Police SI Exams Exam  >  Police SI Exams Notes  >  General Awareness/सामान्य जागरूकता  >  Short Notes: Powers & Functions of the President of India (भारत के राष्ट्रपति की शक्तियां व कार्य)

Short Notes: Powers & Functions of the President of India (भारत के राष्ट्रपति की शक्तियां व कार्य) | General Awareness/सामान्य जागरूकता - Police SI Exams PDF Download

भारत के राष्ट्रपति की शक्तियां व कार्य

  • अनुच्छेद – 53 के अनुसार भारत में संघीय कार्यपालिका का प्रधान राष्ट्रपति होता है तथा कार्यपालिका की शक्तियां उनके हाथों में निहित होती हैं |

प्रशासनिक शक्ति

  • राष्ट्रपति संघ की कार्यपालिका का औपचारिक प्रधान है अतः संघीय कार्यपालिका के सारे कार्य राष्ट्रपति के नाम से किए जाते हैं |

नियुक्ति संबंधी अधिकार

  • भारतीय संविधान में राष्ट्रपति को प्रधानमंत्री संघ के अन्य मंत्री महान्यायवादी नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक उच्चतम एवं उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश राज्यपाल जल विवाद आयोग वित्त आयोग संघ लोक सेवा आयोग मुख्य एवं अन्य निर्वाचन आयुक्त एवं राज्य भाषा आयोग आदि की नियुक्ति करता है |
  • उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति के संबंध में अनुच्छेद – 124 (2) के तहत राष्ट्रपति से अपेक्षा की जाती है कि उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा उच्चतम एवं उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों से परामर्श करें जिनसे ऐसा करना आवश्यक समझे |
  • राष्ट्रपति को मंत्री महान्यायवादी राज्यपाल उच्चतम न्यायालय के प्रतिकूल टिप्पणी पर संघ एवं राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या सदस्य संसद की अनुसंशा पर उच्चतम या उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अथवा निर्वाचन आयुक्त आदि को पदमुक्त करने का अधिकार है |

सैन्य शक्ति

  • राष्ट्रपति सशस्त्र सैन्य बलों का प्रधान होता है तथा तीनों सेनाओं वायु थल एवं जल के अध्यक्षों की नियुक्ति करता है परंतु राष्ट्रपति के अधिकार विधायी नियंत्रण से बाहर नहीं है

राजनीति शक्ति

राजनीति शक्ति का विषय व्यापक है परंतु फिर भी इसके तहत निम्न विषय रखे जा सकते हैं

  • विदेशों से संधियां किया जाना
  • विदेश नीति का निर्धारण
  • विदेश नीति का संचालन
  • अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों में भारत का प्रतिनिधित्व

विधायी शक्ति

  • भारत के राष्ट्रपति की विधायी शक्तियां जिनका प्रयोग अनुच्छेद – 74(1) के तहत मंत्रियों की सलाह पर ही होगा कई प्रकार की हैं तथा उन पर निम्न शीर्षकों के प्रति विचार किया जा सकता है |

संसद का सत्र आहूत करना सत्रावसान विघटन

  • इसके तहत राष्ट्रपति को संसद के सदनों को आहूत करने या उसका सत्रावसान करने तथा लोकसभा का विघटन करने की शक्ति है |
  • गतिरोध हो जाने पर उसे अनुच्छेद – 85 एवं 108 के अनुसार दोनों सदनों की संयुक्त बैठक भी आहूत करने की शक्ति है |

आरंभिक अभिभाषण

  • राष्ट्रपति अनुच्छेद – 87 के अनुसार लोकसभा के साधारण निर्वाचन के पश्चात प्रथम सत्र के आरंभ में एक साथ समवेत संसद के दोनों सदनों में अभिभाषण करेगा और संसद को उसके आह्वान का कारण बताएगा |

सदनों में सदस्यों को नामित करने का अधिकार

  • राष्ट्रपति अनुच्छेद – 80 एक के तहत राज्य सभा में 12 एवं अनुच्छेद – 331 के तहत लोकसभा में दो सदस्यों को नामित कर सकता है |

प्रतिवेदन 

  • बजट सीएजी का प्रतिवेदन वित्त आयोग की सिफारिश तथा विभिन्न आयोगों के प्रतिवेदन से संबंधित दस्तावेज संसद के समक्ष रखने की शक्ति राष्ट्रपति की है |

