1. पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्न के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए –
पावस ऋतु थी ,पर्वत प्रवेश ,
पल पल परिवर्तित प्रकृति -वेश।
प्रश्न 1: यहां पर्वत प्रवेश में किस ऋतु का वर्णन किया गया है?
(क) शरद ऋतु
(ख) वसंत ऋतु
(ग) वर्षा ऋतु
(घ) ग्रीष्म ऋतु
उतर: (ग) वर्षा ऋतु
प्रश्न 2: प्रकृति प्रतिपल अपना रूप क्यों बदल रही है?
(क) बादल के कारण
(ख) धूप के कारण
(ग) क्योंकि यह प्रकृति का नियम है
(घ) बादलों और धूप की आँख मिचौली के कारण
उतर: (घ) बादलों और धूप की आँख मिचौली के कारण
2. पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्न के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए –
मेखलाकार पर्वत अपार
अपने सहस्त्र दृग-सुमन फाड़,
अवलोक रहा है बार-बार
नीचे जल में निज महाकार,
-जिसके चरणों में पला ताल
दर्पण सा फैला है विशाल!
प्रश्न 1: मेखलाकार शब्द से क्या अर्थ है?
(क) धरती के समान गोल
(ख) करघनी के आकार की पहाड़ की ढाल
(ग) आकाश के समान गोल
(घ) चाद के समान गोल
उतर: (ख) करघनी के आकार की पहाड़ की ढाल
प्रश्न 2: अपने सहस्त्र दृग- सुमन फाड़ में दृग की तुलना किससे की गई है।
(क) ऋतुओं से
(ख) हिरणो से
(ग) पुष्पों से
(घ) मोतियों से
उतर: (ग) पुष्पों से
प्रश्न 3: पर्वत दूर से देखने पर कैसे लग रहे हैं ?
(क) धनुषाकार
(ख) मेखलाकार
(ग) वृत्ताकार
(घ) आयताकार
उतर: (ख) मेखलाकार।
प्रश्न 4: ‘दर्पण सा फैला है विशाल’ पंक्ति में निहित अलंकार बताइए।
(क) अनुप्रास अलंकार
(ख) उत्प्रेक्षा अलंकार
(ग) उपमा अलंकार
(घ) यमक अलंकार
उतर: (ग) उपमा अलंकार
3. पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्न के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए –
गिरि का गौरव गाकर झर- झर
मद में नस -नस उत्तेजित कर
मोती की लड़ियों- से सुन्दर
झरते हैं झाग भरे निर्झर !
गिरिवर के उर से उठ -उठ कर
उच्चाकांक्षाओं से तरुवर
है झाँक रहे नीरव नभ पर
अनिमेष ,अटल कुछ चिंतापर।
प्रश्न 1: ‘मद में नस -नस उत्तेजित कर’ से क्या तात्पर्य है?
(क) झरने ऊँची-ऊँची आवाज़ में पर्वत का गुणगान कर रहे हैं
(ख) झरने मस्ती में उत्तेजित होकर गा रहे हों
(ग) झरनों की नस-नस में मस्ती भरी है
(घ) झरने की ध्वनि नस नस में उत्साह अथवा प्रसन्नता भर देती है।
उतर: (घ) झरने की ध्वनि नस नस में उत्साह अथवा प्रसन्नता भर देती है।
प्रश्न 2: ‘उच्चाकांक्षा’ का अर्थ बताएं |
(क) बादल
(ख) ऊँचा उठने की कामना
(ग) बादल की ओर बढ़ने की कामना
(घ) निचे उतरने की कामना
उतर: (ख) ऊँचा उठने की कामना
प्रश्न 3: ‘तरुवर’ मन में क्या भाव लिये ऊपर उठ रहे हैं ?
(क) निराशा का भाव
(ख) उच्चाकांक्षाओं का भाव
(ग) प्रतिस्पर्धा का भाव
(घ) नफरत का भाव
उतर: (ख) उच्चाकांक्षाओं के भाव।
4. पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्न के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए –
उड़ गया,अचानक लो, भूधर
फड़का अपार पारद के पर !
रव-शेष रह गए हैं निर्झर !
है टूट पड़ा भू पर अम्बर !
धँस गए धारा में सभय शाल !
उठ रहा धुआँ,जल गया ताल !
-यों जलद -यान में विचर-विचर
था इंद्र खेलता इंद्रजाल।
प्रश्न 1: कविता और कवि का नाम बताइए।
उतर: कविता का नाम – पर्वत प्रदेश में पावस
कवि का नाम – सुमित्रानंदन पंत
प्रश्न 2: शाल – वृक्षों के डरने का कारण स्पष्ट करो।
उतर: ऊंचे इलाकों में अक्सर बादल छाए रहते हैं और बारिश होती है, इसलिए आप पहाड़ों, झरनों, पेड़ों और आसमान को नहीं देख सकते। ऐसा लगता है जैसे आसमान धरती पर गिर पड़ा हो। इससे भय के कारण शाल के पेड़ जमीन में धंस गए हैं।
प्रश्न 3: कवि ने ‘रव -शेष रह गए हैं निर्झर’ क्यों कहा है। स्पष्ट करें।
उतर: ‘रव -शेष रह गए हैं निर्झर’ कवि ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि कुछ भी देख पाना मुश्किल है क्योंकि चारों तरफ बादल और बारिश है, लेकिन झरनों की आवाज सुनाई दे रही है।
प्रश्न 4: इंद्र जादूगरी का खेल कैसे खेल रहा है?
उतर: आसमान में चारों ओर बादल छाए हुए हैं। कुछ काले हैं, और कुछ भूरे हैं। कुछ बादल एक साथ जमकर बरस रहे हैं तो कुछ बादल आपस में टकराकर गड़गड़ाहट और बिजली पैदा कर रहे हैं। ऐसा लगता है जैसे भगवान इंद्र मेघ रूपी वाहन में बैठकर कोई जादू कर रहे हों।
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