वाक्य में आए शब्दों को व्याकरण की भाषा में पद कहते हैं। वाक्य के अंग रचना की दृष्टि से वाक्य के दो अंग होते हैं:
उद्देश्य के दो अंग होते हैं:
निम्नलिखित वाक्यों को पढ़िए:
ऊपर के वाक्यों में “अजीत के भाई”, “अजीत के छोटे भाई ने”, “अजीत के छोटे भाई राजेश ने” “उद्देश्य” है। अतः स्पष्ट है कि उद्देश्य कभी एक शब्द का है, कभी एक से अधिक शब्दों का भी। जब उद्देश्य में एक से अधिक शब्द होते हैं, तो उनमें जो शब्द उद्देश्य के बारे में अधिक जानकारी देता है या उसकी विशेषता बताता है, उसे कर्त्ता का विस्तार कहते हैं। ऊपर के वाक्य में “अजीत के” “अजीत के छोटे भाई”, कर्ता का विस्तार है।
इन वाक्यों में पुस्तक खरीदी, पाठ याद कर रहा है, विधेय है।
उपर्युक्त वाक्यों में कर्ता या उद्देश्य को अलग करने के बाद जो कुछ शेष रह जाता है, वह विधेय कहलाता है।
विधेय के निम्नलिखित अंग होते हैं:
1. कर्म: जिस पर क्रिया के व्यापार का फल पड़े,
जैसे: “प्रणव ने पुस्तक दी”। वाक्य में पुस्तक कर्म है।
2. कर्म का विस्तार: यदि कोई शब्द कर्म की विशेषता बताने के लिए प्रयोग किया जाता है, तो उसे कर्म का विस्तार कहते हैं मिठाइयाँ बना रहा है।
जैसे: “राम ने एक नई पुस्तक दी” – इस वाक्य में “पुस्तक” कर्म है तथा “एक नई” कर्म की विशेषता बताने वाले शब्द हैं। अतः ये कर्म का विस्तार है।
3. क्रिया: जिस शब्द से किसी कार्य का करना या होना पाया जाए, उसे क्रिया कहते हैं।
जैसे: आचार्य ने उस छात्र को पढ़ाया। इस वाक्य में पढ़या क्रिया है।
4. क्रिया का पूरक: कुछ क्रियाएँ अपने अर्थ को पूरा करने के लिए पूरक भी रखती हैं,
जैसे इन वाक्यों को देखिए:
इन वाक्यों में “हैं” तथा “बनाया” क्रियाएँ हैं।
5. विधेयवर्धक: क्रिया, क्रिया का पूरक, कर्म, कर्म का विस्तार छाँटने के बाद जो भी शेष बच जाता है, वह विधेयवर्धक कहलाता है।
जैसे: अंशु ने अपने जन्मदिन पर कक्षा में टॉफियाँ बाँटी।
जैसे:
2. निषेधवाचक वाक्य: जिन वाक्यों में क्रिया के करने या होने का सामान्य कथन हो, उन्हें निषेधवाचक वाक्य कहा जाता है।
जैसे:
3. प्रश्नवाचक वाक्य: जब वाक्यों में प्रश्न पूछा जाए तो उन्हें प्रश्नवाचक वाक्य कहते हैं।
जैसे:
4. इच्छावाचक वाक्य: जब किसी वाक्य में इच्छा प्रकट होती हो तो उसे इच्छावाचक वाक्य कहते हैं।
जैसे:
5. संदेहवाचक वाक्य: ऐसे वाक्य जिनसे कार्य के होने-न होने के प्रति संदेह या संभावना प्रकट होती है, उन्हें संदेहवाचक वाक्य कहते है।
जैसे:
6. आज्ञावाचक वाक्य: जिन वाक्यों से आज्ञा, आदेश, अनुमति या अनुरोध का बोध हो, उन्हें आज्ञावाचक कहते हैं।
जैसे:
7. संकेतवाचक वाक्य: जब किसी वाक्य में एक क्रिया का होना दूसरी क्रिया पर निर्भर करता हो, उन्हें संकेतवाचक वाक्य कहते हैं।
जैसे:
8. विस्मयादिवाचक वाक्य: जब किसी वाक्य में विस्मय (आश्चर्य, हर्ष, शोक, घृणा) आदि का बोध होता है, तो उन्हें विस्मयादिवाचक कहते हैं।
जैसे:
1. सरल वाक्य: जिस वाक्य में केवल एक ही उद्देश्य और एक ही विधेय हो, उसे सरल या साधारण वाक्य कहते हैं।
जैसे:
2. संयुक्त वाक्य: जिन वाक्यों के सभी उपवाक्य समान स्तर के होते हैं, उन्हें संयुक्त वाक्य कहते हैं। संयुक्त वाक्य आपस में समुच्चयबोधक शब्दों से जुड़े होते हैं। इनमें कोई वाक्य किसी पर आश्रित नहीं होता है। दोनों वाक्य स्वतंत्र होते हैं।
जैसे:
3. मिश्रित वाक्य: जिस वाक्य में एक से अधिक वाक्य मिले हों तथा उनमें से एक वाक्य प्रधान और अन्य वाक्य गौण अथवा उस पर आश्रित हो, तो उसे मिश्रित वाक्य कहा जाता है।
जैसे:
29 videos|73 docs|33 tests
|
|
Explore Courses for Class 7 exam
|