GST Exam  >  GST Notes  >  GST Acts, FAQs and Updates  >  पाठ 4 . FAQs - आपूर्ति का अर्थ तथा संभावना

पाठ 4 . FAQs - आपूर्ति का अर्थ तथा संभावना | GST Acts, FAQs and Updates PDF Download

प्र 1. जी.एस.टी. के अंतर्गत कराधीन घटना क्या है?
उत्तरः जी.एस.टी. के अंतर्गत कराधीन घटना वस्तुओं और/या सेवाओं के लिये किसी प्रतिफल के प्रयोजन या व्यापार को आगे बढ़ाने के लिये की गई आपूर्ति होगी। प्रचलित अप्रत्यक्ष कर कानूनों के अंतर्गत कराधीन घटनाएं जैसे विनिर्माण, बिक्री, या सेवाओं के प्रावधानों को कराधीन घटना जिसे आपूर्ति के रूप में कहा जाता है सम्मिलित किये जाएंगे।

प्र 2. ‘आपूर्ति‘ का क्या अर्थ है?
उत्तरः शब्द ‘आपूर्ति‘ बहुत व्यापक शब्द है और इसमें वस्तुओं और/या सेवाओं की आपूर्ति के सभी रूप जैसे बिक्री, स्थानांतरण, वस्तु विनिमय, अदला-बदली, लाइसेंस, किराया, पट्टा या निपटान करना या करने के विचार पर एक व्यक्ति द्वारा उसके व्यापार को आगे बढ़ाने के प्रयोजन के लिये सहमति देना शामिल है। इसमें सेवाओं का आयात भी शामिल है। मॉडल जी.एस.टी. कानून आपूर्ति के दायरे के भीतर बिना प्रतिफल के कुछ लेनदेन को शामिल करने की भी व्यवस्था प्रदान करता है।

प्र 3. एक कराधीन आपूर्ति क्या है?
उत्तरः एक ‘कराधीन आपूर्ति‘ का अर्थ वस्तुओं और/या सेवाओं की आपूर्ति है जिसपर जी.एस.टी. अधिनियम के अंतर्गत वस्तुओं एवं सेवाओं के अंतर्गत कर देय होता है।

प्र 4. वे कौन से आवश्यक तत्व होते हैं जो एम.जी.एल. के अंर्तगत आपूर्ति का गठन करते हैं?
उत्तरः आदेश में एक ‘आपूर्ति‘ का गठन करने के लिए, निम्न तत्वों को संतुष्ट करना आवश्यक हैं, यानि -

  1. वस्तुओं और/या सेवाओं की आपूर्ति;
  2. प्रतिफल के लिये की गई आपूर्ति;
  3. व्यापार के क्रम में या व्यापार को आगे बढ़ाने के प्रयोजन के लिये की गई आपूर्ति;
  4. आपूर्ति कराधीन क्षेत्र में की गई है;
  5. आपूर्ति कराधीन आपूर्ति है; तथा
  6. आपूर्ति कराधीन व्यक्ति द्वारा की गई है।

प्र 5. क्या एक लेनदेन जिसमें एक या उससे अधिक उपरोक्त मानदंडों को पूरा नहीं किया गया है, अभी भी जी.एस.टी. के अंतर्गत उसे आपूर्ति माना जा सकता है?
उत्तरः हाँ, कुछ परिस्थितियों के अंतर्गत जैसे सेवाओं के आयात (धारा 3(1)(ख)) या बिना प्रतिफल के की गई आपूर्ति, एम.जी.एल. की अनुसूची - I के अंतर्गत निर्दिष्ट की गई है, जहां प्रश्न 4 में पूछे गये उत्तर में निर्दिष्ट एक या एक से अधिक सामग्री संतुष्ट नहीं हैं, इसे फिर भी जी.एस.टी. कानून के अंतर्गत आपूर्ति माना जायेगा।

प्र 6. धारा 3 की अनुपस्थिति में वस्तुओं का आयात सुस्पष्ट है। क्यों?
उत्तरः वस्तुओं के आयात को सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 के अंतर्गत अलग से निपटा जाता है, जिसमें अतिरिक्त सीमा शुल्क के स्थान पर आई.जी.एस.टी. को बुनियादी सीमा शुल्क के साथ लगाया जाएगा।

प्र 7. क्या निजी-आपूर्ति जी.एस.टी. के अंर्तगत कराधीन है?
उत्तरः अंतर-राज्य निजी आपूर्ति जैसे माल का स्थानांतरण कराधीन होगा क्योंकि कराधीन व्यक्ति को अनुसूची 1(5) के अनुसार राज्य-वार पंजीकरण लेना पड़ता है। इस तरह के लेन-देन कराधीन होते हैं बेशक उसमें प्रतिफल नहीं है। हालांकि, राज्य के भीतर निजी-आपूर्ति कराधीन नहीं हैं।

