प्र 1. जी.एस.टी. में पंजीकरण करवाने के क्या लाभ है?
उत्तरः वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) के अंर्तगत पंजीकरण करवाना व्यवसाय को निम्नलिखित लाभ प्रदत्त करेगाः
प्र 2. क्या बिना जी.एस.टी. पंजीकरण किया व्यक्ति आईटीसी और कर एकत्र कर सकता है?
उत्तरः नहीं। बिना जी.एस.टी. पंजीकरण के कोई भी व्यक्ति न तो अपने ग्राहकों से जी.एस.टी. एकत्र कर सकता है और न ही अपने द्वारा भुगतान किए गए जी.एस.टी. के किसी भी इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा कर सकता हैं।
प्र 3. पंजीकरण की प्रभावी तिथि क्या होगी?
उत्तरः पंजीकरण के लिए जहां पर आवेदन किया गया है उसकी प्रस्तुति के 30 दिनों के भीतर व्यक्ति पंजीकरण करने के लिए उत्तरदायी हो जाता है, पंजीकरण की प्रभावी तिथि उसके पंजीकरण के अपने दायित्व की तिथि होगी। जहाँ आवेदक द्वारा पंजीकरण का आवेदन प्रस्तुत किया जा चुका है उसके 30 दिनों के बाद वह पंजीकरण का उत्तरदायी बन जाता है, पंजीकरण की प्रभावी तिथि उसे पंजीकरण प्रदान करने की तारीख होगी।
स्वतः पंजीकरण के मामले में, अर्थात स्वेच्छा से पंजीकरण लेना जबकि कर भुगतान के लिए सीमा में छूट की सीमा के भीतर है, पंजीकरण की प्रभावी तिथि पंजीकरण के आदेश की तिथि होगी।
प्र 4. मॉडल जी.एस.टी. कानून के अंतर्गत कौन व्यक्ति पंजीकरण लेने के लिए उत्तरदायी हैं?
उत्तरः कोई भी आपूर्तिकर्ता जो भारत के किसी भी स्थान से व्यापार कर रहा है और जिसकी कुल बिक्री एक वित्तीय वर्ष में निर्धारित सीमा से अधिक है वह स्वयं पंजीकरण के लिये उत्तरदायी है। हालांकि, एम.जी.एल. अनुसूची प्प्प् में उल्लिखित व्यक्तियों की कुछ श्रेणियों को इस सीमा का ख्याल किये बिना पंजीकृत किया जा सकता है।
एक किसान को कराधीन व्यक्ति नहीं माना जायेगा और वह पंजीकरण करने के लिए उत्तरदायी नहीं होगा। (धारा 9 (1) के अनुसार)
प्र 5. कुल बिक्री क्या है?
उत्तरः एम.जी.एल. की धारा 2(6) के अनुसार, कुल बिक्री में कुल मूल्य शामिल हैः
उपरोक्त की अखिल भारतीय स्तर पर संगणना की जायेगी और इसमें सी.जी.एस.टी. अधिनियम, एस.जी.एस.टी. अधिनियम और आई.जी.एस.टी. अधिनियम के अंर्तगत वसूल किये गये शुल्क शामिल नहीं होंगे।
कलु बिक्री में आपूर्तियें के वे मुल्य जिन पर रिवर्स शुल्क के आधार पर कर लगाया जाता है, और आवक का आपूर्ति मूल्य शामिल नहीं होंगे।
प्र 6. कौन सा मामलों में पंजीकरण अनिवार्य है?
