प्रश्न 1. नमक के तीन पर्यायवाची बताइए।
उत्तर: नमक के पर्यायवाची: लवण, क्षार और लोन।
प्रश्न 2. नमक के दरोगा पाठ के लेखक का क्या नाम है?
उत्तर: नमक के दरोगा पाठ के लेखक मुंशी प्रेमचंदजी हैं।
प्रश्न 3. न्याय के दरबार में कर्मचारियों पर किसका नशा छाया हुआ था?
उत्तर: न्याय के दरबार में कर्मचारियों पर पक्षपात का नशा छाया हुआ था।
प्रश्न 4. पंडित अलोपीदीन न्यायालय में मुकदमा कैसे जीत गए?
उत्तर: पंडित अलोपीदीन न्यायालय में मुकदमा अपने पैसे के बल से जीत गए। उन्होंने सभी को खरीद लिया था।
प्रश्न 5. वंशीधर के लिए मजिस्ट्रेट ने क्या फैसला सुनाया?
उत्तर: मजिस्ट्रेट ने वंशीधर को नौकरी से निष्कासित कर दिया।
प्रश्न 1. पंडित अलोपीदीन के पक्ष में फैसला आने पर वकीलों में खुशी का माहौल क्यों था?
उत्तर: पंडित अलोपीदीन के पक्ष में फैसला आने पर वकीलों में खुशी का माहौल इसलिए था क्योंकि वकीलों को पंडित अलोपीदीन से धन प्राप्त होता था।
प्रश्न 2. वृद्ध मुंशी ने वंशीधर से अपनी बेटियों के लिए क्या कहा?
उत्तर: वृद्ध मुंशी ने वंशीधर से कहा कि लड़कियां घांस फूंस की तरह अत्यधिक गति से बड़ी हो जाती हैं।
प्रश्न 3. लक्ष्मी जी के लिए पंडित अलोपीदीन के क्या विचार थे?
उत्तर: पंडित अलोपीदीन को लक्ष्मी जी के ऊपर अंध विश्वास था। पंडित जी कहते थे कि पृथ्वी के साथ - साथ परलोक में भी लक्ष्मी जी का ही निवास है।
प्रश्न 4. पंडित अलोपीदीन जब वंशीधर से मिलने उसके घर आए तो वंशीधर के पिता से क्या बोले?
उत्तर: पंडित अलोपीदीन जब वंशीधर से मिलने उसके घर आए तो वंशीधर के पिता से कहा कि "कुलतिलक और पुरुषों कि कीर्ति उज्ज्वल करने वाले संसार में ऐसे जो धर्म पर अपना सब कुछ अर्पण कर सकें कितने धर्मपरायण मनुष्य हैं ?"।
प्रश्न 5. पंडित अलोपीदीन ने वंशीधर को क्या प्रस्ताव दिया था और क्यों?
उत्तर: अपनी सभी संपत्तियों का प्रबंधक बनाने का प्रस्ताव पंडित अलोपीदीन ने वंशीधर को दिया था। क्योंकि वह वंशीधर कि ईमानदारी से काफ़ी खुश था।
प्रश्न 1. 'पढ़ना - लिखना सब अकारथ गया।' वृद्ध मुंशी जी ने यह वाक्य क्यों कहा?
उत्तर: मुंशी जी के पुत्र वंशीधर ने हजारों रुपए की रिश्वत लेने से इंकार करके पंडित अलोपीदीन को अपनी हिरासत में ले लिया था था। यह बात जब मुंशी जी को जान पड़ी तो उन्होंने अपने पुत्र को डांटने के लिए कहा कि ' पढ़ना - लिखना सब अकारथ गया ' अर्थात पढ़ना और लिखना सब व्यर्थ चला गया।
प्रश्न 2. "नौकरी में औहदे कि ओर ध्यान मत देना, यह तो पीर की मजार है। निगाह चढ़ावे और चादर पर रखनी चाहिए।" यह बात किसके द्वारा कही गई है, तथा इसका क्या अर्थ है ?
