उत्तर: नीति-कुशलता (★)
उत्तर: राज-काज संभालने योग्य शक्ति न रहना (★)
(ख) अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर:
(क) आपने जो कहानी पढ़ी है, इसका नाम प्रेमचंद ने ‘परीक्षा’ रखा है। अपने समूह में चर्चा करके लिखिए
उत्तर: कि उन्होंने इस कहानी का यह नाम क्यों दिया होगा? अपने उत्तर के कारण भी लिखिए। चूँकि प्रेमचंद द्वारा लिखित ‘परीक्षा’ शीर्षक कहानी का केंद्रीय भाव एक रियासत के दीवान के पद हेतु हर दृष्टि से योग्य, उदार, दयालु तथा नीतिकुशल व्यक्ति का चयन है, अतएव इन्हीं कारणों से प्रेमचंद ने इस कहानी का शीर्षक ‘परीक्षा’ रखा होगा।
(ख) यदि आपको इस कहानी को कोई अन्य नाम देना हो तो क्या नाम देंगे? आपने यह नाम क्यों सोचा, यह भी बताइए?
उत्तर: यद्यपि इस कहानी का प्रेमचंद द्वारा दिया गया शीर्षक ‘परीक्षा’ सर्वथा उपयुक्त है, तथापि यदि मुझे इस कहानी का कोई अन्य नाम देना होता तो मैं इसका शीर्षक ‘परख’ देता। इसका कारण यह है कि सुजानसिंह ने एक जौहरी के रूप में दया, आत्मबल तथा नीतिकुशलता को धारण करने वाले एक व्यक्ति की परख की।
कहानी में से चुनकर यहाँ कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए।
“इस पद के लिए ऐसे पुरुष की आवश्यकता थी, जिसके हृदय में दया हो और साथ-साथ आत्मबल। हृदय वह जो उदार हो, आत्मबल वह जो आपत्ति का वीरता के साथ सामना करे। ऐसे गुणवाले संसार में कम हैं और जो हैं, वे कीर्ति और मान के शिखर पर बैठे हुए हैं।” इस पंक्ति का क्या अर्थ है?
उत्तर: दीवान सुजानसिंह ने कहा कि दीवान पद के लिए एक ऐसे योग्य व्यक्ति की आवश्यकता थी जो परोपकारी हो, जिसके मन में दुखी व गरीब लोगों के लिए दया का भाव हो । उन्होंने कहा जो व्यक्ति अपने स्वयं के बल पर भरोसा रखता हो और जो हर परिस्थिति में अपनी वीरता से अपने गुणों का प्रमाण देता हो। वो संसार में यश कमाता है। उसकी सदैव प्रसिद्धि फैलती है और ऐसे गुणवान व्यक्ति संसार में बहुत कम होते हैं।
कहानी को एक बार फिर से पढ़िए, निम्नलिखित के बारे में पता लगाइए और लिखिए-
(क) नौकरी की चाह में आए लोगों ने नौकरी पाने के लिए कौन-कौन से प्रयास किए?
उत्तर: नौकरी की चाह में आए लोगों ने नौकरी प्राप्त करने के लिए कई प्रकार के प्रयत्न किए। मिस्टर ‘अ’ जो नौ बजे दिन तक सोया करते थे, प्रातः काल में टहलने का उपक्रमक करने लगे। मिस्टर ‘द’, ‘स’ और ‘ज’ से उनके घर के नौकर परेशान रहते थे, किंतु अब वे नौकरों से ‘आप’ और ‘जनाब’ संबोधन के साथ बातचीत कर रहे थे। मिस्टर ‘ल’ को किताब से घृणा थी, किंतु वे बड़े-बड़े ग्रंथ पढ़ने में मशगूल थे। हर कोई अपने तरीके से स्वयं को योग्य सिद्ध करने की कोशिश कर रहा था।
(ख) “उसे किसान की सूरत देखते ही सब बातें ज्ञात हो गईं” खिलाड़ी को कौन-कौन सी बातें पता चल गईं?
उत्तर: खिलाड़ी की निगाह किसान की गाड़ी पर पड़ी, जो नाले में फँसी हुई थी। उसे किसान की सूरत देखते ही इस बात का अंदाज़ा हो गया कि बहुत प्रयास करने के बाद भी गाड़ी को नाले के कीचड़ और गड्ढे से नहीं निकाल पाया है।
(ग) “मगर उन आँखों में सत्कार था, इन आँखों में ईर्ष्या ।’ किनकी आँखों में सत्कार था और किनकी आँखों में ईर्ष्या थी? क्यों?
