प्रश्न 1: ‘हरिहर काका’ नामक पाठ में लेखक ने ठाकुरबारी की स्थापना एवं उसके बढ़ते कलेवर के बारे में क्या बताया है?
उत्तर: ‘हरिहर काका’ नामक पाठ में लेखक ने ठाकुरबारी की स्थापना एवं उसके विशाल होते कलेवर के बारे में बताया है कि पहले जब गाँव पूरी तरह बसा नहीं था तभी कहीं से एक संत आकर इस स्थान पर झोंपड़ी बना रहने लगे थे। वह सुबहशाम यहाँ ठाकुर जी की पूजा करते थे। लोगों से माँगकर खा लेते थे और पूजा-पाठ की भावना जाग्रत करते थे। बाद में लोगों ने चंदा करके यहाँ ठाकुर जी का एक छोटा-सा मंदिर बनवा दिया। फिर जैसे-जैसे गाँव बसता गया और आबादी बढ़ती गई, मंदिर के कलेवर में भी विस्तार होता गया। लोग ठाकुर जी को मनौती मनाते कि पुत्र हो, मुकदमे में विजय हो, लड़की की शादी अच्छे घर में तय हो, लड़के को नौकरी मिल जाए। फिर इसमें जिनको सफलता मिलती, वह खुशी में ठाकुर जी पर रुपये, जेवर, अनाज चढ़ाते। अधिक खुशी होती तो ठाकुर जी के नाम अपने खेत का एक छोटा-सा टुकड़ा लिख देते। यह परंपरा आज तक जारी है। इससे ठाकुरबारी का विकास हज़ार गुना अधिक हो गया।
प्रश्न 2: ठाकुरबारी से घर लौटने पर हरिहर काका के प्रति घर वालों का व्यवहार क्यों बदल गया ?
उत्तर: ठाकुरबारी से घर लौटने पर हरिहर काका के प्रति घरवालों का व्यवहार बदल गया क्योंकि उनके भाई उनकी जायदाद लेना चाहते थे इसलिए उनके भाई काका का अचानक आदर-सम्मान और सुरक्षा प्रदान करने लगे थे । हरिहर काका को अब दालान में नहीं, बल्कि एक बहुमूल्य वस्तु की तरह सँजोकर, छिपाकर घर के अंदर रखा गया था। उनकी सुरक्षा के लिए अपने रिश्तेदारों के यहाँ से अनेक सूरमाओं को बुला लिया गया । हथियार जुटा लिए गए थे। चौबीसों घंटे पहरे दिए जाने लगे थे क्योंकि उन्हें डर था कि किसी भी समय ठाकुरबारी के लोग हमला करके हरिहर काका को उठा न ले जाएँ। अगर किसी आवश्यक काम से हरिहर काका घर से बाहर गाँव में निकलते तो चार-पाँच लोग हथियारों से लैसे होकर उनके आगे-पीछे चलते। रात में चारों तरफ़ से घेरकर सोते । भाइयों ने डयूटी बाँट ली थीं। आधे लोग सोते तो आधे लोग जागकर पहरा देते रहते थे। रिश्ते-नाते के लोग उनको समझाने भी लगे थे कि अपनी ज़मीन अपने भतीजों के नाम लिख दें।
प्रश्न 3: ‘हरिहर काका के गाँव के लोग ठाकुरबारी और ठाकुर जी के प्रति अगाध भक्ति-भावना रखते हैं।’ हरिहर काका पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: यूँ तो ठाकुरबारी में सदा ही भजन-कीर्तन होता रहता है, पर बाढ़ या सूखा जैसी आपदा की स्थिति में वहाँ तंबू लग जाता है और अखंडकीर्तन शुरू हो जाता है। इसके अलावा गाँव में पर्व-त्योहार की शुरुआत ठाकुरबारी से ही होती है। होली में सबसे पहले गुलाल ठाकुरजी को ही चढ़ाया जाता है। दीवाली का पहला दीप ठाकुरबारी में ही जलता है। जन्म, शादी और जनेऊ के अवसर पर अन्न-वस्त्र की पहली भेट ठाकुर जी के नाम की जाती है। ठाकुरबारी के ब्राह्मण-साधु व्रत-कथाओं के दिन घर-घर घूमकर कथावाचन करते हैं। लोगों के खलिहान में जब फ़सल की मड़ाई होकर अनाज की ढेरी’ तैयार हो जाती है, तब ठाकुर जी के नाम का एक भाग’ निकालकर ही लोग अनाज अपने घर ले जाते हैं।
