प्रश्न 1. परेशानी तथा तरेरा शब्द का अर्थ बताइए।
(i) पेशानी – माथा
(ii) तरेरा– घूरकर देखा
प्रश्न 2. मियाँ ने रोटियां बनाना किससे सीखा था?
मियां ने रोटियां बनाने की कला अपने बुजुर्गों से सीखी।
प्रश्न 3. बादशाह ने मियाँ के बुजुर्गों से कैसे पकवान बनाने को कहा?
बादशाह ने मियां के बुजुर्गों से बिना आग का प्रयोग करके तथा न पानी का प्रयोग करके पकवान बनाने को कहा।
प्रश्न 4. मियाँ नसीरुद्दीन के अनुसार कौन सी रोटी पापड़ से महीन होती है?
मियां नसीरुद्दीन के अनुसार तुनकी रोटी पापड़ से महीन होती है।
प्रश्न 5. शागिर्द के तीन पर्यायवाची बताइए।
शागिर्द के तीन पर्यायवाची–
(i) विद्यार्थी
(ii) चेला
(iii) शिष्य
प्रश्न 6. अखबार बनाने वाले तथा अखबार बेचने वाले के लिए मियाँ के क्या विचार थे?
अखबार बनाने वाले व अखबार पढ़ने वालों के लिए मियां नसीरुद्दीन के विचार यह थे कि वह लोग निठल्ले होते हैं। जो लोग काम करते हैं उन्हें अखबार पढ़ने की जरूरत नहीं होती।
प्रश्न 7. लेखिका विभिन्न प्रकार की रोटियां बनाने की कला जानकारी प्राप्त करने किसके पास गई थी?
लेखिका विभिन्न प्रकार की रोटियां बनाने की कला की जानकारी प्राप्त करने के लिए मियां नसीरुद्दीन के पास गई थी।
प्रश्न 8. मियाँ नसीरुद्दीन अपनी किस पीढ़ी के नानबाई है?
मियां नसीरुद्दीन तीसरी पीढ़ी के नानबाई है क्योंकि पहली पीढ़ी के नानबाई उनके दादा अलान बाई मियां कल्लन और दूसरी पीढ़ी के नाम भाई उनके पिता मियां बरकतशाही थे।
प्रश्न 9. लेखक ने उनसे पूछा कि बुजुर्गों की कौन सी नसीहत उन्हें याद है तब मियाँ नसीरुद्दीन ने क्या कहा?
लेखिका ने उनसे जब पूछा कि उन्हें बुजुर्गों की कौन सी नसीहत याद है तो उन्होंने बुजुर्गों की नसीहत बताई कि काम करने से आता है किसी की नसीहत से नहीं।
प्रश्न 10. मियाँ ने रोटियां बनाना सीखने से पहले क्या-क्या काम किया था?
मियां ने रोटियां बनाना सीखने से पहले कई प्रकार के कार्य सीखे जैसे– बर्तन धोना, भट्टी बनाना भक्ति को आंच देना।
प्रश्न 11. बादशाह के बारे में पूछने पर जब मियाँ नसीरुद्दीन सही जवाब नहीं दे पाए तो क्या किया?
जब लेखिका ने मियां नसीरुद्दीन से बादशाह का नाम पूछा तो उन्हें बादशाह का नाम नहीं पता था उनके पास कोई भी प्रमाण नहीं था इसलिए उनकी दिलचस्पी जवाब देने में खत्म होने लगी और वह बेरुखी से दिखाने लगे। उनके सवाल को नजरअंदाज करने के लिए अपने कारीगर को आदेश देने लगे कि बट्टी सुलगाओ।
प्रश्न 12. मियाँ नसीरुद्दीन के पास जाने के पीछे लेखिका का क्या उद्देश्य था?
