प्रश्न 1: लेखक सेवाग्राम कब और क्यों गया था?
उत्तर: सन् 1938 में लेखक सेवाग्राम गया था। लेखक सेवाग्राम गाँधी जी से मिलने के लिए गया था। वह गाँधी जी से मिलने के लिए अत्यंत इच्छुक था।
प्रश्न 2: लेखक का गाँधी जी के साथ चलने का पहला अनुभव किस प्रकार का रहा?
उत्तर: लेखक के भाई पहले से ही गाँधी जी को देखने के लिए एक निश्चित स्थान पर आते थे। उन्होंने लेखक से कहा था कि गाँधी जी से मिलने के लिए उन्हें सुबह 7 बजे ही वहाँ आना होगा क्योंकि गाँधी जी हमेशा वहीं से गुजरते थे। सुबह सात बजते ही दोनों भाई गाँधी जी से मिलने के लिए भागते हुए वहाँ पहुँचे। लेखक उन्हें देखकर आश्चर्यचकित हो गए और उन्होंने बोला की गाँधी जी जैसे चित्र में दिखते हैं वैसे ही असल जीवन में भी दिखते हैं। गाँधी जी ने जब यह बात सुनी तो उनके चेहरे पर मुस्कान आयी और फिर वह आगे चले गए। लेखक का गाँधी जी से मिलने का यही अनुभव रहा।
प्रश्न 3: लेखक ने सेवाग्राम में किन लोगों के आने का जिक्र किया है?
उत्तर: जवाहरलाल नेहरू, गाँधी जी, यास्सेर अराफात, पृथ्वीसिंह आजाद, मीरा बेन, खान अब्दुल गफ्फार खान, राजेन्द्र बाबू, कस्तूरबा गाँधी, ये सभी लोग सेवाग्राम में आए थे।
प्रश्न 4: रोगी बालक के प्रति गाँधी जी का व्यवहार किस प्रकार का था?
उत्तर: गाँधी जी ने जब रोगी बालक को देखा तो उन्होंने उसके पेट पर हाथ फेरा और उसको उल्टी करने को कहा। जब वह उल्टी कर रहा था तो गाँधी जी उसके पीठ को हाथ फेर कर सहला रहे थे। थोड़ी ही देर में बालक की तबीयत ठीक हो गई और फिर गाँधी जी ने बालक को कहा कि ‘तू भी पागल है’। रोगी बालक के प्रति गाँधी जी का ऐसा ही व्यवहार था।
प्रश्न 5: कश्मीर के लोगों ने नेहरू जी का स्वागत किस प्रकार किया था?
उत्तर: कश्मीर के लोगों ने अलग-अलग फूलों की मालाओं के साथ नेहरू जी का स्वागत किया था।
प्रश्न 6: अख़बार वाली घटना से नेहरू जी के व्यक्तित्व की कौन सी विशेषता स्पष्ट होती है?
उत्तर: अख़बार वाली घटना के माध्यम से हमें नेहरू जी के व्यक्तित्व में सहनशीलता, मितभाषी और शालीनता के होने का पता चलता है। अख़बार वाली घटना यह है कि लेखक नेहरू जी के पढ़े हुए अख़बार को पढ़ रहा था। लेखक ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि उसको लगा कि नेहरू जी उससे अख़बार वापस मांगेंगे तो वह उनसे बात करेगा। जब नेहरू जी वापस आए तो उन्होंने देखा कि लेखक अख़बार पढ़ रहे थे। उन्होंने बड़ी विनम्रतापूर्वक लेखक से पूछा कि आपने अख़बार पढ़ लिया हो तो मुझे दे दीजिए मै भी पढ़ लूंगा। यह सुनकर लेखक को बहुत खुशी हुई।
प्रश्न 7: फिलिस्तीन के प्रति भारत का रवैया बहुत सहानभूतिपूर्ण एवं समर्थन भरा क्यों था?