विधायक के लिए पूर्व मंजूरी

  • संविधान मे यह अपेक्षा की गई है कि कुछ विषयों पर कानून का निर्माण करने के लिए राष्ट्रपति की पूर्व मंजूरी की आवश्यकता है –
  • अनुच्छेद – 3 के अनुसार नए राज्यों के निर्माण का वर्तमान राज्यों की सीमाओं में परिवर्तन करने वाले विधान की सिफारिश करने की अन्यन शक्ति राष्ट्रपति को दी गई है ताकि ऐसा करने के पूर्व प्रभावित राज्यों के विचार प्राप्त कर सकें|
  • अनुच्छेद – 117 (1) के अनुसार धन विधेयक सदन के पटल पर रखने के लिए राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति लेना आवश्यक है |
  • अनुच्छेद – 304 के तहत व्यापार की स्वतंत्रता पर किसी प्रकार का प्रतिबंध अधिरोपित करने वाले विधेयक को सदन के पटल पर रखने के पूर्व राष्ट्रपति की मंजूरी आवश्यक है |

विधेयक कानूनी रूप

  • कोई विधेयक राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद ही कानून का रूप लेता है |

वीटो

  • भारत के राष्ट्रपति को संसद द्वारा पारित विधेयक को पर निषेधाधिकार करने का अधिकार इतना प्रभावशाली नहीं है जितना कि अमेरिका में है |

आत्यंतिक वीटो 

  • जब कभी ऐसी परिस्थिति उत्पन्न होती है कि किसी सरकारी विधेयक को संसद द्वारा पारित कर दिया गया एवं राष्ट्रपति की अनुमति मिलने के पूर्व ही सरकार किसी कारणवश भंग हो गई तथा नहीं सरकार ने उसे रद्द करने की सिफारिश कर दी तो राष्ट्रपति अगर उक्त विधेयक को पारित करना आवश्यक समझे तो उस पर वीटो कर सकता है |

निलंबनकारी वीटो

  • राष्ट्रपति इसका प्रयोग संसद द्वारा पारित विधेयक को एक बार पुनर्विचार करने के लिए भेजकर करता है | 

जेबी वीटो

  • जब राष्ट्रपति संसद द्वारा पारित विधेयक को न तो पुनर्विचार के लिए वापस भेजता है और ना ही उस पर अनुमति देता है और नहीं अनुमति देने से इंकार करता है इस स्थिति में विधेयक राष्ट्रपति की जेब में पड़ा रहता है और उसे जेबी वीटो कहते हैं |
  • इस वीटो का प्रथम प्रयोग 1986 ईस्वी में संसद द्वारा पारित भारतीय डाक संशोधन विधेयक 1986 पर हुआ जब तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह मीणा तो इस पर अनुमति दी और नहीं इनकार किया यह अभी भी राष्ट्रपति की जेब में पड़ा हुआ है |

अध्यादेश जारी करने का अधिकार

  • जब संसद का सत्र न चल रहा हो एवं किसी विधान की तुरंत की आवश्यकता हो तो राष्ट्रपति इस परिस्थिति में अध्यादेश जारी कर सकता है ऐसे अध्यादेशों का वही प्रभाव होता है जो किस संसदीय अधिनियम का होता है |
  • परंतु संसद का सत्र प्रारंभ होने की तिथि से 6 सप्ताह के भीतर इस अध्यादेश को संसद की स्वीकृति मिलना आवश्यक है अन्यथा यह स्वत: निरस्त मान लिया जाता है |
  • इस अध्यादेश का प्रयोग अनुच्छेद – 352 में वर्णित आपात स्थिति के संदर्भ में नहीं किया जा सकता |

क्षमादान का अधिकार

  • भारतीय संविधान भी विश्व के अन्य संविधानों की भांति राष्ट्रीय अध्यक्ष को निम्न  सरकार के व्यक्तियों को अनुच्छेद – 72 के तहत क्षमा करने का अधिकार प्रदान करता है –
  • जिन्हें न्यायालय द्वारा किसी अपराध के लिए विधिवत दंडित किया गया है |
  • उन सभी मामलों में जिन में कोर्ट मार्शल द्वारा दंड दिया गया है |
  • उन सभी मामलों में जहां मृत्यु दंड दिया गया है |
  • इसके तहत राष्ट्रपति दंडित व्यक्ति को पूर्ण क्षमा दे सकता है अथवा उसकी संज्ञा को कम कर सकता है क्षमादान का अधिकार एक अनुग्रह अधिकार है |

