Table of contents | |
समास किसे कहते है? | |
समास के पद | |
सामासिक शब्द किन्हें कहते हैं? | |
समास-विग्रह क्या होता है? | |
समास के भेद | |
संधि और समास में अंतर | |
समास का प्रयोग |
समास शब्द का शाब्दिक अर्थ है – संक्षिप्तीकरण। इसे दूसरे रूप में ‘संक्षेप’या संक्षिप्तीकरण भी कह सकते हैं। इसके शाब्दिक अर्थ से ही पता चलता है कि ये शब्दों को संक्षिप्त करने की कोई व्याकरणीय प्रक्रिया है।
जब दो या दो से अधिक शब्दों का मिलाकर एक नया और अर्थपूर्ण शब्द बनाया जाता है, तो इसे समास कहते हैं। समास के माध्यम से कम शब्दों में अधिक अर्थ व्यक्त करने की कोशिश की जाती है। इस प्रक्रिया में प्रमुख शब्दों को ही प्रमुखता दी जाती है, जबकि सहायक शब्दों को हटा दिया जाता है, जिससे एक नया शब्द उत्पन्न होता है।
उदाहरण
समास में दो प्रमुख पद होते हैं। इन्हें समझना बहुत ही आसान है।
एक तीसरे प्रकार के सहायक पद भी होते हैं, पर उनका अधिक महत्व न होने के कारण उन्हें सूची में शामिल नहीं किया जाता है।इन्हें आसानी से समझने के लिए हम उपरोक्त उदाहरण का पुनः अवलोकन करते हैं।
“देशभक्ति = देश के लिए भक्ति”
जब समास के नियमों के अंतर्गत दो या अधिक शब्दों के संयोग से एक स्वतंत्र शब्द प्रकट होता है, तो इस स्वतंत्र शब्द को की सामासिक शब्दकहते हैं। इसे समस्तपद भी कहा जाता है।
सामासिक शब्द बनने के बाद विभक्तियों के चिह्न लुप्त हो जाते हैं।
उदाहरण के लिए
जैसे शब्दों के समूह को संक्षेपित करके समासिक शब्द बनाया जाता है, ठीक उसी तरह जब समासिक शब्दों को अलग किया जाता है, तो वे अपने मूल रूप में लौट आते हैं। इस प्रक्रिया को समास-विग्रह कहा जाता है।
उदाहरण के लिए
जिस समास में अंतिम शब्द (उत्तर पद) की प्रधानता होती है, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। इसमें प्रायः प्रथम पद विशेषण एवं द्वितीय पद विशेष्य होते हैं।
उदाहरण के लिए –
तत्पुरुष समास के भी छः भेद होते हैं:
जिस समास में सभी शब्दों का भाव समान रूप से हो, उसे कर्मधारय समास कहते हैं। इसमें सभी पदों का, चाहे वो विशेषण हो या विशेष्य, सभी की प्रधानता होती है। समान्यतः, इन शब्दों के लिंग और वचन भी समान होते हैं।
उदाहरण के लिए
कर्मधारय समास के चार प्रकार होते हैं:
2. द्विगु समास: जिस सामासिक पद का पहला शब्द (पूर्व पद) संख्यावाचक विशेषण हो, उसे द्विगु समास कहते हैं।
उदाहरण के लिए
द्विगु समास दो प्रकार के होते हैं:
समास के वे संयोग जिसमें रचित शब्द का कोई भी पद प्रधानता नहीं रखता है, उन्हें बहुव्रीहि समास कहा जाता है। ऐसे सामासिक शब्द के दोनों ही पद (पूर्वपद और उत्तरपद), किसी तीसरे व्यक्ति, वस्तु या विषय की ओर संकेत करते हैं।
उदाहरण के लिए
द्वंद समास के दोनों ही पद हमेशा प्रधानता व्यक्त करते हैं। ऐसे सामासिक शब्दों का यदि समास-विग्रह किया जाए, तो सहायक पदों के रूप में ‘और, या, एवं’ जैसे शब्द प्राप्त होते हैं।
उदाहरण के लिए –
द्वंद समास के तीन प्रकार होते हैं:
जब समास में पूर्व पद की प्रधानता प्रकट हो, लेकिन दूसरे पद समान्यतः अव्यय होते हैं तो इसे ही अव्ययीभाव समास कहते हैं।
उदाहरण के लिए
लेकिन कुछ विद्वानों ने इसके सातवें भेद का भी वर्णन किया है।
नञ समास का पहला शब्दांश (पूर्वपद) किसी उपसर्ग की तरह प्रतीत होता है। यह द्वितीय पद (उत्तरपद) के लिए विरोधाभास या विपरीत अर्थ व्यक्त करता है।
उदाहरण के लिए
कई बार विद्यार्थियों को संधि और समास एक जैसे लगते हैं और वे इनके बीच का अंतर नहीं समझ पाते। लेकिन नीचे दिए गए दो वाक्य से आप आसानी से इन दोनों के अंतर को समझ सकते हैं, और यह आपको हमेशा याद रहेगा।
संधि के उदाहरण,
समास के उदाहरण,
समास, व्याकरण और भाषा का एक अहम भाग है। इसका प्रयोग संक्षिप्त शब्दों की रचना के लिए किया जाता है। समास का प्रयोग तीन भाषाओं में अत्यधिक प्रयोग किया जाता है:
इसके प्रयोग से कम से कम शब्दों में, अधिक से अधिक अर्थ की व्याख्या की जा सकती है।
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1. समास किसे कहते हैं? |
2. समास के पद कौन से होते हैं? |
3. सामासिक शब्द किन्हें कहते हैं? |
4. समास-विग्रह क्या होता है? |
5. समास के भेद कौन-कौन से होते हैं? |
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