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अपठित गद्यांश - 4 | Hindi Language for Teaching Exams - DSSSB TGT/PGT/PRT PDF Download

गद्यांश - 1

“सच्चा उत्साह वही होता है जो मनुष्य को कार्य करने के लिए प्रेरणा देता है। मनुष्य किसी भी कारणवश जब किसी के कष्ट को दूर करने का संकल्प करता है, तब जिस सुख को वह अनुभव करता है, वह सुख विशेष रूप से प्रेरणा देनेवाला होता है। जिस भी कार्य को करने के लिए मनुष्य में कष्ट, दुःख या हानि को सहन करने की ताकत आती है, उन सबसे उत्पन्न आनंद ही उत्साह कहलाता है उदाहरण के लिए दान देनेवाला व्यक्ति निश्चय ही अपने भीतर एक विशेष साहस रखता है और वह है धन-त्याग का साहस । यही त्याग यदि मनुष्य प्रसन्नता के साथ करता है तो उसे उत्साह से किया गया दान कहा जाएगा उत्साह आनंद और साहस का मिला-जुला रूप है। उत्साह में किसी-न-किसी वस्तु पर ध्यान अवश्य केंद्रित होता है। वह चाहे कर्म पर, चाहे कर्म के फल पर और चाहे व्यक्ति या वस्तु पर हो। इन्हीं के आधार पर कर्म करने में आनंद मिलता है। कर्म-भावना से उत्पन्न आनंद का अनुभव केवल सच्चे वीर ही कर सकते हैं क्योंकि उनमें साहस की अधिकता होती है। सामान्य व्यक्ति कार्य पूरा हो जाने पर जिस आनंद का अनुभव करता है, सच्चा वीर कार्य प्रारंभ होने पर ही उसका अनुभव कर लेता है। आलस्य उत्साह का सबसे बड़ा शत्रु है। जो व्यक्ति आलस्य से भरा होगा, उसमें काम करने के प्रति उत्साह कभी उत्पन्न नहीं हो सकता। उत्साही व्यक्ति असफल होने पर भी कार्य करता रहता है। उत्साही व्यक्ति सदा दृढनिश्चयी होता है।”

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Try yourself:उत्साह का प्रमुख लक्षण है
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Try yourself:केंद्रित और अधिकता में क्रमशः प्रत्यय इस प्रकार है
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Try yourself:सच्चे वीर वे होते हैं
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Try yourself:उत्साह के मार्ग में सबसे बड़ी रुकावट है
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Try yourself:'सच्चा उत्साह वही होता है जो मनुष्य को कार्य करने के लिए प्रेरणा देता है।' उपवाक्य का प्रकार है
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गद्यांश - 2

विद्यार्थी जीवन ही वह समय है जिसमें बच्चों के चरित्र, व्यवहार, आचरण को जैसा चाहे, वैसा रूप दिया जा सकता है। यह अवस्था भावी वृक्ष की उस कोमल शाखा की भाँति है, जिसे जिधर चाहो मोड़ा जा सकता है। पूर्णतः विकसित वृक्ष की शाखाओं को मोड़ना संभव नहीं। उन्हें मोड़ने का प्रयास करने पर वे टूट तो सकती हैं पर मुड़ नहीं सकतीं। छात्रावस्था उस श्वेत चादर की तरह होती है, जिसमें जैसा प्रभाव डालना हो, डाला जा सकता है। सफेद चादर पर एक रंग जो चढ़ गया, सो चढ़ गया, फिर से वह पूर्वावस्था को प्राप्त नहीं हो सकती। इसीलिए प्राचीन काल से ही विद्यार्थी जीवन के महत्त्व को स्वीकार किया गया है। इसी अवस्था से सुसंस्कार और सद्वृतियाँ पोषित की जा सकती हैं। इसीलिए प्राचीन समय में बालक को घर से दूर गुरुकुल में रहकर कठोर अनुशासन का पालन करना होता था।