उत्तर: जब सरदार सुजानसिंह ने राजदरबार में दीवान के पद पर जानकीनाथ के चयन की घोषण की, तो रियासत के कर्मचारियों और रईसों ने जानकीनाथ की तरफ़ देखा। उन आँखों में जानकीनाथ के प्रति आदर और सत्कार का भाव था। इसके ठीक विपरीत, दीवान के पद की प्राप्ति हेतु पधारे अन्य उम्मीदवारों की आँखों में जानकीनाथ के प्रति ईर्ष्या का भाव था ।
कहानी में से वे वाक्य खोजकर लिखिए जिनसे पता चलता है कि-
(क) शायद युवक बूढ़े किसान की असलियत पहचान गया था।
उत्तर: “युवक ने किसान की तरफ गौर से देखा । उसके मन में एक संदेह हुआ, क्या यह सुजानसिंह तो नहीं हैं? आवाज मिलती है, चेहरा-मोहरा भी वही । ”
(ख) नौकरी के लिए आए लोग किसी तरह बस नौकरी पा लेना चाहते थे।
उत्तर: ” जिससे बात कीजिए, वह नम्रता और सदाचार का देवता बना मालूम देता था लोग समझते थे कि एक महीने का झंझट है, किसी तरह काट लें, कहीं कार्य सिद्ध हो गया तो कौन पूछता है ?”
“लोग पसीने से तर हो गए खून की गर्मी आँख और चेहरे से झलक रही थी।”
इस वाक्य को पढ़कर आँखों के सामने थकान से चूर खिलाड़ियों का चित्र दिखाई देने लगता है। यह चित्रात्मक भाषा है। ध्यान देंगे तो इस पाठ में ऐसी और भी अनेक चित्रात्मक बातें आपको दिखाई देंगी।
कहानी को एक बार ध्यान से पढ़िए। आपको इस कहानी में और कौन-कौन सी विशेष बातें दिखाई देंगी? अपने समूह में मिलकर उनकी सूची बनाइए।
उत्तर: जब किसी पंक्ति को पढ़कर चित्र आँखों के आगे आने लगे तो वहाँ चित्रात्मकता होती है। पाठ में निम्न पंक्तियों में चित्रात्मकता प्रस्तुत होती है-
इस कहानी में कुछ समस्याएँ हैं और उसके समाधान भी हैं। कहानी को एक बार फिर से पढ़कर बताइए कि –
(क) महाराज के सामने क्या समस्या थी? उन्होंने इसका क्या समाधान खोजा ?
उत्तर: महाराज के दीवान सुजानसिंह अपनी उम्र और परमात्मा की याद के कारण अपना पद छोड़ना चाहते थे। सुजानसिंह जैसे अनुभवी एवं नीतिकुशल दीवान को राजा छोड़ना नहीं चाहते थे। उन्होंने उन्हें बहुत समझाया, किंतु वे नहीं माने। अंततः उन्होंने दीवान की बात मान ली, लेकिन शर्त यह लगा दी कि नया दीवान सुजानसिंह को ही खोजना होगा।
(ख) दीवान के सामने क्या समस्या थी? उन्होंने इसका क्या समाधान खोजा?
उत्तर: दीवान के सामने योग्य उम्मीदवार खोजने की समस्या थी। इसके लिए उन्होंने विज्ञापन निकलवाया और उसमें लिखा कि शिक्षा नहीं अपितु आचार, व्यवहार और गुणों को एक महीने तक परखकर उम्मीदवार चुना जाएगा।
(ग) नौकरी के लिए आए लोगों के सामने क्या समस्या थी? उन्होंने इसका क्या समाधान खोजा?