उत्तर: भारत ने फिलिस्तीन को हमेशा सहानभूति और समर्थन दिखाया है क्योंकि कोई अन्य देश उसके विकास के समर्थन में नहीं था। फिलिस्तीन के लोग बहुत ही अच्छे स्वभाव के थे और सभी के साथ विनम्रतापूर्वक बात करते थे। इसलिए भारत का रवैया फिलिस्तीन के प्रति अच्छा था।
प्रश्न 8: अराफात के आतिथ्य प्रेम से संबन्धित किन्हीं दो घटनाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर: अराफात के आतिथ्य प्रेम से संबन्धित दो घटनाएँ इसप्रकार हैं:-
प्रश्न 9: अराफात ने ऐसा क्यों बोला की ‘वे आपके ही नहीं हमारे भी नेता हैं उतने ही आदरणीय जितने आपके लिए।’ इस कथन के आधार पर गाँधी जी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर: अराफात ने बोला कि गाँधी जी बस आपके नेता नहीं हैं, वह हम सभी के नेता हैं। अराफात ने यह कहकर गाँधी जी के व्यक्तित्व को दर्शाया है। गाँधी जी से प्रभावित होकर अन्य लोगों ने भी उनकी शिक्षा को अपनाया और उनसे ही कई नेताओं ने अहिंसावाद के बारे में जाना।
प्रश्न 1: पाठ से क्रिया-विशेषण छाँटिए और उनका अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए :
उत्तर: सात बजे (कालवाचक)
तुम सात बजे आना।
धीमी (रीतिवाचक)
वह धीमी चलती है।
चुपचाप (रीतिवाचक)
यहाँ से चुपचाप चले जाओ।
हँसते हुए (रीतिवाचक)
वह हँसते हुए बोला।
एक ओर (स्थानवाचक)
तुम एक ओर खड़े हो जाओ।
प्रश्न 2: “मैं सेवाग्राम” “माँ जैसी लगती” गद्यांश में क्रिया पर ध्यान दीजिए।
उत्तर: इस गद्यांश में क्रियाओं को मोटे अक्षरों में संकेतित किया हैमैं सेवाग्राम में लगभग तीन सप्ताह तक रहा। अक्सर ही प्रातः उस टोली के साथ हो लेता। शाम को प्रार्थना सभा में जा पहुँचता, जहाँ सभी आश्रमवासी तथा कस्तूरा एक ओर को पालथी मारे और दोनों हाथ गोद में रखे बैठी होतीं और बिल्कुल मेरी माँ जैसी लगतीं।
प्रश्न 3: नेहरूजी द्वारा सुनाई गई कहानी को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर: कहानी
पेरिस शहर में एक बाजीगर रहता था। वह तरह-तरह के करतब दिखाकर अपना पेट पालता था। एक बार क्रिसमस का पर्व आया। पेरिस निवासी सज-धज कर हाथों पर फूलों के गुच्छे और उपहार लेकर माता मरियम को श्रद्धांजलि अर्पित करने गिरजे में जा रहे थे। गिरजे के बाहर बाजीगर उदास खड़ा था। उसके पास माता मरियम के चरणों में रखने के लिए कोई तोहफा नहीं था। उसके कपड़े भी फटे थे। उसने मन में सोचा कि मैं माता मरियम को अपना करतब दिखाकर प्रसन्न कर सकता हूँ। जब गिरजा खाली हो गया तो वह बाजीगर चुपके से गिरजे में घुस गया और अपने कपड़े उतार कर माता मरियम को अपने करतब दिखाने लगा। इस प्रयास में वह हाँफने तक लगा। तभी गिरजे का पादरी आ गया। वह बाजीगर को यह सब करते देखकर तिलमिला उठा। उसने सोचा कि वह लात मारकर उसे गिरजे से बाहर निकाल दे। तभी एक चमत्कार हुआ। माता मरियम अपने मंच से उत्तकर उस बाजीगर के पास गई और अपने आँचल सें उसके माथे का पसीना पोंछा और उसके सिर को सहलाने लगी।
प्रश्न 1: भीष्म साहनी की अन्य रचनाएँं ‘तमस’ तथा ‘मेरा भाई बलराज’ पढ़िए।
उत्तर: शायद ही कोई पुस्तक प्रेमी उनके लिखे उपन्यास 'तमस' और नाटक 'कबीरा खड़ा बाज़ार में' से परिचित न हो
बहुत लोग ऐसा मानते हैं कि 'तमस' में भारत के विभाजन की जो तस्वीर उन्होंने उकेरी है वो दुर्लभ है. इस पर टीवी सीरियल भी बन चुका है.
हिन्दी के प्रतिष्ठित समीक्षक और आलोचक नामवर सिंह का मानना है कि बहुमुखी प्रतिभा के धनी भीष्म साहनी की तुलना किसी अन्य लेखक से नहीं की जा सकती.
भीष्म साहनी प्रेमचंद के बाद सबसे महत्वपूर्ण कथाकारों में से एक रहे हैं. मशहूर अभिनेता रहे बलराज साहनी उनके बड़े भाई थे.
प्रश्न 2: यास्सेर अराफात के आतिथ्य से क्या प्रेरणा मिलती है और अपने अतिथि का सत्कार आप किस प्रकार करना चाहेंगे ?
उत्तर: मोहम्मद अब्दुल रहमान अब्दुल रऊफ़ अराफ़ात अलकुव्दा अल हुसैनी (4 अगस्त, 1929 – 11 नवंबर, 2004), जिन्हें यासिर अराफ़ात के लोकप्रिय नाम से ज्यादा जाना जाता है एक फिलिस्तीनी नेता एवं फिल्स्तीनी मुक्ति संगठन के अध्यक्ष थे। अराफात ऐसे पहले शख्स थे, जिन्हें किसी राष्ट्र का नेतृत्व न करते हुए भी संयुक्त राष्ट्र में भाषण देने के लिए आमंत्रित किया गया था। अराफात के नेतृत्व में उनके संगठन ने शांति की जगह संघर्ष को बढ़ावा दिया और इजरायल हमेशा उनके निशाने पर रहा। शांति से दूर संघर्ष की पहल करने वाले अराफात की छवि 1988 में अचानक बदली हुई दिखी। वो संयुक्त राष्ट्र में शांति के दूत के रूप में नजर आए। बाद में उन्हें शांति के नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। नेहरू-गांधी परिवार के साथ इनकी बहुत करीबियां थीं। इंदिरा गांधी को वो अपनी बड़ी बहन मानते थे। इन्होंने भारत में 1991 के चुनाव अभियान के दौरान राजीव गांधी को जानलेवा हमले को लेकर आगाह किया था।
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