Class 10 Exam  >  Class 10 Notes  >  Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan)  >  Long Questions: तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र

Long Questions: तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र | Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan) PDF Download

प्रश्न 1: 'तीसरी कसम' में राजकपूर और वहीदा रहमान का अभिनय लाजवाब था । स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
जिस समय फ़िल्म 'तीसरी कसम' के लिए राजकपूर ने काम करने के लिए हामी भरी वे अभिनय के लिए प्रसिद्ध एवं लोकप्रिय हो गए थे। इस फ़िल्म में राजकपूर ने 'हीरामन ' नामक देहाती गाड़ीवान की भूमिका निभाई थी। फ़िल्म में राजकपूर का अभिनय इतना सशक्त था कि हीरामन में कहीं भी राजकपूर नज़र नहीं आए। इसी प्रकार छींट की सस्ती साड़ी में लिपटी हीराबाई' का किरदार निभा रही वहीदा रहमान का अभिनय भी लाजवाब था जो हीरामन की बातों का जवाब जुबान से । नहीं आँखों से देकर वह सशक्त अभिव्यक्ति प्रदान की जिसे शब्द नहीं कह सकते थे। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि फ़िल्म 'तीसरी कसम' में राजकपूर और वहीदा रहमान का अभिनय लाजवाब था।

प्रश्न 2: हिंदी फ़िल्म जगत में एक सार्थक और उद्देश्यपरक फ़िल्म बनाना कठिन और जोखिम का काम है ।' स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर: 
हिंदी फ़िल्म जगत की एक सार्थक और उद्देश्यपरक फ़िल्म है तीसरी कसम, जिसका निर्माण प्रसिद्ध गीतकार शैलेंद्र ने किया । इस फ़िल्म में राजकपूर और वहीदा रहमान जैसे प्रसिद्ध सितारों का सशक्त अभिनय था । अपने जमाने के मशहूर संगीतकार शंकर जयकिशन का संगीत था जिनकी लोकप्रियता उस समय सातवें आसमान पर थी । फ़िल्म के प्रदर्शन के पहले ही इसके सभी गीत लोकप्रिय हो चुके थे। इसके बाद भी इस महान फ़िल्म को कोई न तो खरीदने वाला था और न इसके वितरक मिले। यह फ़िल्म कब आई और कब चली गई मालूम ही न पड़ा, इसलिए ऐसी फ़िल्में बनाना जोखिमपूर्ण काम है।

प्रश्न 3: 'राजकपूर जिन्हें समीक्षक और कलामर्मज्ञ आँखों से बात करने वाला मानते हैं' के आधार पर राजकपूर के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिए ।
उत्तर: 
राजकपूर हिंदी फ़िल्म जगत के सशक्त अभिनेता थे। अभिनय की दुनिया में आने के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वे उत्तरोत्तर सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ते गए और अपने अभिनय से नित नई ऊचाईयाँ छूते रहे । संगम फ़िल्म की अद्भुत सफलता से उत्साहित होकर उन्होंने एक साथ चार फ़िल्मों के निर्माण की घोषणा की। ये फ़िल्में सफल भी रही। इसी बीच राजकपूर अभिनीत फ़िल्म 'तीसरी कसम' के बाद उन्हें एशिया के शोमैन के रूप 'जाना जाने लगा। इनका अपना व्यक्तित्व लोगों के लिए किंवदंती बन चुका था । वे आँखों से बात करने वाले कलाकार जो हर भूमिका में जान फेंक देते थे । वे अपने रोल में इतना खो जाते थे कि उनमें राजकपूर कहीं नज़र नहीं आता था । वे सच्चे इंसान और मित्र भी थे, जिन्होंने अपने मित्र शैलेंद्र की फ़िल्म में मात्र एक रुपया पारिश्रमिक लेकर काम किया और मित्रता का आदर्श प्रस्तुत किया।

प्रश्न 4: एक निर्माता के रूप में बड़े व्यावसायिक सूझबूझ वाले व्यक्ति भी चक्कर खा जाते हैं। फिर भी शैलेंद्र फ़िल्म क्यों बनाई ? तर्क सहित उत्तर दीजिए ।
उत्तर: 
एक फ़िल्म निर्माता के रूप में बड़े व्यावसायिक सूझ-बूझ वाले व्यक्ति भी चक्कर खा जाते हैं क्योंकि उन्हें बहुत सोच समझकर फ़िल्म का निर्माण करना पड़ता है। उनका उद्देश्य 'लाभ कमाना' होता है। ‘धन-लिप्सा’ ही उनकी मनोवृत्ति होती है । शैलेंद्र ने 'आत्म संतुष्टि' व 'सुख' के लिए फ़िल्म का निर्माण किया था। व्यावसायिक सूझ-बूझ वाले लोग पैसा कमाने के लिए सस्ती लोकप्रियता को अधिक महत्त्व देते हैं, परंतु शैलेंद्र ने अपनी फ़िल्म में सस्ती लोकप्रियता के तत्त्वों को कोई महत्त्व नहीं दिया। शैलेंद्र अच्छी फ़िल्म बनाने की कला तो जानते थे, किंतु वे जनता को लुभाने की कला नहीं जानते थे । यद्यपि फ़िल्म-निर्माता के रूप में शैलेंद्र सर्वथा अयोग्य थे, फिर भी उन्होंने आत्मिक संतुष्ट व 'आत्मिक सुख' के लिए फ़िल्म का निर्माण किया।

