Table of contents | |
मेरी समझ से | |
पंक्तियों पर चर्चा | |
मिलकर करें मिलान | |
शीर्षक | |
कविता की रचना | |
शब्द के भीतर शब्द | |
आपकी बात | |
समानार्थी शब्द | |
आज की पहेली | |
खोजबीन के लिए |
अब हम इस कविता पर विस्तार से चर्चा करेंगे। आगे दी गई गतिविधियाँ इस कार्य में आपकी सहायता करेंगी।
(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (★) बनाइए –
(1) चतेक शत्रुओं की सेना पर किस प्रकार टूट पड़ता था?
उत्तर: चेतक बादल की तरह शत्रु की सेना पर वज्रपात बनकर टूट पड़ता था। (★)
(2) 'लेकर सवार उड़ जाता था।' इस पंक्ति में 'सवार' शब्द किसके लिए आया है?
उत्तर: महाराणा प्रताप (★)
(ख) अब अपने मित्रों के साथ तर्कपूर्ण चर्चा कीजिए कि आपने ये ही उत्तर क्यों चुने?
उत्तर: महारणा प्रताप का घोडा बहुत होशियार था। महारणा प्रताप ने कभी उसे कौड़े नहीं मारे। वह हर वार से महराणा प्रताप को बचा लेता था। वह इतनी तेजी से अपने शत्रु पर टूट पड़ता जैसे मानो हाथियो के दल के समान बादल सब पर टूट पड रहे हो। सवार का अर्थ है किसी की सवारी करना किसी को अपने ऊपर बैठा कर उसे घूमना या फिर एक जगह से दूसरी जगह लेकर जाना। इसी तरह से चेटक महारणा प्रताप को अपनी पीठा पर बैठकर लेकर जाता था।
पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें पढ़कर समझिए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? कक्षा मे अपने विचार साझा कीजिए और अपनी लेखन पुस्तिका मे लिखीए।
(क) “निर्भीक गया वह ढालों में, सरपट दौड़ा करवालों में।”
उत्तर: चेतक शत्रु सेना मे बिना डरे चला जाता था। उसे किसी का भी डर नहीं लगता था। अनगिनत भालों के बीच भी वह चला जाता था। वह सर्प की तरह एक जगह से दूसरी जगह चला जाता थे। शत्रु सेना का उसे बिलकुल भी भाय नहीं लगता।
(ख) “भाला गिर गया, गिरा निषंग, हय-टापों से खन गया अंग।”
उत्तर: जब महारणा प्रताप के हाथ से भला गिर गया तब राणा प्रताप निशस्त्र हो गया। यह बात चेतक के समझमे आ गई तोवह हवा के जैसे दौड़ने लगा। शत्रु सेना को भी समझ नहीं आ रहा था के यह क्या हो रहा है। चेतक को सिर्फ राणा प्रताप के प्राणों की रक्षा करनी थी।
यह कविता 'हल्दीघाटी' शीर्षक काव्य कृति का एक अंश है। यहाँ इसका शीर्षक 'चेतक की वीरता' दिया गया है। आप इसे क्या शीर्षक देना चाहेंगे और क्यों?
