Table of contents | |
परिभाषा | |
अलंकार का इतिहास | |
अलंकार का शाब्दिक अर्थ | |
अलंकार क्या हैं | |
अलंकार के प्रकार | |
शब्दालंकार | |
अर्थालंकार | |
अलंकार का महत्व |
अलंकार वे साहित्यिक तत्व होते हैं जो भाषा या काव्य की सुंदरता को बढ़ाते हैं और उसके अर्थ को अधिक प्रभावशाली बना देते हैं। हिंदी साहित्य में, साहित्यकारों ने अलंकारों की तुलना स्त्री के आभूषणों से की है।
काव्य-शास्त्रियों के अनुसार सैंकड़ों अलंकार होते हैं। इसलिए इनकी वास्तविक संख्या बता पाना मुश्किल है। यही कारण है कि आधुनिक युग के पाठ्यक्रम में सिर्फ कुछ मुख्य अलंकारों को ही शामिल किया गया है।
इन मुख्य अलंकारों का अध्ययन आज के समय के लिए काफी है। आइये देखते हैं कि वो विशेष अलंकार कौन-कौन से हैं, जिससे हम अलंकार के प्रकार (भेद) और प्रयोग को समझ सकें।
यदि किसी काव्य या साहित्य के वाक्यों को विशेष शब्दों से अलंकृत किया जाता है, तो अलंकृत करने वाले उन कारकों को शब्दालंकार कहा जाता है। ऐसे वाक्यों में शब्दों का प्रयोग सांस्कृतिक शैली में किया जाता है। शब्दालंकार सदैव शब्दों पर आधारित होते हैं। यही कारण है कि यदि ऐसे वाक्यों में शब्द बदल दिये जाएँ, तो अलंकार का प्रभाव खत्म हो जाता है। यदि ‘शब्द’ को व्याकरणीय शैली से समझा जाए, तो शब्द के दो रूप होते हैं – ध्वनि एवं अर्थ। शब्दालंकार में अर्थ की नहीं बल्कि ध्वनि की महत्ता होती है। इसलिए इस अलंकार से शब्दों की संगीतात्मकता या वर्णों के लय का प्रभाव देखने को मिलता है।
जैसे –
शब्दालंकार के कितने प्रकार हैं ?
(1) अनुप्रास अलंकार: अनुप्रास शब्द दो शब्दांशों से मिल कर बना है – अनु (बार-बार) + प्रास (वर्ण)। अर्थात जिस वाक्य में वर्णों की आवृति बार-बार होने से शब्दों की सुंदरता बढ़ती है, वहाँ प्रयोग हुए अलंकार को अनुप्रास अलंकार कहा जाता है।
जैसे –
(2) यमक अलंकार: जब किसी वाक्य में समान शब्दों की बार-बार आवृति होती है, लेकिन उनके अर्थ भिन्न होते हैं तो उन्हें यमक अलंकार कहा जाता है। ऐसे अलंकारों के प्रयोग से एक ही शब्द का कई बार प्रयोग के बावजूद, हर बार उनके मायने अलग निकलते हैं।
जैसे –
(3) श्लेष अलंकार: जब किसी वाक्य में प्रयुक्त एक ही शब्द में कई अर्थ छिपे होते हैं, तो उसे श्लेष अलंकार कहा जाता है। इस अलंकार में ऐसे शब्दों का प्रयोग किया जाता है जिसके एक से अधिक अर्थ होते हैं।
जैसे –
(4) वक्रोक्ति अलंकार: ‘वक्रोक्ति’ दो शब्दों से मिल कर बना है – ‘वक्र + उक्ति’ अर्थात ‘टेढ़ी बात’। कुछ वाक्यों में जब वक्रोक्ति अलंकार का प्रयोग होता है तो उन वाक्यों के अर्थ अलग-अलग लोगों के लिए भिन्न हो जाते हैं। ऐसे वाक्यों में वक्ता कुछ और कहना चाहता है लेकिन सुनने वाला उसका मतलब कुछ और समझ लेता है।
जैसे –
ऐसे वाक्यों में शब्द और अर्थ दोनों में वक्रोक्ति होती है, इसलिए कुछ विद्वानों में यह चर्चा चलती रहती है कि यह शब्दालंकार का रूप है या अर्थालंकार का!
