Class 7 Exam  >  Class 7 Notes  >  Hindi (Bal Mahabharat Katha) Class 7  >  Summary: शांतिदूत श्रीकृष्ण

Summary: शांतिदूत श्रीकृष्ण | Hindi (Bal Mahabharat Katha) Class 7 PDF Download

हस्तिनापुर में जब पता चला कि पांडवों की ओर से श्रीकृष्ण संधि की चर्चा करने आ रहे हैं तो धृतराष्ट्र ने उनका भव्य स्वागत किया है| दुःशासन का भवन दुर्योधन के भवन से भी ऊँचा था। इसलिए श्रीकृष्ण को वहीं ठहराने की व्यवस्था की गई। श्रीकृष्ण धृतराष्ट्र से मिलकर विदुर से मिलने गए। कुंती भी वहाँ थीं। वहा से दुर्योधन भवन में गए। दुर्योधन ने उनका शानदार स्वागत किया और भोजन का निमंत्रण भी दिया परंतु उन्होंने कहा कि वे जिस कार्य के लिए आए हैं, वह पूरा हो जाए तब भोजन का निमंत्रण देना उचित होगा। विदुर ने श्रीकृष्ण को सचेत करते हुए कहा कि कौरवों की सभा में आपका जाना उचित नहीं है क्योंकि वे उनके विरुद्ध कोई कुचक्र रचकर उनके प्राणों को हानि भी पहुँचा सकते थे। श्रीकृष्ण ने आश्वस्त किया|

अगले दिन श्रीकृष्ण विदुर को साथ लेकर धृतराष्ट्र के भवन में गए। वहाँ सभी ने उनका स्वागत किया। श्रीकृष्ण ने बड़ों को विधिपूर्वक नमस्कार कर आसन ग्रहण किया। उन्होंने सभा के सम्मुख पांडवों की माँग रखते हुए धृतराष्ट्र से निवेदन किया कि पांडव शांतिप्रिय हैं, परंतु युद्ध के लिए भी तैयार हैं। आपको वे पितास्वरूप मानते हैं। ऐसा उपाय करें, जिससे आप भाग्शाली बनें। यह सुनकर धृतराष्ट्र ने श्रीकृष्ण के प्रति अपनी सहमति व्यक्त की।

श्रीकृष्ण ने फिर कहा कि यदि आप पांडवों को आधा राज्य लौटा देंगे तो वे दुर्योधन को युवराज और धृतराष्ट्र को महाराज के रूप में स्वीकार कर लेंगे। सारी सभा ने दुर्योधन को समझाना चाहा। दुर्योधन ने स्वयं को निर्दोष सिद्ध करने के लिए जो तर्क दिए उन पर श्रीकृष्ण को हँसी आ गई और उन्होंने दुर्योधन के पांडवों पर किए गए अत्याचारों का विस्तार से वर्णन किया। यह देखकर दुर्योधन भाइयों के साथ सभा भवन से निकल गया।

धृतराष्ट्र ने विदुर से गांधारी को सभा में लाने के लिए कहा कि शायद गांधारी के कहने पर दुर्योधन मान जाएगा। गांधारी के आने पर दुर्योधन भी सभा में लौट आया। गांधारी ने भी उसे समझाया पर वह नहीं माना और बाहर चला गया| बाहर जाकर उसने अपने साथियों के साथ कृष्ण को बंदी बनाने का प्रयास किया पर वह सफल न हो सका।

 सभा से निकलकर श्रीकृष्ण कुंती के पास पहुँचे और उनको सभा का सारा हाल सुनाया। फिर वे रथ पर सवार होकर उपप्लव्य चले गए। अब युद्ध अनिवार्य हो गया था।

कुंती अपने पुत्रों की रक्षा की चिंता करते हुए कर्ण गंगा किनारे जा पहुँची| कर्ण उन्हें देखकर पूछा कि आज्ञा दीजिए वह आपके लिए क्या कर सकता है। कुंती ने उसे बताया कि सूर्य के अंश से उत्पन्न वह उसी का पुत्र है। दुर्योधन के पक्ष में होकर वह अपने ही भाइयों से दुश्मनी कर रहा है। उसे दुर्योधन के स्थान पर अपने भाइयों का साथ देना चाहिए। कर्ण ने दुर्योधन का साथ देने की अपनी लाचारी कुंती को समझा दी साथ ही उसने कुंती को एक आश्वासन भी दिया कि अर्जुन को छोड़कर और किसी पांडव के प्राण नहीं लेगा। कुंती कर्ण को आशीर्वाद देकर अपने महल में चली गई।

शब्दार्थ -

  • स्मरण होना - याद आना
  • न्यौता - निमंत्रण
  • कुचक्र - चाल।
  • प्रविष्ट - प्रवेश
  • सभ्रांत - आदरणीय
  • वक्तव्य - कही हुई बात
  • विधिवत् - विधिपूर्वक
  • आरुढ़ होकर - चढ़कर
  • लुप्त होना - गायब होना
  • कुलनाशी - कुल परिवार का नाश करने वाला
  • सूत - सारथी
  • आश्रित - शरणार्थी
The document Summary: शांतिदूत श्रीकृष्ण | Hindi (Bal Mahabharat Katha) Class 7 is a part of the Class 7 Course Hindi (Bal Mahabharat Katha) Class 7.
All you need of Class 7 at this link: Class 7
40 videos|122 docs

Top Courses for Class 7

Explore Courses for Class 7 exam

Top Courses for Class 7

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

Summary: शांतिदूत श्रीकृष्ण | Hindi (Bal Mahabharat Katha) Class 7

,

Free

,

MCQs

,

Semester Notes

,

Previous Year Questions with Solutions

,

Summary

,

mock tests for examination

,

Summary: शांतिदूत श्रीकृष्ण | Hindi (Bal Mahabharat Katha) Class 7

,

practice quizzes

,

Important questions

,

past year papers

,

study material

,

video lectures

,

Summary: शांतिदूत श्रीकृष्ण | Hindi (Bal Mahabharat Katha) Class 7

,

Exam

,

pdf

,

Sample Paper

,

Extra Questions

,

ppt

,

Viva Questions

,

shortcuts and tricks

,

Objective type Questions

;