उत्तरः एम.जी.एल. की अनुसूची प्प्प् के पैरा 5 के अनुसार, निम्नलिखित श्रेणियों के व्यक्तियों को अनिवार्य रूप से निर्धारित सीमा की परवाह किए बिना पंजीकृत करवाना आवश्यक होगा;
क) व्यक्ति जो किसी प्रकार की अंतर-राज्य कराधीन आपूर्ति कर रहे हैं;
ख) आकस्मिक कराधीन व्यक्ति;
ग) वे व्यक्ति जिन्हें रिवर्स प्रभार के अंर्तगत कर भुगतान करना आवश्यक है;
घ) अनिवासी (एनआरआई) कराधीन व्यक्ति
ड़) वे व्यक्ति जिन्हें धारा 37 के अंर्तगत कर की कटौती करना आवश्यक है;
च) वे व्यक्ति जो अन्य पंजीकृत कराधीन व्यक्तियों की ओर से वस्तुओं और/या सेवाओं की आपूर्ति करते हैं, चाहे अभिकर्ता या अन्य किसी रूप में;
छ) इनपुट सेवा वितरक/डिस्ट्रीब्यूटर;
ज) वे व्यक्ति जो ब्रांडेड सेवाओं को छोड़कर वस्तुओं और/या सेवाओं की आपूर्ति करते हैं, इलेक्ट्राॅनिक कामर्स आॅपरेटर के माध्यम से;
झ) प्रत्येक इलेक्ट्रॉनिक कामर्स ऑपरेटर;´) एक एग्रीगेटर जो सेवाओं की आपूर्ति अपने ब्रांड नाम या ट्रेड नाम से प्रदान करता है; तथा
ट) ऐसे अन्य व्यक्ति या व्यक्तियों के वर्ग जिन्हें परिषद की सिफारिशों पर केन्द्र सरकार या राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित किया जा सकता है।
प्र 7. मॉडल जी.एस.टी. कानून के अंर्तगत पंजीकरण लेने के लिए क्या समय सीमा है?
उत्तरः कोई भी व्यक्ति जिस तिथि को वह पंजीकरण करने के लिये उत्तरदायी हो जाता है, उस तिथि के तीस दिनों के भीतर उसे पंजीकरण कर लेना चाहिये, इस विधि और इस तरह की शर्तों के अधीन जिस प्रकार वे निर्धारित की जा सकती हैं।
प्र 8. यदि एक व्यक्ति एक ही पैन नंबर के साथ अलग-अलग राज्यों में व्यवसाय संचालित कर रहा है, क्या वह एक ही पंजीकरण के साथ व्यवसाय संचालित कर सकता है?
उत्तरः नहीं। प्रत्येक वह व्यक्ति जो पंजीकरण लेने के लिए उत्तरदायी है उसे प्रत्येक उन राज्यों में अलग-अलग पंजीकरण लेना आवश्यक है जहां पर वह व्यवसाय संचालित कर रहा है और माॅडल जी.एस. टी. कानून की धारा 19 की उप-धारा (1) के अनुसार जी.एस.टी. का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है।
प्र 9. एक व्यक्ति जिसके एक राज्य में कई व्यापारिक व्यवसाय हैं क्या वह अलग पंजीकरण प्राप्त कर सकता है?
उत्तरः हाँ। धारा 19 की उप-धारा (2) के संदर्भ में, एक व्यक्ति को एक राज्य में कई व्यापार व्यवसाय/कार्यक्षेत्र के संचालन के लिये प्रत्येक का अलग पंजीकरण प्राप्त करना चाहिये, इन शर्तों के अधीन जिन्हें निर्धारित किया जा सकता है।
प्र 10. क्या ऐसा कोई प्रावधान है कि एक व्यक्ति अपनी स्वेच्छा से पंजीकृत करे हालांकि तब जब वह जी.एस.टी. का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी नहीं भी हो सकता है?
उत्तरः हाँ। धारा 19 की उप-धारा (3) के संदर्भ में, हालांकि, एक व्यक्ति अनुसूची प्प्प् के अंर्तगत पंजीकरण करने के लिये उत्तरदायी नहीं होते हुए भी, अपनी स्वेच्छा से स्वयं को पंजीकृत कर सकता है, और इस अधिनियम के सभी प्रावधानों के रूप में जो एक पंजीकृत कराधीन व्यक्ति पर लागू होते हैं, उस व्यक्ति पर भी लागू होंगे।
प्र 11. क्या पंजीकरण प्राप्त करने के लिये स्थायी खाता संख्या (पैन) अनिवार्य है?
