1. कालवाचक क्रियाविशेषण: जिस क्रियाविशेषण शब्द से क्रिया के काल यानी समय का पता चले उसे कालवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं;
जैसे: अंशु अभी गई है।
2. स्थानवाचक क्रियाविशेषण: जिस क्रियाविशेषण से क्रिया के होने के स्थान या दिशा के बारे में पता चले उसे स्थान वाचक क्रियाविशेषण कहते हैं। इसका पता लगाने के लिए क्रिया के साथ कहाँ लगाकर प्रश्न किया जाता है;
जैसे: हरियाली चारों ओर फैली है। हरियाली कहाँ फैली है-चारों ओर
3. रीतिवाचक क्रियाविशेषण: जो शब्द क्रिया के होने की रीति या ढंग का बोध कराते हैं, उन्हें रीतिवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं;
जैसे:
4. परिमाणवाचक क्रियाविशेषण: जिस शब्दों से क्रिया के परिमाण (मात्री) का बोध हो, उन्हें परिणामवाचक क्रियाविशेषण कहते
समुच्चयबोधक के भेद
समुच्चयबोधक के दो भेद होते हैं
1. समानाधिकरण समुच्चयबोधक: दो या दो से अधिक समान पदों, उपवाक्यों या वाक्यों को आपस में जोड़ने वाले शब्दों को समानाधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं;
जैसे: या, न बल्कि, इसलिए, और, तथा आदि;
जैसे:
आयुष व नेहा भाई बहन हैं।
मैंने कोशिश तो की, लेकिन काम नहीं बना। रामायण तथा महाभारत काव्य हैं।
उपर्युक्त वाक्यों में और, लेकिन, व, तथा दो समान पदों के उपवाक्यों तथा वाक्यों को जोड़ रहे हैं।
2. व्यधिकरण समुच्चयबोधक: एक अथवा एक से अधिक आश्रित उपवाक्यों को आपस में जोड़ने वाले शब्द व्यधिकरण समुच्चयबोधक कहलाते हैं;
जैसे: तथापि, यद्यपि, कि, क्योंकि, ताकि आदि। जैसे- अभी से परीक्षा की तैयारी करो, ताकि अच्छे अंक ला सको।
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