जैसे: कुरुक्षेत्र के मैदान में पांडवों ने न्याय के लिए कौरवों के साथ युद्ध किया। इस वाक्य में के, में, ने, के लिए, शब्द हैं। ये सभी कारक चिह्न हैं। इन्हें विभक्ति कहते हैं।
क. रोहित क्रिकेट खेलता है।
ख. मीना ने गीत गाया।
इन वाक्यों में “खेलता है”, “गाया” क्रियाएँ हैं। रोहित, मीना और बालकों क्रमशः इन क्रियाओं को करने वाले हैं।
क. राम ने रावण को मारा।
ख. छवि पत्र लिखती है।
इन वाक्यों में “मारा”, “लिखती” क्रियाएँ हैं। रावण, पत्र और विद्यालय पर क्रमशः इन क्रियाओं का प्रभाव पड़ रहा है।
क. नियोनिका कलम से पत्र लिखती है।
ख. शिकारी ने चीते को बंदूक से मारा।
इन वाक्यों में “लिखती है”, “मारा” क्रियाएँ हैं। इन क्रियाओं को क्रमशः “कलम से”, “बंदूक से” के द्वारा किया जा रहा है।
क. सूरज के लिए फल लाओ।
ख. पिताजी माँ के लिए साड़ी लाए।
इन वाक्यों में क्रमशः दो क्रियाएँ हैं- “लाओ”, “लाए” । ये क्रियाएँ इन वाक्यों के कर्ताओं ने जिनके लिए की हैं, वे क्रमशः सूरज और माँ हैं।
क. विद्यार्थी स्कूल से आते हैं।
ख. पतंग बच्चे के हाथ से छूट गई।
उपर्युक्त वाक्यों की (क्रमशः) क्रियाएँ हैं- “आते हैं”, “छूट गई” ये क्रियाएँ अलग होने के अर्थ में हैं।
क. यह मयंक का घर है।
ख. यह राज की कार है।
इन वाक्यों में “मयंक का घर”, “राज की कार” से संबंध का बोध हो रहा है। अतः इन वाक्यों में अमित, राज और हिंदी संबंधकारक हैं।
क. आम में मिठास होती है।
ख. रेखा छत पर बैठी है।
इन वाक्यों की क्रियाओं के क्रमशः आधार हैं- “आम”, “छत” ये अधिकरण कारक हैं।
क. हे प्रभो! सभी का भला करो।
ख. हाय ! मैं लुट गया।
संबोधन कारकों का प्रयोग वाक्य के प्रारंभ में होता है।
कर्म कारक में जिस शब्द के साथ “को” जुड़ा होता है, उस पर क्रिया का फल पड़ता है। संप्रदान कारक के चिह्न “को” का अर्थ “के लिए” या “के वास्ते” होता है। जैसे-
आकारांत पुल्लिग शब्द “लड़का”
इकारांत पुल्लिग शब्द “हाथी”
36 videos|73 docs|36 tests
|
36 videos|73 docs|36 tests
|
|
Explore Courses for Class 8 exam
|