उत्तरः हाँ। प्रत्येक व्यक्ति के पास मॉडल जी.एस.टी. कानून की धारा 19 के अंर्तगत पंजीकरण प्राप्त करने की पात्रता के क्रम में आयकर अधिनियम, 1961 (1961 का 43) के अधीन जारी किया गया स्थायी खाता संख्या (पैन) रखना अनिवार्य होगा।
हालांकि एम.जी.एल. की धारा 19 (4ए) के अनुसार, अनिवासी/ एनआरआई कराधीन व्यक्ति के लिये पैन रखना अनिवार्य नहीं है और उसे किसी अन्य दस्तावेज के आधार पर पंजीकरण दिया जा सकता है, जिस रूप में उसे निर्धारित किया जा सकता है।
प्र 12. क्या सक्षम अधिकारी के माध्यम से विभाग, इस अधिनियम के अंर्तगत स्वतः एक व्यक्ति के पंजीकरण को आगे बढ़ा सकता है?
उत्तरः हाँ। धारा 19 की उप-धारा (5) के अनुसार, जहां एक व्यक्ति इस अधिनियम के अंर्तगत पंजीकृत किये जाने के लिये उत्तरदायी है और पंजीकृत करवाने में विफल रहता है, सक्षम अधिकारी, कोई भी कार्रवाई बिना पक्षपात किये कर सकता है अर्थात, या एम.जी. एल. या किसी अन्य प्रचलित कानून के अंर्तगत की जा सकती है, ऐसे व्यक्ति को उस ढग से पंजीकृत करने के लिए कार्यवाही कर सकता है जिसे निर्धारित किया जा सकता है।
प्र 13. क्या एक सक्षम अधिकारी पंजीकरण के लिये किये गये आवेदन को अस्वीकार कर सकता है?
उत्तरः हाँ। एम.जी.एल. की उप-धारा 7 के अनुसार, सक्षम अधिकारी विधिवत सत्यापन के बाद पंजीकरण के लिए किये गये आवेदन कोअस्वीकार कर सकता है। हालांकि, धारा 19 की उप-धारा 8 में यह प्रदान किया गया है कि सक्षम अधिकारी पंजीकरण या विशिष्ट पहचान संख्या के लिये किये गये आवेदन को कारण बताओ नोटिस और व्यक्ति को सुनवाई का उचित अवसर दिये बिना अस्वीकार नहीं करेगा।
प्र 14. क्या किसी व्यक्ति को प्रदान किया गया पंजीकरण स्थायी है?
उत्तरः हाँ, एक बार पंजीकरण प्रमाण पत्र प्रदान करने पर वह स्थायी हो जाता है जब तक कि उसे अभ्यर्पण, रद्द, निलंबित या वापस नहीं ले लिया जाता।
प्र 15. क्या संयुक्त राष्ट्र निकायों के लिये एम.जी.एल. के अंर्तगत पंजीकरण प्राप्त करना आवश्यक है?
उत्तरः संयुक्त राष्ट्र के सभी निकायों के वाणिज्य दूतावासों या विदेशी देशों के दूतावासों और किसी भी अन्य वर्ग के व्यक्तियों को जिन्हें अधिसूचित किया गया है उन्हें जी.एस.टी. पोर्टल से एक विशिष्ट पहचान संख्या (यू.आई.एन.) प्राप्त करना आवश्यक होगा। कथित आईडी की संरचना जी.एस.टी.आई.एन. के अनुरूप सभी राज्यों में एक समान होगी और वह केंद्र और राज्यों के लिए भी एक समान होगी। इन यू.आई.एन. की जरूरत उनके द्वारा करों के भुगतान की वापसी का दावा करने और किसी अन्य प्रयोजन के लिये होगी, जिसे जी.एस.टी. नियमों में निर्धारित किया जा सकता है।
प्र 16. संयुक्त राष्ट्र निकायों को आपूर्ति करने वाले कराधीन व्यक्ति की क्या जिम्मेदारी है?
