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अपठित गद्यांश - 1 | Hindi Language for Teaching Exams - DSSSB TGT/PGT/PRT PDF Download

गद्यांश - 1

"साहित्य का आधार जीवन है। इसी आधार पर साहित्य की दीवार खड़ी होती है। उसकी अटारियां, मीनार और गुंबद बनते हैं। लेकिन बुनियाद मिट्टी के नीचे दवी पड़़ी है। जीवन परमात्मा की सृष्टि है, इसलिए सुबोध है, सुगम है और मर्यादाओं से परिमित है । जीवन परमात्मा को अपने कामों का जवाबदेह है या नहीं हमें मालूम नहीं, लेकिन साहित्य मनुष्य के सामने जवाबदेह है। इसके लिए कानून है जिनसे वह इधर-उधर नहीं जा सकता। मनुष्य जीवनपर्यंत आनंद की खोज में लगा रहता है। किसी को यह रत्न, द्रव्य में मिलता है, किसी को भरे-पूरे परिवार में, किसी को लंबे-चीड़े भवन में, किसी को ऐश्वर्य में । लेकिन साहित्य का आनंद इस आनंद से ऊँचा है। उसका आधार सुंदर और सत्य हे। वास्तव में सच्चा आनंद सुंदर और सत्य से मिलता है, उसी आनंद को दर्शाना वही आनंद उत्पन्न करना साहित्य का उद्देश्य है।"

Question for अपठित गद्यांश - 1
Try yourself:मनुष्य किसकी खोज में जीवन भर लगा रहता है
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Try yourself:परिमिति का अर्थ है
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Question for अपठित गद्यांश - 1
Try yourself:साहित्य और जीवन में गहरा संबंध है क्योंकि
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Try yourself:साहित्य के आनंद का आधार है
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Try yourself:'लंबे चौड़े भवन में' वाक्य में लंबे चौड़े व्याकरण की दृष्टि से क्या है
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गद्यांश - 2

निदा की ऐसी ही महिमा है। दो-चार निंदको को एक जगह बैठकर निंदा में निमग्न देखिए और तुलना कीजिए,

दो चार ईश्वर भक्तों से जो रामधुन गा रहे हैं। निंदको की-सी एकाग्रता, परस्पर आत्मीयता, निमग्नता भक्तों में दुरलभ है। इसलिए संतों ने निंदको को आंगन कुटी छवाय पास रखने की सलाह दी है कुछ 'मिशनरी' निंदक मैने देखे हैं। उनका किसी से बैर नहीं, धूप नहीं। वे किसी का बुरा नहीं सोचते पर चीबीस पंटे वे निंदा-कर्म में वात पवित्र भाव से लगे रहते हैं कि ये प्रसंग आने पर अपने बाप की पगड़ी भी उसी आनंद से उछालते हैं, जिस आनंद से अन्य लोग दुश्मन की। निंदा इनके लिए टॉनिक होती है। इयां-ट्वेष से प्रेरित निंदा भी होती है। वह ईया-वेष से चौबीसों घंटे जलता है और निदा का जल छिड़ककर कुछ शांति अनुभव करता है। ऐसा निदक बड़ा दयनीय होता है। अपनी अक्षमता से पीड़ित वह बेचारा दूसरे की सक्षमता के चाँद को देखकर सारी रात श्वान जैसा भौकता है। ईष्य्या-दूवेष से प्रेरित निंदा करने वाले को कोई दंड देने की जरूरत नहीं है। वह निंदक बेचारा स्वयं दंडित होता है। जाप चैन से सोझा और वह जलन के कारण सो नहीं पाता । उसे और क्या दंड चाहिए निरंतर अच्छे काम करते जाने से उसका दंड भी सख्त होता जाता है; जैसे-एक कवि ने एक अच्छी कविता लिखी, ईष्यंग्रस्त निदक की कष्ट होगा अब अगर एक और अच्छी कविता लिख दी, तो उसका कष्ट दुगुना हो जाएगा।

Question for अपठित गद्यांश - 1
Try yourself:निंदको को पास रखने की सलाह किसने दी है
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Try yourself:ईर्ष्या, द्वेष, की आग में जलने वाला शांति का अनुभव कैसे करता है
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Try yourself:निंदको की सी एकाग्रता, आत्मीयता व निमग्नता किसमें दुर्लभ है?
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Question for अपठित गद्यांश - 1
Try yourself:निंदा-कर्म से पवित्र भाव से कौन लगा रहता है
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Try yourself:कवि की अच्छी कविता पर ईर्ष्याग्रस्त निंदक कैसा अनुभव करता है
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गद्यांश - 3