उत्तर: हाँ! यह कविता हल्दीघाटी काव्यकृति का एक अंश है। इसका शीर्षक ‘चेतक की वीरता’ सटीक है क्योंकि इस अंश में चेतक के शौर्य, फुर्तीलेपन और समझदारी का वर्णन है। फिर भी यदि और शीर्षक देना है तो वह भी चेतक के बिना अधूरा होगा—“महाराणा प्रताप और चेतक ” इस शीर्षक का स्थान ले सकता है।
“चेतक बन गया निराला था।”
“पड़ गया हवा को पाला था।”
“राणा प्रताप का कोड़ा था । ”
” या आसमान पर घोड़ा था । ”
रेखांकित शब्दों पर ध्यान दीजिए। ये शब्द बोलने-लिखने में थोड़े मिलते-जुलते हैं। इस तरह की तुकांत शैली प्रायः कविता में आती है। कभी-कभी कविता अतुकांत भी होती है। इस कविता में आए तुकांत शब्दों की सूची बनाइए ।
उत्तर: उड़ / मुड़ चालों / भालों ढ़ालों / करवालों यहाँ / वहाँ जहाँ / कहाँ लहर / ठहर निषंग / अंग दंग / रंग ।
“या आसमान का घोड़ा था । ”
‘आसमान’ शब्द के भीतर कौन-कौन से शब्द छिपे हैं-
आस, समान, मान, सम, आन, नस आदि ।
अब इसी प्रकार कविता में से कोई पाँच शब्द चुनकर उनके भीतर के शब्द खोजिए।
उत्तर:
“जो तनिक हवा से बाग हिली
लेकर सवार उड़ जाता था।”
(क) ‘हवा से लगाम हिली और घोड़ा भाग चला’ कविता को प्रभावशाली बनाने में इस तरह के प्रयोग काम आते हैं। कविता में आए ऐसे प्रयोग खोजकर परस्पर बातचीत करें।
उत्तर: ‘हवा से लगाम हिली और घोड़ा भाग चला’ जैसे प्रयोग कविता को ज्यादा प्रभावशाली बनाते हैं। ये घोड़े की गति और शक्ति को दिखाते हैं, जिससे कविता और भी जीवंत लगती है।
(ख) कहीं भी, किसी भी तरह का युद्ध नहीं होना चाहिए। इस पर आपस में बात कीजिए।
उत्तर: कहीं भी, किसी भी तरह का युद्ध नहीं होना चाहिए। कोई भी युद्ध चाहे वह वाक् युद्ध हो या बाण – युद्ध हो, परिणाम विनाश ही होता है। इससे हानि केवल किसी एक पक्ष को ही नहीं उठानी पड़ती, अपितु दोनों ही पक्षों का नुकसान होता है। हार हो या जीत हो, किसी को कम तो किसी को ज़्यादा नुकसान अवश्य होता है। संबंधों में कड़वाहट आती है। । समाज और देश को तोड़ कर रख देता है। इसका फायदा नकारात्मक शक्तियों को मिलता है। विकास रुक जाता है। सामरिक युद्ध में प्रयोग किए जाने वाले हथियार इतने विनाशकारी हैं कि उनका प्रयोग पूरी मानव जाति के लिए खतरा है। मानव समाज के ताने-बाने को बचाने के लिए समस्याओं को आपसी बातचीत के माध्यम से सुलझाने का प्रयत्न करना चाहिए । युद्ध किसी भी समस्या का समाधान नहीं होता ।
कुछ शब्द समान अर्थ वाले होते हैं, जैसे— हय, अश्व और घोड़ा। इन्हें समानार्थी शब्द कहते हैं। मल्हार यहाँ पर दिए गए शब्दों से उस शब्द पर घेरा बनाइए जो समानार्थी न हों—
उत्तर:
तीन अक्षर का मेरा नाम, उल्टा सीधा एक समान ।
दिन में जगता, रात में सोता, यही मेरी पहचान।।
उत्तर: जलज |
एक पक्षी ऐसा अलबेला, बिना पंख उड़ रहा अकेला।
बाँध गले में लंबी डोर, पकड़ रहा अंबर का छोर ।
उत्तर: पतंग |
रात में हूँ दिन में नहीं, दीये के नीचे हूँ ऊपर नहीं
बोलो बोलो – मैं हूँ कौन?