उत्तरः इन संगठनों को आपूर्ति करने वाले कराधीन आपूर्तिकर्ता से चालान/बिल पर यू.आई.एन. उल्लिखित करने की अपेक्षा की जाती है और ऐसी आपूर्ति को दूसरे पंजीकृत व्यक्ति (बी2बी) को की जाने वाली आपूर्ति माना जायेगा और इन बिलों को आपूर्तिकर्ता द्वारा अपलोड किया जाएगा।
प्र 17. क्या सरकारी संगठन के लिए पंजीकरण करना आवश्यक है?
उत्तरः सरकारी प्राधिकरणों/सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पी.एस.यू.) को जो जी.एस.टी. माल की आगे आपूर्ति नहीं कर रहे (और इसलिये जी.एस.टी. पंजीकरण प्राप्त करने के लिए उत्तरदायी नहीं है) लेकिन अंतर-राज्यीय खरीद कर रहे हैं, उन्हें संबंधित राज्य कर प्राधिकारियों द्वारा जी.एस.टी. पोर्टल के माध्यम से एक विशिष्ट पहचान संख्या (आई.डी.) प्रदान किया जाएगा।
प्र 18. एक आकस्मिक कराधीन व्यक्ति कौन है?
उत्तरः एम.जी.एल. की धारा (21)2 में एक आकस्मिक कराधीन व्यक्ति को परिभाषित किया गया है। इसका मतलब ऐसे व्यक्ति से है जो कभी कभार कर योग्य शासित प्रदेश में लेनदेन करता है जहां पर उसका व्यापार का निश्चित स्थान नहीं है।
प्र 19. अप्रवासी/एन.आर.आई. कराधीन व्यक्ति कौन है?
उत्तरः यह एक कराधीन व्यक्ति है जो भारत से बाहर निवास करता है और कभी कभार भारत में आकर देश में लेनदेन करता है लेकिन भारत में उसका कोई स्थायी व्यावसायिक स्थान नहीं है और इसे एम.जी.एल. की धारा 2(69) के अनुसार अप्रवासी कराधीन व्यक्ति कहा जायेगा।
प्र 20. एक आकस्मिक कराधीन व्यक्ति और अप्रवासी कराधीन व्यक्ति को जारी किये पंजीकरण प्रमाण पत्र की वैधता की अवधि क्या है?
उत्तरः पंजीकरण का प्रमाण पत्र एक ‘‘आकस्मिक कराधीन व्यक्ति’’ और ‘‘अप्रवासी कराधीन व्यक्ति’’ को जारी किये गये पंजीकरण प्रमाण पत्र जारी करने की प्रभावी तिथि से नब्बे दिन की अवधि तक वैध होगी। हालांकि, सक्षम अधिकारी कथित कराधीन व्यक्ति के निवेदन पर, उपरोक्त अवधि की वैधता को नब्बे दिन की अवधि तक बढ़ा सकता है।
प्र 21. क्या इस विशेष श्रेणी के अतंर्गत पजींकरण प्राप्त करने के समय एक ”आकस्मिक कराधीन व्यक्ति” और ”अपव्रासी कराधीन व्यक्ति” को कोई अगिम्र कर का भगुतान करने की आवश्यकता है
उत्तरः हाँ। जबकि एक सामान्य कराधीन व्यक्ति को धारा 19 की उप-धारा (1) के अंर्तगत पंजीकरण के लिए आवेदन जमा करने के समय पंजीकरण प्राप्त करने के लिए राशि जमा करना आवश्यक नहीं होता, लेकिन एक आकस्मिक कराधीन व्यक्ति या एक अप्रवासी कराधीन व्यक्ति, धारा 19 की उप-धारा (1) के अंर्तगत पंजीकरण के लिए आवेदन करने के समय उस अवधि के लिये अनुमानित कर देयता के बराबर की राशि में कर की अग्रिम राशि जमा करेंगे जिस अवधि के लिये उक्त व्यक्ति पंजीकरण की मांग करता है। यदि पंजीकरण की अवधि को प्रारम्भिक नब्बे दिनों की अवधि से आगे बढ़ाया जाता है, अनुमानित कर देयता के लिए अग्रिम कर की अतिरिक्त राशि के बराबर की उतनी रकम जमा की जायेगी जितने समय के लिये उस अवधि को नब्बे दिनों से आगे बढ़ाने की मांग की गई है।
प्र 22. क्या पंजीकरण प्रमाणपत्र में संशोधन करने की अनुमति है?
