पत्र दो प्रकार के होते हैं:
प्रश्न 1. आपका मित्र आई०आई०टी० की परीक्षा में चयनित हो गया है। उसे बधाई देते हुए पत्र लिखिए।
उत्तर:
प्रिय मित्र पुष्कर
सप्रेम नमस्ते
मैं यहाँ सकुशल रहकर आशा करता हूँ कि तुम भी सकुशल होगे और मैं ईश्वर से यही मनाया करता हूँ। कुछ ही देर पहले अमित नामक एक मित्र से सुना कि तुम्हारा चयन आई०आई०टी० की परीक्षा में हो गया है तो मैं खुशी से उछल पड़ा। इसके लिए मैं तुम्हें बार-बार बधाई देता हूँ।
मित्र राष्ट्रीय स्तर की इस परीक्षा में चुना जाना कोई आसान काम नहीं है। यह तुम्हारे निरंतर कठिन परिश्रम का फल है। परिश्रम से मनचाही सफलता अर्जित की जा सकती है, इसका तुमने एक बार फिर से प्रमाण दे दिया है। तुम्हारी यह सफलता तुम्हारे छोटे भाई-बहनों के अलावा हम मित्रों के लिए प्रेरणा स्रोत का कार्य करेगी। अब वह दिन दूर नहीं जब तुम इंजीनियर बनकर माता-पिता का नाम रोशन करोगे तथा देश की उन्नति में अपना योगदान दोगे। ऐसी शानदार सफलता के लिए एक बार पुनः बधाई स्वीकार करो। तुम्हारी इस सफलता से मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं है।
अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम कहना। शेष सब ठीक है। उज्ज्वल भविष्य की खूब सारी शुभकामनाएं देते हुए
तुम्हारा अभिन्न मित्र
सलिल
10 जुलाई, 20XX
प्रश्न 2. आपको अपने विज्ञान शिक्षक के साथ खेल प्रतियोगिता में भाग लेने लंदन जाने का अवसर मिला। उन सुनहरी यादों का वर्णन करते हुए अपने मित्र को पत्र लिखिए।
उत्तरः
प्रिय मित्र संचित
सप्रेम नमस्ते।
मैं यहाँ सकुशल रहकर आशा करता हूँ कि तुम भी सकुशल होंगे और मैं ईश्वर से यही कामना भी करता हूँ।
मित्र, इसी अक्टूबर के आरंभ में मुझे अपने खेल शिक्षक और सात अन्य सहपाठियों के साथ लंदन में आयोजित विभिन्न देशों की अंतर विद्यालयी प्रतियोगिता में शामिल होने का सुनहरा अवसर मिला। इस प्रतियोगिता की यादें मुझे आजीवन याद रहेंगी।
हम सभी इंदिरा गांधी हवाई अड्डे पर सारी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद लंदन गए। वहाँ एक दिन के विश्राम के बाद खेल प्रतियोगिता में हम भाग लेने लगे। मैं कुश्ती के लिए चुना गया था। वहाँ विभिन्न देशों के चार अन्य पहलवान छात्रों को हराने के बाद भी फाइनल न जीत सका और रजत पदक से संतोष करना पड़ा। हमारी टीम का एक छात्र दौड़ में तृतीय स्थान पर रहकर कांस्य पदक जीत सका। इस प्रतियोगिता का रोमांच हमें अब भी रोमांचित कर जाता है। आशा है कि मेरी खुशी में तुम अवश्य शामिल होगे।
अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम और शैली को स्नेह कहना। शेष मिलने पर पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में,
तुम्हारा अभिन्न मित्र
विख्यात
10 अक्टूबर 20XX
प्रश्न 3. ‘सामाजिक सेवा कार्यक्रम’ के अंतर्गत किसी ग्राम में सफाई अभियान के अनुभवों का उल्लेख करते हुए अपने मित्र को पत्र लिखिए। (Delhi 2014)
उत्तरः
125/4ए, अंसारी नगर
नई दिल्ली
29 अक्टूबर, 20xx
प्रिय मित्र शगुन
सप्रेम नमस्ते
मैं स्वयं सकुशल रहकर आशा करता हूँ कि तुम भी सकुशल होगे और मैं ईश्वर से यही कामना भी करता हूँ।