उत्तर: अंधेरा |
मुझमें समाया फल, फूल और मिठाई
सबके मुँह में आया पानी मेरे भाई।
उत्तर: गुलाबजामुन ।
सड़क है पर गाड़ी नहीं, जंगल है पर पेड़ नहीं
शहर है पर घर नहीं, समंदर है पर पानी नहीं।
उत्तर: मानचित्र |
प्रश्न 1: महाराणा प्रताप कौन थे? उनके बारे में इंटरनेट या पुस्तकालय से जानकारी प्राप्त करके लिखिए ।
उत्तर: महाराणा प्रताप मेवाड़ के सिसोदिया राजवंश के एक प्रसिद्ध राजा थे। उनका जन्म 9 मई 1540 को उदय सिंह द्वितीय और जयवंताबाई के घर हुआ था। उनके छोटे भाई शक्ति सिंह और जगमाल सिंह थे। महाराणा प्रताप का विवाह बिजोलिय की अजबदे पंवार से हुआ था । 1572 में उदय सिंह की मृत्यु के बाद मेवाड़ की गद्दी पर कौन बैठेगा, इस पर कुछ समय के लिए खींचतान हुई । महाराण प्रताप के अन्य सौतेले भाई भी मेवाड़ की गद्दी के लिए होड़ में थे। हालाँकि उनके पिता के दरबार के वरिष्ठ रईस चाहते थे कि प्रताप ही राजगद्दी संभाले क्योंकि वे ही उदय सिंह द्वितीय के सबसे बड़े पुत्र थे। इस प्रकार 1 मार्च 1972 को 32 वर्ष की आयु में महाराणा प्रताप को ऐत की पदी सुट्टी एस. बिहार तारा।
उदय सिंह द्वितीय के शासनकाल में मेवाड़ का उपजाऊ पूर्वी आधा हिस्सा विस्तारवादी मुगल साम्राज्य ने हथिया लिया था। पश्चिमी आधा हिस्सा सिसोदिया राजपूतों के पास था। सन् 1572 में ही मुगल सम्राट अकबर ने उन्हें मुगल साम्राज्य का जागीरदार बनने के लिए मनाने के अनेक प्रयास किए। उस क्षेत्र के अन्य राजपूत राजाओं ने मुगलों की जागीरदारी स्वीकार कर ली थी। किंतु महाराणा प्रताप ने अकबर के सामने व्यक्तिगत रूप से समर्पण करने से इनकार कर दिया था। इसलिए युद्ध तो होना ही था ।
पहले हल्दीघाटी के सकेर पहाड़ी दर्रे में हुए युद्ध में हारकर महाराणा प्रताप को पीछे हटना पड़ा। फिर भी मुगलों की यह जीत अधूरी थी क्योंकि वे प्रताप या उनके परिवार के किसी भी सदस्य को पकड़ नहीं पाए थे।
सन् 1582 में महाराणा प्रताप ने मुगलों पर हमला करके देवर में मुगल चौकी पर कब्जा कर लिया। इसके बाद उन्होंने उमलगढ़, उदयपुर और गोगुंडा को फिर प्राप्त कर लिया । वहाँ पर नई राजधानी चांवड़ का निर्माण किया।
महाराणा प्रताप का निधन 19 जनवरी 1597 को 56 वर्ष की अवस्था में हुआ। महाराणा प्रताप का मुगल साम्राज्य के खिलाफ लगभग अकेले और अन्य राजपूत राज्यों की सहायता के बिना संघर्ष राजपूत वीरता का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। उनके गुरिल्ला युद्ध पद्धति का अनुकरण स्वयं छत्रपति शिवाजी ने भी किया।
प्रश्न 2: इस कविता में चेतक एक ‘घोड़ा’ है। पशु-पक्षियों पर आधारित पाँच रचनाओं को खोजिए और अपनी कक्षा की दीवार पत्रिका पर लगाइए ।
उत्तर: नीलकंठ, गौरा, गिल्लू, वह चिड़िया जो, चालाक लोमड़ी।
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1. चेतक कौन था और उसकी वीरता के बारे में क्या विशेष है? |
2. 'चेतक की वीरता' कविता का मुख्य संदेश क्या है? |
3. इस पाठ में चेतक की कौन-सी विशेषताओं का वर्णन किया गया है? |
4. कविता की रचना में कौन-से तत्व महत्वपूर्ण होते हैं? |
5. समानार्थी शब्दों का उपयोग क्यों किया जाता है? |
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