उत्तरः हाँ। धारा 20 के अनुसार, सक्षम अधिकारी, इस तरह की जानकारी जो उसे पंजीकृत व्यक्ति द्वारा दी गई है या उसने स्वयं उसका पता लगाया है, पंजीकरण विवरणों में इस ढंग से संशोधन स्वीकार या अस्वीकार कर सकता है और उस अवधि के भीतर जैसा निर्धारित की जा सकती है। इस पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है कि सक्षम अधिकारी द्वारा जानकारी के संशोधन की अनुमति केवल कुछ प्रमुख क्षेत्रों के लिए ही आवश्यक होगी, जबकि अन्य क्षेत्रों के लिए, पंजीकृत व्यक्ति स्वयं भी संशोधन कर सकता है।
प्र 23. क्या पंजीकरण प्रमाणपत्र के रद्दीकरण की अनुमति है?
उत्तरः हाँ। एम.जी.एल. की धारा 21 में व्यक्त स्थितियों में, इस अधिनियम के अंर्तगत प्रदान किये गये पंजीकरण को सक्षम अधिकारी द्वारा रद्द किया जा सकता है। सक्षम अधिकारी, या तो अपने स्वयं के प्रस्ताव पर या आवेदन करने पर, निर्धारित तरीके से, पंजीकृत कराधीन व्यक्ति द्वारा या ऐसे व्यक्ति की मौत के मामले में उसके कानूनी उत्तराधिकारियों द्वारा, पंजीकरण को इस तरीके और उस अवधि के भीतर रद्द कर सकता है, जिस रूप में वह निर्धारित किया जा सकता है।
प्र 24. क्या सी.जी.एस.टी. अधिनियम के अंर्तगत पंजीकरण रद्द करने का अर्थ एस.जी.एस.टी. अधिनियम के अंर्तगत भी रद्द करना है?
उत्तरः हाँ। एक अधिनियम के अंर्तगत पंजीकरण रद्द (जैसे सी.जी. एस.टी. अधिनियम) करना दूसरे अधिनियम (अर्थात एस.जी.एस.टीअधिनिय म) के अंर्तगत भी रद्द माना जायेगा। (धारा 21(6))
प्र 25. क्या एक सक्षम अधिकारी स्वयं पंजीकरण रद्द कर सकता है?
उत्तरः हाँ, एम.जी.एल. की धारा 21(2) में उल्लिखित कुछ निश्चित परिस्थितियों में, सक्षम अधिकारी अपने स्वयं के विवेक पर पंजीकरण रद्द कर सकता है। इन परिस्थितियों मे लगातर छह महीने की अवधि के लिये रिटर्न नहीं भरना (एक आम व्यक्ति के लिये) और तीन महीने (एक समझौता करदाता), पंजीकरण की तारीख से छह महीने के भीतर व्यापार शुरू नहीं करना शामिल है। हालांकि, पंजीकरण रद्द करने से पहले, सक्षम अधिकारी को प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन करना होगा। (धारा 21(4))
प्र 26. क्या होगा जब पंजीकरण जानबूझकर गलत बयान, धोखाधड़ी या तथ्यों को दबाकर प्राप्त किया गया है?
उत्तरः ऐसे मामलों में, सक्षम अधिकारी द्वारा पूर्व प्रभाव से पंजीकरण रद्द किया जा सकता है। धारा 21(3)।
प्र 27. क्या एम.जी.एल. के अंर्तगत सेवाओं के पंजीकरण के लिए केंद्रीकृत विकल्प उपलब्ध है?
उत्तरः नहीं।
प्र 28. यदि करदाता के एक राज्य में विभिन्न व्यावसायिक कार्यक्षेत्र हैं, क्या उसे राज्य में इस तरह के प्रत्येक व्यावसायिक कार्यक्षेत्र के लिए अलग-अलग पंजीकरण प्राप्त करना होगा?
