यह कविता सोहन लाल द्विवेदी द्वारा लिखी गई है। इसमें एक शरारती प्राणी का वर्णन किया गया है, जो घर में अजीब हरकतें करता है। यह बच्चों के लिए एक मजेदार और रोमांचक कविता है।
कौन?
किसने बटन हमारे कुतरे?
किसने स्याही को बिखराया?
कौन चट कर गया दुबक कर
घर-भर में अनाज बिखराया?
व्याख्या: इन पंक्तियों में कवि एक रहस्यमयी सवाल कर रहे हैं। वे जानना चाहते हैं कि कौन यह सारी शरारतें कर रहा है। यह शरारती प्राणी चुपके से बटन कुतर देता है, स्याही फैला देता है और घर का अनाज चुपचाप खा जाता है। कवि की बेचैनी और असमंजस इन पंक्तियों से झलकती है।
दोना खाली रखा रह गया
कौन ले गया उठा मिठाई?
दो टुकड़े तसवीर हो गई
किसने रस्सी काट बहाई?
व्याख्या: इन पंक्तियों में कवि बताते हैं कि शरारती प्राणी मिठाई उठा ले गया और तस्वीर को भी दो टुकड़ों में तोड़ दिया। साथ ही, रस्सी को काटकर उसने और गड़बड़ कर दी। कवि यहाँ यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि यह सब नुकसान कौन कर रहा है।
कभी कुतर जाता है चप्पल,
कभी कुतर जूता है जाता,
कभी खलीता पर बन आती,
अनजाने पैसा गिर जाता।
व्याख्या: यहाँ कवि बताते हैं कि वह प्राणी कभी चप्पल कुतर देता है, कभी जूता। कभी पैसों का थैला काट देता है, जिससे अनजाने में पैसे गिर जाते हैं। यह शरारती प्राणी कवि के लिए एक बड़ी समस्या बन गया है।
किसने जिल्द काट डाली है?
बिखर गए पोथी के पन्ने।
रोज़ टाँगता धो-धोकर मैं,
कौन उठा ले जाता छन्ने?
व्याख्या: इन पंक्तियों में कवि बताते हैं कि वह प्राणी किताबों की जिल्द काट देता है और उनके पन्ने बिखेर देता है। धो-धोकर टांगे गए कपड़े भी गायब कर देता है। कवि इस शरारत से परेशान होकर उसका नाम जानना चाहते हैं।
कुतर-कुतर कर कागज़ सारे
रद्दी से घर को भर जाता।
कौन कबाड़ी है जो कूड़ा
दुनिया भर का घर भर जाता?
व्याख्या: यहाँ कवि कहते हैं कि वह शरारती प्राणी कागज़ कुतर-कुतरकर रद्दी से घर भर देता है। वह ऐसा लगता है जैसे कोई कबाड़ी हो, जो कूड़ा-कचरा इकट्ठा करता है और घर में भर देता है।
कौन रात भर गड़बड़ करता?
हमें नहीं देता है सोने,
खुर - खुर करता इधर-उधर है
ढूँढ़ा करता छिप-छिप कोने।
व्याख्या: इन पंक्तियों में कवि बताते हैं कि वह प्राणी रातभर गड़बड़ करता रहता है। उसकी हरकतें सोने नहीं देतीं। वह इधर-उधर खुर-खुर करता है और कोनों में छिपकर चीजें खोजता रहता है।
रोज़ रात-भर जगता रहता
खुर - खुर इधर-उधर है धाता।
बच्चों उसका नाम बताओ
कौन शरारत यह कर जाता?
व्याख्या: कवि अंत में बच्चों से सवाल करते हैं कि वे इस शरारती प्राणी का नाम बताएं। यह प्राणी रातभर जागकर शरारत करता है और घर में अजीब हरकतें करता है। यह कवि की जिज्ञासा को बढ़ाता है।
कविता में कवि बताते हैं कि एक प्राणी घर में बटन, किताबें और चप्पल कुतर देता है। वह अनाज खा जाता है, कपड़े उठा ले जाता है और रातभर गड़बड़ करता है। उसकी हरकतें सोने नहीं देतीं। आखिर में कवि बच्चों से पूछते हैं कि यह शरारती प्राणी कौन है। संभवतः वह चूहा है।
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