मित्र, आशा करता हूँ कि तुमने इस शरदकालीन अवकाश को मस्ती से बिताया होगा। ज़रूर तुम इस बार किसी नई जगह पर घूमने निकल गए होगे और एक नया अनुभव सँजोए लौटे होगे। छुट्टियों का सदुपयोग करते हुए इस बार मैं भी एक स्वयंसेवी संस्था ‘सहयोग’ से जुड़ गया था। इसमें एक ‘स्वयंसेवक’ की भाँति मैंने अपना योगदान दिया।
यह संस्था शहर से दूर कच्ची कॉलोनियों और मलिन बस्तियों यहाँ तक कि झुग्गी-झोपड़ियों में और गाँवों में सफ़ाई के प्रति जागरूकता अभियान चलाती है। इस बार के अवकाश में उन्होंने गाज़ियाबाद जनपद के मीरपुर गाँव में साफ़-सफ़ाई का कार्यक्रम बनाया। इस गाँव की गलियाँ अभी भी कच्ची हैं। वहाँ पानी की निकासी की अच्छी व्यवस्था नहीं है। घरों का गंदा पानी नालियों और सड़कों पर फैला रहता है। हमारी संस्था ने लोगों को एकत्र किया और उन्हें साफ़-सफ़ाई का महत्त्व समझाया तथा इस कार्य में लोगों से सहयोग देने की अपील की। लोग खुशी-खुशी हमारे साथ आ गए। गाँव से सबसे पहले पानी की निकासी का प्रबंध किया गया फिर कूड़े के ढेर को उठवाकर आबादी से दूर ले जाया गया। जानवरों के रहने की जगह को भी साफ़ सुथरा बनाया गया। पाँच दिन की मेहनत के बाद गाँव की दशा देखने लायक थी। अब गाँव वाले हमारे काम की प्रशंसा करते हुए धन्यवाद दे रहे थे। इस कार्यक्रम से जुड़कर मुझे अजीब सा सुखद अनुभव हो रहा है। हो सके तो तुम भी किसी ऐसे कार्यक्रम से जुड़ना।
अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम और सुनयना को स्नेह कहना। शेष मिलने पर, पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में,
तुम्हारा अभिन्न मित्र
कुणाल
प्रश्न 4. आपने छुट्टियों में देहरादून और उसके आसपास के भ्रमण का आनंद उठाया। इस कार्य में देहरादून में रहने वाले आपके मित्र ने आपको पहाड़ी स्थलों को दिखाया और पहाड़ी संस्कृति से परिचय कराया। उसे धन्यवाद देते हुए पत्र लिखिए।
उत्तरः
137 बी/4
डेसू कॉलोनी
सागरपुर, दिल्ली
प्रिय मित्र नमन जोशी
सप्रेम नमस्ते
स्वयं सकुशल रहकर आशा करता हूँ कि तुम भी अपने परिवार के साथ सकुशल होगे। मैं ईश्वर से यही कामना भी करता हूँ।
मित्र। पिछले सप्ताह जब से देहरादून और आसपास के मनोरम स्थलों को देखकर आया हूँ तब से मन में वहीं की यादें बसी हुई हैं। मैंने सोचा भी नहीं था कि मेरा यह भ्रमण इस तरह यादगार बन जाएगा और यह सब तुम्हारे कारण ही हो सका। तुमने वहाँ अपने घर पर रुकने का स्थान ही नहीं दिया बल्कि तुमने मंसूरी, सहस्त्र धारा, लक्ष्मण झूला जैसे मनोरम स्थानों की सैर भी कराई। सहस्त्रधारा के शीतल जल में स्नान करना और गंधक युक्त जल पीना मानो कल की बातें हों। तुमने एक ओर पहाड़ी गाँवों का दर्शन कराया, वहाँ की परिश्रमपूर्ण दिनचर्या से सामना कराया साथ ही वहाँ की संस्कृति से भी परिचित कराया। हरिद्वार आकर गंगा स्नान करना और मंशा देवी के मंदिर जाकर मन्नतें माँगना सब कुछ कितना अच्छा लग रहा था। इस यात्रा को इस तरह यादगार बनाने में सहयोग देने के लिए मैं तुम्हें बार-बार धन्यवाद देता हूँ। अगली छुट्टियों में तुम दिल्ली आओ हम दोनों साथ-साथ दिल्ली दर्शन करेंगे।
अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम और रमन को स्नेह कहना। शेष अगले पत्र में,
तुम्हारा अभिन्न मित्र
पंकज कुमार
प्रश्न 1. अपका छोटा भाई दसवीं की परीक्षा में अच्छा ग्रेड लाने पर मोटरसाइकिल उपहार स्वरूप पिता जी से लेना चाहता है उसे समझाते हुए पत्र लिखिए कि इस उम्र में मोटरसाइकिल लेना उचित नहीं है।
