Class 7 Exam  >  Class 7 Notes  >  Hindi (Vasant II) Class 7  >  Important Questions: रहीम के दोहे

Important Questions: रहीम के दोहे | Hindi (Vasant II) Class 7 PDF Download

अति लघु उत्तरीय प्रश्न:-    (1 अंक)


प्रश्न 1: “तरुवर फल नहिं खात है. ...................... संपति सँचहि
सुजान”॥ निम्न पक्तियों को पूरा करो |
उत्तर:
तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहि न पान। कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान॥

प्रश्न 2: निम्न का विलोम शब्द लिखिए ।
मीत, ताऊ|
उत्तर:
मीत – दुश्मन|
ताऊ – ताई |

प्रश्न 3: निम्न शब्दों का शब्दार्थ लिखिए ।
तरुवर, घाम
उत्तर:
तरुवर - पेड़, वृक्ष |
घाम - धूप, ऊर्जा |

प्रश्न 4: निम्न शब्दों का पर्यायवाची लिखिए।
नीर, मछरी
उत्तर:
नीर - पानी, जल |
मछरी - मछली, मत्स्य |

प्रश्न 5: जाल परे जल .......... को मोह ।रिक्त स्थान को पूर करो।
उत्तर:
जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह।

लघु उत्तरीय प्रश्न:-    (2 अंक)


प्रश्न 1: रहीम सच्चा मित्र किसे मानते है ?
उत्तर:
रहीम कहते है, कि एक सच्चा मित्र वही है ,जो हर सुख  दुःख की घडी में साथ दे ,वो भी निःस्वार्थ भावना से | केवल अच्छे समय में ही नहीं अपितु बुरे समय में भी तत्पर रहे | “जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह “।

प्रश्न 2: रहीम ने सच्ची प्रेमिका किसे कहा है ?
उत्तर:
रहीम दास जी,सच्ची प्रेमिका मछली को मानते है, क्‍योंकि पानी जब उसको अपने से अलग कर देती है तो मछली तड़प - तड़प कर अपनी जान दे देती है । अर्थात जिस प्रकार प्रेमिका अपने प्रेमी के वियोग में नहीं रह सकती ,उसी प्रकार मछली भी जल के अभाव में नहीं रह सकती |

प्रश्न 3: रहीम ने सज्जन व्यक्ति की तुलना किससे की है ?
उत्तर:
रहीम दास जी ने सज्जन व्यक्ति की तुलना पेड़ों और तलाबों से किया है । क्यूंकि सज्जन व्यक्ति भी बिना किसी स्वार्थ के सब की सहायता करता है जैसे कि पेड़ और तालाब सब को अपनी सेवाएं प्रदान करते है बिना किसी स्वार्थ के।

प्रश्न 4: रहीम के अनुसार कौन पानी और कौन फल नहीं खाता है?
उत्तर:
रहीम कहते हैं कि पेड़ कभी फल नहीं खाता और तलाब कभी पानी नहीं पीता है। अर्थात वे केवल जीवन पर्यन्त दुसरो के लिए अपनी सेवाए प्रदान करते हैं|

प्रश्न 5: रहीम ने धनी मनुष्य के स्वभाव की तुलना किससे की है?
उत्तर:
रहीम ने धनी मनुष्य के स्वभाव की तुलना गरजते बादल से किया है ।मनुष्य भी बादलों के समान गरज कर अपनी  बातो को व्यक्त करते हैं |बादलों में पानी का भार होता है और मनुष्य में धन का |

लघु उत्तरीय प्रश्न:-    (3 अंक)


प्रश्न 1: रहीम ने शरीर के सहन-शक्ति की तुलना धरती की सहन- शक्ति से क्‍यों किया है?
उत्तर:
शरीर की सहने की  क्षमता धरती के समान है, क्योंकि जिस तरह धरती सभी मौसमों को सहती है| उसी प्रकार हमारा शरीर भी सभी मौसमों को सहता है | फिर चाहे वह तेज गर्मी हो , तेज बरसात हो या फिर तेज सर्दी हो, सब कुछ... हमारा शरीर सहता है । इस प्रकार मनुष्य एवं धरती एक समान है |