उत्तर: यह वाक्य मुंशी जी अपने बेटे वंशीधर से कहते हैं। इस वाक्य का मतलब यह है कि नौकरी के पद से रिश्वत और उपहारों का मूल्य अधिक होता है। इसलिए पद से अधिक नौकरी ऐसी करनी चाहिए, जिसमें रिश्वत लेने के अत्यधिक मौके प्राप्त हों।
प्रश्न 3. रात में पुल से गुजर रहे वाहनों की आवाज सुनकर वंशीधर के मन में क्या विचार आया ?
उत्तर: रात को सोते वक्त वंशीधर को पुल से गुजर रहे वाहनों कि गड़गड़ाहट सुनाई दी तो उन्हें कुछ आभास हुआ। वंशीधर ने सोचा कि देर रात वाहन कौन ले जाएगा ? ज़रूर कुछ गलत हो रहा है।
प्रश्न 4. कहानी में वृद्ध मुंशी का पात्र कौन है और कैसा है?
उत्तर: कहानी में मुंशी जी का पात्र वंशीधर के पिता है। वह अपनी परिस्थिति से चिंतित है, तथा अपने पुत्र कि नौकरी कि सहारे अपने घर कि परिस्थिति को सही दिशा दिखाना चाहते हैं। उनके अनुसार नौकरी पर रिश्वत लेने में कोई बुराई नहीं है। इसलिए वह अपने बेटे वंशीधर को बेईमान बनने का ज्ञान देती है।
प्रश्न 5. वंशीधर ने जब पंडित अलोपीदीन को हिरासत में लिया तो आस - पास के क्षेत्रों के लोगों कि क्या प्रतिक्रिया थी ?
उत्तर: वंशीधर ने जब पंडित अलोपीदीन को हिरासत में लिया तो रातों - रात यह समाचार सारे क्षेत्र में फैल गई। सभी लोग पण्डित जी के इस व्यवहार पर अपने अपने अनुसार तंज कस रहे थे। पंडित जी के उपर हर तरफ से निंदा कि वर्षा हो रही थी। पानी को दूध के नाम से बेचने वाला ग्वाला, रिश्वत लेने वाले अधिकारी, रेल में बिना टिकट यात्रा करने वाले बाबु लोग, जाली दस्तावेज तैयार करने वाले सेठ और साहूकार। यह सब के सब पंडित जी को कोस रहे थे।
प्रश्न 1. पंडित अलोपीदीन ने रिश्वत के लिए चालीस हजार का प्रस्ताव दिया तो वंशीधर ने क्या किया?
उत्तर: जब पंडित अलोपीदीन ने रिश्वत के लिए चालीस हजार रुपए का प्रस्ताव दिया, तो वंशीधर ने उस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। वंशीधर ने सत्य, निष्ठा और ईमानदारी के धर्म का निर्वाह करते हुए अलोपीदीन द्वारा चालीस हजार रुपए का प्रस्ताव ठुकरा दिया। धर्म इंसान के निष्ठा निर्धारित करता है और वंशीधर के 'धर्म' ने अलोपीदीन के 'धन' को नीचा दिखा दिया, अर्थात धन के राज को वंशीधर के धर्म से हारना पड़ा।
प्रश्न 2. कहानी के पात्र वंशीधर कि विशेषता बताइए।
उत्तर: "नमक का दारोगा" कि कहानी में वंशीधर सबसे महत्वपूर्ण पात्र है और उसका चरित्र अत्याधिक प्रभावशाली है। वंशीधर एक ईमानदार, शिक्षित और कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति है। अपने पिता के द्वारा दिए गए बेईमानी के ज्ञान के बावजूद, वह ईमानदार है। वह एक स्वाभिमानी व्यक्ति है। न्यायालय द्वारा उनके खिलाफ नतीजा दिए जाने पर भी उन्होंने अपना आत्मसम्मान नहीं खोया। कहानी में वंशीधर के पात्र कि ईमानदारी और स्वाभिमान पाठकों को अत्यधिक प्रभावित करता है। पाठक के मन में उस पात्र के गुणों को अपनाने कि प्रेरणा मिलती है।
