Class 9 Exam  >  Class 9 Notes  >  NCERT Solutions: पाठ 15 - कीचड़ का काव्य , स्पर्श, हिन्दी, कक्षा - 9

पाठ 15 - कीचड़ का काव्य , स्पर्श, हिन्दी, कक्षा - 9 NCERT Solutions - Class 9 PDF Download

पृष्ठ संख्या: 58

प्रश्न अभ्यास 

मौखिक 

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो-पंक्तियों में दीजिये -

प्रश्न 1.  रंग की शोभा ने क्या कर दिया है?
 उत्तर 

रंग की शोभा ने उतर दिशा में जमकर कमाल ही कर दिया है। 

प्रश्न 2. बादल किसकी तरह हो गए थे?
 उत्तर 

बादल स्वेत पूनी की तरह हो गए थे। 

प्रश्न 3. लोग किन-किन चीज़ो का वर्णन करते हैं?
 उत्तर

लोग आकाश, पृथ्वी, जलाशयों का वर्णन करते हैं।

प्रश्न 4. कीचड़ से क्या होता है?
उत्तर
कीचड़ से शरीर गन्दा होता है और कपडे मैले होते हैं।

प्रश्न 5. कीचड़ जैसा रंग कौन लोग पसंद करते हैं?
उत्तर
कीचड़ जैसा रंग कलाभिज्ञ लोग पसंद करते हैं।

प्रश्न 6. नदी के किनारे कीचड़ कब सुंदर दिखता है?
उत्तर
नदी  के किनारे जब कीचड़ के सूखकर टुकड़े हो जाते हैं तब वे सुंदर दिखते हैं।

प्रश्न 7. कीचड़ कहाँ सुन्दर लगता है?
उत्तर
नदी के किनारे मिलों तक फैला समतल और चिकना  कीचड़ सुन्दर लगता है।

प्रश्न 8. 'पंक' और 'पंकज' शब्द में क्या अंतर है?
उत्तर
'पंक' शब्द का अर्थ कीचड़ तथा 'पंकज' का अर्थ कमल होता है।

लिखित

(क) निम्नलिखित शब्द का उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए -

प्रश्न 1. कीचड़ के प्रति किसी को सहानभूति क्यों नही होती?
उत्तर
कीचड़ से शरीर गन्दा होता है। कपडे मैले हो जाते हैं। लोग कीचड़ को गंदगी का प्रतीक मानते हैं। अपने शरीर पर कीचड़ उड़े यह किसी को अच्छा नही लगता इसीलिए कीचड़ के प्रति किसी को सहानभूति नही होती।

प्रश्न 2. जमीन ठोस होने पर उस पर किनके पदचिह्न अंकित होते हैं?
उत्तर
जमीन ठोस हो जाने पर उस पर गाय, बैल, पाड़े, भैंस, बकरे इत्यादि के पदचिन्ह अंकित होते हैं।

प्रश्न 3. मनुष्य को क्या भान होता जिससे वो कीचड़ का तिरस्कार न करता?
उत्तर
मनुष्य को अगर यह भान होता की उसका अन्न कीचड़ में ही उत्पन्न होता है तो वो कीचड़ का तिरस्कार न करता।

प्रश्न 4. पहाड़ लुप्त कर देने वाले कीचड़ की क्या विशेषता होती है?
उत्तर
गंगा के किनारे या सिंधु के किनारे और खम्भात में महि नदी के मुख के आगे जहां तक नजर पहुंचे वहां तक सर्वत्र सनातन कीचड़ देखने मिलेगा जिसमें हाथ डूब जाने वाली बात कहना अल्पोक्ति के समान होगा। यह पहाड़ लुप्त कर देने वाले कीचड़ की विशेषता होती है।

