(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सही उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (★) बनाइए—
(1) "किन्तु यह इच्छा पूर्ण होती नहीं दिखाई देती।" बिस्मिल को अपनी किस इच्छा के पूर्ण न होने की आशंका थी?
उत्तर: अपनी माँ की जीवनपर्यंत सेवा करने की (★)
(2) रामप्रसाद बिस्मिल की माँ का सबसे बड़ा आदेश क्या था?
उत्तर: कभी किसी के प्राण न लेना (★)
(ख) अब अपने मित्रों के साथ तर्कपूर्ण चर्चा कीजिए कि आपने ये ही उत्तर क्यों चुने?
उत्तर: पहले प्रश्न का उत्तर पाठ में स्पष्ट रूप से दिया गया है जहाँ बिस्मिल कहते हैं कि उनकी इच्छा है कि वे अपनी माँ की सेवा कर सकें, लेकिन यह पूरी होती नहीं दिखाई देती।
दूसरे प्रश्न का उत्तर भी पाठ में स्पष्ट है जहाँ लिखा है कि उनकी माँ का सबसे बड़ा आदेश था कि किसी की प्राणहानि न हो।
पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें पढ़कर समझिए और इन पर विचार कीजिए । आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? कक्षा में अपने विचार साझा कीजिए और लिखिए।
(क) “यदि मुझे ऐसी माता न मिलतीं, तो मैं भी अति साधारण मनुष्यों की भाँति संसार-चक्र में फँसकर जीवन निर्वाह करता।”
उत्तर: बिस्मिल की माँ के प्रति उनकी गहरी श्रद्धा थी। क्रांतिकारी जीवन की प्रेरणा और सहयोग बिस्मिल को अपनी माँ से मिला। उन्होंने खुद को पूरी तरह से देश की स्वतंत्रता के लिए समर्पित कर दिया।
(ख) “उनके इस आदेश की पूर्ति करने के लिए मुझे मज़बूरन दो-एक बार अपनी प्रतिज्ञा भंग भी करनी पड़ी थी।”
उत्तर: बिस्मिल की माता जी ने उन्हें सबसे महत्वपूर्ण आदेश दिया था कि कभी किसी की जान न जाए। उन्होंने सिखाया था कि दुश्मन को भी मौत की सजा न मिले। बिस्मिल ने कुछ लोगों को मौत की सजा देने की प्रतिज्ञा ली थी, लेकिन उनकी माँ ने उनसे वादा लिया कि वे बदले में किसी की जान नहीं लेंगे।
पाठ में से चुनकर कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें इनके सही अर्थ या संदर्भों से मिलाइए। इसके लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट, पुस्तकालय या अपने शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं।
उत्तर:
पाठ को एक बार फिर से पढ़िए और दिए गए प्रश्नों के बारे में पता लगाकर अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए।
प्रश्न 1: बिस्मिल की माता जी जब ब्याह कर आईं तो उनकी ‘आयु काफ़ी कम थी।
(क) फिर भी उन्होंने स्वयं को अपने परिवार के अनुकूल कैसे ढाला?
उत्तर: बिस्मिल की माँ का विवाह ग्यारह वर्ष की आयु में हुआ था, और ससुराल आते ही उन्होंने लगन से गृहकार्य सीख लिया और परिवार के काम-काज को कुशलतापूर्वक संभालने लगीं। बिस्मिल के जन्म के कुछ वर्षों बाद उन्होंने हिंदी पढ़ना सीखा और फिर बिस्मिल और उनकी बहनों को भी पढ़ाना शुरू कर दिया।
(ख) उन्होंने अपनी इच्छाशक्ति के बल पर स्वयं को कैसे शिक्षित किया?
उत्तर: बिस्मिल की माँ की इच्छाशक्ति बहुत दृढ़ थी। विवाह के कुछ वर्षों बाद, उन्होंने घर पर ही शिक्षित सहेलियों के संपर्क में आकर देवनागरी की किताबें पढ़ना सीख लिया। माताजी बहुत परिश्रमी थीं और गृहकार्य के बाद बचे समय में पढ़ाई करती थीं। इस प्रकार उन्होंने प्रबल इच्छाशक्ति का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया।
प्रश्न 2: बिस्मिल को साहसी बनाने में उनकी माता जी ने कैसे सहयोग दिया?
उत्तर: बिस्मिल के व्यक्तित्व को आकार देने में उनकी माँ की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण थी। जीवन के हर मोड़ पर उन्होंने अपने पुत्र बिस्मिल को प्रेरित किया। कम उम्र में ही बिस्मिल ने अपनी माँ से प्रेरणा लेकर साहस, वीरता और देश सेवा का मार्ग चुना। अपनी जन्मभूमि के लिए समर्पित बेटे पर उनकी माँ को गर्व था। उन्होंने संकट के समय भी बिस्मिल को धैर्य बनाए रखने की सीख दी।
प्रश्न 3: आज से कई दशक पहले बिस्मिल की माँ शिक्षा के महत्व को समझती थीं, बताइए कैसे?
उत्तर: बिस्मिल की माँ ने बचपन से ही उनमें प्रेम, साहस और दृढ़ता के गुण विकसित किए। अपने कम उम्र में विवाह के बावजूद, उन्होंने अपनी मजबूत इच्छाशक्ति के साथ खुद को शिक्षित किया। बाद में, उन्होंने बिस्मिल और उनकी बहनों को भी पढ़ाया-लिखाया। अपनी शिक्षा और वाणी से उन्होंने बिस्मिल के जीवन में सकारात्मक मूल्यों का विकास किया। माँ के इस प्रोत्साहन के कारण ही रामप्रसाद धर्म के मार्ग पर चलकर अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सके।
प्रश्न 4: हम कैसे कह सकते हैं कि बिस्मिल की माँ स्वतंत्र और उदार विचारों वाली थीं?
