Table of contents |
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परिचय |
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कविता की व्याख्या |
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कविता से शिक्षा |
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शब्दार्थ |
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इस कविता में हमें बताया गया है कि हमें अपने खाने में क्या-क्या खाना चाहिए और स्वस्थ रहने के लिए कैसे खाना चाहिए। कविता हमें सिखाती है कि सही और ताजा खाना खाने से हम बीमार नहीं पड़ते और हमारा शरीर चुस्त और फुर्तीला रहता है। यह कविता आसान शब्दों में बच्चों को स्वस्थ आहार की महत्त्वपूर्ण बातें समझाती है।
कैसा हो अपना आहार,
आओ मिलकर करें विचार।
चावल, दाल और सब्जी खाओ,
तन में चुस्ती-फुर्ती लाओ।
व्याख्या: इस कविता में बताया गया है कि हमें किस तरह का खाना खाना चाहिए। चावल, दाल और सब्ज़ी जैसी चीज़ें खाने से हमारा शरीर मजबूत और फुर्तीला बनता है। ऐसा खाना खाने से हम स्वस्थ रहते हैं और अच्छी तरह से काम कर पाते हैं। इसलिए हमें हमेशा अच्छा और सेहतमंद खाना खाना चाहिए।
केवल आलू तुम मत लाना,
भिंडी, परवल, नेनुआ भी खाना।
दूध-दही तुम छककर खाओ,
फल-फूलों के बाग लगाओ।
व्याख्या: इन पंक्तियों में बताया गया है कि हमें सिर्फ आलू ही नहीं, बल्कि भिंडी, परवल और नेनुआ जैसी सब्ज़ियाँ भी खानी चाहिए। साथ ही, दूध और दही भरपूर मात्रा में पीना चाहिए। हमें फल और फूलों के बाग भी लगाने चाहिए, ताकि हमें ताज़े फल मिलें और वातावरण भी हरा-भरा बना रहे। यह सब हमें सेहतमंद और खुशहाल बनाते हैं।
आम-अमरूद, पपीता खाओ,
केला, बेल भी घर ले आओ।
खरबूज, तरबूज, ककड़ी, खीरा,
गर्मी की हरते हैं पीड़ा।
व्याख्या: इन पंक्तियों में बताया गया है कि हमें आम, अमरूद, पपीता, केला और बेल जैसे फल खाने चाहिए। गर्मियों में खरबूज, तरबूज, ककड़ी और खीरा खाने से शरीर ठंडा रहता है। ये फल हमें गर्मी से बचाते हैं और हमें ताज़ा महसूस कराते हैं। इसलिए ऐसे फल खाना अच्छा होता है।
खूब करो पानी का व्यवहार,
इसकी महिमा अपरंपार।
भोजन में हो खूब सलाद,
इसका है अपना अंदाज।
व्याख्या: इन पंक्तियों में बताया गया है कि हमें रोज़ भरपूर पानी पीना चाहिए, क्योंकि पानी हमारे शरीर के लिए बहुत ज़रूरी है। पानी से हम स्वस्थ रहते हैं। साथ ही, हर भोजन में सलाद खाना चाहिए। सलाद खाने से पाचन अच्छा होता है और शरीर को ताकत मिलती है।
मूली, टमाटर, गाजर खाना,
पालक को भी भूल न जाना।
भूँजा-सत्तू नियमित खाएँ,
वैद्य-हकीम घर न आएँ।
व्याख्या:इन पंक्तियों में बताया गया है कि हमें मूली, टमाटर, गाजर और पालक जैसी सब्ज़ियाँ ज़रूर खानी चाहिए। ये सब्ज़ियाँ शरीर को ताकत देती हैं और हमें स्वस्थ रखती हैं। साथ ही, भूँजा और सत्तू जैसे पारंपरिक और पौष्टिक खाने भी रोज़ खाना चाहिए। अगर हम ऐसा अच्छा खाना खाएँगे, तो हमें बीमारी नहीं होगी और वैद्य-हकीम की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।
पेट से ज्यादा जब कोई खाए,
खाकर वह पीछे पछताए।
ताजा खाना हरदम खाओ,
नहीं बहाना कभी बनाओ।
व्याख्या: इसमे बताया गया है कि जितनी भूख हो, उतना ही खाना चाहिए। अगर कोई ज़्यादा खाता है तो बाद में उसका पेट दुखता है और उसे पछताना पड़ता है। हमें हमेशा ताज़ा खाना खाना चाहिए और खाना खाने में टालमटोल नहीं करनी चाहिए। ताज़ा खाना खाने से हम सेहतमंद रहते हैं।
जब खाते हैं ढंग से खाना,
व्याधि को ना मिले बहाना।
ऐसा हो अपना आहार,
खाकर हम ना पड़ें बीमार।
व्याख्या:इन पंक्तियों में बताया गया है कि अगर हम सही तरीके से और अच्छे समय पर खाना खाते हैं, तो बीमारियाँ हमारे पास नहीं आतीं। हमारा खाना ऐसा होना चाहिए जिससे हम मजबूत बनें और बीमार न पड़ें। सही आहार हमें स्वस्थ और खुश रखता है।
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1. हमारा आहार क्या है और इसके महत्व क्या है? | ![]() |
2. स्वस्थ आहार के क्या मुख्य तत्व होते हैं? | ![]() |
3. बच्चों के लिए सही आहार की व्यवस्था कैसे करें? | ![]() |
4. क्या केवल शाकाहारी आहार ही स्वस्थ होता है? | ![]() |
5. आहार से स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है? | ![]() |