(ख) निम्नलिखित शब्द का उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए -

प्रश्न 1. कीचड़ का रंग किन-किन लोगों को खुश  करता है?
उत्तर
पुस्तकों के गत्तों पर, दिवारों पर, कच्चे मकानों पर सब लोग इस रंग को पंसद करते हैं। कलाभिज्ञ लोगों  को भट्टी में पकाये गए मिटटी के बर्तनों के लिए यही रंग पसंद है। फोटो लेते समय उस पर कीचड़ का एकाध ठीकरे का रंग आ जाए तो उसे वार्मटोन कहकर विज्ञ लोग खुश होते हैं।

प्रश्न 2. कीचड़ सूखकर किस प्रकार के दृश्य उपस्थित करता है?
उत्तर
कीचड़ सूखकर टुकड़ो में बंट जाता है, उसमे दरारें पर जाती  हैं और वे टेढ़े हो जाते हैं तब वे सुखाये हुए खोपरे जैसे दिखते हैं।  नदी के किनारे कीचड़ सूखकर जब ठोस हो जाता है तब उसपर गाय, बैल, भैंस, पाड़े के निशाँ अंकित हो जाते हैं जिसकी शोभा अलग प्रकार की होती है।

प्रश्न 3. सूखे हुए कीचड़ का सौंदर्य किन स्थानों पर दिखाई देता है?
उत्तर
सूखे हुए कीचड़ का सौंदर्य नदियों के किनारे दिखाई देता है। कीचड़ जब थोड़ा सूख जाता है तो उस पर छोटे-छोटे पक्षी बगुले आदि घूमने लगते हैं। कुछ अधिक सूखने पर गाय, भैंस पांडे, भेड़, बकरियाँ के पदचिन्ह अंकित हो जाते  हैं। जब दो मदमस्त पाड़े अपने सींगो से कीचड़ को रौंदते हैं तो चिन्हों से ज्ञात होता है महिषकुल के युद्ध के वर्णन हो।

प्रश्न 4. कवियों की धारणा को लेखक ने युक्तिशून्य क्यों कहा है?
उत्तर
कवियों की धारणा केवल बाहरी सौंदर्य पर ध्यान देते हैं आंतरिक सौंदर्य की ओर उनका ध्यान नहीं जाता। पंकज शब्द बहुत अच्छा लगता है और पंक कहते ही बुरा सा लगता है। वे कमल को अपनी रचना में रखते हैं परन्तु पंक को अपनी रचना में नहीं लाते हैं। वे इसका तिरस्कार करते हैं। वे प्रत्यक्ष सौंदर्य की प्रशंसा करते हैं परन्तु उसको उत्पन्न करने वाले कारकों का सम्मान नहीं करते। कवियों का इस  धारणा को लेखक ने युक्तिशून्य कहा है।

पृष्ठ संख्या: 59

(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिये -

प्रश्न 1. नदी किनारे अंकित पदचिह्न और सींगों के चिह्नों से मानो महिषकुल के भारतीय युद्ध का पूरा इतिहास ही इस कर्दम लेख में लिखा हो ऐसा भास होता है।
उत्तर
इस वाक्य का आशय यह है कि नदी के किनारे जब दो मदमस्त पाड़े अपने सींगों से कीचड़ को रौंदकर आपस में लड़ते हैं तो उनके पैरों तथा सींगों के चिह्न अंकित हो जाते हैं जिसे देखने से ऐसा लगता है मानो महिषकुल के भारतीय युद्ध का इतिहास का वर्णन हो।

प्रश्न 2. "आप वासुदेव की पूजा करते हैं इसलिए वसुदेव को तो नहीं पूजते, हीरे का भारी मूल्य देते हैं किन्तु कोयले या पत्थर का नहीं देते और मोती को कठ में बाँधकर फिरते हैं किंतु उसकी मातुश्री को गले में नहीं बाँधते।" कस-से-कम इस विषय पर कवियों के साथ चर्चा न करना ही उत्तम !
 उत्तर