"सच्चा उत्साह वही होता है जो मनुष्य को कार्य करने के लिए प्रेरणा देता है। मनुष्य किसी भी कारणवश जब किसी के कष्ट को दूर करने का संकल्प करता है, तब जिस सुख को वह अनुभव करता है, वह सुख विशेष रूप से प्रेरणा देनेवाला होता है। जिस भी कार्य को करने के लिए मनुष्य में कष्ट, दुःख या हानि को सहन करने की ताकत आती है, उन सबसे उत्पन्न आनंद ही उत्साह कहलाता है उदाहरण के लिए दान देनेवाला व्यक्ति निश्चय ही अपने भीतर एक विशेष साहस रखता है और वह है धन-त्याग का साहस । यही त्याग यदि मनुष्य प्रसन्नता के साथ करता है तो उसे उत्साह से किया गया दान कहा जाएगा उत्साह आनंद और साहस का मिला-जुला रूप है। उत्साह में किसी-न-किसी वस्तु पर ध्यान अवश्य केंद्रित होता है। वह चाहे कर्म पर, चाहे कर्म के फल पर और चाहे व्यक्ति या वस्तु पर हो। इन्हीं के आधार पर कर्म करने में आनंद मिलता है। कर्म-भावना से उत्पन्न आनंद का अनुभव केवल सच्चे वीर ही कर सकते हैं क्योंकि उनमें साहस की अधिकता होती है। सामान्य व्यक्ति कार्य पूरा हो जाने पर जिस आनंद का अनुभव करता है, सच्चा वीर कार्य प्रारंभ होने पर ही उसका अनुभव कर लेता है। आलस्य उत्साह का सबसे बड़ा शत्रु है। जो व्यक्ति आलस्य से भरा होगा, उसमें काम करने के प्रति उत्साह कभी उत्पन्न नहीं हो सकता। उत्साही व्यक्ति असफल होने पर भी कार्य करता रहता है। उत्साही व्यक्ति सदा दृढनिश्चयी होता है।"

Question for अपठित गद्यांश - 1
Try yourself:सच्चे वीर वे होते हैं
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Try yourself:'सच्चा उत्साह वही होता है जो मनुष्य को कार्य करने के लिए प्रेरणा देता है।' उपवाक्य का प्रकार है
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Try yourself:उत्साह का प्रमुख लक्षण है
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Try yourself:उत्साह के मार्ग में सबसे बड़ी रुकावट है
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Try yourself:केंद्रित और अधिकता में क्रमशः प्रत्यय इस प्रकार है
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गद्यांश - 4

विद्यार्थी जीवन ही वह समय है जिसमें बच्चों के चरित्र, व्यवहार, आचरण को जैसा चाहे, वैसा रूप दिया जा सकता है। यह अवस्था भावी वृक्ष की उस कोमल शाखा की भाँति है, जिसे जिधर चाहो मोड़ा जा सकता है। पूर्णतः विकसित वृक्ष की शाखाओं को मोड़ना संभव नहीं। उन्हें मोड़ने का प्रयास करने पर वे टूट तो सकती हैं पर मुड़ नहीं सकतीं। छात्रावस्था उस श्वेत चादर की तरह होती है, जिसमें जैसा प्रभाव डालना हो, डाला जा सकता है। सफेद चादर पर एक रंग जो चढ़ गया, सो चढ़ गया, फिर से वह पूर्वावस्था को प्राप्त नहीं हो सकती। इसीलिए प्राचीन काल से ही विद्यार्थी जीवन के महत्त्व को स्वीकार किया गया है। इसी अवस्था से सुसंस्कार और सद्वृतियाँ पोषित की जा सकती हैं। इसीलिए प्राचीन समय में बालक को घर से दूर गुरुकुल में रहकर कठोर अनुशासन का पालन करना होता था।

Question for अपठित गद्यांश - 1
Try yourself:छात्रों को गुरुकुल में छोड़ा जाता था
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Question for अपठित गद्यांश - 1
Try yourself:प्रस्तुत गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक है
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Question for अपठित गद्यांश - 1
Try yourself:व्यवहार को सुधारने का सर्वोत्तम समय होता है
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Question for अपठित गद्यांश - 1
Try yourself:छात्रावस्था कि उपयुक्त तुलना की गई है
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Try yourself:प्रस्तुत गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक है
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गद्यांश - 5