प्र 8. क्या माल की आपूर्ति गठित करने के लिए शीर्षक और/या कब्जे का हस्तांतरण एक लेनदेन के लिये आवश्यक है?
उत्तरः एक लेनदेन के लिये शीर्षक के साथ कब्जा दोनांे को ही वस्तुओं की आपूर्ति के रूप में विचार किया जाना चाहिये। यदि नाम का हस्तांतरण नहीं किया गया है, लेनदेन को अनुसूची प्प् (1) के अनुसार सेवाओं की आपूर्ति माना जायेगा। कुछ मामलों में, कब्जे को तुरन्त हस्तांतरित किया जा सकता है लेकिन नाम को भविष्य की तारीख में हस्तांतरित किया जा सकता है जैसे स्वीकृति के आधार पर बिक्री के मामले में या किराया खरीद व्यवस्था की तरह। ऐसे लेन-देनों को भी माल की आपूर्ति के रूप में कहा जाएगा।

प्र 9. ”कार्यान्वित करने या व्यापार को आगे बढ़ाने के क्रम में की गई आपूर्ति” से क्या मतलब हैं?
उत्तरः क्या गतिविधि कार्यान्वित करने या व्यापार को आगे बढ़ाने के क्रम में की गई है इसकी एम.जी.एल. के अंर्तगत निर्दिष्ट कोई परिभाषा या परीक्षण नहीं किया गया है। हालांकि, निम्नलिखित व्यापारिक परीक्षण सामान्य रूप से इन निष्कर्ष पर पहुंचने के लिये लागू किये जाते हैं कि क्या एक आपूर्ति कार्यान्वित करने या व्यापार को आगे बढ़ाने के लिये की गई हैः
1. क्या गतिविधि एक अहम कार्य है जिसका गंभीरतापूर्वक अनुसरण किया जा रहा है?
2. क्या गतिविधि तार्किक या मान्यता योग्य निरंतरता के साथ की गई है?

3. क्या गतिविधि को सही और मान्यता प्राप्त व्यावसायिक सिद्धांतों के आधार पर नियमित तरीके से आयोजित किया गया है?

4. क्या गतिविधि मुख्य रूप से प्रतिफल के लिये /लाभ के मकसद से की गई कराधीन आपूर्ति है?
5. परीक्षण सुनिश्चित कर सकते हैं कि आकस्मिक/कभी कभार की आपूर्ति, भले ही प्रतिफल के लिये की गई है, जी.एस.टी. के दायरे में नहीं आयेगी।

प्र 10. एक व्यक्ति निजी इस्तेमाल के लिए एक कार खरीदता है और एक साल के बाद उसे डीलर को बेच देता है। क्या वह लेनदेन एम.जी.एल. के अनुसार आपूर्ति होगा? उत्तर के लिये कारण बताएं।
उत्तरः नहीं, क्योंकि व्यक्ति द्वारा आपूर्ति व्यापार या व्यापार को आगे बढ़ाने के क्रम में नहीं की गई थी। इसके अतिरिक्त, उक्त कार को अधिग्रहण करने पर कोई इनपुट टैक्स क्रेडिट स्वीकार्य नहीं था, क्योंकि यह गैर-व्यावसायिक उपयोग के लिए किया गया था।

प्र 11. एक एयर कंडीशनर का व्यापारी अपने व्यापार के स्टॉक से अपने आवास पर निजी इस्तेमाल के लिए एक एयर कंडीशनर स्थानांतरित करता है। क्या वह लेन-देन आपूर्ति माना जाएगा?
उत्तर. जी हां। अनुसूची-प्(1) के अनुसार बिना प्रतिफल के व्यापारिक परिसंपत्तियों का निजी या गैर-व्यावसायिक उपयोग आपूर्ति के रूप में माना जाएगा।

प्र 12. क्या एक क्लब या संघ या सोसाइटी द्वारा अपने सदस्यों को सेवाओं या वस्तुओं की व्यवस्था करना आपूर्ति के रूप में माना जाएगा?
उत्तरः हाँ। एक क्लब, संघ, सोसाइटी या किसी भी ऐसे निकाय के द्वारा अपने सदस्यों को सुविधाओं की व्यवस्था करना एक आपूर्ति के रूप में माना जायेगा। इसे एम.जी.एल. की धारा 2(17) में ‘व्यापार‘ की परिभाषा में शामिल किया गया है।

