राष्ट्रकूट वंश (753-973 ई०): प्राप्त अभिलेख के अनुसार राष्ट्रकूट वंश का मूल निवास स्थान लाटूर जिले का बीदर माना गया है। किन्तु बाद में एलिचपुर (वर्तमान बरार) में इस वंश की स्थापना हुयीं। राष्ट्रकूट वंश का अपना स्वतंत्र शासन स्थापित करने से पूर्व राष्ट्रकूट बादामी के चालुक्यों के सामंत थे।
कृष्ण प्रथम (756-774 ई०)
गोविन्द द्वितीय (774-780 ई०)
ध्रुव धारावर्ष (780-793 ई०)
गोविन्द तृतीय (793-814 ई०)
अमोघवर्ष प्रथम (814-878 ई०)
कृष्ण द्वितीय (878-914 ई०)
इन्द्र तृतीय (914-929 ई०)
अमोघवर्ष द्वितीय (929-930 ई०)
गोविन्द चतुर्थ (930-936 ई०)
अमोघवर्ष तृतीय (936-939 ई०)
कृष्ण तृतीय (939-967 ई०)
खोट्टिग अमोघवर्ष चतुर्थ (967-972 ई०)
कर्क द्वितीय (972-973 ई०)
Note: कर्क द्वितीय राष्ट्रकूट वंश का अंतिम शासक था। परन्तु जब प्रतियोगी परीक्षा में पूछा जाता है कि “राष्ट्रकूट वंश का अंतिम महान शासक कौन था ?” तो “उत्तर कृष्ण तृतीय” होगा। क्योंकि कृष्ण तृतीय राष्ट्रकूट वंश का अंतिम महान शासक था और कर्क द्वितीय एक कमजोर शासक था जिसके काल में राष्ट्रकूट वंश समाप्त हो गया और कल्याणी के चालुक्य वंश की नींव पड़ी।
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