कवियों का कहना है कि एक अच्छी और सुंदर वस्तु को स्वीकार करते हैं तो उससे जुड़ी चीज़ों को भी स्वीकार करना चाहिए। हीरा कीमती होता है परन्तु उसके उत्पादक कार्बन को ज़्यादा नहीं पूछा जाता। श्री कृष्ण को वासुदेव कहते हैं लोग उन्हें पूजते भी हैं परन्तु उनके पिता वसुदेव को भी पूजे यह ज़रूरी नहीं है। इसी तरह मोती इतना कीमती होता है लोग इसे गले में पहनते हैं पर सीप जिसमें मोती होता है इसे गले में बाँधे यह ज़रूरी नहीं है। अत: कवियों के अपने तर्क होते हैं। उनसे इस विषय पर बहस करना बेकार है।

भाषा अध्यन

प्रश्न 1. निम्नलिखित शब्दों के तीन-तीन पर्यायवाची शब्द लिखिए −

1.जलाशय-........................
2.सिंधु-........................
3.पंकज-........................
4.पृथ्वी-........................
5.आकाश-........................


उत्तर

1.जलाशय-ताल, सरोवर, सर
2.सिंधु-जलधि, सागर, रत्नाकर
3.पंकज-कमल, जलज, अंबुज, राजीव
4.पृथ्वी-भू, भूमि, धरा, वसुधा
5.आकाश-नभ, गगन, व्योम, अंबर

 

प्रश्न 2. निम्नलिखित वाक्यों में कारकों को रेखांकित कर उनके नाम भी लिखिए −

(क)कीचड़ का नाम लेते ही सब बिगड़ जाता है।........................
(ख)क्या कीचड़ का वर्णन कभी किसी ने किया है?........................
(ग)हमारा अन्न कीचड़ से ही पैदा होता है।........................
(घ)पदचिह्न उसपर अंकित होते हैं।........................
(ङ)आप वासुदेव की पूजा करते हैं।........................

 

उत्तर

(क)कीचड़ का नाम लेते सब बिगड़ जाता है।का सबंध कारक
(ख)क्या कीचड़ का वर्णन कभी किसी ने किया है?ने कर्ता कारक
(ग)हमारा अन्न कीचड़ से ही पैदा होता है।हमारा संबध कारक, से करण कारक
(घ)पदचिह्न उसपर अंकित होते हैं।उस पर अधिकरण कारक
(ङ)आप वासुदेव की पूजा करते हैं।की सबंध कारक


प्रश्न 3. निम्नलिखित शब्दों की बनावट को ध्यान से देखिए और इनका पाठ भिन्न किसी नए प्रसंग में वाक्य प्रयोग कीजिए −

आकर्षकयथार्थतटस्थताकलाभिज्ञपदचिह्न
अंकिततृप्तिसनातनलुप्तजाग्रत
घृणास्पदयुक्तिशून्यवृत्ति  


उत्तर

1.आकर्षकयह गमला बहुत आकर्षक है।
2.अंकितहमें वस्तु पर अंकित मूल्य पर ही वस्तु नहीं खरीदना चाहिए।
3.घृणास्पदवह बहुत ही घृणास्पद बातें करता है।
4.यथार्थयथार्थ से हमेशा जुड़े रहना चाहिए।
5.तृप्तिमुख से पीड़ित व्यक्ति को भोजन दिया तो उसे तृप्ति हो गई।
6.युक्तिशून्यउसने बहुत ही युक्तिशून्य बातें की।
7.तटस्थताहमारा देश अक्सर बाह्रय युद्धों में तटस्थता की नीति बनाए रखता है।
8.सनातनभारत में बहुत लोग सनातन धर्म को मानते हैं।
9.वृत्तिवह बहुत अच्छी वृत्ति का व्यक्ति है।
10.कलाभिज्ञकलाभिज्ञ गन्दगी में भी सुन्दरता देखते हैं।
11.लुप्तआजकल भारतीय संस्कृति और परम्पराएं लुप्त सी हो रही हैं।
12.पदचिह्नलोगों ने गाँधी जी के पदचिह्नों पर चलकर भारत माता की सेवा की।
13.जाग्रतआजकल टेलीवीजन पर लोगों को जाग्रत करने का प्रयास किया जा रहा है।

 

प्रश्न 4. नीचे दी गई संयुक्त क्रियाओं का प्रयोग करते हुए कोई अन्य वाक्य बनाइए −

(क) देखते-देखते वहाँ के बादल श्वेत पूनी जैसे हो गए।

....................................................................
 (ख) कीचड़ देखना हो तो सीधे खंभात पहुँचना चाहिए
 .....................................................................