उत्तर: नौकरी के लिए आए लोगों को अच्छा बनकर दिखाना था इसके लिए उन्होंने झूठा दिखावा शुरू कर दिया। उन्होंने मीठा और नम्र व्यवहार शुरू कर दिया। प्रात:काल उठना, पुस्तकें पढ़ना इत्यादि दिखावा शुरू कर दिया।
Q1. "स्वार्थ था, मद था, मगर उदारता और वात्सल्य का नाम भी न था" इस वाक्य में कुछ शब्दों के नीचे रेखा खींची हुई है। ये सभी नाम हैं, लेकिन दिखाई देने वाली वस्तुओं, व्यक्तियों या जगहों के नाम नहीं हैं। ये सभी शब्द मन के भावों के नाम हैं। आप कहानी में से ऐसे ही अन्य नामों को खोजकर नीचे दिए गए रिक्त स्थानों में लिखिए।
उत्तर:
कहानी में युवक और किसान की बातचीत संवादों के रूप में दी गई है। यह भी बताया गया है कि इन दोनों ने वे बातें कैसे कही। अपने समूह के साथ मिलकर तैयारी कीजिए और कहानी के इस भाग को कक्षा में अभिनय के द्वारा प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर: किसान: (हाथ जोड़कर) महाराज, मेरी समस्या का समाधान कीजिए।
युवक: (गंभीरता से) आपकी समस्या क्या है, बताइए।
किसान: (दुःखी स्वर में) मेरी फसल बर्बाद हो गई है, और मेरे पास कुछ भी नहीं बचा है।
युवक: (सहानुभूति से) हम आपकी मदद करेंगे, चिंता न करें।
“ विद्या का कम, परंतु कर्तव्य का अधिक विचार किया जाएगा।”
‘कम’ का विपरीत अर्थ देने वाला शब्द है ‘अधिक’। इसी प्रकार के कुछ विपरीतार्थक शब्द नीचे दिए गए हैं लेकिन वे आमने-सामने नहीं हैं। रेखाएँ खींचकर विपरीतार्थक शब्दों के सही जोड़े बनाइए-
उत्तर:
“ गहरे पानी में पैठने से ही मोती मिलता है।”
यह वाक्य एक कहावत है। इसका अर्थ है कि कोशिश करने पर ही सफलता मिलती है। ऐसी ही एक और कहावत है, ” जिन खोजा तिन पाइयाँ गहरे पानी पैठ ” अर्थात परिश्रम का फल अवश्य मिलता है।
कहावतें ऐसे वाक्य होते हैं जिन्हें लोग अपनी बात को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए प्रयोग करते हैं। आपके घर और पास-पड़ोस में भी लोग अनेक कहावतों का उपयोग करते होंगे।
नीचे कुछ कहावतें और उनके भावार्थ दिए गए हैं। आप इन कहावतों को कहानी से जोड़कर अपनी लेखन-पुस्तिका में लिखिए।
(संकेत – विज्ञापन में तो एक नौकरी की बात कही गई थी, लेकिन उम्मीदवार आ गए हजारों । इसे कहते हैं – एक अनार सौ बीमार ।)
उत्तर:
(क) “ दूसरे दिन देश के प्रसिद्ध पत्रों में यह विज्ञापन निकला ”
देश के प्रसिद्ध पत्रों में नौकरी का विज्ञापन किसने निकलवाया होगा? आपको ऐसा क्यों लगता है?
उत्तर: देश के प्रसिद्ध पत्रों में दीवान सुजानसिंह जी ने विज्ञापन निकलवाया होगा क्योंकि नए दीवान को चुनने की जिम्मेदारी उन्हीं पर थी और इसी के लिए उन्होंने यह उपाय सोचा होगा।
(ख) “इस विज्ञापन ने सारे में मुल्क तहलका मचा दिया ”।
विज्ञापन ने पूरे देश में तहलका क्यों मचा दिया होगा?
उत्तर: विज्ञापन में रियासत के नए दीवान के चयन के बारे में लिखा था कि दीवान का चयन किसी शिक्षा की डिग्री के आधार पर नहीं अपितु, आचार-व्यवहार के आधार पर होगा। लोगों को ऐसे ऊँचे पद में किसी प्रकार का बंधन नहीं दिखा। इसीलिए सबमें खुशी से तहलका मच गया।
‘परीक्षा’ कहानी जहाँ समाप्त होती है, उसके आगे क्या हुआ होगा। आगे की कहानी अपनी कल्पना से बनाइए।
उत्तर: कहानी का अंत इस बात पर हुआ कि पंडित जानकीनाथ को सुजानसिंह ने दीवान घोषित कर उनकी अच्छाई सबको बताई। इसके बाद सभी पंडित जानकीनाथ की जय जयकार करने लगे। राजा ने भी उन्हें दीवान के पद पर नियुक्त कर बहुत से उपहार दिए । सुजानसिंह का भव्य विदाई समारोह हुआ और सभी प्रजा ने अपने प्रिय दीवान सुजानसिंह को नम आँखों से विदाई दी। साथ ही नए दीवान पंडित जानकीनाथ को भी स्वीकार किया। जानकीनाथ भी पहले दीवान की ही भाँति प्रजा का ध्यान रखते हुए कार्य करने लगे।
(क) यदि कहानी में दीवान साहब के स्थान पर आप होते तो योग्य व्यक्ति को कैसे चुनते ?
उत्तर: यदि हम दीवान के स्थान पर रहते तो हम उम्मीदवारों को कोई समस्या बताकर उसका हल ढूँढ़ने के लिए कहते साथ ही उनके समक्ष न्याय के कुछ मुकदमे बनाकर पेश करते और परखते कि वे कैसे न्याय कर रहे हैं। साथ ही ज्ञान के कुछ प्रश्न भी पूछ सकते थे।
(ख) यदि आपको कक्षा का मॉनिटर चुनने के लिए कहा जाए तो आप उसे कैसे चुनेंगे? उसमें किन-किन गुणों को देखेंगे? गुणों की परख के लिए क्या-क्या करेंगे?
