैं। श्रीराम के रूप में एक व्यक्ति इन पुतलों पर अग्नि बाणों की वर्षा करता है। इन पुतलों में बहुत पटाखे होने के कारण वे फट-फट की आवाज करके धीरे-धीरे समाप्त हो जाते हैं। बच्चे इस प्रकार का दृश्य देखकर फूले नहीं समाते।
प्रेरणा: समाज के क्षत्रिय लोग इस दिन अपने अस्त्र-शस्त्रों की पूजा करते हैं। व्यापारी लोग इस दिन को अत्यंत शुभ मानते हैं। विजयदशमी का त्योहार हमें प्रेरणा देता है कि धर्म की अधर्म पर, सत्य की असत्य पर, अच्छाई की बुराई पर सदा जीत होती है।
उपसंहार: इस दिन हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम जीवन में सत्य, धर्म और अच्छाई के मार्ग पर चलते रहेंगे और श्रीराम के आदर्शों को जीवन में उतारने का प्रयास करेंगे।

The document निबंध Class 5 Worksheet EVS is a part of the Class 6 Course Additional Study Material for Class 6.
All you need of Class 6 at this link: Class 6
22 docs|31 tests

Top Courses for Class 6

22 docs|31 tests
Download as PDF
Explore Courses for Class 6 exam

Top Courses for Class 6

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

निबंध Class 5 Worksheet EVS

,

Objective type Questions

,

video lectures

,

निबंध Class 5 Worksheet EVS

,

Extra Questions

,

Summary

,

pdf

,

ppt

,

mock tests for examination

,

Free

,

past year papers

,

Important questions

,

Previous Year Questions with Solutions

,

Viva Questions

,

shortcuts and tricks

,

Exam

,

Semester Notes

,

Sample Paper

,

MCQs

,

practice quizzes

,

study material

,

निबंध Class 5 Worksheet EVS

;