Police SI Exams Exam  >  Police SI Exams Notes  >  General Awareness/सामान्य जागरूकता  >  Short Notes: Bio Development & Principles of Biological Development (जैव विकास और जैव विकास)

Short Notes: Bio Development & Principles of Biological Development (जैव विकास और जैव विकास) | General Awareness/सामान्य जागरूकता - Police SI Exams PDF Download

जैव विकास

  • ‘क्रमिक विकास के ज्ञान को छोड़कर बायोलॉजी (जीव विज्ञान) में अन्य किसी चीज का कोई अर्थ नहीं है’-थियोडोसियस डोबहांस्की । जैव विकास एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में होने वाला आनुवंशिक परिवर्तन है। प्रकृति में प्रारम्भिक निम्नकोटि के जीवों से क्रमिक परिवर्तनों द्वारा अधिकाधिक जटिल जीवों की उत्पत्ति वास्तविक रूप में जैव विकास ही है। जैव विकास के प्रमाण सिद्ध करते हैं कि हमारी पृथ्वी पर पहले की पूर्वज जातियों से ही, विकास के द्वारा, नई-नई जातियां बनी हैं और बन रही हैं। जीवन की उत्पत्ति के संबंध में अब तक चार परिकल्पनाएं प्रस्तुत की गई हैं। इनमें से स्वतः उत्पादन की परिकल्पना जीवन की उत्पत्ति के संबंध में सर्वाधिक प्राचीन परिकल्पना है। लेकिन आधुनिक परिकल्पनाओं में प्रकृतिवाद सबसे आधुनिक व प्रचलित परिकल्पना है। लैमार्क, डार्विन, वैलेस, डी-ब्रिज आदि ने जैव विकास के संबंध में अनेक परिकल्पनाओं को प्रस्तुत किया।

जैव विकास के सिद्धांत

  • जैव विकास के संबंध में अनेक मत व सिद्धांत प्रचलित हैं। कुछ प्रमुख सिद्धांतों को जैव विकास के अध्ययन के लिए जरूरी माना जाता है जिन्हें निम्न प्रकार से समझा जा सकता है :

लैमार्कवाद (Lamarckism)
“जीवों एवं उनके अंगों में निरन्तर वृद्धि होती रहती है। जिन पर वातावरणीय परिवर्तनों का सीधा प्रभाव पड़ता है। अधिक उपयोग में आने वाले अंगों का विकास अधिक एवं कम उपयोग में आने वाले अंगों का विकास कम होता है।”

  • लैमार्क का यह सिद्धांत 1809 में उनकी पुस्तक ‘फिलासफी जुलोजिक’ (Philosophie Zoologique) में प्रकाशित हुआ था।
  • लैमार्कवाद को ‘अंगों के कम या अधिक उपयोग का सिद्धांत’ भी कहा जाता है।
  • लैमार्क के अनुसार : जीवों की संरचना, कायिकी, उनके व्यवहार पर वातावरण में परिवर्तन का सीधा प्रभाव पड़ता है।
  • लैमार्कवाद के ‘उपार्जित लक्षणों की वंशागति के सिद्धांत’ के अनुसार जन्तुओं के उपार्जित लक्षण वंशगत होते हैं जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानान्तरित होते हैं।

डार्विनवाद (Darwinism)
‘प्राकृतिक चुनाव द्वारा प्राणियों का विकास’ (Origin of Species by Natural Selection 1836): इसके अनुसार ‘सभी जीवों में संतानोपत्ति की अधिक से अधिक क्षमता पायी जाती है। प्रत्येक जीव में अत्याधिक प्रजनन दर के कारण जीवों को अपने अस्तित्व हेतु संघर्ष करना पड़ता है। ये संघर्ष समजातीय, अन्तरजातीय तथा पर्यावरणीय होते हैं।’

  • दो सजातीय जीव आपस में बिल्कुल समान नहीं होते हैं। ऐसी विभिन्नताएं इन्हें अपने जनकों से वंशानुक्रम में मिलती हैं।
  • डार्विनवाद को प्राकृतिक चयनवाद (Theoryofnatural selection) भी कहा जाता है।

नव-डार्विनवाद (Neo-Darwinism)
इसे उत्परिवर्तन सिद्धांत के रूप में भी जाना जाता है जिसे हॉलैण्ड ___ के यूगोडीब्रिज ने 1901 ई. में प्रस्तुत किया था।
नव-डार्विनवाद को आधुनिक संश्लेषिक परिकल्पना (Modern Synthetic theory) भी कहते हैं। यह निम्नलिखित प्राक्रमों की पारस्परिक क्रियाओं का परिणाम है :