प्रश्न 5: 'तीसरी कसम' फ़िल्म की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए ।
उत्तर:
'तीसरी कसम' फ़िल्म सैल्यूलाइड पर लिखी कविता थी । इस फ़िल्म की कहानी मार्मिकता एक कविता के समान है। इस फ़िल्म में मूल साहित्यिक रचना को उसी रूप में प्रस्तुत किया गया। इस फ़िल्म के गीत बहुत लोकप्रिय हुए। इसके गीत दुरूह नहीं थे। ये सभी गीत सहज व भाव-प्रवण थे, वे संदेशप्रद थे। इस फ़िल्म में राजकपूर व वहीदा रहमान जैसे महान कलाकारों ने अभिनय किया है। इस फ़िल्म तथा गीतों को शंकर-जयकिशन जैसे महान संगीतकार ने संगीत दिया जो प्रसारण से पूर्व ही अत्यंत लोकप्रिय हो गए । 'तीसरी कसम' फ़िल्म में अन्य फ़िल्मों की तरह चकाचौंध के बजाए, सहज लोकशैली को अपनाया गया। इस फ़िल्म ने अपने गीत-संगीत, कहानी आदि के लिए प्रसिद्धि प्राप्त की । इस फ़िल्म में अपने ज़माने के सबसे बड़े शोमैन राजकपूर ने अपने जीवन का सबसे बेहतरीन अभिनय कर सबको हैरान कर दिया। इस फ़िल्म को उनके अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया । यह फ़िल्म जिंदगी से जुड़ी हुई है। फ़िल्मी सफर में इसे मील का पत्थर माना गया है। आज भी इस फ़िल्म की गणना हिंदी की अमर फ़िल्मों में की जाती है। प्रश्न 11.

प्रश्न 6. 'तीसरी कसम' फ़िल्म में दुख के भाव को किस प्रकार प्रस्तुत किया गया है? दुख के वीभत्स रूप से यह दुख किस प्रकार भिन्न है? लिखिए ।
उत्तर:
'तीसरी कसम' फिल्म में दुख के भाव को सहज स्थिति में प्रकट किया गया है। इस फ़िल्म में दुखों को जीवन के सापेक्ष रूप में प्रस्तुत किया है। दुख के वीभत्स रूप से यह सर्वथा भिन्न है क्योंकि यहाँ दुखों से घबराकर लोग पीठ नहीं दिखाते। दुखों से हमें घबराना नहीं चाहिए। दुखों का साहसपूर्वक सामना करना चाहिए। दुख के इस रूप को देखकर मनुष्य 'व्यथा' व 'करुणा' को सकारात्मक ढंग से स्वीकार करता है । वह दुखों से परास्त नहीं होता, निराश नहीं होता। इस फ़िल्म में दुख की सहज स्थिति लोगों को आशावादी बनाती है ।

