प्रश्न 1: शहरी मेहमान के आने से गाँव में जो उत्साह दृष्टिगोचर होता है, उसे मेघ आए कविता के आलोक में लिखिए।
उत्तर: शहरी मेहमान के आने से गाँव में हर्ष उल्लास का वातावरण बन जाता है। गाँव में बादलों के आगमन का इंतज़ार किया जाता है। बादल के आते ही बच्चे, युवा, स्त्री, पुरुष सभी प्रसन्न हो जाते हैं। पेड़-पौधे झूम-झूमकर अपनी खुशी प्रकट करते हैं। बच्चे भाग-भाग बादलों के आने की सूचना देते फिरते हैं। युवा उत्साहित होकर बादलों को देखते हैं तो स्त्रियाँ दरवाजे खिड़कियाँ खोलकर बादलों को देखने लगती हैं। बादलों के बरसने पर सर्वत्र उत्साह का वातावरण छा जाता है।
प्रश्न 2: ‘मेघ आए’ कविता में अतिथि का जो स्वागत-सत्कार हुआ है, उसमें भारतीय संस्कृति की कितनी झलक मिली है, अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर: ‘मेघ आए’ कविता में मेघ रूपी मेहमान के आने पर उसका भरपूर स्वागत होता है। वह साल बाद अपनी ससुराल आ रहा है। यहाँ लोग उत्सुकता से प्रतीक्षारत हैं। मेहमान के आते ही घर का सबसे बुजुर्ग और सम्मानित सदस्य उसकी अगवानी करता है, उसको सम्मान देते हुए राम-जुहार करता है और कुशलक्षेम पूछता है। मेहमान को यथोचित स्थान पर बैठा देखकर घर का सदस्य उत्साहपूर्वक परात में पानी भर लाता है ताकि मेहमान के पैर धो सके। इस तरह हम देखते हैं कि मेहमान का जिस तरह स्वागत किया गया है उसमें भारतीय संस्कृति की पर्याप्त झलक मिलती है।
प्रश्न 3: पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए,
आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाए,
बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी घूँघट सरके।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
प्रस्तुत अवतरण का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: मेघों के आने से प्राकृतिक वातावरण में होने वाले परिवर्तनों का कवि ने बड़ा सजीव चित्रण किया है। अनुप्रास तथा मानवीकरण अलंकार से प्राकृतिक उपादानों को नया रूप प्रदान किया है। कवि ने मेघों को पाहुन का रूप देकर तथा प्राकृतिक उपादानों से मानवीय क्रियाएँ आरोपित कर चित्रात्मकता की सृष्टि की है। शब्द – योजना बड़ी सजीव तथा मनमोहक है। भाषा सरलता और सरसता से परिपूर्ण है।
प्रश्न 4. शहरी पाहुन के आगमन पर गाँव में उमंग-उल्लास के रूप को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर: जब शहरी पाहुन सज-संवर कर गाँव में आता है तो चारों ओर प्रसन्नता का वातावरण छा जाता है। उसके आगमन की खबर तेजी से फैल जाती है। गली-गली में दरवाज़े और खिड़कियाँ उसे उत्सुकतावश देखने के लिए खुल जाते हैं। लोग गरदन उचकाकर उसे देखने लगते हैं और गाँव की नारियाँ शरमाकर घूँघट सरकाकर तिरछी दृष्टि से उसे देखती हैं। प्रिया भी अपने पाहुन को घर आया देख प्रसन्न हो जाती है, परंतु दरवाज़े की ओट में छिपकर वह पाहुन को उपालंभ भी देती है। किंतु उसके हृदय के सारे भ्रम दूर हो जाते हैं। अतिथि और प्रियतमा का मिलन हो जाता है और उनके नेत्रों से प्रसन्नता के आँसू छलक पड़ते हैं।
प्रश्न 5. बादलों के मेहमान बनकर आने पर उनका स्वागत किस प्रकार होता है ?
उत्तर: गाँव में बादल एक साल बाद मेहमान की भाँति बन-सँवर कर आए हैं। उन्हें देखकर सारा गाँव खुशी से नाच उठता है। सभी अपने- अपने ढंग से बादल रूपी मेहमान के स्वागत की तैयारी में लग जाते हैं। गाँव के सबसे बूढ़े पेड़ पीपल ने बादलों का स्वागत झुककर वंदना करते हुए किया।जब घर में मेहमान आते हैं उनका स्वागत घर के बड़े लोग करते हैं। तालाब में लहरें उठने लगती हैं और वह भी अपने जल से मेहमान के चरण धोने के लिए तत्पर है। मेहमान की नायिका उसे यह ताना देती है कि वह एक साल बाद आया है। उसने तो उसके आने की उम्मीद छोड़ दी थी, अर्थात् धरती भी मेघों से मिलने को बेचैन थी और वह अपनी बेचैनी किसी को दिखाती नहीं है। इसलिए, वह आड़ में छिपकर अपने मेहमान का स्वागत करती है।
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