Class 9 Exam  >  Class 9 Notes  >  Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan)  >  Long Question Answer: गीत - अगीत

Long Question Answer: गीत - अगीत | Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan) PDF Download

प्रश्न 1: ‘गीत-अगीत’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि प्रेम की पहचान मुखरता में नहीं अपितु मौन भाव में है।
उत्तर:
‘गीत-अगीत’ कविता में कविवर श्री रामधारी सिंह ‘दिनकर’ ने प्रेम के साहित्यिक पक्ष को अभिव्यक्ति प्रदान की है। कवि का मानना है कि प्रेम की पहचान मुखरता में नहीं अपितु प्रेम की पीड़ा को मौन भाव से पी जाने में है। इसे कवि ने नदी और गुलाब, शुक और शुकी तथा प्रेमी और प्रेमिका की निम्नलिखित तीन स्थितियों के माध्यम से स्पष्ट किया है –

  • नदी पहाड़ से नीचे उतरकर समुद्र की ओर तेजी से आगे बढ़ती हुई निरंतर विरह के गीत गाती है। वह किनारे या मध्य धारा में पड़े पत्थरों से दिल की पीड़ा कहकर अपना मन हल्का कर लेती है। लेकिन किनारे पर उगा हुआ एक गुलाब मन ही मन सोचता है कि भगवान यदि उसे भी वाणी प्रदान करता तो वह भी पतझड़ में मिलने वाली हताशा और दुख प्रकट कर पाता। वह भी संसार को बताता कि विरह की पीड़ा कितनी दुखमय है, पर वह ऐसा कर नहीं पाता। नदी तो गा-गाकर विरह भावना को व्यक्त करती हुई बह रही है पर गुलाब किनारे पर चुपचाप खड़ा है।
  • एक तोता किसी पेड़ की उस घनी शाखा पर बैठा है जो नीचे की शाखा को छाया दे रहा है जिस पर उसका घोंसला है घोंसले में तोती पंख फुला कर मौन भाव से बैठी है। वह मातृत्व भाव से भरी हुई है और अपने अंडों को सेने का कार्य कर रही है। सूर्य के निकलने के बाद सुनहरी वसंती किरणें जब पत्तों से छन-छनकर नीचे आती हैं तो तोता प्रसन्नता से भरकर मधुर गीत गाता है, किंतु तोती मौन है। उसके गीत मन में उमड़कर भी बाहर नहीं आते। वह तो अपने उत्पन्न होने वाले बच्चों के प्रेम में मग्न है। तोते का स्वर तो सारे जंगल में गूँज रहा है, वह अपने प्रसन्नता के भावों को प्रकट कर रहा है पर तोती अपने पंख फुला कर मातृत्व के सुखद भावों में डूबी है।
  • शाम के समय प्रेमी आल्हा की कथा को रसमय ढंग से गाता है। उसकी आवाज़ सुनते ही उसकी प्रेमिका स्वयं ही खिंची चली आती है – वह घर में नहीं रह पाती। वह प्रेमी के सामने यह सोचकर नहीं जाती कि कहीं उसका प्रेमी गीत गाना बंद न कर दे। वह वहीं एक नीम के पेड़ के नीचे चोरी-चोरी छिपकर गीत सुनती रहती है और मन में सोचती है कि हे ईश्वर ! मैं भी अपने प्रेमी के गीत की एक कड़ी क्यों न बन गई? प्रेमी उच्च स्वर में गीत गा रहा है पर प्रेमिका का हृदय मूक प्रसन्नता से भरता जा रहा है।
    इन तीनों स्थितियों में नदी, शुक और प्रेम मुखरित हैं किंतु गुलाब, शुकी और प्रेमिका अपने प्रेम को व्यक्त नहीं करते हैं किंतु मन-ही-मन प्रेम का आस्वादन करते हैं। इनका प्रेम भी नदी, शुक और प्रेमी से कम महत्वपूर्ण नहीं है। इनका यह मौन भाव ही इनके सात्विक प्रेम की पहचान है। इसलिए स्पष्ट है कि सच्चा प्रेम मुखरता में नहीं बल्कि मौन भाव में होता है।


प्रश्न 2: नदी अपने हृदय की पीड़ा को कैसे कम करती है और उसके विरह के गीत कौन सुनता है ?
उत्तर: 
नदी अपने हृदय की पीड़ा को कम करने के लिए पहाड़ से नीचे उतरते हुए तेज़ी से आगे बढ़ते हुए विरह के गीत गाती है। अपनी विरह – पीड़ा की कथा कल-कल ध्वनि से सुनाती है। उसकी विरह कथा किनारे या मध्य पड़े पत्थर सुनते हैं। इस तरह नदी अपनी बात कह कर अपना मन हल्का कर लेती है।

प्रश्न 3: नदी को अपनी पीड़ा व्यक्त करते देख गुलाब का फूल क्या सोच रहा है ?
उत्तर:
नदी को अपनी पीड़ा व्यक्त करते देख गुलाब सोचता है कि यदि भगवान ने उसे भी वाणी दी होती तो वह भी की कहानी सुनाता। वह भी संसार को बताता कि पतझड़ आने पर वह कैसे निराश और दुखी हो जाता है

प्रश्न 4: शुक अपना प्यार कैसे व्यक्त करता है ?
उत्तर: 
शुक अपने परिवार के साथ पेड़ की शाखा पर बने घोंसले में रहता है। शुकी घोंसले में अंडों को सेने का काम करती है। वह मातृत्व के स्नेह में डूबी हुई है। शुक सूर्य निकलने के बाद सुनहरी वसंती किरणें जब पत्तों से छनकर उसकी ओर आती हैं तो वह प्रसन्नता से भर जाता है और मधुर गीत गाने लगता है। इस प्रकार वह अपना प्रेम प्रकट करता है।

प्रश्न 5: शुकी, शुक के प्रेम-भरे गीत सुनकर भी बाहर क्यों नहीं आती है ?
उत्तर: शुकी घोंसले में अपने पंख फैलाकर अपने अंडे सेने का काम कर रही है। वह मातृत्व स्नेह से भरी हुई है। उसे शुक के प्रेम-भरे गीत सुनाई दे रहे हैं। परंतु उसके गीत मन में उमड़कर भी बाहर नहीं आते। शुकी अपने उत्पन्न होने वाले बच्चों के प्रेम में सिक्त है। वह शुक का प्रेम-गीत सुन रही है, परंतु उसका प्रेम मौन रूप धारण किए हुए है। वह अपना प्रेम प्रकट नहीं करती है क्योंकि वह मातृत्व के सुखद भावों में डूबी हुई है।

The document Long Question Answer: गीत - अगीत | Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan) is a part of the Class 9 Course Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan).
All you need of Class 9 at this link: Class 9
15 videos|160 docs|37 tests

Top Courses for Class 9

15 videos|160 docs|37 tests
Download as PDF
Explore Courses for Class 9 exam

Top Courses for Class 9

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

past year papers

,

study material

,

Free

,

Long Question Answer: गीत - अगीत | Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan)

,

Objective type Questions

,

shortcuts and tricks

,

video lectures

,

Semester Notes

,

Summary

,

Exam

,

Previous Year Questions with Solutions

,

ppt

,

Long Question Answer: गीत - अगीत | Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan)

,

mock tests for examination

,

practice quizzes

,

Extra Questions

,

Important questions

,

MCQs

,

Long Question Answer: गीत - अगीत | Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan)

,

Viva Questions

,

pdf

,

Sample Paper

;