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Short Notes: Other Financial Processes in Parliament (संसद में अन्य वित्तीय प्रक्रिया) | General Awareness/सामान्य जागरूकता - Police SI Exams PDF Download

संसद में बजट और अन्य वित्तीय प्रक्रिया

  • कल्याणकारी संसदीय शासन प्रणाली में ‘जनता के धन’ पर संसद के नियंत्रण की पर्याप्त व्यवस्था की गई है |
  • अनुच्छेद 265 के अंतर्गत कोई भी कर विधि के प्राधिकार से ही अधिरोपित किया जाएगा अन्यथा नहीं |
  • अनुच्छेद 266 के अनुसार भारत की संचित निधि से धन संसद की अनुमति से ही निकाला जाएगा अर्थात विनियोग विधेयक माध्यम से ही धन निकाला जाएगा अन्यथा नहीं |
  • संसद में राष्ट्रपति वित्त मंत्री के माध्यम से प्रतिवर्ष बजट प्रस्तुत करता है सामान्यतः बजट फरवरी माह के अंतिम कार्य दिवस को रखा जाता है |

भारत में बजट के पारित होने की प्रक्रिया निम्न प्रकार है –

  • बजट पेश किया जाना वित्त मंत्री द्वारा बजट लोकसभा में फरवरी माह में प्रस्तुत किया जाता है |
  • बजट पर चर्चा बजट के दूसरे चरण में निम्नलिखित प्रक्रियाएँ अपनाई जाती हैं |
    • प्रथम बजट पर सामान्य चर्चा की जाती है

द्वितीय अनुदानों की मांगों पर चर्चा

  • इस दौरान कटौती प्रस्ताव यथा सांकेतिक(₹100 की कमी की जाए) नीति निर्मोदन (राशि घटाकर ₹1 कर दी जाए) मितव्यई (निश्चित राशि घटाई जाए) पेश किए जाते हैं कटौती प्रस्ताव एक प्रकार के सहायक प्रस्ताव हैं
  • तृतीय विभागों से संबंधित स्थाई समितियों द्वारा छानबीन की जाती है, 1994 से 1995 के बाद प्रत्येक वर्ष मांगे संसद के समक्ष पेश किए जाने के बाद दोनों सदनों को लगभग 1 माह के लिए स्थगित कर दिया जाता है, ताकि संबंधित स्थाई समितियां उनका निरीक्षण कर सके वर्तमान में 24 विभागीय समितियां हैं |
  • चतुर्थ गिलोटिन (समापन की प्रक्रिया) कार्यमंत्रणा समिति किसी मांग विशेष को और बजट सहित अनुदानों की सब मांगो को स्वीकृत करने के लिए समय सीमा निर्धारित करती है जैसे ही किसी मांग की समय सीमा समाप्त होती है, उस पर चर्चा के समापन/गिलोटिन की प्रक्रिया लागू हो जाती है, और मांग को मतदान के लिए रख दिया जाता है | (नियम 362) इस प्रक्रिया को गिलोटिन कहा जाता है इसके साथ ही अनुदान की मांगों पर चर्चा समाप्त हो जाती है |

अनुपूरक अतिरिक्त या अधिक अनुदान

  • अतिरिक्त या अनुपूरक अनुदान का प्रावधान अनुच्छेद 115 के अधीन है |
  • वित्तीय वर्ष की समाप्ति से पूर्व अनुपूरक अनुदानों की मांग सदन में पेश की जाती है और पास की जाती है |
  • अनुपूरक अनुदान की मांगों पर चर्चा प्रस्तुत मांगो तक ही सीमित रहती है |
  • अनुपूरक अनुदान पर चर्चा के दौरान सामान्य शिकायतें व्यक्ति नहीं की जाती हैं |
  • अतिरिक्त या अधिक अनुदान किसी वित्तीय वर्ष के दौरान किसी सेवा पर उस वर्ष के लिए पेश की गई राशि से अधिक राशि खर्च हो तो राष्ट्रपति ऐसी अतिरिक्त राशि के लिए मांग लोकसभा में पेश करवाता है |
  • अतिरिक्त अनुदान की मांगे वास्तव में राशियां खर्च करने के बाद और उस वित्तीय वर्ष के बीत जाने के बाद पेश की जाती है जिससे वे संबंधित हैं |

लेखानुदान, प्रत्ययानुदान और अपवादानुदान

  • अनुच्छेद 116 में लेखानुदान, प्रत्ययानुदान और अपवादानुदान का उल्लेख है
  • लेखानुदान जब सरकार को संसद में बजट पारित करवाने में समय लगता है तो लेखानुदान के अंतर्गत लोकसभा को शक्ति दी गई है कि वह बजट की प्रक्रिया पूरी होने तक वित्त वर्ष के एक भाग के लिए पेशगी अनुदान दे सकती है |
  • सामान्यतः समूचे वार्षिक के लिए अनुमानित व्यय के ⅙  भाग के बराबर 2 माह के लिए राशि का लेखानुदान दिया जाता है |

प्रत्ययानुदान

  • किसी राष्ट्रीय आपात के कारण सरकार को धन की अप्रत्याशित मांग को पूरा करने के लिए निधियों की आवश्यकता हो सकती है |
  • जिसके विस्तृत अनुमान देना शायद संभव ना हो ऐसी स्थिति में सदन बिना द्वारा दिए प्रत्ययानुदान के माध्यम से एकमुश्त धनराशि दे सकता है |

अपवादानुदान

  • अपवादानुदान किसी विशेष प्रयोजन के लिए दिया जाता है जो वित्तीय वर्ष के साधारण खर्च का भाग नहीं होता है |
  • ऐसी स्थिति में सदन उस विशेष प्रयोजन के लिए अलग धनराशि दे सकता है तथापि ऐसी कोई मांग संसद में पेश नहीं की गई है |

संसदीय समितियां

  • संसद एक वृहद निकाय है जो अपने समक्ष आने वाले मुद्दों पर प्रभावी रूप से विचार करती है तथा उसके कार्य भी अत्यंत जटिल हैं |
  • अतः पर्याप्त समय और विशेषज्ञता के अभाव में संसद अपने वैधानिक उपाय और अन्य मामलों को गहन जांच विभिन्न संसदीय समितियों के सहयोग से करती है |
  • भारत में संसदीय समितियां दो प्रकार की होती हैं –
    • तदर्थ समिति जो अस्थाई होती है विशेष कार्यों को संपन्न कराने के लिए बनाई जाती है |
    • स्थाई समिति भारत में अनेक स्थाई समितियां हैं, जो सदैव कार्य करती हैं | 

बजट के प्रकार

  • जेंडर आधारित बजट 2005 -06 में शुरू हुआ था जिसके अंतर्गत 18 केंद्रीय मंत्रालय ने अपने प्रस्तावित बजट के अधीन बजट प्रावधान और योजना में महिलाओं को प्राथमिकता देते हुए इन प्रावधानों को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करना होगा |
  • शून्य आधारित बजट इस बजट में पुराने कार्यक्रम मद को शून्य मानते हुए योजनाओं पर नए सिरे से विचार किया जाता है |
  • आउटकम बजट 2005-06 में भारत में 44 मंत्रालयों और उनसे संबंधित विभागों ने अपनाया इस में विभिन्न योजनाओं का परिणाम देखा जाता है इसमें प्राप्त हुए लक्ष्य और उद्देश्यों की प्राप्ति को देखा जाता है |
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