प्रश्न 4: महंत द्वारा हरिहर काका का अपहरण महंत के चरित्र की किस सच्चाई को सामने लाता है तथा आपके मन में इससे ठाकुरबारी जैसी संस्थाओं के प्रति कैसी धारणा बनती है? बताइए ।
उत्तर: महंत द्वारा हरिहर काका का अपरण करवाना उसकी दबंगाई, मौकापरस्ती, लालची, और अनैतिक कार्य करने के लिए तत्पर रहने वाले व्यक्ति की छवि हमारे सामने उभरती है। जो साधु के वेश में ठग है। ऐसे धूर्त लोगों को देख कर, हमारे मन में ठाकुरबारी सदृश संस्थाओं के लिए यही धारणा बनती है कि बदलते परिवेश के साथ ये भ्रष्टाचार के अड्डे बन गए हैं। अब यहाँ जाकर मनुष्य की आत्मा धैर्य, सुख, शांति प्राप्त नहीं करती। वह इस बात से भयभीत रहती है कि कहीं हरिहर काका जैसी स्थिति हमारी भी न हो जाए। लोभ-लालच और षड्यंत्रों में फँसे साधु-संतों के आचरण से युवा पीढ़ी पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। धार्मिक संस्थाओं और समाज की उच्च आदर्शवादिता से उनका विश्वास उठने लगता है जो किसी भी समाज के लिए हितकारी नहीं है।
प्रश्न 5: लोभी महंत एक ओर हरिहर काका को यश और बैकुंठ का लोभ दिखा रहा था तो दूसरी ओर पूर्व जन्म के उदाहरण द्वारा भय भी दिखा रहा था। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: हरिहर काका को समझाते हुए लोभी महंत कह रहा था कि तुम अपने हिस्से की जमीन ठाकुरबारी के नाम लिखकर स्वर्ग प्राप्त करोगे। तुम्हारी कीर्ति तीनों लोकों में फैल जाएगी और सूरज-चाँद के रहने तक तुम्हारा नाम अमर हो जाएगा। इससे साधु-संत भी तुम्हारे पाँव पखारेंगे। सभी तुम्हारा यशोगान करेंगे और तुम्हारा जीवन सार्थक हो जाएगा। ठाकुर जी के साथ ही तुम्हारी भी आरती गाई जाएगी। महंत उनसे कह रहा था कि पता नहीं पूर्वजन्म में तुमने कौन-सा पाप किया था कि तुम्हारी दोनों पत्नियाँ अकाल मृत्यु को प्राप्त हुईं। तुमने औलाद का मुँह तक नहीं देखा। अपना यह जन्म तुम अकारथ न जाने दो। ईश्वर को एक भर दोगे तो दस भर पाओगे। मैं अपने लिए तो तुमसे माँग नहीं रहा हूँ। तुम्हारा यह लोक और परलोक दोनों बन जाएँ, इसकी राह तुम्हें बता रहा हूँ।
प्रश्न 6: हरिहर काका के साथ उनके भाइयों तथा ठाकुरवाड़ी के महंत ने कैसा व्यवहार किया? क्या आप इसे उचित मानते हैं। तर्क सहित लिखिए ।
उत्तर: काका के साथ उनके भाइयों ने तथा ठाकुरवारी के महंत ने बहुत बुरा व्यवहार किया। उनकी नज़र काका की ज़मीन पर थी । पहले तो उन दोनों ने काका की देखभाल की, काका की आवभगत की, परंतु उन्हें जब यह यकीन हो गया कि काका जीते-जी अपनी ज़मीन किसी के नाम नहीं करेंगे, तो वे दोनों काका की जान के दुश्मन बन गए।
ठाकुरवारी के महंत ने काका को मारा और ज़बरदस्ती सादे तथा कुछ लिखे हुए कागज़ों पर उनके अंगूठे के निशान ले लिए। इसी प्रकार काका के भाइयों व उनकी पत्नियों ने काका के साथ हाथापाई की। अगर पुलिस नहीं आती, तो परिवार वाले काका की हत्या भी कर देते । अतः यह स्पष्ट कहा जा सकता है। कि उन दोनों का ही व्यवहार क्रूर व संवेदनहीन था और काका के प्रति उनका व्यवहार निंदनीय, अमानवीय अनुचित था ।
प्रश्न 7: हरिहर काका के लिए उनकी ज़मीन जी का जंजाल कैसे बन गई?