उत्तरः नहीं। हालांकि एम.जी.एल. की धारा 19(2) के अनुसार करदाता के पास इन व्यवसायों के लिये स्वतंत्र रूप से इस तरह के अलग अलग पंजीकरण प्राप्त करने का विकल्प उपलब्ध है।
प्र 29. एक आई.एस.डी. कौन है?
उत्तरः आई.एस.डी. आगत (इनपुट) सेवा वितरक/डिस्ट्रीब्यूटर से जाना जाता है और एम.जी.एल. की धारा 2(56) के अनुसार इस रूप में परिभाषित किया गया है। मूल रूप से यह एक कार्यालय है जिसका प्रमुख काम इनपुट सेवाओं की प्राप्ति की दिशा में कर चालान/बिल प्राप्त करना है और आगे आपूर्तिकर्ता को अनुपात में क्रेडिट वितरित करना है।
प्र 30. क्या आई.एस.डी. को मौजूदा करदाता पंजीकरण के अतिरिक्त पृथक पंजीकृत करना आवश्यक होगा?
उत्तरः हाँ। आई.एस.डी. पंजीकरण करदाता के एक कार्यालय के लिए है जो कि सामान्य पंजीकरण से अलग होगा।
प्र 31. क्या एक करदाता के बहुल आई.एस.डी. हो सकते हंै?
उत्तरः हाँ। एक करदाता के विभिन्न कार्यालय आई.एस.डी. के पंजीकरण के लिए आवेदन कर सकते हैं।
प्र 32. एक व्यवसाय के हस्तांतरण पर क्या दायित्व (जहां तक पंजीकरण का संबंध है) हो सकते हैं?
उत्तरः हस्तांतरिती या उत्तराधिकारी इस तरह के हस्तांतरण या उत्तराधिकार के प्रभाव से पंजीकृत करने के लिए उत्तरदायी हो जायेगा और उसे इस तारीख से प्रभावी नया पंजीकरण प्राप्त करना होगा। (एम.जी.एल. की अनुसूची प्प्प्)।
प्र 33. क्या वे सभी निर्धारिती/डीलरों जो पहले से ही मौजूदा केंद्रीय उत्पाद/ सेवा कर/वैट कानून के अंर्तगत पंजीकृत हैं उन्हें नया पंजीकरण प्राप्त करना होगा?
उत्तरः नहीं। जी.एस.टी.एन उन सभी निर्धारिती/डीलरों को जी.एस. टी.एन नेटवर्क पर स्थानांतरित कर देगा और उन्हें एक जी.एस.टीआईए न संख्या और पासवर्ड जारी करेगा। उन्हें एक निर्धारित अवधि के भीतर पंजीकरण के लिए आवश्यक सभी जरूरी दस्तावेज और जानकारी प्रस्तुत करने के लिए कहा जाएगा। ऐसा करने में विफल रहने का परिणाम उनके जी.एस.टी.आईएन नंबर के रद्द में परिणत होगा।
सेवा कर निर्धारिती जिनके पास केंद्रीकृत पंजीकरण है उन्हें अपने संबंधित राज्यों में जहां से वे अपना व्यापार संचालित कर रहे हैं नये सिरे से पंजीकरण के लिये आवेदन करना होगा।
प्र 34. क्या जाॅब वर्कर/कार्यकर्ताओं का पंजीकृत होना अनिवार्य होगा?
उत्तरः नहीं। एम.जी.एल. की धारा 43ए ऐसी किसी भी शर्त को निर्धारित नहीं करती।
प्र 35. क्या वस्तुओं की आपूर्ति की अनुमति जाॅब कार्यकर्ता के व्यवसाय स्थल से दी जाएगी?
उत्तरः हाँ। लेकिन केवल उन मामलों में जहां जाॅब कार्यकर्ता पंजीकृत है या व्यवसाय के प्रमुख द्वारा यह घोषित किया है कि जाॅब कार्यकर्ताओं के कार्यस्थल उसका अपना अतिरिक्त व्यापारिक स्थल है।
प्र 36. पंजीकरण के समय क्या निर्धारिती को अपने सभी व्यवसायिक स्थल घोषित करने होंगे?