मियां नसीरुद्दीन के पास लेखिका का जाने का उद्देश्य यह था कि वह एक जाने-माने नानबाई थे जिन्हें 56 प्रकार की रोटियां बनानी आती थी वह अपने पेशे को अपनी कला मानते थे। लेखिका रोटियां बनाने की कला के बारे में मियां नसीरुद्दीन से जानकारी प्राप्त करना चाहती थी और लोगों को उनकी कला के बारे में बताना चाहती थी इसलिए वह मियां नसीरुद्दीन के पास गई।
प्रश्न 13. नानबाई के संदर्भ में मियाँ नसीरुद्दीन की क्या पहचान थी?
नानबाई के संदर्भ में मियां नसीरुद्दीन की यह पहचान बताई गई कि वह कोई आम नानबाई नहीं थे बल्कि वह 56 प्रकार की रोटियां बनाना जानते थे और आम नानबाइयों को सिर्फ रोटी बनानी आती थी। उन्हे नानबाइयो का मशीहा कहा जाता था। वह एक खानदानी नानबाई थे और अपने पेशे को कला मानते थे।
प्रश्न 14. जब लेखिका ने मियां नसीरुद्दीन से बादशाह का नाम पूछा तो मियाँ की क्या प्रतिक्रिया थी?
जब लेखिका ने मियां नसीरुद्दीन से बादशाह का नाम पूछा तो उन्हें बादशाह का नाम नहीं पता था उनके पास कोई भी प्रमाण नहीं था इसलिए उनकी दिलचस्पी जवाब देने में खत्म होने लगी और वह बेरुखी से दिखाने लगे। वह बस डींगे हाक रहे थे सुनी सुनाई बातें बता रहे थे। जब लेखिका ने उनके सामने बहादुरशाह जफर का नाम लिया तो उन्होंने कहा हां यही नाम लिख दो।
प्रश्न 15. पाठ में मियाँ नसीरुद्दीन का परिचय कैसे कराया गया है?
पाठ में मियां नसीरुद्दीन का परिचय अलग–अलग तरीकों से कराया है जैसे–
‘हमने जो अंदर झांका तो पाया, मियां चारपाई पर बैठे बीड़ी का मजा ले रहे हैं। मौसमो की मार से पका चेहरा आंखों से काइयां भोलापन और परेशानी पर मंजे हुए कारीगर के तेवर। मियां नसीरुद्दीन की उम्र 70 वर्ष के आसपास होगी।”
प्रश्न 16. लेखिका ने जब मियांँ से पूछा कि कारीगर लोग “क्या आपकी शागिर्दी करते हैं?” तो मियाँ नसीरुद्दीन ने क्या जवाब दिया?
लेखिका ने जब मियां से पूछा कि कारीगर लोग “क्या आपकी शागिर्दी करते हैं” तो मियां नसीरुद्दीन में बताया कि “सिर्फ शागिर्दी ही नहीं करते हैं। मैं उन्हें दो रुपए मन आटा और चार रुपए मन मैदा के हिसाब से इन्हें गिन–गिन कर मजूरी भी देता हूं।” मियां नसीरुद्दीन के कहने का यह अर्थ था कि वह कारीगरों से सीखाने की आड़ में मुफ़्त में काम नहीं करवाते थे। वह एक खानदानी नानबाई थे और इसलिए उनसे लोग सीखने आते थे। वह लोगो से काम कराते थे काम कराते वक्त उचित मजदूरी भी दिया करते थे।
प्रश्न 17. मियाँ लेखिका की किस बात से नाराज होकर बेरुखी दिखने लगे तथा क्यों?
