प्रश्न 1: 'रीढ़ की हड्डी' एकांकी में सामाजिक खोखलेपन पर निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: रीढ़ की हड्डी' एकांकी में लेखक ने समाज में व्याप्त बुराइयों को सीधे ढंग से व्यक्त न कर व्यंग्य के माध्यम से स्पष्ट किया है। रामस्वरूप लड़के वालों की इच्छा के अनुसार अपनी बी.ए. पास लड़की को मैट्रिक पास बताता है। लड़की वाला होने के कारण अपने आप को छोटा समझकर गोपाल प्रसाद की चापलूसी करता है।
गोपाल प्रसाद को अपने लड़के के चरित्र एवं बैकबोन आदि कमजोरियों का ज्ञान होते हुए भी झूठ बोलता है, दकियानूसी विचार प्रकट करता है। वह कहता है कि "क्या लड़कों की पढ़ाई और लड़कियों की पढ़ाई एक बात है?... अगर औरतें भी वही करने लगीं, अंग्रेजी अखबार पढ़ने लगीं, तो हो चुकी गृहस्थी।" इस प्रकार एकांकी में गोपाल प्रसाद एवं शंकर के माध्यम से विवाह के रिश्ते को लेकर जो सोच कुछ लोगों की है, उस पर व्यंग्य किया गया है।
प्रश्न 2: उमा के व्यक्तित्व की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर : उमा रामस्वरूप की बी.ए. पास सुशिक्षित पुत्री है। वह साहित्य, संगीत और कला में कुशल है। वह स्वभाव से संकोची और सादगी पसन्द है। इसलिए वह आज के प्रचलित सौन्दर्य-प्रसाधन की सामग्री का न तो उपभोग करती है और न उनमें विश्वास करती है। वह प्रगतिशील विचारधारा की स्वाभिमानी और स्पष्टवादी नवयुवती है। इसी कारण वह गोपालप्रसाद को खरी-खोटी सुनाकर निरुत्तर कर देती है। इतना ही नहीं वह स्पष्ट कह देती है -"ये जो महाशय मेरे खरीददार बनकर आए हैं, इनसे जरा पूछिए कि क्या लड़कियों के दिल नहीं होता? क्या उनके चोट नहीं लगती? क्या वे बेबस भेड़-बकरियाँ हैं, जिन्हें कसाई अच्छी तरह देख-भाल कर...?"
प्रश्न 3: शादी को बिजनेस समझने वालों से निपटने का प्रस्तुत एकांकी में क्या उपाय बताया गया है?
उत्तर : प्रस्तुत एकांकी में शादी जैसे पवित्र रिश्ते को 'बिजनेस' बना डालने वालों से निपटने का उपाय भी सुझाया गया है। एकांकीकार बताना चाहता है कि लड़के की कमजोरियों की चिन्ता न करके, लड़की की भेड़ बकरी की तरह छानबीन करने वाले लड़के वालों को लड़कियाँ उमा की तरह आत्मबल से फटकार लगावें। वे यदि लड़के या उसके परिवार वालों में कमियाँ देखें, तो बिना झिझक के उसी तरह जवाब दें, कमियों को उजागर करें, जिस तरह लड़के वाले करते हैं। तभी 'बिजनेस' समझने वाले लड़के वालों का बुरा व्यवहार दूर होगा और लड़की वालों को राहत मिलेगी।
प्रश्न 4: 'रीढ़ की हड्डी' एकांकी में किन सामाजिक कुरीतियों पर व्यंग्य किया गया है? बताइए।
उत्तर: रीढ़ की हड्डी' एक सामाजिक एकांकी है। इस एकांकी में पुत्री के विवाह से सम्बन्धित समस्या और कुरीतियों के बारे में बताया गया है। आज के जमाने में सुशिक्षित, घर के कार्यों में निपुण, कला-प्रेमी, पुत्री वाले पिता को भी अपनी पुत्री के विवाह के लिए किस प्रकार अयोग्य, नाकारा पुत्र वाले पिता के सामने छोटा बन कर झुकना पड़ता है। इस समस्या और विवाह से जुड़ी कुरीतियों को प्रभावी ढंग से रामस्वरूप, गोपाल प्रसाद, शंकर और उमा के माध्यम से उठाया गया है और प्रगतिशील विचारधारा की पोषिका उमा के द्वारा इसका अप्रत्यक्ष रूप से हल व्यंग्य रूप में प्रस्तुत किया गया है।
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