प्रश्न 1: कवि की मंज़िल निश्चित क्यों नहीं है?
उत्तर: कवि अपने इच्छानुसार जीवन का आनंद लेना चाहता है। उसे जो भी राह दिखती है वह उसी पर आगे बढ़ जाता है। इसलिए कवि की मंज़िल निश्चित नहीं है।
प्रश्न 2: कवि ने दुनिया के लोगों को भिखमंगा क्यों कहा है?
उत्तर: कवि ने दुनिया के लोगों को भिखमंगा इसलिए कहा है क्योंकि दुनिया में लोग भिखारियों की तरह कुछ न कुछ माँगते रहते हैं। लोग यहां केवल लेना जानते है अर्थात् लोग अपने कर्तव्यों को निभाने के लिए आगे नहीं आते। वे तो केवल स्वार्थपूर्ण जीवन व्यतीत करने में लगे है।
प्रश्न 3: निम्नलिखित शब्दों के अर्थ बताइए – स्वच्छंद, उर, छककर, आलम, उल्लास
उत्तर: स्वच्छंद का अर्थ – आजाद
उर का अर्थ – ह्रदय
छककर का अर्थ – तृप्त होकर
आलम का अर्थ – दुनिया
उल्लास का अर्थ – ख़ुशी
प्रश्न 4: “अब अपना और पराया क्या?
आबाद रहें रुकनेवाले!
हम स्वयं बँधे थे और स्वयं
हम अपने बंधन तोड़ चले।”
उपरोक्त पंक्तियों का अर्थ लिखिए।
उत्तर: कवि के अनुसार, संसार में कोई अपना और कोई पराया नहीं है। वे कहते हैं वे स्वयं इन बंधनों में बंधे थे और स्वयं इन बंधनों को तोड़कर आगे चलते जा रहे हैं तथा इससे वे प्रसन्न हैं और सदा चलते रहना चाहते हैं।
प्रश्न 5: “किस ओर चले? यह मत पूछो,
चलना है, बस इसलिए चले,
जग से उसका कुछ लिए चले,
जग को अपना कुछ दिए चले,”
उपरोक्त पंक्तियों का अर्थ लिखिए।
उत्तर: कवि के अनुसार, संसार जब कवि से जानना चाहता है अब वो किस ओर जा रहे हैं तो वे कहते हैं कि ये मत पूछो कि मैं कहाँ जा रहा हूँ क्योंकि मेरी कोई निश्चित मंजिल नहीं है। मैं चलता हूँ क्योंकि यह मेरा स्वभाव है। कवि कहते हैं कि वो संसार से कुछ ज्ञान लेकर और कुछ अपने पास से देकर जा रहे हैं।
प्रश्न 6: “आए बनकर उल्लास अभी,
आँसू बनकर बह चले अभी,
सब कहते ही रह गए, अरे,
तुम कैसे आए, कहाँ चले?”
उपरोक्त पंक्तियों का अर्थ लिखिए।
उत्तर: कवि रमता जोगी है। वह मन में उत्पन्न भावों की भाँति कभी ख़ुशी का संदेश तो कभी आँखों में बहते आँसू की तरह सब जगह फैल जाता है। कवि कहते हैं कि वे इतनी जल्दी आते जाते रहते हैं कि लोगों को पता ही नहीं चलता कि वे कब आए और कब चले गए।
प्रश्न 7: कवि किन बंधनों को तोड़ने की बात कर रहा है?
उत्तर: कवि समाज में व्याप्त बुराइयों, रूढ़िग्रस्त रीती – रिवाज़ों के परंपरागत बंधनों को तोड़ने की बात कह रहा है।
प्रश्न 8: दीवानों की चाल अन्य लोगों की चाल से किस तरह अलग होती है?
उत्तर: दीवानों में जोश कूट-कूट कर भरा रहता है। जब वे एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं तो बड़े जोश के साथ बढ़ते हैं, जबकि सामान्य लोगों की चाल में ऐसा नहीं होता है।
प्रश्न 9: दीवाने “आज यहाँ, कल वहाँ’ आवागमन क्यों करते रहते हैं?
उत्तर: दीवाने अपनी मस्ती में रहने वाले होते हैं। वे लोगों में खुशियाँ बांटते फिरते हैं। वे अभावग्रस्त तथा खुशियों से वंचित लोगों के सुख-दुःख में शामिल होते हैं। वे देश के लिए अपना सब कुछ अर्पित करने को तैयार रहते है। वे यह सब एक स्थान पर टिककर नहीं कर सकते। उन्हें आवागमन करते ही रहना पड़ता है।
प्रश्न 10: “हम भिखमंगों की दुनिया में,
स्वच्छंद लुटाकर प्यार चले,
हम एक निसानी-सी उर पर,
ले असफलता का भार चले।”
उपरोक्त पंक्तियों का अर्थ लिखिए।
उत्तर: कवि के अनुसार, ये संसार भिखारी है इसके पास प्रेम नामक धन नहीं है। किन्तु कवि पूरी आजादी से सब जगह प्रेम लुटाते चलते हैं क्योंकि कवि सारे संसार को अपना मानते हैं इसलिए वे बंधन मुक्त हैं। इतना प्रेम होते हुए भी एक सफल सांसारिक व्यक्ति न बन पाने की दर्द या निशानी उनके ह्रदय में है और यही भार उनकी असफलता है।
प्रश्न 11: “दो बात कही, दो बात सुनी।
कुछ हँसे और फिर कुछ रोए।
छककर सुख-दुख के घूँटों को
हम एक भाव से पिए चले।”
उपरोक्त पंक्तियों का अर्थ लिखिए।
उत्तर: कवि का स्वभाव चलने का है परन्तु वह जहां रुकते हैं वहां लोगों से प्रेम भरी बातें करते हैं तथा उनकी बातें सुनते हैं और उनसे अपना तथा उनका सुख-दुख बांटते हैं तथा सुख-दुःख रूपी अमृत का घूँट पीकर वह फिर नये सफर पर चल देते हैं।
प्रश्न 12: “हम दीवानों की क्या हस्ती,
हैं आज यहाँ, कल वहाँ चले,
मस्ती का आलम साथ चला,
हम धूल उड़ाते जहाँ चले।”
उपरोक्त पंक्तियों का अर्थ लिखिए।
उत्तर: कवि कहते हैं कि उनका स्वभाव मस्त-मौला है, वह एक स्थान पर टिके नहीं रहते। वे जहाँ भी जाते हैं, चारों तरफ खुशियाँ फैल जाती है। कवि जहाँ धूल उड़ाते हुए जाते है वही चारों तरफ प्रसन्नता का माहौल हो जाता है।
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