प्रश्न 1: (i) बेचारा जामुन का पेड़। कितना फलदार था।
और इसकी जामुनें कितनी रसीली होती थीं।
ये संवाद कहानी के किस प्रसंग में आए हैं?
उत्तर: ये संवाद सेक्रेटेरियेट के लॉन में लगे जामुन के पेड़ के गिरने के संदर्भ में आए हैं। सेक्रेटेरियेट के लॉन में लगा पेड़ आँधी के कारण रात में गिर पड़ा और उसके नीचे एक आदमी दब गया सुबह होने पर जब माली ने उसे देखा तो क्लर्क को बताया और इस तरह से वहाँ पर एक भीड़ इकट्ठी हो गई और उस समय जामुन के पेड़ को देखकर उपर्युक्त संवाद कहा गया है।
(ii) बेचारा जामुन का पेड़। कितना फलदार था।
और इसकी जामुनें कितनी रसीली होती थीं।
इससे लोगों की किस मानसिकता का पता चलता है हैं?
उत्तर: उपर्युक्त संवाद से हमें लोगों की संवेदनशून्य होती मानसिकता का पता चलता है। जामुन के पेड़ के पास खड़ी भीड़ को उसके नीचे दबे व्यक्ति से कोई सहानुभूति नहीं होती उल्टे वे उस पेड़ के लगे जामुनों को याद कर शोक प्रकट करते हैं जिससे पता चलता है कि किस प्रकार लोग स्वार्थी और संवेदनशून्य होते जा रहे हैं।
प्रश्न 2: दबा हुआ आदमी एक कवि है, यह बात कैसे पता चली और इस जानकारी का फ़ाइल की यात्रा पर क्या असर पड़ा?
उत्तर: जब पेड़ के नीचे दबे व्यक्ति को माली ने उसके केस के संबंध में उम्मीद जगाई कि कल उसका केस सेक्रेटेरियेट के सारे सेक्रेटरियों की मीटिंग में रखा जाएगा उस समय दबे हुए आदमी के मुँह से एक शेर निकलता है जिससे माली जान जाता है कि वह कोई शायर है और फिर माली द्वारा अन्य लोगों को भी खबर हो जाती है।
इस खबर के पता चलते ही उस व्यक्ति का केस कल्चर डिपार्टमेंट में भेज दिया जाता है। परंतु काम वहाँ भी नहीं होता केवल कागज़ी कार्यवाही होती रही।
प्रश्न 3: कृषि-विभाग वालों ने मामले को हॉर्टीकल्चर विभाग को सौंपने के पीछे क्या तर्क दिया?
उत्तर: कृषि-विभाग वालों ने मामले को हॉर्टीकल्चर विभाग को सौंपने के पीछे यह तर्क दिया कि कृषि विभाग को अनाज और खेती-बाड़ी से जुड़े मामलों पर निर्णय देने का अधिकार है चूँकि गिरने वाला पेड़ एक फलदार पेड़ है अत: इसका संबंध कृषि विभाग से न होकर हॉर्टी कल्चर विभाग से है।
प्रश्न 4: इस पाठ में सरकार के किन-किन विभागों की चर्चा की गई है और पाठ से उनके कार्य के बारे में क्या अंदाजा मिलता है?
उत्तर: इस पाठ में सरकार के निम्न विभागों की चर्चा की गई है –
व्यापार विभाग, कृषि-विभाग, हॉर्टीकल्चर विभाग, मेडिकल विभाग, कल्चरल विभाग, फॉरेस्ट विभाग, विदेश विभाग।
पाठ से उनके कार्यों के बारे में यही अंदाजा लगाया जा सकता है कि हर एक विभाग का कार्य गैर जिम्मेदाराना था।
प्रश्न 1: कहानी में दो प्रसंग ऐसे हैं, जहाँ लोग पेड़ के नीचे दबे आदमी को निकालने के लिए कटिबद्ध होते हैं। ऐसा कब-कब होता है और लोगों का यह संकल्प दोनों बार किस-किस वजह से भंग होता है?
उत्तर: पहला प्रसंग – पहली बार सेक्रेटेरियेट विभाग के माली और कुछ क्लर्क दबे आदमी को निकालने के लिए तैयार होते हैं पर उन्हें ऐसा करने से सुपरिंटेंडेंट यह कहकर रोक देता है कि वह पेड़ कृषि विभाग के अंतगर्त होने के कारण वह इस मामले की फ़ाइल कृषि विभाग को भेज रहा है।
दूसरा प्रसंग – दूसरी बार फॉरेस्ट विभाग के लोग उस पेड़ को काटने के लिए पहुँचते हैं परंतु उन्हें भी यह कहकर रोक दिया जाता है कि वह पेड़ पिटोनिया राज्य के प्रधानमंत्री ने लगाया था। यदि वे इस पेड़ को काट देगें तो दोनों राज्यों के संबंध बिगड़ सकते हैं और साथ की पिटोनिया राज्य से मिलने वाली सहायता से भी हम वंचित हो सकते हैं।
प्रश्न 2: यह कहना कहाँ तक युक्तिसंगत है कि इस कहानी में हास्य के साथ-साथ करुणा की भी अंतर्धारा है। अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दें।
उत्तर:- यह कहना बिल्कुल युक्ति संगत है कि इस कहानी में हास्य के साथ-साथ करुणा की भी अंतर्धारा है। कहानी की शुरुवात और अंत भी करुणाजनक हैं। वास्तव में प्रत्येक विभाग, क्लर्क, अधिकारियों के हास्य के साथ करुणा और भी गहराती गई है। लोगों का जामुन के फलों के स्वाद को याद करना, मनचले युवकों द्वारा उस व्यक्ति को ही आधे भाग में कटवाकर प्लास्टिक सर्जरी का सुझाव आदि अनेक ऐसी बातें हैं जो हास्य के साथ करुणा को अपने चरम पर ले जाते हैं।
प्रश्न 3: यदि आप माली की जगह पर होते, तो हुकूमत के फैसले का इंतज़ार करते या नहीं? अगर हाँ, तो क्यों? और नहीं, तो क्यों?
