GST Exam  >  GST Notes  >  GST Acts, FAQs and Updates  >  पाठ 13. FAQs - आंकलन और लेखा-परीक्षण

पाठ 13. FAQs - आंकलन और लेखा-परीक्षण | GST Acts, FAQs and Updates PDF Download

प्र 1. अधिनियम के अंतर्गत देय करों का आंकलन करने के लिए कौन व्यक्ति जिम्मेदार है?
उत्तरः अधिनियम के अंतर्गत प्रत्येक पंजीकृत व्यक्ति एक कर अवधि के लिये स्वयं अपने देय कर का आंकलन करने के लिये जिम्मेदार होगा और इस तरह मूल्यांकन के बाद उसे धारा 27 के अंतर्गत रिटर्न दाखिल करना आवश्यक होगा।

प्र 2. क्या एम.जी.एल. में प्राप्तकर्ता द्वारा लौटाई गई वस्तुओं की कर व्यवस्था का कोई प्रावधान है?
उत्तरः हाँ, एम.जी.एल. की धारा 44 के स्पष्टीकरण में इस तरह के प्रावधान हैं। यह प्रावधान किया जाता है कि जहां आवक आपूर्ति के रूप में वस्तुएं/माल प्राप्त किया गया है और आपूर्तिकर्ता को प्रासंगिक चालान/बिल की तारीख से छह महीने के भीतर प्राप्तकर्ता द्वारा वापस लौटा दिया जाए तो, कथित आपूर्ति पर देय कर उसके द्वारा पूर्व में उक्त आवक आपूर्ति पर प्राप्त इनपुट कर क्रेडिट के बराबर होगा। यह प्रावधान अनिवार्य रूप से सुनिश्चित करता है कि यदि प्राप्तकर्ता अपने पास मूल आपूर्ति की तारीख से छह महीने के भीतर आपूर्तिकर्ता को माल/वस्तुएं वापस लौटा देता है तो, ऐसे लौटाई गई वस्तुओं/माल पर उसके कर की देनदारी उतनी ही होगी जो मूल आपूर्ति के समय पर थी। यदि वस्तुओं/माल की आपूर्ति को मूल चालान/बिल की तारीख से छह महीने के बाद वापस लौटाते हैं, तो देय कर की दर उस लौटाई गई कथित तारीख पर प्रचलित दर पर लागू होगी।

प्र 3. अप्रैल 2017 में ‘ए‘, ‘बी‘ को वस्तुओं/माल की आपूर्ति करता है, यह वस्तुएं/माल बी, ए को जून 2017 में वापस लौटा देता है। ए द्वारा ऐसी वस्तुओं/माल पर 18 प्रतिशत की दर से प्रभार लगाया गया था। मई 2017 में, दर में 18.5 प्रतिशत करने के लिए संशोधन किया गया। बी द्वारा ए को कथित आवक आपूर्ति लौटाने के लिये
क्या कर देय है?

उत्तर. 18 प्रतिशत


प्र 4. अस्थायी (प्रोविजनल) आधार पर एक कराधीन व्यक्ति कर का कब भुगतान कर सकता है?
उत्तरः चूंकि एक करदाता को अपने स्वयं मूल्यांकन आधार पर कर का भुगतान करना पड़ता है, अस्थायी आधार पर कर के भुगतान का अनुरोध करदाता से प्राप्त होना चाहिये जिसे सक्षम अधिकारी द्वारा अनुमति दी जाएगी। दूसरे शब्दों में, कोई भी कर अधिकारी स्वप्रेरणा से अस्थायी आधार पर कर भुगतान के आदेश नहीं दे सकता। यह एम.जी.एल. की धारा 44 द्वारा संचालित है। अस्थायी आधार पर कर का भुगतान तभी किया जा सकता है जब सक्षम अधिकारी उसे एक आदेश के माध्यम से इसकी अनुमति दे देता है। इस उद्देश्य के लिए, कराधीन व्यक्ति को सक्षम अधिकारी को लिखित अनुरोध देना होगा, जिसमें वह अस्थायी आधार पर कर भुगतान करने का कारण बताएगा। कराधीन व्यक्ति द्वारा इस तरह के अनुरोध केवल ऐसे मामलों में किये जा सकते हैं जहां जहां वह निम्न निर्धारित करने में असमर्थ हैः