लेखिका ने मियां नसीरुद्दीन से बादशाह के बारे में सवाल पूछे तो मियां नसीरुद्दीन नाराज हो गए और बेरुखी दिखाने लगे। उनके पास किसी भी बात का प्रमाण नहीं था। वह केवल सुनी सुनाई बाते ही बता रहे थे। उनके पास इन बातों को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं था। मियां ने केवल इतना बताया उनके परिवार के लोग बादशाह के लिए खाना बनाते थे। परिवार के लोग बादशाह के बावर्ची थे। जब लेखिका ने बादशाह का नाम पूछा तो उन्हें बादशाह का नाम नहीं पता था उनके पास कोई भी प्रमाण नहीं था इसलिए उनकी दिलचस्पी जवाब देने में खत्म होने लगी और वह बेरुखी से दिखाने लगे। वह बस डींगे हाक रहे थे सुनी सुनाई बातें बता रहे थे। उन्होंने यह भी बताया कि उनके परिवार के लोग बादशाह के लिए पकवान बनाते थे और एक बार बादशाह ने कहा कि आग में बिना पकाए केवल पानी का प्रयोग करके ।पकवान बनाकर दिखाएं। उन्होंने बताया कि उनके बुजुर्गों ने बादशाह के लिए केवल पानी का प्रयोग करके पकवान बनाकर दिखाएं थे।
प्रश्न 18. “ ज्यादातर भट्टी पर कौन सी रोटियां पका करती है” इस सवाल के जवाब में मियाँ ने क्या जवाब दिया?
“ज्यादातर भट्टी पर कौन सी रोटी पका करती है” इस सवाल के जवाब में मियां ने बोला कि भट्टियों पर कई प्रकार की रोटियाँ बनती हैं ‘खमीरी,बाकरखानी, शीरमाल, ताफतान, बेसनी, गाव, तुनकी, गाशेबान, दीदा, रूमाली’ आदि रोटियां बनती हैं। इसके बाद मियां ने सवाल पूछने वाले को घूर कर देखा और बताया कि “तुनकी पापड़ से ज़्यादा महीन होती है। हाँ, किसी दिन खिलाएंगे ,आपको”। इसके बाद वह पूरानी यादो को याद करने लगे और कहा कि “उतर गए वे जमाने। और गए वे कद्रदान जो पकाने–खाने की कद्र करना जानते थे! मियां अब क्या रखा है..... निकाली तंदूर से, निगली और हजम।”
प्रश्न 19. लेखक जब मियाँ नसीरुद्दीन के पास पहुंचे तो मियाँ ने उन्हें क्या समझ लिया था तथा उसके बाद क्या प्रतिक्रिया दी थी?
लेखक जब मियां नसीरुद्दीन के घर पहुंचे तो मियां के लगा कि वह लोग रोटी खरीदने के लिए आए हैं। लेकिन जब लेखक ने उन्हें बताया कि वह कुछ सवाल पूछने के लिए आए हैं तो मियां नसीरुद्दीन को लगा कि वह अखबार वाले पत्रकार हैं। मियां नसीरुद्दीन का यह मानना था अखबार वाले कामचोर होते हैं और अखबार पढ़ने वाले भी कामचोर होते हैं। उनका कहना था जो लोग काम करते हैं उन्हें अखबार पढ़ने की कोई आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। लेकिन लेकिन नसीरुद्दीन ने कहा कि आप लोग इतनी दूर से आए ही हैं तो आप जो भी जानना चाहते हैं जान सकते हैं।
प्रश्न 20. मियाँ ने अपने बुजुर्गों के बारे में क्या बताया?
मियां ने अपने बुजुर्गों के बारे में कई बातें बताई । उन्होंने बताया उनके वालिद और वालिद के वालिद बहुत जाने-माने नानबाई थे। वह साधारण नानबाई नहीं, बहुत बड़े खानदानी नानबाई थे। उन्होंने कई कार्य अपने पूर्वजों से सीखें। जैसे अलग-अलग तरीकों की रोटी बनाना। मियां के वालिद की 80 वर्ष में मृत्यु हो गई। मियां के परिवार के बुजुर्गों को पकवान बनाने भी आते थे। वह बादशाहो के लिए पकवान भी बनाते थे। और बादशाह द्वारा हर प्रकार की की गई मांग को पूरा करते थे। बादशाह ने उन्हें पकवान बनाने को कहा वो भी आग व पानी का प्रयोग किए बिना उन्होंने बादशाह को पकवान बनाकर खिलाएं थे।
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1. What is the importance of studying humanities and arts? |
2. How can studying humanities and arts benefit society? |
3. What career options are available for individuals with a background in humanities and arts? |
4. How can studying humanities and arts contribute to personal growth and well-being? |
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