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Try yourself:छात्रावस्था कि उपयुक्त तुलना की गई है
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Try yourself:इनमें से किस शब्द में उपसर्ग का प्रयोग नहीं किया गया है
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Try yourself:व्यवहार को सुधारने का सर्वोत्तम समय होता है
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Try yourself:छात्रों को गुरुकुल में छोड़ा जाता था
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Try yourself:प्रस्तुत गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक है
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गद्यांश - 3

भारतीय मनीषी हमेशा ही इच्छा और अनिच्छा के बारे में सोचता रहा है। आज जो कुछ हम हैं उसे एक लालसा में सिमटाया जा सकता है। यानी जो कुछ भी हम है वह सब अपनी इच्छा के कारण से हैं। यदि हम दुखी हैं, यदि हम दास्ता में हैं, यदि हम अज्ञानी हैं, यदि हम अंधकार में डूबे हैं, यदि जीवन एक लंबी मृत्यु है तो केवल इच्छा के कारण से ही है।

क्यों है यह दुख? क्योंकि हमारी इच्छा पूरी नहीं हुई। इसलिए यदि आपको कोई इच्छा नहीं है तो आप निराश कैसे होंगे? यदि कहीं आप निराश होना चाहते हैं तो और अधिक इच्छा करें, यदि आप और दुखी होना चाहते हैं तो अधिक अपेक्षा करें, अधिक लालसा करें और अधिक आकांक्षा करें, इससे आप और अधिक दुखी हो ही जाएंगे। यदि आप सुखी होना चाहते हैं तो कोई इच्छा न करें। यही आंतरिक जगत में काम करने का गणित है। इच्छा ही दुख को उत्पन्न करती है।

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Try yourself:लालसा शब्द के दो पर्यायवाची हैं
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Try yourself:मानव के लिए जीवन एक लंबी मृत्यु कब बन जाता है
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Try yourself:लेखक ने आंतरिक जगत में काम करने का गणित किसे कहा है
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Try yourself:भारतीय मनीषी के चिंतन का विषय क्या है
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Try yourself:इच्छा का जीवन में क्या प्रभाव पड़ता है
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गद्यांश - 4

जिस विद्यार्थी ने समय की कीमत जान ली वह सफलता को अवश्य प्राप्त करता है। प्रत्येक विद्यार्थी को अपनी दिनचर्या की समय-सारणी अथवा तालिका बनाकर उसका पूरी दृढ़ता से पालन करना चाहिए। जिस विद्यार्थी ने समय का सही उपयोग करना सीख लिया उसके लिए कोई भी काम करना असंभव नहीं है। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो कोई काम पूरा न होने पर समय की दुहाई देते हैं। वास्तव में सच्चाई इसके विपरीत होती है। अपनी अकर्मण्यता और आलस को वे समय की कमी के बहाने छिपाते हैं। कुछ लोगों को अकर्मण्य रह कर निठल्ले समय बिताना अच्छा लगता है। ऐसे लोग केवल बातूनी होते हैं। दुनिया के सफलतम व्यक्तियों ने सदैव कार्यव्यस्तता में जीवन बिताया है। उनकी सफलता का रहस्य समय का सदुपयोग रहा है। दुनिया में अथवा प्रकृति में हर वस्तु का समय निश्चित है । समय बीत जाने के बाद कार्य फलप्रद नहीं होता।

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Try yourself:कार्य किस स्थिति में फलप्रद नहीं होता
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Try yourself:अकर्मण्यता शब्द में मूल शब्द एवं उपसर्ग अलग करके लिखिए
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Try yourself:विद्यार्थी को सफलता प्राप्त करने के लिए आवश्यक है
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Try yourself:दुनिया के सफलतम व्यक्तियों की सफलता का रहस्य क्या है
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Try yourself:कुछ लोग समय की कमी के बहाने क्या छुपाते हैं
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गद्यांश - 5