राष्ट्रीय आपात

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद – 352 के अनुसार युद्ध, बाह्य आक्रमण एवं आंतरिक उपद्रव की स्थिति में राष्ट्रपति को राष्ट्रीय आपात की उदघोषणा कर सकता है |
  • परंतु ऐसी भी उद्घोषणा अनुच्छेद – 352 (3) के अनुसार राष्ट्रपति तभी कर सकता है जब प्रधानमंत्री के नेतृत्व में मंत्रिमंडल राष्ट्रपति से लिखित रूप में संतुति करें |
  • राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 352 का प्रयोग करने के लिए आवश्यक नहीं है कि युद्ध बाहर आक्रमण आंतरिक उपद्रव हो ही गया हो बल्कि ऐसी आशंका पर भी राष्ट्रीय आपात उद्घोषित कर सकता है |
  • 44 वें संशोधन के अनुसार अनुच्छेद 352 का प्रयोग न्यायिक पुनर्विलोकन के अधीन है |
  • अनुच्छेद 352 की उद्घोषणा के एक माह के भीतर संसद के दोनों सदनों द्वारा इसके समर्थन में संकल्प प्रस्ताव अगर पारित नहीं होता तो राष्ट्रीय आपात की उदघोषणा स्वत: समाप्त हो जाती है |
  • संसद द्वारा अनुमोदित होने के पश्चात राष्ट्रीय आपात की उदघोषणा 6 महीने तक वैध रहती है |
  • इस उद्घोषणा के अधीन संघ को असाधारण कार्यपालिका तथा विधायी शक्तियां प्राप्त रहती हैं प्रांतों की सरकारें संघ सरकार के निर्देशानुसार चलती हैं |
  • राष्ट्रीय आपात के प्रवर्तन अवधि में अनुच्छेद 353 (क) के तहत संघीय कार्यपालिका प्रांतों को किसी भी विषय पर निर्देश दे सकती है जबकि साधारण परिस्थितियों में ऐसा वह सिर्फ अनुच्छेद 256 एवं 257 में विनिर्दिष्ट विषय में ही कर सकती है |
  • राष्ट्रीय आपात के दौरान संसद विधि द्वारा लोकसभा की अवधि में 1 वर्ष की वृद्धि कर सकती है जबकि अनुच्छेद 83 (2) के तहत साधारण परिस्थितियों में 6 महीने के लिए किया जा सकता है |
  • राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संपूर्ण देश या देश के किसी हिस्से में किया जा सकता है अभी तक तीन बार 1962 (चीनी आक्रमण के समय) 1971 (पाकिस्तानी आक्रमण के समय) एवं 1975 (आंतरिक अशांति के नाम पर) राष्ट्रीय आपात लागू हो चुकी हैं |

राष्ट्रपति शासन

  • किसी प्रांत में संवैधानिक तंत्र की विफलता की स्थिति में अनुच्छेद 356 के अधीन राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है |
  • इसकी उद्घोषणा राज्यपाल एवं केंद्रीय मंत्रिमंडल की संस्तुतियों के आधार पर होती है |
  • इस उद्घोषणा के प्रवर्तन काल में राज्य की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति के हाथों में एवं विधायक का शक्ति संसद के हाथों में होती है जब के प्रांतीय न्यायपालिका पूर्व की भांति ही कार्यरत करती है |
  • सांविधानिक तंत्र की विफलता के कारण घोषित राष्ट्रपति शासन की अधिकतम अवधि 3 वर्षों की होती है परंतु 6 महीने पर संसद द्वारा अनुमोदन प्रस्ताव पारित करते रहना आवश्यक है |
  • अभी तक 110 से अधिक बार यह उद्घोषणा हो चुकी है सबसे पहले पंजाब में लागू हुई |

वित्तीय आपात

  • जब देश के वित्तीय साख पर खतरा उत्पन्न हो जाता है तो राष्ट्रपति अनुच्छेद 360 के तहत इस की उद्घोषणा करके सारी वित्तीय शक्तियां के हाथ में ले लेता है| 

राष्ट्रपति का विशेष अभिभाषण (अनुच्छेद 87)