प्रश्न 7: 'तीसरी कसम' सभी गुणों से पूर्ण होने के बाद भी जनता की भीड़ क्यों नहीं जुटा पाई? तर्क संगत उत्तर दीजिए ।
उत्तर:
'तीसरी कसम' फ़िल्म एक महान फ़िल्म थी, परंतु इस फ़िल्म को अधिक वितरक नहीं मिल सके । यद्यपि इस फ़िल्म में नामज़द सितारों ने काम किया था फिर भी इस फ़िल्म को खरीदने वाला कोई नहीं था। दरअसल, इस फ़िल्म की संवेदना दो से चार बनाने का गणित जानने वालों की समझ से परे थी। इस फ़िल्म में दुखों को ग्लोरीफाई करके नहीं दिखाया गया। इस फ़िल्म में दर्शकों की भावनाओं का शोषण नहीं किया गया। इस फ़िल्म में किसी भी प्रकार के अनावश्यक मसाले नहीं डाले गए थे इसलिए इस फ़िल्म के लिए भीड़ जुट नहीं पाई। यही अनावश्यक मसाले जो फ़िल्म के पैसे वसूल करने के लिए आवश्यक होते हैं, इस फ़िल्म में डाले नहीं गए थे। यह एक शुद्ध साहित्यिक फ़िल्म थी जिसमें लोकप्रियता के तत्वों का अभाव होने के कारण वितरकों ने इस फ़िल्म को खरीदने में रुचि नहीं दिखाई। वस्तुतः वितरक पैसा कमाने को महत्त्व देते थे। वे अच्छी फ़िल्म को महत्त्व नहीं देते थे। मुख्यतः 'तीसरी कसम' फ़िल्म में जनरुचि और लोकप्रियता के तत्वों का ध्यान नहीं रखा गया था क्योंकि शैलेंद्र को फ़िल्म निर्माण करने की कला का अनुभव नहीं था। शैलेंद्र ने फ़िल्म में 'करुणा' व संवेदना की गहराई पर तो ध्यान दिया, परंतु इसे अधिक आकर्षक बनाने के लिए उन्होंने किसी झूठ का सहारा नहीं लिया। इस फ़िल्म की करुणा किसी तराजू पर तौली जा सकने वाली चीज़ नहीं थी। इसीलिए गीत इस फ़िल्म के प्रदर्शित होने से पहले लोकप्रिय हो गए, फिर भी यह फ़िल्म लोगों की भीड़ जुटा नहीं पाई । उत्कृष्ट कलात्मकता अत्यंत लोकप्रिय संगीत, प्रसिद्ध अभिनेता व अत्यंत नामज़द अभिनेत्री के बावजूद ये फ़िल्म लोगों की भीड़ नहीं जुटा पाई।

प्रश्न 8: प्राचीन काल में भारतीय साहित्य में गीत और संगीत किस तरह का महत्व रखते थे? इस संदर्भ में शैलेंद्र के योगदान का उल्लेख कीजिए।
उत्तर: 
प्राचीन काल में भारतीय साहित्य में गीत और संगीत को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता था। गीत और संगीत के माध्यम से भावनाओं को अद्वितीय रूप में प्रकट किया जाता था और लोगों के दिलों में समानता और एकता की भावना को स्थापित किया जाता था। शैलेंद्र भी अपने गीतों के माध्यम से भारतीय संस्कृति और भावनाओं को उनकी अद्वितीयता में प्रकट करने का प्रयास करते थे।

प्रश्न 9: शैलेंद्र का गीतकारी में योगदान कैसे विशिष्ट था? उनके गीतों की मुख्य विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
शैलेंद्र गीतकारी में विशेष थे क्योंकि उनके गीत न केवल संगीतिक दृष्टिकोण से बल्कि भावनाओं के प्रति भी संवेदनशीलता से भरपूर थे। उनके गीतों में सामाजिक संदेश, प्रेम, आध्यात्मिकता आदि के विभिन्न पहलुओं का संवेदनशीलता से प्रस्तुतिकरण होता था। उनके गीतों का व्यक्तिगतता और जीवन के मामूल्यों के प्रति उनकी आसक्ति उनके गीतों के माध्यम से स्पष्ट दिखती थी।

प्रश्न 10: शैलेंद्र के गीतों में सामाजिक संदेश कैसे प्रकट होते थे? उनके गीतों से हमें कौन-कौन से सामाजिक मुद्दे दिखते हैं?
उत्तर:
शैलेंद्र के गीतों में सामाजिक संदेश अत्यंत प्रभावशाली रूप से प्रकट होते थे। उनके गीतों में गरीबी, असहमति, समाज में बदलाव, सामाजिक न्याय, आदिक के मुद्दे प्रमुख रूप से दिखते थे। उन्होंने अपने गीतों के माध्यम से समाज में जागरूकता फैलाने का प्रयास किया और लोगों को सामाजिक सुधार के प्रति प्रेरित किया।

The document Long Questions: तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र | Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan) is a part of the Class 10 Course Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan).
All you need of Class 10 at this link: Class 10
16 videos|201 docs|45 tests

Top Courses for Class 10

16 videos|201 docs|45 tests
Download as PDF
Explore Courses for Class 10 exam

Top Courses for Class 10

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

Long Questions: तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र | Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan)

,

Objective type Questions

,

ppt

,

Important questions

,

Sample Paper

,

Long Questions: तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र | Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan)

,

study material

,

MCQs

,

past year papers

,

shortcuts and tricks

,

video lectures

,

mock tests for examination

,

Semester Notes

,

Extra Questions

,

Summary

,

pdf

,

Exam

,

Previous Year Questions with Solutions

,

Free

,

Long Questions: तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र | Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan)

,

Viva Questions

,

practice quizzes

;