प्र 13. अंतर-राज्य आपूर्ति और राज्य के भीतर (राज्यान्तरिक) आपूर्ति क्या हैं?
उत्तरः अंतर-राज्य और राज्य के भीतर आपूर्ति को विशेष रूप से आईजी.एस.टी. अधिनियम की धारा 3 और 3ए में क्रमशः परिभाषित किया गया है। सरल शब्दों में, जहां आपूर्तिकर्ता का स्थान और आपूर्ति का स्थान एक ही राज्य में स्थित है उसे राज्य के भीतर और जहां यह अलग-अलग राज्यों में है इसे अंतर-राज्य आपूर्ति माना जायेगा।

प्र 14. क्या वस्तुओं के उपयोग करने के अधिकार का हस्तांतरण वस्तुओं या सेवाओं की आपूर्ति के रूप में माना जाएगा? क्यों?
उत्तरः वस्तुओं के उपयोग के अधिकार के हस्तांतरण को सेवाओं की आपूर्ति के रूप में माना जायेगा क्योंकि इस प्रकार के हस्तांतरण में वस्तुओं का शीर्षक/नाम हस्तांतरित नहीं हुआ। इस तरह के लेन-देन को विशेष रूप से एम.जी.एल. की अनुसूची-प्प् में सेवा की आपूर्ति के रूप में माना जायेगा।

प्र 15. क्या काम के अनुबंधों और केटरिंग सेवाओं को वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति के रूप में माना जाएगा? क्यों?
उत्तरः काम के अनुबंध और केटरिंग सेवाओं को एम.जी.एल. की अनुसूची - II में निर्दिष्ट किये अनुसार सेवाओं की आपूर्ति के रूप में माना जाएगा।

प्र 16. क्या किराया खरीद आधार पर वस्तुओं की आपूर्ति को वस्तुओं की आपूर्ति या सेवाओं की आपूर्ति माना जायेगा? क्यों?
उत्तरः किराया खरीद पर की गई वस्तुओं की आपूर्ति को वस्तुओं की आपूर्ति माना जायेगा क्योंकि इसमें शीर्षक/नाम का हस्तांतरण हुआ है, हालांकि भविष्य की तारीख पर।

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FAQs on पाठ 4 . FAQs - आपूर्ति का अर्थ तथा संभावना - GST Acts, FAQs and Updates

1. आपूर्ति का अर्थ क्या है?
उत्तर: आपूर्ति का अर्थ है कि किसी माल या सेवा को उपभोगकर्ता तक पहुंचाने की क्रिया। इसमें माल या सेवा की निर्माण, पैकेजिंग, भंडारण, परिवहन, वितरण और विक्रय शामिल होते हैं।
2. GST क्या है और यह क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: GST (वस्तु एवं सेवा कर) भारत में लागू किया गया एक कर है जो वस्तुओं और सेवाओं पर लगाया जाता है। यह कर पूरे देश में एक संघीय कर प्रणाली स्थापित करने का प्रयास है और उद्योगों और उपभोक्ताओं को एक सामान कर द्वारा लाभ प्रदान करने का लक्ष्य है।
3. GST के तहत आपूर्ति की व्यवस्था कैसे होती है?
उत्तर: GST के तहत आपूर्ति की व्यवस्था निम्नलिखित तत्वों पर आधारित होती है: - आपूर्ति की जटिलताओं को कम करने और लागतों को कम करने के लिए एक मानक वस्तु और सेवा कर दर निर्धारित की जाती है। - आपूर्ति श्रृंखला में सुधार के लिए लागत के संबंध में पारदर्शिता बढ़ाई गई है। - आपूर्ति सामग्री की आवश्यकताओं के आधार पर आपूर्ति श्रृंखला को संगठित किया जाता है।
4. GST के लाभ क्या हैं?
उत्तर: GST के लाभों में शामिल हैं: - एक संघीय कर प्रणाली स्थापित करने से व्यापार के लिए एक मानकीकरण कार्यक्रम बनाने में मदद मिलती है। - यह व्यापारों को विभिन्न देशों में वस्तुओं और सेवाओं को बेचने और खरीदने के लिए अधिक सुविधाएं प्रदान करता है। - इसके माध्यम से कर एवं आपूर्ति की व्यवस्था में सुधार होता है जो लाभकारी है।
5. GST के बाद आपूर्ति श्रृंखला में कौन-कौन से बदलाव हुए हैं?
उत्तर: GST के बाद आपूर्ति श्रृंखला में निम्नलिखित बदलाव हुए हैं: - नई कर दरें और नियमों की वजह से व्यापारियों को अपने प्रवेश के तरीकों में बदलाव करना पड़ा है। - टैक्स प्रणाली में इलेक्ट्रॉनिक सुविधाएं जोड़ी गई हैं, जैसे कि इ-वे बिलिंग, इ-वे रिटर्न आदि। - आपूर्ति श्रृंखला में बढ़ी हुई पारदर्शिता और निष्पक्षता के कारण व्यापारियों के लिए अधिक सुविधाएं हो रही हैं।
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