प्रस्तुत पाठ की कथा के द्वारा बच्चों के मन में उठने वाले भावों एवं विचारों का वर्णन किया गया है। इस पाठ में अप्रत्यक्ष रूप में अनारिका के माध्यम से कहा गया है कि पुल का उद्घाटन उसके निर्माणकर्ता द्वारा होना चाहिए। पाठ से ‘ऋकारान्त’ शब्द रूपों का ज्ञान प्राप्त होता है।
अनारिका के मन में जिज्ञासा बनी रहती थी। उसके प्रश्न सुनकर प्रत्येक व्यक्ति की बुद्धि भ्रमित हो जाती थी। एक बार वह उदास थी। वह घर से बाहर निकल गई। उसने देखा कि सभी मार्ग सजे हुए हैं। अतः कोई मन्त्री आज आएगा। उसने घर आकर अपने पिता से मन्त्री के आगमन का कारण पूछा। उसके पिता ने बताया कि एक पुल का निर्माण हुआ है।
उसके उद्घाटन के लिए मन्त्री जी आ रहे हैं। उसने पूछा कि क्या मन्त्री ने पुल का निर्माण किया है ? उसके पिता ने बताया कि पुल का निर्माण नौकर करते हैं। उसके पिता ने आगे बताया कि प्रजा सरकार को धन देती है। उस धन से पत्थर इत्यादि सामग्री खरीदी जाती है। इससे पुल का निर्माण होता है। इस प्रकार उसके पिता ने अनारिका की जिज्ञासा को शान्त किया।
(क) बालिकायाः अनारिकायाः मनसि सर्वदा महती जिज्ञासा भवति। अतः सा बहून् प्रश्नान्पृ च्छति। तस्याः प्रश्नैः सर्वेषां बुद्धिः चक्रवत् भ्रमति।
सरलार्थ :
बालिका अनारिका के मन में हमेशा बड़ा कुतूहल (जानने की इच्छा) होता है। इसलिए वह बहुत प्रश्न पूछती है। उसके प्रश्नों से सबकी बुद्धि पहिए के समान घूमने लगती है।
शब्दार्थाः (Word Meanings) :
(ख) प्रातः उत्थाय सा अन्वभवत् यत् तस्याः मनः प्रसन्नं नास्ति। मनोविनोदाय सा भ्रमितुं गृहात् बहिः अगच्छत्। भ्रमणकाले सा अपश्यत् यत् मार्गाः सुसज्जिताः सन्ति। सा चिन्तयति- किमर्थम् इयं सज्जा? सा अस्मरत् यत् अद्य तु मन्त्री आगमिष्यति।
सरलार्थ:
सुबह उठकर उसने अनुभव किया कि उसका मन प्रसन्न (खुश) नहीं है। मन प्रसन्न करने के लिए वह घूमने के लिए घर से बाहर गई। घूमने के समय उसने देखा कि रास्ते सजे हुए हैं। वह सोचती है-किस लिए यह तैयारी है? उसे याद आया कि आज तो मन्त्री आएँगे।
शब्दार्थाः (Word Meanings) :
(ग) सः अत्र किमर्थम् आगमिष्यति इति विषये तस्याः जिज्ञासाः प्रारब्धाः। गृहम् आगत्य सा पितरम् अपृच्छत्-“पितः! मन्त्री किमर्थम् आगच्छति?” पिता अवदत्-“पुत्रि! नद्याः उपरि किं मन्त्री सेतोः निर्माणम् अकरोत्?”
सरलार्थ :
वे यहाँ किसलिए आएँगे इस विषय में उसका कुतूहल आरम्भ हुआ। घर आकर उसने पिता से पूछा-“पिता जी! मन्त्री किसलिए आ रहे हैं।” पिता जी बोले-“पुत्री! नदी के ऊपर नया पुल बना है, उसके उद्घाटन के लिए मन्त्री आ रहे हैं।” अनारिका ने फिर पूछा-“पिता जी! क्या मन्त्री ने पुल का निर्माण किया है?”
