अधिगम अथवा सीखना किसी स्थिति के प्रति सक्रिय प्रतिक्रिया (Active response) को दर्शाता है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जो जीवनपर्यन्त चलती रहती है एवं जिसके द्वारा हम ज्ञान अर्जित करते हैं।
प्रेसी के अनुसार, “सीखना हम उस अनुभव को कहते हैं, जिसके द्वारा हमारे व्यवहार में परिवर्तन होता है तथा हमारे व्यवहार को नई दिशा मिलती है।'
अधिगम के प्रकार
अधिगम के प्रमुख प्रकार निम्न हैं
भाषा अधिगम एवं अर्जन के सन्दर्भ में विभिन्न विद्वानों के विचार
यह बात रहस्य ही बनी हुई है कि आखिर अत्यन्त कम उम्र के बावजूद बच्चा जटिल भाषिक व्यवस्था को कैसे समझ लेता है। कई बच्चे तीन या चार वर्ष के होते-होते न केवल एक, अपितु दो या तीन भाषाओं का धीरे-धीरे प्रवाह में प्रयोग करना सीख जाते हैं। यही नहीं, वे दिए गए सन्दर्भ में भी उपयुक्त भाषा का प्रयोग करते हैं। भाषा सीखने के संदर्भ में व्यवहारवादी मनोवैज्ञानिकों का मत है कि अभ्यास, नकल व रटने से भाषा प्रयोग की क्षमता विकसित होती है। इसी कथन के सन्दर्भ में विभिन्न विद्वानों ने अपने विचार भिन्न-भिन्न प्रकार से प्रस्तुत किए हैं
पावलॉव का शास्त्रीय अनुबन्धन का सिद्धान्त
पावलोव ने अधिगम प्रक्रिया को समझने के लिए अनुबन्धन (Conditioning) का सिद्धान्त प्रस्तुत किया। पावलॉव ने अपने इस प्रयोग में एक कुत्ते को भूखा रखकर उसे एक मेज पर बाँध दिया। प्रयोग के दौरान घण्टी बजने के साथ कुत्ते के सामने भोजन प्रस्तुत किया जाता, जिससे उसकी लार टपकती। इस प्रयोग को कई बार दोहराया गया। प्रयोग के अन्तिम चरण में पुनः घण्टी बजाई गई, लेकिन उसके सामने भोजन प्रस्तुत नहीं किया गया। इसके उपरान्त भी कुत्ते के मुँह से उसी मात्रा में लार टपकी जिस मात्रा में भोजन दिखाने पर। इस प्रयोग द्वारा उन्होंने यह सिद्ध करने का प्रयास किया कि मनुष्य जो प्रतिक्रिया प्राकृतिक उद्दीपन (Natural stimulus) को देखकर प्रकट करता है, उसी स्वाभाविक प्रतिक्रिया को किसी कृत्रिम उद्दीपन (Artificial stimulus) से अनुबन्धित (Conditioned) करके भी प्राप्त किया जा सकता है।
भाषा अधिगम और अर्जन को प्रभावित करने वाले कारक
विद्यार्थी के भाषायी अधिगम एवं अर्जन को विभिन्न सामाजिक व व्यक्तिगत परिस्थितियाँ प्रभावित करती हैं, जिनका वर्णन निम्नलिखित है।
भाषा विकास की प्रारम्भिक अवस्था
इस अवस्था में एक प्रकार से बालक ध्वन्यात्मक संकेतों से युक्त भाषा को समझने और प्रयोग करने के लिए स्वयं को तैयार करता हआ प्रतीत होता है, जिसकी अभिव्यक्ति उसकी निम्न प्रकार की चेष्टाओं तथा क्रियाओं के रूप में होती है
भाषा विकास की वास्तविक अवस्था
शब्द भण्डार का विकास
बालक की भाषा के विकास में उस भाषा से सम्बन्धित शब्द तथा उनके भण्डार का बड़ा-ही महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। शब्दों से ही आगे जाकर वाक्य बनते हैं और वाक्यों से भाषा के उस रूप का निर्माण होता है, जिसे विचार तथा भावों के सम्प्रेषण और विनिमय के उपयोग में लाया जाता है। मनोवैज्ञानिकों ने अपने प्रयोगों के आधार पर जो आँकड़े प्रस्तुत किए उनके आधार पर बनी निम्नलिखित सारणी से विभिन्न अवस्था में बालकों के शब्द भण्डार में धीरे-धीरे होने वाली वृद्धि का पता चलता है।
निम्न तालिका से बच्चे की शब्द संख्या सीखने की आयु ज्ञात की जा सकती है
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