  • आम चुनावों के पश्चात राष्ट्रपति प्रत्येक वर्ष एक अधिवेशन में एक साथ संवेत दोनों सदनों के समक्ष राष्ट्रपति अभिभाषण करता है अभिभाषण में सामान्यतः सरकार की नीतियों का वर्णन रहता है |
  • राष्ट्रपति के अभिभाषण पर नियम 1718 आदि के अंतर्गत संसद के दोनों सदनों में व्यापक चर्चा होती है परंतु इस चर्चा में राष्ट्रपति की प्रत्यक्ष आलोचना नहीं की जाती है |
  • नियम 20 के तहत अभिभाषण की चर्चा के अंत में प्रधानमंत्री द्वारा उत्तर दिया जाता है प्रधानमंत्री के उत्तर के बाद धन्यवाद प्रस्ताव को मतदान के लिए रखा जाता है |
  • नियम 247 के तहत धन्यवाद प्रस्ताव पारित होने के बाद उसकी सूचना लोकसभा अध्यक्ष द्वारा राष्ट्रपति को दी जाती है |
  • सदन में गणपूर्ति अनुच्छेद 100 के अंतर्गत सदन की किसी बैठक के लिए गढ़ मूर्ति कोरम अध्यक्ष या अध्यक्ष के रूप में कार्यकारी व्यक्तिसहित कुल सदस्य संख्या का 1/ 10 भाग होगी 7 लोक सभा की 55 राज्यसभा की 26 होगी |
  • संसद की भाषा अनुच्छेद 120 के अंतर्गत संविधान द्वारा की गई घोषणा के अनुसार संसद का कार्य संचालन हिंदी अंग्रेजी दोनों में होगा परंतु अध्यक्ष किसी सांसद को मातृभाषा में बोलने की अनुमति दे सकता है वर्तमान में संसद में आठवीं अनुसूची में सम्मिलित 22 भाषाओं में से 15 के अनुवादक कार्यरत हैं |
  • नियम 15 सदन को एक बार अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने के बाद उसको पुनः बुलाने की शक्ति अध्यक्ष को प्राप्त है |
  • सदन के स्थगन का किसी कार्य पर विशेष प्रभाव नहीं पड़ता परंतु सत्रावसान होने पर विधेयक प्रस्तुत करने की सूचना के अलावा अन्य सभी सूचनाएं समाप्त हो जाती हैं |

भारत के राष्ट्रपति की सूची

  • डा. राजेन्द्र प्रसाद – 1884 से 1963  (26 जनवरी 1950-13 मई 1962) – भारतीय राष्ट्रीय क्रांग्रेस
  • डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन – 1888 से 1975 (13 मई 1962-13 मई 1967) –  स्वतंत्र
  • डा. जाकिर हुसैन 1897 से 1969 (13 मई 1967-3 मई 1969) – स्वतंत्र
  • वी.वी. गिरी 1894 से 1980 (24 अगस्त 1969-24 अगस्त 1974)- स्वतंत्र
  • फख़रुद्दीन अहमद 1905 से 1977 (24th Aug 1974-11th Feb 1977) – भारतीय राष्ट्रीय क्राग्रेस
  • नीलम संजीवा रेड्डी 1913 से 1996 (25 जुलाई 1977-25 जुलाई 1982) – भारतीय जनता पार्टी
  • गिआनी जेल सिंह  1916 से 1994 (25 जुलाई 1982-25 जुलाई 1987) –  भारतीय राष्ट्रीय क्राग्रेस
  • रामास्वामी वेंकेटरमण  1910 से 2009 (25 जुलाई 1987-25 जुलाई 1992) – भारतीय राष्ट्रीय क्राग्रेस
  • डा.शंकर दयाल शर्मा  1918 से 1999 (25 जुलाई 1992-25 जुलाई 1997) – भारतीय राष्ट्रीय क्राग्रेस
  • के. आर. नारायण  1920 से 2005 (25 जुलाई 1997-25 जुलाई 2002)- स्वतंत्र
  • डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम  1931से 2015 (25 जुलाई 2002-25 जुलाई 2007) – स्वतंत्र
  • श्रीमती प्रतिभा पाटिल 1934 (25 जुलाई 2007-25 जुलाई 2012)- भारतीय राष्ट्रीय क्राग्रेस
  • प्रणव मुखर्जी  1935 (25 जुलाई 2012 से 25 जुलाई 2017) –  भारतीय राष्ट्रीय क्राग्रेस
  • रामनाथ कोविन्द  1945-  (25 जुलाई 2017 से अब तक) भारतीय जनता पार्टी
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