प्रश्न 2: रहीम सज्जन व्यक्ति किसे मानते है ,और क्‍यों ?
उत्तर:
रहीम दास जी कहते है, कि जैसे एक पेड़ अपना फल खुद नहीं खाता है, और तालाब अपना पानी खुद नहीं पीता है| उसी प्रकार एक सज्जन व्यक्ति वह है, जो अपनी संपति किसी और के लिए रखता हो खुद के स्वार्थ के लिए नहीं । समय आने पर वह उसको वितृत करने में पीछे नहीं हट ता है|

प्रश्न 3: रहीम ने मछली को सच्ची प्रेमिका क्‍यों कहा है
उत्तर:
रहीम दास जी कहते है, कि जाल पड़ने पर पानी मछरी अर्थात मछली को खुद से अलग कर देता है, लेकिन मछली पानी से निकलने के बाद भी पानी के लिए तड़प -तड़प कर मर जाती है | इसलिए रहीम ने मछली को सच्ची प्रेमिका कहा है। जैसे प्रेमिका अपने प्रेमी से अलग होकर तडपती है | ठीक वैसी ही हालत मछली की हालत होती है पानी से बिछड़ने के बाद।

प्रश्न 4: रहीम के अनुसार सच्चा मित्र कैसा होना चाहिए ?
उत्तर:
रहीम दास जी कहते है, कि सच्चा मित्र वह है जो आपके बुरे वक्‍त में भी आपके पास और आपका साथ दे । न की ऐसा हो जब आपके पास संपत्ति हो, तो आपकी तारीफ करे और निर्धन होने पर आपका साथ छोड़ दे और आपको पहचानने से भी मना कर दे |  सच्चा मित्र वही है जो सुख और दुःख दोनों घडी में आपके साथ रहे ,आपसे कदम से कदम मिलकर चले।

प्रश्न 5: रहीम ने धनी मनुष्य के स्वभाव की तुलना किससे की है, और क्या ?
उत्तर:
रहीम ने धनी मनुष्य के स्वभाव की तुलन गरजते बादल से किया है | रहीम कहते हैं कि जैसे बादल गरजते है, उसी प्रकार जब कोई धनी मनुष्य निर्धन हो जाता है ,तो वह बार - बार अपनी बातों को बताने की कोशिश करता है ।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न:-    (5 अंक)               


प्रश्न 1: तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहि न पान। कहि रहीम पर काज हित , संपति सँचहि सुजान॥ निम्न पक्तियों का अर्थ लिखो ।
उत्तर:
रहीम दास जी कहते हैं, कि पेड़ अपने फल नहीं खाते हैं और झील (तालाब) भी अपना पानी नहीं पीते हैं। इसी तरह अच्छे और सज्जन पुरुष वे हैं, जो दूसरों के काम के लिए संपत्ति जमा करते हैं। समय आने पर सबकी सहायता करने के लिए तत्पर रहते हैं| अर्थात सज्जन लोगो के मन को उजागर किया गया है |दोहे में पेड़ और तालाब का उदाहरण लिया गया है,रहीम दस जी कहते है कि पेड़ कभी खुद के फल नहीं खाते और तालाब कभी स्वयं का जल नहीं पीते |उनकी तुलना सज्जन व्यक्ति के चरित्र से है |भाव ये है ,पेड़ और तालाब कि भाती सज्जन व्यक्ति भी  जीवन पर्यन्त दुसरो के लिए ही समर्पित होते है |अपनी संपत्ति को भी निस्वार्थ भावना से दूसरो कि सहायता के लिए खर्च कर देते है |