उत्तरः हाँ। एम.जी.एल. की धारा 2(78) और 2(75) में प्रमुख व्यवसायिक स्थल और व्यावसायिक स्थल को क्रमशः अलग अलग परिभाषित किया गया है। करदाता को पंजीकरण प्रपत्र में प्रमुख व्यवसायिक स्थल के साथ साथ अपने सारे अतिरिक्त व्यावसायिक स्थलों का ब्यौरा घोषित करना होगा।
प्र 37. क्या उन छोटे डीलरों या जिन डीलरों के पास कोई बुनियादी आईटी सुविधाएं नहीं हैं, उनकी सुविधा के लिये कोई प्रणाली है?
उत्तरः ऐसे करदाता जो आईटी-कुशल नहीं हैं, उनकी आवश्यकताओं का ध्यान रखते हुए उन्हें निम्नलिखित सुविधाएं उपलब्ध की जाएंगीः-
टैक्स रिटर्न प्रिपेयरर (टी.आर.पी)ः एक कराधीन व्यक्ति स्वयं अपना पंजीकरण आवेदन तैयार कर सकते हैं/ रिटर्न भर सकते हैं या टी.आर.पी. को संपर्क कर सकते हैं। टी.आर.पी. कथित पंजीकरण दस्तावेज/निर्धारित प्रारूप में रिटर्न कराधीन व्यक्ति द्वारा दी गई सूचना के आधार पर तैयार करेगा। टी.आर.पी. द्वारा तैयार किये प्रारूप में सम्मिलित जानकारियों की शुद्धता और कानूनी जिम्मेदारी केवल कराधीन व्यक्ति पर होगी और टी.आर.पी. किसी त्रुटि या गलत जानकारी के लिए उत्तरदायी नहीं होगा।
सुविधा केंद्र (एफ.सी.)ः दस्तावेजों की विधिवत अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता द्वारा हस्ताक्षरित कराधीन व्यक्ति द्वारा प्रस्तुत सारांश शीट सहित प्रारूपों और दस्तावेज़ों के डिजिटलीकरण और/या अपलोडिंग के लिए जिम्मेदार होंगे। एफसी आईडी और पासवर्ड का उपयोग करते हुए आम एफसी पोर्टल पर डाटा अपलोड करने के बाद, स्वीकृति/पावती का एक प्रिंट-आउट लेगा और एफसी द्वारा हस्ताक्षर करने के बाद वह कराधीन व्यक्ति को उसके रिकार्ड के लिये सौंप दिया जायेगा। अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता द्वारा विधिवत हस्ताक्षर की गई सारांश शीट को एफसी स्कैन करने के बाद अपलोड कर देगा।
प्र 38. क्या जी.एस.टी.आई.एन पंजीकरण में डिजिटल हस्ताक्षर के लिए कोई सुविधा उपलब्ध है?
उत्तरः करदाताओं के पास प्रस्तुत किये गये आवेदन पर वैध डिजिटल हस्ताक्षर के उपयोग के साथ हस्ताक्षर करने का विकल्प होगा (यदि आवेदक को किसी अन्य प्रचलित कानून के अंर्तगत डीएससी प्राप्त करना आवश्यक है तब उसे उसी का उपयोग करते हुए अपने पंजीकरण आवेदन को प्रस्तुत करना होगा)। जिन व्यक्तियों के पास डिजिटल हस्ताक्षर नहीं है, पंजीकरण पर जी.एस.टी. नियमों में उन्हें वैकल्पिक तंत्र प्रदान किया जाएगा।
प्र 39. ऑनलाइन आवेदन पर निर्णय के लिए क्या समय सीमा होगी?
