प्रश्न 1: लेखक के बचपन के समय कौन-सा आन्दोलन जोर-शोर पर था?
उत्तर: लेखक के बचपन के समय आर्य समाज का सुधारवादी आन्दोलन जोर-शोर पर था और उनके पिताजी आर्य समाज रानीमंडी के प्रधान थे।
प्रश्न 2: लेखक की लाइब्रेरी का शुभारंभ कब हुआ?
उत्तर: लेखक को पाँचवी कक्षा में प्रथम आने पर अंग्रेजी की दो किताबें इनाम में मिली थी। लेखक के पिता जी ने अपनी अलमारी के एक खाने से अपनी चीजें हटा दीं और लेखक की दोनों पुस्तकें रख दी और कहा आज से यह तुम्हारा पुस्तकों का खाना है। इस प्रकार लेखक की लाइब्रेरी का शुभारंभ हुआ।
प्रश्न 3: लेखक की माताजी ने किसकी स्थापना की थी?
उत्तर: लेखक की माताजी ने स्त्री-शिक्षा के लिए आदर्श कन्या पाठशाला की स्थापना की थी।
प्रश्न 4: बच्चों में पुस्तकों के पठन की रुचि एवं उनसे लगाव उत्पन्न करने के लिए आप माता-पिता को क्या सुझाव देंगे?
उत्तर: बच्चों में पुस्तकों के पठन की रुचि एवं उनसे लगाव उत्पन्न करने के लिए मैं माता-पिता को पुस्तकों के महत्व के बारे में बताऊँगी। बच्चों के जीवन में पुस्तकों का बहुत महत्व है। पुस्तकें ज्ञान का भंडार होती हैं, जो बच्चों के भविष्य को उज्जवल बनाती हैं और उन्हें पुस्तकों में छिपे विभिन्न प्रकार की उपयोगी बातों और ज्ञान के बारे में बताऊँगी ताकि वे अपने बच्चों को पुस्तकें दिलाने से इनकार न करें।
प्रश्न 5: पिताजी के देहांत के बाद लेखक को किन- किन मुसीबतों का सामना करना पड़ा?
उत्तर: पिताजी के देहांत के बाद लेखक को कई मुसीबतों का सामना करना पड़ा। लेखक को अपने स्कूल की फीस जुटाना मुश्किल था और किताबों को खरीद पाना भी मुश्किल था इसलिए लेखक पुरानी किताबें खरीदकर पढ़ा करते थे।
प्रश्न 6: लेखक की माँ की आँखों से आंसू क्यों छलक गये?
उत्तर: लेखक की माँ ने लेखक को फिल्म देखने के लिए दो रुपये दिए। लेकिन फिल्म शुरू होने से पहले ही लेखक को एक देवदास की पुस्तक दिखाई दी। लेखक ने फिल्म देखने की बजाय देवदास पुस्तक को दस आने में खरीद लिया और बाकी बचे हुए पैसे माँ को लाकर वापिस दे दिए। यह देखकर माँ की आँखों से आँसू छलक गये।
प्रश्न 7: लेखक के पिताजी ने लेखक से क्या वचन लिया?
उत्तर: लेखक की माताजी लेखक की पढ़ाई को लेकर चिंतित रहती थी इसलिए लेखक के पिताजी ने लेखक से वचन लिया की जिस तरह से वह अन्य पुस्तकें पढ़ता है उसे तरह से अपनी कक्षा के पाठ्यक्रम की पुस्तकें भी पढ़े।
प्रश्न 8: ‘मेरा छोटा-सा निजी पुस्तकालय’ पाठ से आज के विद्यार्थियों को क्या प्रेरणा लेनी चाहिए?
उत्तर: ‘मेरा छोटा-सा निजी पुस्तकालय’ पाठ से आज के विद्यार्थियों को यह प्रेरणा लेनी चाहिए कि बच्चों को पुस्तकों को सहेजकर रखना चाहिए। बच्चों को अपने माता-पिता का कहना मानकर मन लगाकर पढ़ाई करनी चाहिए।
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