उत्तरः
स्वामी विवेकानंद छात्रावास
उत्तर प्रदेश
29 अक्टूबर, 20xx
प्रिय उमेश
शुभाशीष
मैं सकुशल रहकर आशा करता हूँ कि तुम भी सकुशल होगे और अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे रहे होगे। यह जानकर काफ़ी खुशी हुई कि इस वर्ष तुमने एस०ए० 1 परीक्षा में 80 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किया है।
प्रिय भाई, पिता जी के पत्र से ज्ञात हुआ कि दसवीं में अच्छा ग्रेड लाने के फलस्वरूप तुम पिता जी से मोटरसाइकिल लेना चाहते हो, पर तुम्हारी यह माँग पूर्णतया अनुचित है। एक तो अभी तुम्हारी उम्र 18 वर्ष नहीं है। 18 साल से कम उम्र वालों का ड्राइविंग लाइसेंस नहीं बनता है और ड्राइविंग लाइसेंस के बिना मोटरसाइकिल चलाना कानूनी अपराध है। इसके अलावा पिता जी हम दोनों भाइयों की पढ़ाई के साथ-साथ अन्य खर्चों की व्यवस्था अपनी सीमित आय से कर रहे हैं। मोटरसाइकिल की माँग करना उनको आर्थिक संकट में डालना होगा। इसके लिए आवश्यक है कि तुम सबसे पहले दसवीं और बारहवीं परीक्षा की पढ़ाई मन लगाकर करो और वयस्क होने का इंतजार करो तब मोटर साइकिल अवश्य लेना।।
आशा है कि तुम मेरी बात पर पुनर्विचार करोगे तथा मोटरसाइकिल की अनुचित माँग अपने दिमाग से निकाल दोगे। शेष सब ठीक है। अपनी पढ़ाई और स्वास्थ्य पर ध्यान देना।
तुम्हारा बड़ा भाई
आलोक कुमार
प्रश्न 2. मोटरसाइकिल सुविधा के लिए है-तेज़ चलाने, करतब दिखाने के लिए नहीं, यह समझाते हुए अपने छोटे भाई को एक पत्र लिखिए। (Fereign 2014)
उत्तरः
परीक्षा भवनं नई दिल्ली
07 जुलाई, 20XX
प्रिय छोटे भाई करन
शुभाशीष
मैं स्वयं सकुशल रहकर आशा करता हूँ कि तुम भी सकुशल होंगे और अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे रहे होगे। – अनुज, पिता जी के पत्र से ज्ञात हुआ कि तुमने इस मई-जून की छुट्टियों में मोटरसाइकिल सीख लिया है। यह अच्छी बात है जिसे जानकर मुझे खुशी हुई पर यह जानकर बड़ा दुख हुआ कि मोटरसाइकिल तेज़ चलाने के साथ ही उससे तरहतरह के करतब दिखाने और स्टंट करने का प्रयास करने लगे हो। यह तुम्हारे लिए घातक सिद्ध हो सकता है। तनिक-सी – लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है। मोटरसाइकिल की सवारी हमारी यात्रा को सुगम बनाने के साथ समय की बचत भी कराती है। यह हमारी सुविधा के लिए है न कि स्टंट करने के लिए। जब तक हम इसका उपयोग करेंगे तब तक यह सुविधाजनक और लाभदायी है, परंतु इसका दुरुपयोग जानलेवा साबित हो सकता है।
आशा है कि तुम मेरी बात मानकर मोटरसाइकिल से कोई स्टंट नहीं करोगे और न ही सामान्य रफ़्तार से तेज़ चलोगे और इसका उपयोग सुविधा के लिए ही करोगे। शेष सब ठीक है।
पूज्य माता-पिता को प्रणाम कहना। पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में,
तुम्हारा बड़ा भाई
नमन कुमार
प्रश्न. अपने पिता जी को पत्र लिखकर बताइए कि आपके विद्यालय में वार्षिकोत्सव किस तरह मनाया गया।
उत्तरः
राजा राम मोहन राय छात्रावास
सेक्टर-21, रोहिणी
दिल्ली 15 फरवरी, 20xx
पूज्य पिता जी
सादर चरण स्पर्श
मैं स्वयं स्वस्थ एवं प्रसन्न रहते हुए आशा करता हूँ कि आप भी सकुशल होंगे और मैं ईश्वर से कामना भी करता हूँ। इस पत्र के द्वारा मैं आपको बताना चाहता हूँ कि हमारे विद्यालय का वार्षिकोत्सव किस तरह मनाया गया।