  • जीन उत्परिवर्तन (Gene Mutation)
  • आनुवांशिक पुनर्योजन (Genetic recombination)
  • गुणसूत्रों की संरचना एवं संख्या में परिवर्तन द्वारा विभिन्नताएं
  • पृथक्करण (Isolation)

पुनरावर्तन सिद्धांत (Recapitulation theory)

  • अर्नेस्ट हैकल इसे जाति-आवर्तन सिद्धांत भी कहते हैं जिसकी प्रमुख विशेषता है कि किसी जीव की भ्रूणीय अवस्थाएं उनके पूर्वजों की वयस्क अवस्थाओं के समान होती हैं।

जीवों के तुलनात्मक अंग

  • प्रत्येक जीवन के अंगों को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है : समजात अंग, समरूप अंग और अवशेषी अंग।

समजात अंग (Homologous Organs)

  • ऐसे अंग, जो विभिन्न कार्यों के लिए विकसित हो जाने के कारण असमान दिखाई दे सकते हैं, परन्तु मूल रचना एवं भ्रूणीय परिवर्धन में वे समान होते हैं, समजात अंग कहलाते हैं। इसी को ‘अंगों की समजातता कहते हैं। यह समजातता पूर्वजों से विभिन्न दिशाओं में हुए जैव विकास को प्रमाणित करती है। उदाहरण : पक्षियों के पंख, मनुष्य के हाथ।

समरूप अग (Analogous Organs)

  • वे अंग जो समान कार्य के लिए विकसित हो जाने के कारण समान दिखाई देते हैं, परन्तु मूल संरचना एवं भ्रूणीय प्रक्रिया में असमान हो सकते हैं, समरूप अंग कहलाते हैं। यह समरूपता अभिसारी जैव विकास को प्रमाणित करती है। उदाहरण-चमगादड, कीटों एवं पक्षियों के पंख।

अवशेषी अंग  (Vestigial Organs)

  • वे अंग जो जीवों के पूर्वजों में पूर्ण विकसित थे, परन्तु वातावरणीय परिस्थितियों में परिवर्तन के परिणामस्वरूप कालांतर में अनुपयोगी हो गए अर्थात विकसित जन्तुओं में विद्यमान अर्द्धविकसित एवं अनुपयोगी अंग या उनके भाग अवशेषी अंग कहलाते हैं। उदाहरण त्वचा के बाल, कर्ण-पल्लव (Pinna), कीवी के पंख, शुतुरमुर्ग के पंख, मनुष्य में एपेन्डिक्स (Apendix) आदि।

संयोजक कड़ी (Connecting link)

  • जीव-जंतुओं की वे जातियां जो अपने से कम विकसित जातियों तथा अपने से अधिक विकसित उच्च कोटि की जातियों की सीमा रेखा अर्थात निम्न एवं उच्च जातियों के लक्षण का सम्मिश्रण होती हैं, संयोजक जातियां कहलाती हैं। उदाहरण-यूग्लीना, प्रोटीरोस्पंजिया, नियोपिलाइना, पैरीपेटस, आर्कियोप्टेरिक्स, प्रोटोथीरिया आदि ।
The document Short Notes: Bio Development & Principles of Biological Development (जैव विकास और जैव विकास) | General Awareness/सामान्य जागरूकता - Police SI Exams is a part of the Police SI Exams Course General Awareness/सामान्य जागरूकता.
All you need of Police SI Exams at this link: Police SI Exams
203 videos|273 docs|23 tests

Top Courses for Police SI Exams

203 videos|273 docs|23 tests
Download as PDF
Explore Courses for Police SI Exams exam

Top Courses for Police SI Exams

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

Sample Paper

,

Short Notes: Bio Development & Principles of Biological Development (जैव विकास और जैव विकास) | General Awareness/सामान्य जागरूकता - Police SI Exams

,

video lectures

,

MCQs

,

Free

,

Objective type Questions

,

shortcuts and tricks

,

Important questions

,

pdf

,

Short Notes: Bio Development & Principles of Biological Development (जैव विकास और जैव विकास) | General Awareness/सामान्य जागरूकता - Police SI Exams

,

ppt

,

practice quizzes

,

study material

,

Summary

,

Semester Notes

,

Exam

,

mock tests for examination

,

Short Notes: Bio Development & Principles of Biological Development (जैव विकास और जैव विकास) | General Awareness/सामान्य जागरूकता - Police SI Exams

,

Viva Questions

,

past year papers

,

Extra Questions

,

Previous Year Questions with Solutions

;