घटोत्कच गुप्त: श्रीगुप्त के बाद उसका पुत्र घटोत्कच गुप्त सिंहासन पर आसीन हुआ। कुछ अभिलेखों में घटोत्कच को गुप्त वंश का प्रथम राजा बताया गया है।
चन्द्रगुप्त प्रथम
समुद्रगुप्त: चन्द्रगुप्त के पश्चात 350 ई. के आस-पास उसका पुत्र समुद्रगुप्त सिंहासन पर बैठा। समुद्रगुप्त ने एक विशाल साम्राज्य का निर्माण किया था जोकि पूर्व में बंगाल की खाड़ी से लेकर पश्चिम में स्थित पूर्वी मालवा तक तथा उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में विंध्य पर्वत तक फैला हुआ था। इलाहबाद शिलालेख के अनुसार समुद्रगुप्त एक महान कवि और संगीतकार था। समुद्र्गुप्त को उसकी राज्य प्रसार नीतियों के कारण ‘भारत का नेपोलियन‘ भी कहा गया है।
चन्द्रगुप्त द्वितीय
कुमारगुप्त प्रथम: चन्द्रगुप्त द्वितीय की मृत्यु के पश्चात उसका पुत्र कुमारगुप्त प्रथम सिंहासन पर आसीन हुआ। कुमारगुप्त प्रथम ने अश्वमेध यज्ञ करवाया था और महेन्द्रादित्य की उपाधि धारण की थी। कुमारगुप्त प्रथम के ही शासन काल में नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। कुमारगुप्त प्रथम ने अपने पिता चन्द्रगुप्त द्वितीय की ही भाँति राज्य को सुव्यवस्था और सुशासन से चलाया था और अपने पिता के दिये साम्राज्य को ज्यों का त्यों ही बनाये रखा था।
स्कंदगुप्त
गुप्तवंश के पतन का कारण पारिवारिक कलह और बार-बार होने वाले विदेशी आक्रमण माने जाते हैं। जिनमें हूणों द्वारा आक्रमण को मुख्य कारण माना जाता है।
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