क) उसके द्वारा आपूर्ति की जाने वाली वस्तुओं या सेवाओं के मूल्य, या
ख) उसके द्वारा आपूर्ति किये जाने वाली वस्तुओं या सेवाओं के कर की दर।

ऐसे मामलों में कराधीन व्यक्ति को एक निर्धारित प्रपत्र में एक प्रतिज्ञापत्र निष्पादित करना होगा, और इस तरह की जमानत या सुरक्षा सहित जैसा सक्षम अधिकारी उचित समझता है।
 

प्र 5. वह आखिरी समय क्या होगा जिसमें अंतिम आंकलन किया जाना आवश्यक है ?
उत्तरः अंतिम आंकलन का आदेश सक्षम अधिकारी द्वारा अस्थायी आंकलन आदेश के सूचना की तारीख से छह महीने के भीतर पारित किया जाएगा। हालांकि, पर्याप्त कारण दिखाये जाने पर और उनके कारणों को लिखित रूप में दर्ज किया जाएगा, उपरोक्त छह महीने की अवधि को आगे भी बढ़ाया जा सकता हैः
क) संयुक्त/अपर आयुक्त द्वारा, आगे छह महीने आगे की अवधि से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता, और
ख) आयुक्त द्वारा, उस अवधि के लिये जैसी वह उचित समझता है।

प्र 6. जहां अंतिम आंकलन के अनुसार कर देयता का दायित्व अस्थायी आंकलन की तुलना में अधिक है, क्या कराधीन व्यक्ति ब्याज का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होगा?
उत्तरः हाँ, वह मूल देय कर की तारीख से लेकर वास्तविक भुगतान की तिथि तक ब्याज का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होगा।

प्र 7. यदि एम.जी.एल. की धारा 45 के अंतर्गत दाखिल रिटर्न में किसी विसंगति पाए जाने के मामले में उचित स्पष्टीकरण नहीं दिया जाता तब ऐसी स्थिति में अधिकारी द्वारा क्या कार्यवाही की जा सकती है?
उत्तरः यदि कराधीन व्यक्ति सूचित किये जाने के 30 दिनों के भीतर (संबंधित अधिकारी द्वारा बढ़ाई जाने योग्य) संतोषजनक स्पष्टीकरण प्रदान नहीं करता या विसंगतियों को स्वीकार करने के बाद भी उचित अवधि के भीतर सुधारात्मक कार्रवाई नहीं करता, तब सक्षम अधिकारी निम्नलिखित प्रावधानों में से किसी एक का आश्रय ले सकता हैः
(क) अधिनियम की धारा 49 के अंतर्गत लेखा-परीक्षण/ऑडिट आयोजित करने की कार्यवाही करेगा;
(ख) धारा 50 के अंतर्गत एक विशेष लेखा-परीक्षण के आयोजन का निर्देश देगा जो कि इस उददेश्य हेतु, आयुक्त द्वारा मनोनीत चार्टर्ड अकाउंटेंट या लागत लेखाकार द्वारा किया जाएगा; या
(ग) अधिनियम की धारा 60 के अंतर्गत निरीक्षण, तलाशी और जब्ती की प्रक्रिया शुरू करेगा; या
(घ) धारा 51 के अंतर्गत कर निर्धारण के लिए कार्यवाही को आगे बढ़ायेगा।

प्र 8. क्या एक सक्षम अधिकारी को धारा 46 के अंर्तगत आंकलन पूरा करने से पहले कराधीन व्यक्ति को नोटिस देना आवश्यक है?
उत्तरः जैसा कि यह प्रावधान ‘आंकलन के सबसे अच्छे निर्णय‘ (बेस्ट जजमेंट एसेसमेंट) से संबंधित है, कराधीन व्यक्ति को नोटिस देने की आवश्यकता नहीं है।