(5) वीप्सा अलंकार: सम्मान, आश्चर्य, घृणा या डर जैसे भावों को व्यक्त करने के लिए या कथन में रोचकता लाने के लिए एक समान शब्दों को दुहराया जाता है तो उसे वीप्सा अलंकार कहा जाता है।
जैसे –
(6) प्रश्न अलंकार: यदि कथन में प्रश्न काव्य या पद्द के रूप में हों, तो उसे प्रश्न अलंकार कहते हैं। कविताओं के बीच में हमें ये अलंकार अक्सर देखने को मिलते हैं
जैसे –
काव्य में अर्थ को अलंकृत करने वाले तत्वों को अर्थालंकार कहा जाता है। ऐसे काव्यों या वाक्यों में अलंकार शब्द के बजाय अर्थ पर आश्रित होते हैं। इसलिए, यदि शब्द बदल भी दिये जायें तो भी अलंकारत्व को कोई क्षति नहीं होती है।
अर्थालंकार के कितने प्रकार (भेद) हैं?
विभिन्न समय (16-17वीं सदी) के भाषाविदों और कवियों ने अर्थालंकार के 35 से लेकर 115 प्रकारों ( या रूपों) की विवेचना की है।
आज के समय में कुछ लोग अर्थालंकार के प्रथम 3 ही प्रकारों की चर्चा करते हैं। लेकिन वास्तव में, आधुनिक व्याकरण में अर्थालंकार के 7 प्रकारों का अध्ययन किया जाता है।
(1) उपमा अलंकार: जब दो भिन्न वस्तुओं के समान गुण के कारण, उनकी समानता बतायी जाती है तो वहाँ उपमा अलंकार का प्रयोग होता है।
जैसे –
(2) रूपक अलंकार: जब दो भिन्न वस्तुओं में समान गुण होते हैं और उनकी उपमा भी दी जाती है। लेकिन उपमेय को उपमान के जैसा नहीं बल्कि वही बताया जाता है, तो वहाँ रूपक अलंकार का प्रयोग होता है।
जैसे –
(3) उत्प्रेक्षा अलंकार: जब किसी वाक्य में किसी वस्तु की कल्पना उसके संभावित रूप में की जाती है तो वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार का प्रयोग होता है। ऐसी कल्पना और विवेचना में न तो पूरी तरह संदेह होता है और न ही पूरी तरह निश्चय।
जैसे–
(4) अतिशयोक्ति अलंकार: यदि किसी वाक्य में किसी चीज का वर्णन काफी बढ़ा-चढ़ा कर किया जाता है या उसकी तुलना ऐसी चीज से की जाती है जो संभव न हो, तो ऐसे में प्रयुक्त अलंकार को अतिशयोक्ति अलंकार कहा जाता है।
जैसे–
(5) पुनरुक्ति अलंकार: काव्य में जब एक ही शब्द की लगातार आवृति होती है, और उनके अर्थ भी एक समान होते हैं, तो प्रयुक्त अलंकार को पुनरुक्ति अलंकार कहा जाता है।
जैसे –
(6) अन्योक्ति अलंकार: काव्य में जब किसी चीज की उपमा दी जाती है, जिसमें उदाहरण वाली चीज प्रत्यक्ष होती है, लेकिन वास्तविक चीज छिपी हुई होती है, तो ऐसे तत्वों को अन्योक्ति अलंकार कहा जाता है।
जैसे-
(7) मानवीकरण अलंकार: जब अन्य प्राणियों या निर्जीव चीजों का वर्णन मानवीय रूपों या भावनाओं में किया जाता है, तो ऐसे वाक्यों में प्रयुक्त अलंकारों को मानवीकरण अलंकार कहा जाता है।
जैसे –
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1. अलंकार का क्या महत्व है और यह कविता या साहित्य में कैसे योगदान करता है ? |
2. अलंकार के प्रमुख प्रकार कौन-कौन से होते हैं ? |
3. अलंकार का शाब्दिक अर्थ क्या है ? |
4. अलंकार का इतिहास क्या है और यह किस प्रकार विकसित हुआ ? |
5. क्या अलंकार केवल कविता में ही उपयोग होते हैं या गद्य में भी ? |
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