पिता जी, हमारे विद्यालय में वार्षिकोत्सव. अत्यंत धूमधाम से मनाया जाता है। इसकी तैयारी 15 से 20 दिन पहले से शुरू कर दी जाती है। छात्र-छात्राएँ विभिन्न कार्यक्रमों की तैयारियां शुरू कर देते हैं। 9 फरवरी को मनाए गए इस वार्षिकोत्सव के लिए आवश्यक टेंट तथा आगंतुकों के बैठने की व्यवस्था कर दी गई। साफ़-सफ़ाई की व्यवस्था देखने लायक थी। चूना आदि छिड़ककर आने जाने के रास्ते बनाए गए। नियत दस बजे देशभक्ति गीत बजने के साथ ही कार्यक्रम शुरू हो गया। मुख्य अतिथि के आते ही सरस्वती पूजन और दीप प्रज्ज्वलन किया गया। छात्र-छात्राओं ने सामूहिक स्वर में ‘वर दे वीणा वादिनी वर दे’ प्रस्तुत किया। फिर स्वागत है श्रीमान आपका…स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम की अगली कड़ी में देशभक्ति पूर्ण नाटक का मंचन किया गया। फिर तो एक-एककर सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। इनमें लोकगीत, पंजाबी नृत्य, झूमर आदि मुख्य थे। प्रधानाचार्य जी विद्यालय की वार्षिक रिपोर्ट पढ़ी और कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए आशीर्वचन द्वारा छात्रों का उत्साहवर्धन किया। अंत में मिष्ठान्न वितरण के साथ ही कार्यक्रम का समापन किया गया।
पूज्या माता जी को चरण स्पर्श और सुरभि को स्नेह कहना। शेष सब ठीक है।
आपका प्रिय पुत्र
पल्लव
प्रश्न. नए विद्यालय में दाखिला दिलाने के बाद आपकी माता जी आपके विद्यालय के छात्रावास में मिलने वाले भोजन और अन्य बातों को लेकर चिंतित रहती हैं। उनकी चिंता दूर करते हुए एक पत्र द्वारा स्थिति को बताइए।
उत्तरः
दयानंद सरस्वती छात्रावास
प्रशांत विहार, रोहिणी
दिल्ली
10 अप्रैल, 20xx
पूज्या माता जी
सादर चरण स्पर्श
आपका पत्र कल मिला। पढ़कर सब हाल मालूम किया। यह जानकर अच्छा लगा कि आप सभी सकुशल हैं। मैं भी यहाँ आकर पढ़ाई में मन लगा लिया है। पत्र में आपकी चिंता स्पष्ट दिख रही थी कि छात्रावास का वातावरण, भोजन व्यवस्था तथा अन्य बातें कैसी हैं ? इस पत्र में उन्हीं बातों को लिखकर भेज रहा हूँ।
माँ यद्यपि घर-घर होता है और घर का वातावरण अन्यत्र मिलना कठिन होता है, पर मैंने यहाँ आकर एक सप्ताह में स्वयं को छात्रावास के माहौल में ढाल लिया है। यहाँ का चौकीदार हमें पाँच-साढ़े पाँच बजे तब जगा देता है। छह बजे तक दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर व्यायामादि करते हैं। लौटकर नहाना, नाश्ता करना तथा पाठ को एक बार दोहराकर आठ बजे तक विद्यालय आ जाते हैं। यहाँ पढ़ाई का वातावरण अच्छा है। अध्यापक परिश्रमी और लगन से पढ़ाने वाले हैं। दो बजे हम छात्रावास आ जाते हैं। छात्रावास के मेस में खाना खाते हैं और थोड़ी देर आराम कर पढ़ाई करते हैं। शाम को एक घंटे खेलना फिर पढ़ना और आधे घंटे टी०वी० देखने से पूर्व सायं का भोजन करते हैं। साढ़े दस बजे तक हम सभी सो जाते हैं। इसमें विशेष बात यह है कि मेस का भोजन स्वादिष्ट, साफ़ एवं अच्छी गुणवत्ता का है। इसे जानकर अब आपकी चिंता कुछ हद तक दूर हो जाएगी। कोई भी परेशानी होने पर मैं आपको अवश्य लिलूँगा।
पूज्य पिता जी को सादर चरण स्पर्श और पुनीता को स्नेह कहना। शेष अगले पत्र में,
आपका प्रिय पुत्र
समीर शाक्य
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