प्रश्न 2: “थोथे बादर क्वार के, ज्यों 'रहीम' घहरात  धनी पुरुष निर्धन भये , करें पाछिली बात” ॥ निम्न पक्तियों का अर्थ लिखो ।
उत्तर:
रहीम दास जी कहते हैं, कि क्वार महीने  जिस तरह से बिन पानी का एक बादल गरजता है। उसी तरह जब एक अमीर व्यक्ति गरीब हो जाता है ,तो वह बार-बार अपने आप बीती के बारे में बात करता है। अर्थात क्वार के महीने में जिस प्रकार आकाश में घने बादल  दिखते है ,पर बिना बारिश के को वो केवल गडगडाहट की अवाज करते है | उसी प्रकार जब कोई आमिर व्यक्ति गरीब हो जाता है या कंगाल हो जाता है, उसके मुख से केवल बड़ी बड़ी घमंडी बाते ही सुन ने को मिलती है जिनका कोई मूल्य नहीं होता | अतः रहीम दस जे ने बादल कि तुलना खोखले आमिर व्यक्ति से है |धन के अभाव में व्यक्ति और जल के अभाव में बादल का मोल खोखला हो जाता है |केवल तेज आवाज में बाते करना या गर्जना ही पर्याप्त नै होता |

प्रश्न 3: ”धरती की सी रीत है, सीत घाम औ मेह। जैसी परे सो सहि रहै , त्योंरी रहीम यह देह”॥ निम्न पंक्तियों का अर्थ लिखो ।
उत्तर:
इस दोहे में रहीम दास जी ने धरती के साथ मानव शरीर की स्थायी शक्ति का वर्णन किया है। वह कहते हैं, कि इस शरीर की क्षमता धरती की तरह है। जिस तरह धरती सर्दी-गर्मी बारिश की प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करती है।उसी तरह मानव शरीर भी जीवन में आने वाले सुख और दुख को सहन करने की शक्ति रखता है| अर्थात इस दोहे में रहीम दस जी ने धरती के साथ मनुष्य की सहन शक्ति की तुलना कि है| मनुष्य भी धरती के समान प्रत्येक विषम परिस्थिति को सहन करने में सक्षम होता है |धरती से प्रेरणा मिलती है , कि कभी मनुष्य धैर्य नहीं  छोड़ना चाहिए|

प्रश्न 4: “कहि 'रहीम' संपति सगे, बनत बहुत बहु रीति। बिपति-कसोंटी जे कसे, सोई सांचे मीत”॥ निम्न पक्तियोंका अर्थ लिखो |
उत्तर:
रहीम दास जी कहते है, कि अगर धन है, तो कई लोग रिश्तेदार बन जाते हैं। लेकिन एकमात्र सच्चे दोस्त वे हैं, जो प्रतिकूलता की कसौटी पर खड़े हैं। जैसे सोना खरा या खोटा उसको घिसने पर पता चल जाता है ,उसी तरह मुसीबत के समय जो साथ दे वही सच्चा मित्र हैऔर खरा सोनाहै|अर्थात रहीम दस जी कहते है,कि ,सच्चे मित्र कि पहचान केवल दुःख के समय होती है ,जब हमे किसी के सहारे कि आवश्यकता होती है तब हमारे समक्ष कोई नहीं आता ,हमारी सहायता के लिए अर्थात सुख में सब रिश्तेदार  मित्र साथ देते परन्तु जो व्यक्ति दुःख के समय साथ हो वही सच्चा मित्र होता है |और मित्रता की कसौटी पर खरा उतरता है|

The document Important Questions: रहीम के दोहे | Hindi (Vasant II) Class 7 is a part of the Class 7 Course Hindi (Vasant II) Class 7.
All you need of Class 7 at this link: Class 7
17 videos|166 docs|30 tests

Top Courses for Class 7

17 videos|166 docs|30 tests
Download as PDF
Explore Courses for Class 7 exam

Top Courses for Class 7

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

study material

,

Important Questions: रहीम के दोहे | Hindi (Vasant II) Class 7

,

Semester Notes

,

pdf

,

Important Questions: रहीम के दोहे | Hindi (Vasant II) Class 7

,

Objective type Questions

,

practice quizzes

,

Viva Questions

,

past year papers

,

MCQs

,

Extra Questions

,

shortcuts and tricks

,

Previous Year Questions with Solutions

,

Summary

,

Free

,

mock tests for examination

,

Sample Paper

,

video lectures

,

Exam

,

Important questions

,

ppt

,

Important Questions: रहीम के दोहे | Hindi (Vasant II) Class 7

;