उत्तर: हरिहर काका के पास पंद्रह बीघे ज़मीन थी । हरिहर काका की अपनी कोई संतान नहीं थी इसलिए सबकी नज़र हरिहर काका की ज़मीन पर थी । हरिहर काका के तीनों भाइयों एवं उनके परिवार वालों की बुरी नज़र हरिहर काका की ज़मीन पर थी। उन सभी लोगों की लालच की भावना इतनी बढ़ गई थी कि वे सभी हरिहर काका की लम्बी उम्र की दुआ करने के बजाए उनकी मृत्यु की प्रतीक्षा करने लगे । हरिहर काका उन्हें बोझ लगने लगे । अवसर देखकर गाँव के ठाकुरबारी के महंत ने हरिहर काका को बुरी तरह मारा-पीटा और अनेक कागज़ों पर ज़बरन अंगूठे के निशान ले लिए।
इस घटना के दौरान ठाकुरबारी के साधु संतों ने हरिहर काका का अपहरण कर लिया, उनको कमरे में बाँध कर भूखा-प्यासा रखा। उन साधु संतों ने हरिहर काका की ज़मीन को हड़पने के लिए गोलियाँ तक चलाई। बड़ी मुश्किल से हरिहर काका जी जान बची। वे वहाँ से किसी प्रकार छूटकर भाइयों के पास आए । उनके भाइयों की भी कुदृष्टि (बुरीनज़र ) काका के हिस्से वाली ज़मीन पर थी। उसी ज़मीन को हथियाने के लिए उनके भाइयों ने हरिहर काका को बहुत मारा-पीटा। यहाँ तक कि उन्हें जान से मारने की कोशिश की और ज़बरदस्ती उनके अंगूठे के निशान अनेक कागज़ों पर ले लिए। यहाँ भी हरिहर काका की जान बाल-बाल बची। इन्हीं कारणों से सारे गाँव में हरिहर काका चर्चा का विषय बन गए थे। गाँव के लोगों की नज़र भी हरिहर काका की ज़मीन पर थी। उपरोक्त कथनों के आधार पर यह स्पष्ट कहा जा सकता है कि उनकी ज़मीन ही उनके जी का जंजाल बन चुकी थी ।
प्रश्न 8: महंत की बातें सुनकर हरिहर काका किस दुविधा में फँस गए? पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: महंत की बातें सुनकर हरिहर काका अपनी जमीन किसे दें-भाइयों को या ठाकुर जी के नाम लिखें; इस दुविधा में फैंस गए। वे सोचने लगे कि पंद्रह बीघे खेत की फ़सल भाइयों के परिवार को देते हैं, तब तो कोई पूछता नहीं, अगर कुछ न दें तब क्या हालत होगी? उनके जीवन में तो यह स्थिति है, मरने के बाद कौन उन्हें याद करेगा? सीधे-सीधे उनके खेत हड़प जाएँगे। ठाकुर जी के नाम लिख देंगे तो पुश्तों तक लोग उन्हें याद करेंगे। अब तक के जीवन में तो ईश्वर के लिए उन्होंने कुछ नहीं किया। अंतिम समय तो यह बड़ा पुण्य कमा लें, लेकिन यह सोचते हुए भी हरिहर काका का मुँह खुल नहीं रहा था। भाई का परिवार तो अपना ही होता है। उनको न देकर ठाकुरबारी में दे देना उनके साथ धोखा और विश्वासघात होगा।
प्रश्न 9: आप हरिहर काका के भाई की जगह होते तो क्या करते?
उत्तर: यदि मैं हरिहर काका के भाई की जगह पर होता तो हरिहर काका से पूर्णतया सहानुभूति रखता। मैं मन में यह सदा बिठाए रखता कि हरिहर काका की पत्नी इस दुनिया में नहीं हैं और न उनकी अपनी कोई संतान । परिवार का सदस्य और सहोदर भाई होने के कारण मैं उनके मन में यह भावना आने ही न देता कि वे भरे-पूरे परिवार में अकेले होकर रह गए हैं। मैं उनके खाने और उनकी हर सुख-सुविधा का पूरा ध्यान रखता। ऐसा मैं उनकी ज़मीन-जायदाद के लोभ में नहीं करता, बल्कि पारिवारिक सदस्य सहोदर भाई होने के अलावा मानवता के आधार पर भी करता। मैं अपने परिवार के अन्य सदस्यों से काका के साथ अच्छा व्यवहार करने के लिए कहता ताकि उन्हें ठाकुरबारी जैसी जगह जाने और महंत जैसे ढोंगियों के बहकावे में आने की स्थिति ही न आती। मैं उन्हें खाना-खिलाकर स्वयं खाता तथा उनके साथ कोई भेदभाव न होने देता।
प्रश्न 10: महंत जी ने हरिहर काका को एकांत कमरे में बैठाकर प्रेम से क्या समझाया ? अपने शब्दों में लिखिए ।
उत्तर: महंत जी ने एकांत कमरे में हरिहर काका को बैठाकर यह समझाया कि ये रिश्ते-नाते स्वार्थ पर टिके होते हैं। महंत ने हरिहर काका की खूब सेवा की, खूब आवभगत की। महंत ने विभिन्न प्रकार का लालच देकर काका से ज़मीन हथियाने के लिए विभिन्न हथकंडे अपनाए, ताकि काका अपनी ज़मीन ठाकुरवारी के नाम कर दें। महंत ने काका से कहा कि ठाकुरबारी के नाम ज़मीन करने से उन्हें पुण्य मिलेगा और वे सीधा स्वर्ग सिधारेंगे। जब यह ठाकुरबारी रहेगी तब तक आपका नाम भी इसके साथ जुड़ा होगा और इसका फल तुम्हें अगले जन्मों तक मिलेगा इस तरह से महंत ने काका से ज़बरदस्ती कागज़ पर अंगूठे के निशान ले लिए।
16 videos|201 docs|45 tests
|
16 videos|201 docs|45 tests
|
|
Explore Courses for Class 10 exam
|