उत्तर: रामप्रसाद बिस्मिल की माँ स्वतंत्र और उदार विचारों वाली सशक्त महिला थीं। वे बिस्मिल को हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती थीं। शिक्षा के अलावा, वे उन्हें देशसेवा के लिए विभिन्न सम्मेलनों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करती थीं। बिस्मिल की बहनों को भी उन्होंने छोटी उम्र में ही शिक्षा दी। अपनी माँ के स्वतंत्र और उदार विचारों के कारण ही बिस्मिल स्वाधीनता संग्राम की क्रांतिकारी गतिविधियों में हिस्सा ले सके और देश की आज़ादी के लिए संकल्पित हुए।
(क) इस पाठ को एक बार फिर से पढ़िए और अपने-अपने समूह में मिलकर इस पाठ की ऐसी सूचियाँ बनाइए जिनसे पता लगे कि लेखक अपने बारे में क्या कह रहा है।
उत्तर: आत्मकथा की रचना के लिए पाठ से पंक्तियाँ चुनना:
(ख) अपने समूह की सूचियों को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए।
उत्तर: अध्यापक की सहायता से विद्यार्थीगण इस गतिविधि को पूर्ण करेंगे।
(क) “माता जी उनसे अक्षर-बोध करतीं।” इस वाक्य में अक्षर-बोध का अर्थ है- अक्षर का बोध या ज्ञान।
एक अन्य वाक्य देखिए— “जो कुछ समय मिल जाता, उसमें पढ़ना-लिखना करतीं।” इस वाक्य में पढ़ना-लिखना अर्थात पढ़ना और लिखना।
हम लेखन में शब्दों को मिलाकर छोटा बना लेते हैं जिससे समय, स्याही, कागज़ आदि की बचत होती है। संक्षेपीकरण मानव का स्वभाव भी हैं। इस पाठ से ऐसे शब्द खोजकर सूची बनाइए।
उत्तर:
(क) रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ के मित्रों के नाम खोजिए और स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी भागीदारी पर कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर: रामप्रसाद 'बिस्मिल' के कुछ प्रसिद्ध मित्र थे:
आप पुस्तकालय से रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ की आत्मकथा खोजकर पढ़िए।
देशभक्तों से संबंधित अन्य पुस्तकें, जैसे— उनके पत्र, आत्मकथा, जीवनी आदि पढ़िए और अपने मित्रों से साझा कीजिए।
उत्तर: रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ की आत्मकथा "निज जीवन की एक छटा"
अन्य देशभक्तों की आत्मकथाएँ या जीवनियाँ, जैसे:
आप अपनी माँ को क्या कहकर संबोधित करते हैं? अन्य भाषाओं में माँ के लिए प्रयुक्त संबोधन और माँ के लिए शब्द ढूँढ़िए।
क्या उनमें कुछ समानता दिखती है? हाँ, तो क्या?
उत्तर:
अधिकांश शब्दों में 'म' ध्वनि की समानता दिखाई देती है।
यहाँ दी गई वर्ग पहेली में पाठ से बारह विशेषण दिए गए हैं। उन्हें छाँटकर पाठ में रेखांकित कीजिए।
उत्तर:
ऐ मातृभूमि !
ऐ मातृभूमि! तेरी जय हो, सदा विजय हो ।
प्रत्येक भक्त तेरा, सुख-शांति-कांतिमय हो।
अज्ञान की निशा में, दुख भरी दिशा में;
संसार के हृदय में, तेरी प्रभा उदय हो।
तेरा प्रकोप सारे जग का महाप्रलय हो।
तेरी प्रसन्नता ही आनंद का विषय हो।
वह भक्ति दे कि ‘बिस्मिल’ सुख में तुझे न भूले,
वह शक्ति दे कि दुख में कायर न यह हृदय हो।
– रामप्रसाद ‘बिस्मिल’
व्याख्या: यह कविता देशभक्ति और मातृभूमि के प्रति समर्पण की भावना को व्यक्त करती है। कवि मातृभूमि की जय और विजय की कामना करता है। वह चाहता है कि मातृभूमि का प्रकाश अज्ञान और दुःख को दूर करें। कवि प्रार्थना करता है कि वह सुख में मातृभूमि को न भूलें और दुःख में कायर न हो।
माँ से संबंधित पाँच रचनाएँ पुस्तकालय से खोजें और अपनी पत्रिका बनाएँ।
पाठ पर आधारित गतिविधियों को छात्र – छात्राएँ मिलकर अपने शिक्षकों की सहायता से पूर्ण करें।
उत्तर: माँ से संबंधित पाँच रचनाएँ हैं, जैसे:
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1. "मेरी माँ" पाठ का मुख्य विषय क्या है ? |
2. इस पाठ में माँ के किस गुण को सबसे ज्यादा महत्व दिया गया है ? |
3. "मेरी माँ" पाठ से हमें क्या सीखने को मिलता है ? |
4. पाठ में माँ का किस प्रकार का चित्रण किया गया है ? |
5. "मेरी माँ" पाठ का लेखक कौन है ? |
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