नियुक्ति पत्र की धारा के अनुसार यदि कर्मचारी के द्वारा दिए गए घोषणापत्र / बयान या कोई सूचना लिखित तौर पर झूठ या असत्य पाया जाता है या उसे छुपाया जाता है जिससे उस पद के चयन के अर्हयता पर प्रश्न उठती है तो उसकी सेवाएँ बिना सूचना या भारपाई के ही ततछन समाप्त कर दी जाएगी. अतएव, यदि कोई कर्मचारी गलत प्रमाण प्रलेख (जैसे विद्यालय परित्याग पत्र जिसमे गलत जन्म तिथि और अथवा गलत योग्यता प्रमाण पत्र) जमा करते है जो अर्हयता के अनुरूप न हो तो उनकी सेवाएँ ततछन बिना कोई अनुशाषणनात्मक सुनवाई के ख़त्म कर दी जाएगी. विभाग के पास यह अधिकार है कि वह बिना कोई सूचना या भरपाई के नियुक्ति पत्र के नियम एवं शर्तों के अनुव्सर ऐसे व्यक्ति की सेवाएँ ख़त्म कर देगी.
मध्य और दक्षिण एशिया के दर्जनों देशों के बर्फिले पर्वतों तक चीतें पाये जाते है किन्तु हाल के दशकों में उनकी संख्या में गिरावट आयी क्योंकि शिकारी उनके धब्बेदार खाल चाहते थे और किसान अपने मवेशियों को बचाने के लिए उन्हे मारते थे। अब ऐसा लगता है कि उनकी संख्या तेजी से बढ़ रही है। इसके लिए एक सात-वर्षीय योजना और एक नई घोषित राष्ट्रीय उद्यान को आभार। वेज्ञानिकों ने वाखन राष्ट्रीय उद्यान में शर्मिले स्वाभाव वाले चीतों की खोजबीन कर उनकी संख्या 140 तक होने का अनुमान लगाया है। जबसे शिकार पर रोक लगाई गई है तब से यहाँ जंगली जानवरों की संख्या बढ़ रही है ंऔर ये शैलानियों को आकर्षित कर रहे है।
सरकार का लक्ष्य सात लाख बिजली से वंचित गावों तक बिजली पहुंचाना है. 7.5 लाख किलोमीटर सड़कों का निर्माण करके करीब 1.7 लाख गावों को जोड़ा जाएगा. सिंचाई परियोजनाओं में निधि से 80,००० किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले कृषि भूमि को जल की आवश्यकता पड़ रही है. जो भी हो, इस तरह का परिवर्तन वन्य प्राणी के संरक्षण की कीमत पर हुआ है. बढती हुई आधारभूत संरचनाओं और मरुस्थलों ने भारत की सोहन चिड़िया के लिए मृत्यु की घंटी बजा दिया है. जिसने कच्छ या थार के अंदरूनी इलाकों में एक दशक पहले यात्रा किया है वे पाएंगे कि ये जमीनी सुन्दरता किस तरह से ‘बिजली-सड़क-पानी’ योजना के कारण बदल गए है. पहले केवल मानसून के दरम्यान खेती की जाती थी और फिर इन जमीनों को सोहन चिड़ियाँ, हिरणों और लोमड़ियों के लिए छोड़ दी जानती थी. बिजली तारों का जाल हवाई गलियारों में बिछा पडा है. सोहन चिड़ियाँ इनसे टकरा जाती है क्योंकि उनकी सामने से दृष्टि कमजोर होती है जिससे वो तारों को आसानी से देख नहीं पाती है.
मच्छड़-जनित संक्रमण पुनः राजधानी को अपने चपेट में ले लिया है. स्थिति को समझते हुए दिल्ली उच्च न्यायलय ने कहा है कि दिल्ली के निवासियों को डेंगू ने अपने चपेट में ले लिया है. सरकार ने दिल्ली नगर निगम के लिए फण्ड मुहैया कराया है, धुंआ फ़ैलाने के काम को तेज कर दिया गया है और जनता में फैले डर पर काबू पाने के लिए अस्पताओं में बेडों की संख्या बढ़ा दी गयी है. क्या इसीलिए सरकारी अधिकारी विलम्ब से कार्यवाही किये थे? क्या इस वर्ष की परिस्थिति को राजधानी नजरंदाज कर सकती थी? इसका उत्तर राष्ट्रीय मलेरिया अनुसंधान संस्थान (NIMR) के रिपोर्ट में निहित है? घरेलु जनित रोकथाम DBCs को आठ महीने के बदले सालों भर यानी NIMR के रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल से नवम्बर तक रिपोर्ट बनानी चाहिए. दिल्ली के नगर निगम में इस तरह के रिपोर्ट को स्वीकार किया गया था फिर भी धरातल पर नाकाफी था.
जीडीपी में 9% की वृद्धि और चीन को पछाड़ने की बात करने के चार साल बाद, भारतीय यह मानने से हिचक रहे हैं कि अर्थव्यवस्था एक बड़ी गिरावट की ओर बढ़ रही है। लेकिन शेयर बाजार क्रैश कर गया है जो आने वाली समस्या का सूचक है। पश्चिमी पर्यवेक्षक आर्थिक महाशक्ति के रूप में भारत की काफी प्रशंसा करते रहे हैं। इसलिए, कई भारतीयों का मानना है कि हमने 9% की वृद्धि हासिल की है क्योंकि हम बहुत ही कुशल और साधन संपन्न हैं। यह इस उपलब्धि का भ्रम है। वास्तव में, वैश्विक तेजी ने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था और भारत को अन्य सभी के साथ संपन्न बना दिया है। अपनी ताकत को देखते हुए, हम कुछ अन्य की भाँती प्रभावित तो नहीं होंगे किन्तु प्रभावित तो होंगे ही।
उसका उत्साह क्षीण हो गया, मेहनत से घृणा हो गयी. आशा उत्साह की जननी है, आशा में तेज है, बल है, जीवन है. आशा ही संसार की संचालक शक्ति है. वह आशाहीन होकर उदास हो गया. वह जरूरतें, जिनको उसने साल भर तक टाल रखा था, अब द्वार पर खड़ी होने वाली भिखारनी न थी, बल्कि छाती पर सवार होने वाली पिशाचनियाँ थी जो अपने भेंट को लिए बिना जान नहीं छोड़ती.
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