प्रश्न 1: आकाशवाणी से बाढ़ का समाचार सुनकर लोगों की क्या प्रतिक्रिया रही?
उत्तर: आकाशवाणी से समाचार प्रसारित हुआ कि 'पानी हमारे स्टूडियो की सीढ़ियों तक पहुंच चुका है और किसी भी क्षण स्टूडियो में प्रवेश कर सकता है।' इस समाचार को सुनकर लोगों की यह प्रतिक्रिया रही -
प्रश्न 2: गाँधी मैदान की ओर से जाते समय लेखक ने क्या-क्या देखा?
उत्तर: लेखक बाढ़ का पानी देखने के लिए अपने मित्र के साथ रिक्शे पर बैठकर कॉफी हाउस के उसके बन्द हो जाने से वह मित्र के साथ 'अप्सरा' सिनेमा हाल के बगल में गाँधी मैदान की ओर चल पड़ा। पैलेस होटल और इण्डियन एयरलाइन्स दफ्तर के सामने पानी भर रहा था। पानी की तेज धारा पर लाल-हरे 'नियन' विज्ञापनों की परछाइयाँ सैकड़ों रंगीन साँपों के समान दिखाई दे रही थीं। गाँधी मैदान की रेलिंग के सहारे हजारों लोग खड़े होकर बाढ़ के बढ़ने का दृश्य देख रहे थे। वह दृश्य स्मृतियों के रूप में मन में भले ही उभर रहा था, परन्तु उन पर बाढ़ के पानी का गैरिक आवरण पड़ गया था। लेखक को बाढ़ के पानी के इस तरह के बहाव को देखने का यह अनुभव सर्वथा नया था।
प्रश्न 3: पटना की बाढ़ में पिकनिक मनाने आए युवक-युवतियों के साथ कैसा बर्ताव हुआ और क्यों?
उत्तर: सन् 1967 में पटना में भीषण बाढ़ आयी थी और पुनपुन का पानी राजेन्द्र नगर में घुस गया था। सारा इलाका जलमग्न हो गया था। तभी कुछ मनचले युवक-युवतियों की टोली सज-धज कर नाव पर सवार होकर पानी पर उतरी। नाव पर स्टोव जल रहा था और उस पर केतली रखी थी। बिस्कुट के डिब्बे खुले हुए थे। एक युवती मनमोहक अदा में नैस्कैफे का पाउडर मथ रही थी।
दूसरी युवती रंगीन पत्रिका मस्ती से पढ़ रही थी। एक युवक घुटनों पर कोहनी रखे मनमोहक डॉयलोग बोल रहा था। ट्रांजिस्टर बज रहा था। ऊँची आवाज में गाना सुनाई पड़ रहा था-'हवा में उड़ता जाए मेरा लाल दुपट्टा मलमल का।' युवक-युवतियों का यह आनन्द उत्सव राजेन्द्र नगर के लड़कों को पसन्द नहीं आया। उन्होंने ब्लॉक की छत से इतनी किलकारियाँ, सीटियाँ और फब्तियों की बौछार की कि वे लजित हो गये। उनके लाल होंठ काले पड़ गये।
प्रश्न 4: अपने फ्लैट की छत से लेखक ने बाढ़ का जो दृश्य देखा उसका वर्णन कीजिए।
उत्तर: बाढ़ आने की प्रतीक्षा करते-करते जब लेखक की आँख लग गयी। ओई द्याखो-एसे गेछे जल! कह कर जब लेखक को जगाया गया। उस समय सुबह के साढ़े पांच बज रहे थे। लेखक आँखें मलता हुआ उठा। उस समय पश्चिम में थाने के सामने वाली सड़क पर झागदार लहरों वाला पानी आ रहा था। लेखक दौड़कर अपनी फ्लैट की छत पर चला गया। उसने वहाँ जाकर देखा चारों ओर चीख, पुकार, शोरगुल, कलरव तथा पानी का कलकल सुनाई दे रहा था। सामने के फुटपाथ को पार कर पानी फ्लैट के पीछे शक्तिपूर्वक बह रहा था।
गोलंबर पार्क में चारों ओर पानी था। देखते ही देखते लेखक के मोहल्ले में चारों ओर पानी ही पानी लहरा रहा था। तब लेखक का मन करने लगा कि वह ऐसे दृश्य का फोटो खींचना चाहता है, परन्तु अपने पास न तो कैमरा है और न टेप-रिकार्डर है, कलम भी नहीं है। इस कारण लेखक विवशता का अनुभव करने लगा।
प्रश्न 5: लेखक मुसहरी बस्ती में क्या करने गया था? उसने वहाँ कौनसा दृश्य देखा? वर्णित कीजिए।
उत्तर: लेखक मुसहरी बस्ती में सन् 1949 में महानंदा में आयी बाढ़ से प्रभावित लोगों को राहत बाँटने गया था। लेखक को खबर मिली थी कि मुसहरी की बस्ती के लोग कई दिनों से मछली और चूहों को झुलसा कर खा रहे हैं और किसी तरह जी रहे हैं लेकिन जब लेखक सेवा दल के साथ वहाँ पहुँचा तो उसने कुछ अलग ही दृश्य देखा कि मुसहरी बस्ती में ऊँचे पर एक मंच बना हुआ है और एक काला - कलूटा नट लाल साड़ी पहने हुए रूठी दुलहिन का अभिनय कर रहा है और पुरुष बना नट उसे मना रहा है। इस पद के साथ ही ढोलक पर द्रुत ताल बजने लगा। कीचड़- पानी में लथ पथ भूखे-प्यासे नर-नारियों के झुंड में मुक्त खिलखिलाहट लहरें लेने लगी हैं। इस दृश्य को देखकर लेखक को लगा कि हम राहत सामग्री बाँटकर भी उन्हें ऐसी हँसी नहीं दे पायेंगे।
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