उत्तर
(ग) हमारा अन्न कीचड़ में से ही पैदा होता है।
(क) मेरे देखते-देखते ही वहाँ भीड़ जमा हो गई।
(ख) थोड़ी भी तबीयत खराब हो तो सीधे डाक्टर के पास पहुँचना चाहिए
(ग) कमल कीचड़ में ही पैदा होता है।

पृष्ठ संख्या: 60

प्रश्न 6. न, नहीं, मत का सही प्रयोग रिक्त स्थानों पर कीजिए −
 (क) तुम घर ........... जाओ।
 (ख) मोहन कल ............ आएगा।
 (ग) उसे ......... जाने क्या हो गया है?
 (घ) डाँटो .......... प्यार से कहो।
 (ङ) मैं वहाँ कभी ........... जाऊँगा।
 (च) ........... वह बोला ......... मैं।

उत्तर
(क) तुम घर ...मत... जाओ।
(ख) मोहन कल ..नहीं.... आएगा।
(ग) उसे .... जाने क्या हो गया है?
(घ) डाँटो ..मत.... प्यार से कहो।
(ङ) मैं वहाँ कभी ..नहीं..... जाऊँगा।
(च) ..... वह बोला .... मैं।

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FAQs on पाठ 15 - कीचड़ का काव्य , स्पर्श, हिन्दी, कक्षा - 9 NCERT Solutions - Class 9

1. What is the summary of the poem "कीचड़ का काव्य" from Sparsa, Class 9 Hindi?
Ans. The poem "कीचड़ का काव्य" by Ramdhari Singh Dinkar is about the importance of dirt and mud in our lives. The poet argues that although we may want to avoid dirt and mud, they are important for the growth of plants and trees. The poem also explores the idea that dirt and mud can be a metaphor for the struggles and difficulties in our lives, which ultimately help us to grow and become stronger.
2. Who is the author of the poem "कीचड़ का काव्य" and what is the poem about?
Ans. The poem "कीचड़ का काव्य" is written by Ramdhari Singh Dinkar. The poem is about the importance of dirt and mud in our lives and how they are necessary for the growth of plants and trees. The poet uses this metaphor to explore the idea that struggles and difficulties in our lives are also necessary for our growth and development.
3. What is the main theme of the poem "कीचड़ का काव्य"?
Ans. The main theme of the poem "कीचड़ का काव्य" is the importance of dirt and mud in our lives. The poet argues that although we may want to avoid dirt and mud, they are necessary for the growth of plants and trees. The poem also explores the idea that struggles and difficulties in our lives are necessary for our growth and development.
4. What is the significance of the metaphor of dirt and mud in the poem "कीचड़ का काव्य"?
Ans. The metaphor of dirt and mud in the poem "कीचड़ का काव्य" is used by the poet to explore the idea that struggles and difficulties in our lives are necessary for our growth and development. The poet argues that just as dirt and mud are necessary for the growth of plants and trees, struggles and difficulties are necessary for our personal growth and development.
5. Why is the poem "कीचड़ का काव्य" important for students of Class 9 Hindi?
Ans. The poem "कीचड़ का काव्य" is important for students of Class 9 Hindi as it explores important themes such as the importance of struggles and difficulties in our lives, and the idea that these struggles can help us to grow and become stronger. The poem also uses a powerful metaphor of dirt and mud to convey these ideas, which can help students to develop their critical thinking skills and understand complex ideas in a more accessible way.
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