शब्दार्थाः (Word Meanings):
(घ) पिता अकथयत्-“न हि पुत्रि! सेतोः निर्माणं कर्मकराः अकुर्वन्!” पुनः अनारिकायाः प्रश्न: आसीत्-“यदि कर्मकराः सेतोः निर्माणम् अकुर्वन्, तदा मन्त्री किमर्थम् आगच्छति?” पिता अवदत्-“यतो हि सः अस्माकं देशस्य मन्त्री।” “पितः! सेतोः निर्माणाय प्रस्तराणि कुतः आयान्ति? किं तानि मन्त्री ददाति?”
सरलार्थ :
पिता ने कहा- “नहीं पुत्री! पुल का निर्माण मजदूरों ने किया था।” फिर अनारिका का प्रश्न था “यदि मजदूरों ने पुल बनाया है, तब मन्त्री किसलिए आ रहे हैं?” पिता बोले-“क्योंकि, वे हमारे देश के मन्त्री हैं।” “पिता जी! पुल को बनाने के लिए पत्थर कहाँ से आते हैं ? क्या उन्हें मन्त्री देते हैं ?”
शब्दार्थाः (Word Meanings) :
(ङ) विरक्तभावेन पिता उदतरत्-“अनारिके! प्रस्तराणि जनाः पर्वतेभ्यः आनयन्ति।”पितः! तर्हि किम्, एतदर्थं मन्त्री धनं ददाति? तस्य पार्वे धनानि कुतः आगच्छन्ति?” एतान् प्रश्नान् श्रुत्वा पिताऽवदत्-“अरे! प्रजाः सर्वकाराय धनं प्रयच्छन्ति।” विस्मिता अनारिका पुनः अपृच्छत् “पितः! कर्मकराः पर्वतेभ्यः प्रस्तराणि आनयन्ति। ते एव सेतुं निर्मान्ति। प्रजाः सर्वकाराय – धनं ददति। तथापि सेतोः उद्घाटनार्थं मन्त्री किमर्थम् आगच्छति?”
सरलार्थ :
पिता ने उदासीन भाव से उत्तर दिया, “अनारिका! पत्थर लोग पहाड़ों से लाते हैं।” “पिता जी! तो क्या! इसके लिए मन्त्री धन देते हैं ? उनके पास धन कहाँ से आते हैं?” इन प्रश्नों को सुनकर पिता बोले -“अरे! प्रजाएँ सरकार को धन देती हैं।” आश्चर्यचकित अनारिका ने फिर पूछा- “पिता जी! मज़दूर पहाड़ों से पत्थर लाते हैं, वे ही पुल बनाते हैं, प्रजाएँ सरकार को धन देती हैं, तो भी मन्त्री पुल के उद्घाटन के लिए किसलिए (क्यों) आ रहे हैं?”
शब्दार्थाः (Word Meanings) :
(च) पिता अवदत्-“प्रथममेव अहम् अकथयम् यत् सः देशस्य मन्त्री अस्ति।स जनप्रतिनिधिः अपि अस्ति। जनतायाः घोष निर्मितस्य सेतोः उद्घाटनाय जन प्रतिनिधिः आमन्त्रितो भवति। चल, सुसज्जिता भूत्वा विद्यालयं चल।” अनारिकायाः मनसि इतोऽपि बहवः प्रश्नाः सन्ति।
सरलार्थ :
पिता बोले, “पहले ही मैंने कहा था कि वे देश के मन्त्री हैं। जनप्रतिनिधि भी हैं। जनता के धन से बने हुए पुल के उद्घाटन के लिए जनता के प्रतिनिधि निमन्त्रित किए जाते हैं। चलो, तैयार होकर विद्यालय जाओ।” अब भी अनारिका के मन में बहुत से प्रश्न हैं।
शब्दार्थाः (Word Meanings) :
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4. अनारिकायाः जिज्ञासा क्या आयोजित करता है? |
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