प्रश्न 3. कहानी के पात्र पंडित अलोपीदीन के व्यक्तित्व की विशेषता बताइए।
उत्तर: पंडित अलोपीदीन के पात्र दो विशेषताएं हैं। वह लक्ष्मी के पुजारी और ईमानदारी के प्रशंसक हैं। पंडित अलोपीदीन को लक्ष्मी जी के उपर अखंड विश्वास था, वह समझते थे कि लक्ष्मी की सहायता से किसी को भी अपने अधीन कर सकते हैं। उन्होंने लक्ष्मी की सहायता से ही न्यायालय को भी अपने अधीन कर लिया था। पंडित अलोपीदीन लक्ष्मी के साथ साथ ईमानदारी को भी मानते हैं। वंशीधर की ईमानदारी से प्रभावित हो कर, वह वंशीधर को अपनी सभी संपत्तियों का प्रबंधक बना देते हैं। वंशीधर के लिए उनके मन में कोई भी दोष नहीं है, जबकि वंशीधर ने ही पंडित अलोपीदीन को जेल भेज कर न्यायालय में प्रस्तुत किया था।
प्रश्न 4.अलोपीदीन के पक्ष में मजिस्ट्रेट के फैसले पर वकील की क्या प्रतिक्रिया थी? तथा इससे क्या निष्कर्ष निकलता है।
उत्तर: मजिस्ट्रेट ने अपना नतीजा पंडित अलोपीदीन के पक्ष में सुनाया था। मजिस्ट्रेट के इस नतीजे से वकील अत्याधिक प्रसन्न था। वकील का प्रसन्न होना न्यायालय के नतीजे पर प्रश्न उठाता है और शर्मसार करता है। धन के आधार पर न्यायालय में न्याय दिलाना वकीलों का धर्म नहीं है। लेकिन इस नतीजे पर वकीलों कि भागीदारी के कारण वंशीधर को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा। वंशीधर बहुत ही ईमानदार व्यक्ति था, और उसने ईमानदारी का परिचय देते हुए पंडित अलोपीदीन को अपनी हिरासत में लिया था। लेकिन, फिर भी न्यायालय ने वकीलों कि दलीलों के कारण नतीजा उसके खिलाफ आया और उसे अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा।
प्रश्न 5. वंशीधर के पिता ने वंशीधर से नौकरी पर जाने से पहले क्या कहा था ?
उत्तर: वंशीधर के पिता ने वंशीधर से नौकरी पर जाने से पहले क्या कहा कि वेतन पूर्णमासी के चांद कि भांति होता है। वंशीधर के पिता द्वारा कहे गए इस कथन का अर्थ था कि चांद महीने में एक बार पूर्णिमा को पूरा नज़र आता है, और मासिक वेतन भी महीने में एक ही बार मिलता है। पूर्णिमा के बाद चांद का आकार धीरे धीरे घटता चला जाता है, और अंत में खत्म हो जाता है। इसी प्रकार वेतन भी सिर्फ एक बार ही पूरा नज़र आता है, और धीरे धीरे खत्म हो जाता है।
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1. कहानी में 'नमक का दरोगा' कैसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है? |
2. कहानी में नमक का दरोगा किस प्रकार अपनी जिम्मेदारी को निभाता है? |
3. कहानी में नमक का दरोगा के कार्य का महत्व क्या है? |
4. कहानी में नमक का दरोगा की चरित्रसंख्या किस प्रकार विकसित है? |
5. कहानी में नमक का दरोगा के कार्य किस प्रकार समाज में प्रभाव डालते हैं? |
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