1. पूर्ण विराम ( | ) – Purn Viram Chinh
( | ) पूर्ण विराम का प्रयोग वाक्य पूरा होने पर किया जाता है | जहाँ प्रश्न पूछा जाता हो उसे छोड़कर हर प्रकार के वाक्यों के अन्त में इसका प्रयोग होता है |
जैसे –
2. अर्धविराम ( ; ) – Ardh Viram Chinh
जहाँ पूर्ण विराम जितनी देर न रुककर उससे कुछ कम समय रुकना हो वहाँ अर्ध विराम का प्रयोग किया जाता है |
जैसे – भगतसिंह नहीं रहे; वे अमर हो गए |
(i) वाक्य के ऐसे उपवाक्यों को अलग करने में जिनके भीतर अल्प विराम का प्रयोग हुआ है |
जैसे- ‘ध्रुवस्वामिनी’ में एक ओर ध्रुवस्वामिनी, मन्दाकिनी, कोमा आदि स्त्री पात्र हैं; दूसरी ओर रामगुप्त, चन्द्रगुप्त, शिखरस्वामी आदि पुरुष पात्र हैं |
(ii) मिश्र तथा संयुक्त वाक्य में विपरीत अर्थ प्रकट करने या विरोध पूर्ण कथन प्रकट करने वालों उपवाक्यों के बीच में |
जैसे – जो पेड़ों के पत्थर मारते हैं; वे उन्हें फल देते हैं |
3. अल्पविराम ( , ) – Alp Viram Chinh
4. प्रश्नसूचक चिह्न (?) – Prashan suchak Chinh
प्रश्न सूचक चिह्न का प्रयोग प्रश्नवाचक वाक्यों या शब्दों के अन्त में किया जाता है |
जैसे -
5. विस्मय सूचक चिह्न (!) – Vismay suchak Chinh
खुशी, हर्ष, घृणा, दुख, करुणा, दया, शोक, विस्मय आदि भावों को प्रकट करने के लिए इस चिह्न का प्रयोग किया जाता है | सम्बोधन के बाद भी इसका प्रयोग किया जाता है |
जैसे -
6. योजक चिह्न (-) – Yojak chinh
इस प्रकार के चिह्न का प्रयोग युग्म शब्दों के मध्य या दो शब्दों में संबंध स्पष्ट करने के लिए तथा शब्दों को दोहराने की स्थिति में किया जाता है | जैसे – पीला – सा, खेलते – खेलते, सुख-दुख |
जैसे –
7. निर्देशक चिह्न (─) – Nirdeshak chinh
किसी भी निर्देश या सूचना देने वाले वाक्य के बाद या किसी कथन को उद्धृत करने, उदाहरण देने, किसी का नाम, (कवि, लेखक आदि का) लिखने के लिए किया जाता है |
जैसे –
8. उद्धरण चिह्न (” “) – Udharan Viram Chinh
किसी के कहे कथन या वाक्य को या किसी रचना के अंश को ज्यों का त्यों प्रस्तुत करना हो तो कथन के आदि और अंत में इस चिह्न का प्रयोग किया जाता है |
उद्धरण चिह्न दो प्रकार के होते हैं – इकहरे (‘ ‘) तथा दोहरे (” “) इकहरे चिह्न का प्रयोग विशेष व्यक्ति, ग्रन्थ, उपनाम आदि को प्रकट करने के लिए किया जाता है |
जबकि किसी की कही बात को ज्यों की त्यों लिखा जाए तो दोहरे उद्धरण चिह्न का प्रयोग करते हैं |
जैसे –
9. विवरण चिह्न(:-) – Vivaran Chinh
इसका प्रयोग विवरण या उदाहरण देते समय किया जाता है |
जैसे –
10. कोष्ठक : ( ), { }, [ ] – Kostak Chinh
11. त्रुटिपूरक चिह्न या हंसपद ( ^ ) – Hanspad Chinh
लिखते समय कोई शब्द छूट जाता है तो इस चिह्न को लगाकर ऊपर छूटा हुआ शब्द लिख दिया जाता है | इस चिह्न को हंसपद भी कहते हैं |
जैसे-
12. संक्षेप सूचक ( 0 ) – Sankshep suchak Viram Chinh
किसी शब्द को संक्षेप में लिखने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है | उस शब्द का पहला अक्षर लिखकर उसके आगे बिंदु (0) लगा देते हैं | यह शून्य लाघव चिह्न के नाम से भी जाना जाता है |
जैसे –
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