भारतीय मनीषी हमेशा ही इच्छा और अनिच्छा के बारे में सोचता रहा है। आज जो कुछ हम हैं उसे एक लालसा में सिमटाया जा सकता है। यानी जो कुछ भी हम है वह सब अपनी इच्छा के कारण से हैं। यदि हम दुखी हैं, यदि हम दास्ता में हैं, यदि हम अज्ञानी हैं, यदि हम अंधकार में डूबे हैं, यदि जीवन एक लंबी मृत्यु है तो केवल इच्छा के कारण से ही है।

क्यों है यह दुख? क्योंकि हमारी इच्छा पूरी नहीं हुई। इसलिए यदि आपको कोई इच्छा नहीं है तो आप निराश कैसे होंगे? यदि कहीं आप निराश होना चाहते हैं तो और अधिक इच्छा करें, यदि आप और दुखी होना चाहते हैं तो अधिक अपेक्षा करें, अधिक लालसा करें और अधिक आकांक्षा करें, इससे आप और अधिक दुखी हो ही जाएंगे। यदि आप सुखी होना चाहते हैं तो कोई इच्छा न करें। यही आंतरिक जगत में काम करने का गणित है। इच्छा ही दुख को उत्पन्न करती है।

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Try yourself:इच्छा का जीवन में क्या प्रभाव पड़ता है
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Try yourself:लेखक ने आंतरिक जगत में काम करने का गणित किसे कहा है
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Try yourself:भारतीय मनीषी के चिंतन का विषय क्या है
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Question for अपठित गद्यांश - 1
Try yourself:मानव के लिए जीवन एक लंबी मृत्यु कब बन जाता है
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Question for अपठित गद्यांश - 1
Try yourself:लालसा शब्द के दो पर्यायवाची हैं
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FAQs on अपठित गद्यांश - 1 - Hindi Language for Teaching Exams - DSSSB TGT/PGT/PRT

1. संगठनात्मक व्यवस्थापन क्या है?
उत्तर. संगठनात्मक व्यवस्थापन एक प्रक्रिया है जिसमें एक संगठन के लक्ष्यों और उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए संगठन की संसाधनों, कार्यविधियों और अनुप्रयोगों का प्रबंधन किया जाता है। यह संगठित प्रयासों का एक तंत्र है जो संगठन को सफलता और विकास के लिए सहायता करता है।
2. क्या संगठनात्मक व्यवस्थापन क्या करता है?
उत्तर. संगठनात्मक व्यवस्थापन संगठन के विभिन्न क्षेत्रों में कार्यों को संगठित करने में मदद करता है। यह संगठन की संसाधनों को प्रबंधित करने, कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने, कार्यप्रणाली और प्रक्रियाओं को सुदृढ़ करने, संगठन की नीतियों और मानदंडों का पालन करने, और संगठन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सहायता करता है।
3. संगठनात्मक व्यवस्थापन क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर. संगठनात्मक व्यवस्थापन महत्वपूर्ण है क्योंकि यह संगठन को सुचारू रूप से चलाने और प्रगति करने में मदद करता है। इसके माध्यम से, संगठन संघटित रहता है, कर्मचारियों को संगठित रूप से प्रशिक्षित किया जाता है, संगठन की प्रभावशीलता बढ़ती है, और संगठन के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता मिलती है।
4. संगठनात्मक व्यवस्थापन के लिए कौन-कौन से तत्व महत्वपूर्ण हैं?
उत्तर. संगठनात्मक व्यवस्थापन के लिए कई तत्व महत्वपूर्ण हैं। ये तत्व संगठन की मिशन, विजन, उद्देश्य, संरचना, प्रक्रियाओं, नीतियों, मानदंडों, प्रशासनिक संरचना, संगठन की संसाधनों, और कर्मचारियों की प्रशिक्षण शामिल हो सकते हैं।
5. संगठनात्मक व्यवस्थापन कैसे काम करता है?
उत्तर. संगठनात्मक व्यवस्थापन संगठन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए विभिन्न तत्वों को प्रबंधित करने में मदद करता है। यह संगठन की संसाधनों को व्यवस्थित करने, कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने, कार्यप्रणाली और प्रक्रियाओं को सुदृढ़ करने, और संगठन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए नीतियों, मानदंडों, और प्रशासनिक संरचना का पालन करता है।
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