उत्तर:- यदि मैं माली की जगह होता तो कभी भी हुकूमत के फैसले का इंतजार न करता। मैं अपनी ओर से सेक्रेटेरियेट विभाग के लोगों को इकठ्ठा करता, उन्हें प्रेरित कर पेड़ हटवाता। यदि वे सरकारी डर से आगे आने के लिए तैयार न होते तो उन्हें समझाता कि पेड़ काटना अपराध माना जाता है, गिरे पेड़ को हटाना नहीं। अत: पेड़ को हटाये जाने पर हम पर कोई अनुशासनहीनता कार्यवाही नहीं होगी और इस तरह से मैं उस आदमी को बचा लेता।
प्रश्न 1: कहानी के वैकल्पिक शीर्षक सुझाएँ। निम्नलिखित बिंदुओं को ध्यान में रखकर शीर्षक गढ़े जा सकते हैं –
उत्तर: उपर्युक्त बिंदुओं के आधार पर हम कहानी के कुछ वैकल्पिक शीर्षक सुझा सकते हैं – मेरी जीवन की फ़ाइल, अफसरों के चक्कर में चकराती फ़ाइल, फ़ाइल से हुई मौत।
प्रश्न 1: नीचे दिए गए अंग्रेजी शब्दों के हिन्दी प्रयोग लिखिए –
अर्जेंट, फारेस्ट डिपार्टमेंट, मेंबर, डिप्टी सेक्रेटरी, मिनिस्टर, अंडर सेक्रेटरी, हॉर्टी कल्चर डिपार्टमेंट, एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट
उत्तर:
प्रश्न 2: इसकी चर्चा शहर में फ़ैल गई और शाम तक गली-गली से शायर जमा होने शुरू हो गए- यह एक संयुक्त वाक्य है, जिसमें दो स्वतंत्र वाक्यों को समानाधिकरण समुच्चयबोधक शब्द और से जोड़ा गया है।
संयुक्त वाक्य को इस प्रकार सरल वाक्य में बदला जा सकता है – इसकी चर्चा शहर में फैलते ही शाम तक गली-गली से शायर जमा होने शुरू हो गए। पाठ में से पाँच संयुक्त वाक्यों को चुनिए और उन्हें सरल वाक्य में रूपांतरित कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 3: साक्षात्कार अपने-आप में एक विधा है। जामुन के पेड़ के नीचे दबे आदमी के फ़ाइल बंद होने (मृत्यु) के लिए ज़िम्मेदार किसी एक व्यक्ति का काल्पनिक साक्षात्कार करें और लिखें।
उत्तर: जामुन के पेड़ के नीचे दबे आदमी के फ़ाइल बंद होने (मृत्यु)के लिए जिम्मेदार सुपरिंटेंडेंट और साक्षात्कारकर्ता के बीच का काल्पनिक साक्षात्कार-
साक्षात्कारकर्ता: क्या, आप ही इस विभाग के सुपरिंटेंडेंट हैं?
सुपरिंटेंडेंट: जी हाँ !
साक्षात्कारकर्ता: तब तो आपको पता ही होगा कि आपकी लॉन में एक पेड़ गिरने से एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई है।
सुपरिंटेंडेंट: इसमें मेरा कोई दोष नहीं है।
साक्षात्कारकर्ता: आप ही ने तो माली को पेड़ हटवाने के लिए रोका था।
सुपरिंटेंडेंट: देखिए जनाब, हम सरकारी कर्मचारी हैं इसलिए कार्य को नियम और कानून के दायरे में रहकर करना पड़ता है।
साक्षात्कारकर्ता: चाहे आपके दायरे में किसी की जान ही क्यों न चली जाए।
सुपरिंटेंडेंट: नहीं! ऐसा बिल्कुल हम नहीं चाहते लेकिन…
साक्षात्कारकर्ता: लेकिन क्या ?
सुपरिंटेंडेंट: मैंने आपको बताया ना मैं कानून के दायरे के बाहर नहीं जा सकता था। मुझे बहुतों को जवाब देना पड़ता है।
साक्षात्कारकर्ता: पर ये कहाँ लिखा है कि मरते हुए आदमी को छोड़कर आप फ़ाइल के चक्कर में पड़े रहे।
सुपरिंटेंडेंट: मैं स्वयं निर्णय कैसे लेता? यह काम मेरे विभाग से संबंधित ही नहीं था।
साक्षात्कारकर्ता: तो इस बेचारे व्यक्ति के मरने की जिम्मेदारी किस पर जाती है ?
सुपरिंटेंडेंट: मैं इस बारे में आगे कोई बात नहीं करना चाहता हूँ।मुझे जो ठीक लगा वह मैंने किया।अच्छा नमस्कार।
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