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज में उसके मित्र भी होते हैं, शत्रु भी, परिचित भी, अपरिचित भी। जहाँ तक शत्रुओं, परिचितों और अपरिचितों का प्रश्न है, उन्हें पहचानना बहुत कठिन नहीं होता, किंतु मित्रों को पहचानना कठिन होता है। मुख्यतः सच्चे मित्रों को पहचानना बहुत कठिन होता है । यह प्रायः देखा गया है कि एक और तो बहुत से लोग अपने-अपने स्वार्थवश सम्पन्न, सुखी और बड़े आदमियों के मित्र बन जाते हैं या ज्यादा सही यह होगा कि यह दिखाना चाहते हैं कि वे मित्र हैं। इसके विपरीत जहाँ तक गरीब, निर्धन और दुःखी लोगों का प्रश्न है मित्र बनाना तो दूर रहा, लोग उनकी छाया से भी दूर भागते हैं। इसीलिए कोई व्यक्ति हमारा वास्तविक मित्र है या नहीं, इस बात का पता हमें तब तक नहीं लग सकता जब तक हम कोई विपत्ति में न हों। विपत्ति में नकली मित्र तो साथ छोड़ देते हैं और जो मित्र साथ नहीं छोड़ते, वास्तविक मित्र वे ही होते हैं। इसीलिए यह ठीक ही कहा जाता है कि विपत्ति मित्रों की कसौटी है।

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Try yourself:समाज में किसको पहचानना कठिन है
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Try yourself:सच्चे मित्र की पहचान कब होती है?
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Try yourself:वास्तविक शब्द में मूल शब्द और प्रत्यय है
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Try yourself:संपन्न लोगों से लोग कैसा व्यवहार करते हैं
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Try yourself:इस गद्यांश का उचित शीर्षक चुनिए
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FAQs on अपठित गद्यांश - 4 - Hindi Language for Teaching Exams - DSSSB TGT/PGT/PRT

1. गद्यांश में दिए गए खेल का नाम क्या है?
उत्तर. गद्यांश में दिए गए खेल का नाम "क्रिकेट" है।
2. गद्यांश में कितने खिलाड़ी होते हैं?
उत्तर. गद्यांश में कहा गया है कि क्रिकेट में दो टीमें होती हैं और प्रत्येक टीम में 11 खिलाड़ी होते हैं। इसलिए, क्रिकेट में कुल मिलाकर 22 खिलाड़ी होते हैं।
3. क्रिकेट मैच की अवधि क्या होती है?
उत्तर. क्रिकेट मैच की अवधि या दौर दो पक्षों के बीच के टर्मिन की जाती है। एक दिनी अवधि के खेल में, प्रतियोगी टीमें 50-50 ओवरों के लिए खेलती हैं। टेस्ट मैच में, हर दिन को दिन के खेल के रूप में व्यतीत किया जाता है और कुल मिलाकर 5 दिनों तक खेले जाते हैं।
4. क्रिकेट में इनिंग्स की संख्या क्यों होती है?
उत्तर. क्रिकेट में प्रत्येक टीम को दो इनिंग्स का मौका मिलता है। इनिंग्स के दौरान, टीम की बैटिंग संघ को उत्तरदायी टीम के गेंदबाजों के खिलाफ रन बनाने की कोशिश करनी होती है। दोनों टीमों का बैटिंग और गेंदबाजी के आधार पर एक विजेता निर्धारित किया जाता है।
5. क्रिकेट में एक ऑवर में कितनी गेंदें खेली जाती है?
उत्तर. क्रिकेट में एक ऑवर में 6 गेंदें खेली जाती हैं। एक गेंदबाज एक ऑवर में 6 गेंदें गिरा सकता है और फिर दूसरे गेंदबाज की बारी आती है। इस तरह, एक टीम के बैटिंग इनिंग्स के दौरान कुल मिलाकर 300 गेंदें खेली जा सकती हैं, जो 50 ओवरों के बराबर होते हैं।
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