उत्तरः यदि सूचनाएं तथा अपलोड किये गये दस्तावेज़ सही क्रम में पाये जाते हैं, राज्य और केंद्रीय प्राधिकारी आवेदन को स्वीकृति दे देंगे और उस स्वीकृति को तीन सामान्य काम के दिनों के भीतर आम पोर्टल पर संचारित कर देंगे। पोर्टल उसके बाद अपने आप पंजीकरण प्रमाणपत्र उत्पन्न कर देगा। किसी मामले में यदि दोनों कर प्राधिकरणों द्वारा आवेदक को तीन सामान्य काम के दिनों के भीतर किसी कमी के बारे में सूचित नहीं किया जाता तब पंजीकरण को स्वीकृत मान लिया जायेगा {एम.जी.एल. की धारा 19(9)}, और पोर्टल स्वचालित रूप से पंजीकरण प्रमाणपत्र उत्पन्न कर देगा।
प्र 40. यदि आॅनलाइन आवेदन में कोई प्रश्न उठाया जाता है तब आवेदक द्वारा उत्तर करने के लिये कितना समय होगा?
उत्तरः यदि सत्यापन की प्रक्रिया के दौरान, कोई कर प्राधिकारी कोई प्रश्न उठाता है या कोई त्रुटि सूचित करता है, तो उसके बारे में तीन सामान्य कार्य दिवसों के भीतर जी.एस.टी. के आम पोर्टल के माध्यम से आवेदक और अन्य कर प्राधिकरणों को सूचित किया जाएगा। आवेदक को प्रश्नों के जवाब/त्रुटि को सुधारना/संबंधित कर अधिकारियों द्वारा सूचित अवधि के भीतर प्रश्नों के उत्तर देना होगा। (आम तौर पर यह अवधि सात दिन होगी)। अतिरिक्त दस्तावेज या स्पष्टीकरण प्राप्त करने पर, प्रासंगिक कर प्राधिकरण सात सामान्य कार्य दिवसों के भीतर अपने उत्तर देंगे।
प्र 41. पंजीकरण से इन्कार करने की क्या प्रक्रिया है?
उत्तरः यदि पंजीकरण से इन्कार कर दिया जाता है, आवेदक को बोलने वाला आदेश ;ैचमंापदह वतकमतेद्ध के माध्यम से इस तरह के इन्कार करने के कारणों के बारे में सूचित किया जाएगा। आवेदक को प्राधिकारी के निर्णय के विरूद्ध अपील करने का अधिकार प्राप्त होगा। एम.जी.एल. की धारा 19 की उप-धारा (10) के अनुसार, एक प्राधिकारी द्वारा पंजीकरण के लिए किये आवेदन की किसी भी अस्वीकृति को अन्य कर प्राधिकरण (अर्थात एस.जी.एस.टीअधिनिय म/ सी.जी.एस.टी. अधिनियम के अंर्तगत) द्वारा पंजीकरण के लिए किये आवेदन की अस्वीकृति समझा जाएगा।
प्र 42. क्या आवेदन निपटान से संबंधित किसी प्रकार का संचार हो सकता है?
उत्तरः आवेदक को जी.एस.टी. आम पोर्टल द्वारा ई-मेल और एसएमएस के माध्यम से उसके पंजीकरण आवेदन की स्वीकृति देने या इन्कार करने के तथ्य के बारे में सूचित किया जाएगा। इस चरण पर आवेदक को क्षेत्राधिकारिक विवरण सूचित किये जाएंगे।
प्र 43. क्या जी.एस.टी.एन पोर्टल से पंजीकरण प्रमाणपत्र डाउनलोड किया जा सकता है ?
उत्तरः यदि पंजीकरण प्रदान किया जाता है तो आवेदक जी.एस.टी आम पोर्टल से पंजीकरण प्रमाणपत्र डाउनलोड कर सकते हैं।
1. जीएसटी पंजीकरण क्या है? |
2. जीएसटी पंजीकरण के लिए आवश्यक दस्तावेज क्या हैं? |
3. जीएसटी पंजीकरण के लिए कौन-कौन से व्यक्ति पात्र हो सकते हैं? |
4. जीएसटी पंजीकरण की फाइलिंग की अंतिम तिथि क्या होती है? |
5. जीएसटी पंजीकरण के लिए कौन-कौन से विवरण आवश्यक होते हैं? |
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