उत्तर: यदि मुझे कक्षा का मॉनिटर चुनने के लिए कहा जाए तो मैं कक्षा में उस बच्चे का चुनाव करूँगा जो पढ़ने में अच्छा हो, सबसे प्यार से बात करता हो, पढ़ाई में और काम पूरा करने में दूसरों की सहायता करता हो । इसके लिए हम उसे कुछ दिन मॉनिटर का कार्य देकर परख भी सकते हैं।
“कोई नए फैशन का प्रेमी, कोई पुरानी सादगी पर मिटा हुआ।”
हमारे आस-पास अनेक वस्तुएँ ऐसी हैं जिन्हें लोग नया फैशन या पुराना चलन कहकर दो भागों में बाँट देते हैं। जो वस्तु आपके माता- -पिता या दादा-दादी के लिए नई हो, हो सकता है वह आपके लिए पुरानी हो, या जो उनके लिए पुरानी हो, वह आपके लिए नई हो। अपने परिवार या परिजनों से चर्चा करके नीचे दी गई तालिका को पूरा कीजिए-
उत्तर:
“हर एक मनुष्य अपने जीवन को अपनी बुद्धि के अनुसार अच्छे रूप में दिखाने की कोशिश करता था । ”
अपने समूह में निम्नलिखित पर चर्चा कीजिए और चर्चा के बिंदु अपनी लेखन – पुस्तिका में लिख लीजिए-
(क) हर व्यक्ति अपनी बुद्धि के अनुसार स्वयं को अच्छा दिखाने की कोशिश करता है। स्वयं को अच्छा दिखाने के लिए लोग क्या-क्या करते हैं? ( संकेत – मेहनत करना, कसरत करना, साफ़-सुथरे रहना आदि)
उत्तर: लोग अपने को अच्छा दिखाने के लिए नए फैशन के कपड़े पहनते हैं। सबसे मीठा बोलने का प्रयास करते हैं। कसरत करके अपने शरीर को हष्ट- ट-पुष्ट बनाते हैं। सभी मेहनत करके खूब धन कमाते हैं और समाज में अपनी पहचान बनाते हैं।
(ख) क्या ‘स्वयं को अच्छा दिखाने में और ‘स्वयं के अच्छा होने’ में कोई अंतर है? कैसे?
उत्तर: हाँ स्वयं को अच्छा दिखाने में और स्वयं अच्छा होने में बहुत अंतर है। कुछ लोग अपने धन, बल और चालाकी से अच्छा बनने का दिखावा करते हैं और समाज में अपना महत्व स्थापित करते हैं। जबकि जो स्वयं अच्छे होते हैं वे सबके सामने सामान्य व्यवहार करते हैं और जरूरत पड़ने पर दूसरों पर उपकार करते हैं, दूसरों की मदद करते हैं तथा हमेशा सबके साथ प्रेम से रहते हैं ।
“कोट उतार डाला ”
‘कोट’ एक परिधान का नाम है। कुछ अन्य परिधानों के नाम और चित्र नीचे दिए गए हैं। परिधानों के नामों को इनके सही चित्र के साथ मिलाइए। इन्हें आपके घर में क्या कहते हैं? ‘लिखिए-
उत्तर:
हम सभी अपने जीवन में अनेक प्रकार की परीक्षाएँ लेते और देते हैं। आप अपने अनुभवों के आधार पर कुछ परीक्षाओं के उदाहरण बताइए | यह भी बताइए कि किसने, कब, कैसे और क्यों वह परीक्षा ली।
(संकेत- जैसे, किसी को विश्वास दिलाने के लिए उसके सामने साइकिल चलाकर दिखाना, स्कूल या घर पर कोई परीक्षा देना, किसी को किसी काम की चुनौती देना आदि। )
उत्तर: एक बार मैं पिकनिक पर गया। वहाँ रस्सी के सहारे सब नीचे उतर रहे थे और पहाड़ी पर चढ़ रहे थे। सब जानते थे कि मैं ऊँचाई से डरता हूँ। परंतु सभी को विश्वास दिलाने के लिए मैं भी उस रस्सी के सहारे पहाड़ी पर चढ़ा। ये मेरे लिए चुनौती थी। परंतु मैंने हिम्मत से इसे पूरा किया। जब मैं पहाड़ी के ऊपर पहुँच गया तो सबने मेरी तारीफ़ की। मैं हिम्मत की परीक्षा में पास हो गया था।
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1. What is the importance of understanding the concept of "सोच-विचार" mentioned on page 114? |
2. How does the article on page 112 emphasize the significance of "मन के भाव"? |
3. Can you explain the relevance of "समस्यान और समाधान" discussed on page 114 in real-life situations? |
4. How does the concept of "विपरीतार्थक शब्द" on page 115 contribute to enhancing language skills? |
5. What role does "अभिनय" play in enhancing communication skills, as mentioned on page 115? |
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