प्र 9. एक कराधीन व्यक्ति कानून के अंतर्गत (धारा 27 या 31 के अंतर्गत) अपेक्षित रिटर्न दाखिल करने में विफल रहता है, तब कर अधिकारी के पास क्या कानूनी उपाय उपलब्ध हे?
उत्तरः सक्षम अधिकारी को सबसे पहले एम.जी.एल. की धारा 32 के अंर्तगत दोषी कराधीन व्यक्ति को एक नोटिस जारी करना होगा जिसमें एक निश्चित समय अवधि के भीतर उसे रिटर्न प्रस्तुत करना आवश्यक होगा, जो एम.जी.एल. की धारा 46 के अनुसार कम से कम पंद्रह दिन होगी। यदि कराधीन व्यक्ति निश्चित समय के भीतर रिटर्न फाइल करने में विफल रहता है, तब सक्षम अधिकारी उसके पास उपलब्ध सभी प्रासंगिक सामग्री का संदर्भ लेकर अपना सबसे बेहतर फैसला (बेस्ट जजमेंट आॅर्डर) लेकर दोषी कराधीन व्यक्ति के खाते में कर देयता का आंकलन करेगा। यह शक्ति एम.जी.एल. की धारा 46 के अंतर्गत प्रदत्त की गई है।


प्र 10. किन स्थितियों में धारा 46 के अंतर्गत जारी किये गये सबसे अच्छे फैसले का आंकलन (बेस्ट जजमेंट एसेसमेंट) आदेश वापस लिया जा सकता है?
उत्तरः एम.जी.एल. की धारा 46 के अंतर्गत सक्षम अधिकारी द्वारा पारित सबसे अच्छे फैसले का आदेश स्वचालित रूप से वापस ले लिया जाएगा यदि कराधीन व्यक्ति चूक अवधि के लिए वैध रिटर्न (यानी रिटर्न दाखिल कर देता है और उसके द्वारा आंकलन कर का भुगतान कर देता है) प्रस्तुत कर देता है, सबसे अच्छे निर्णय के आकलन आदेश की प्राप्ति के तीस दिनों के भीतर।

प्र 11. धारा 46 और 47 के अंतर्गत पारित आदेश के लिए समय सीमा क्या है?
उत्तरः धारा 46 या 47 के अंतर्गत आंकलन आदेश पारित करने के लिए समय सीमा वार्षिक रिटर्न दाखिल करने की निर्धारित तारीख से तीन या पांच वर्ष है।

प्र 12. ऐसे व्यक्ति के खिलाफ क्या कानूनी आश्रय है जो कर का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है, लेकिन वह पंजीकरण प्राप्त करने में विफल हो गया है?
उत्तरः ऐसे मामले में एम.जी.एल. की धारा 47 प्रदान करती है कि, सक्षम अधिकारी कर देनदारी का आंकलन और प्रासंगिक कर अवधि के लिए उसका सबसे अच्छे निर्णय (बेस्ट जजमेंट आॅर्डर) पर आदेश पारित कर सकता है। हालांकि, इस तरह का आदेश वार्षिक रिटर्न दाखिल करने की देय तिथि से उस वित्तीय वर्ष में अदेय कर के भुगतान के पांच वर्ष की अवधि के भीतर पारित किया जाना चाहिए।
 

प्र 13. किन परिस्थितियों में कर अधिकारी सारांश आंकलन आरंभ कर सकते हैं?
उत्तरः एम.जी.एल. की धारा 48 के अनुसार, सारांश आंकलन राजस्व हितों की सुरक्षा के लिए तब शुरू किया जा सकता है जबः
क) सक्षम अधिकारी के पास पर्याप्त साक्ष्य है कि एक कराधीन व्यक्ति ने अधिनियम के अंतर्गत कर का भुगतान करने के लिए दायित्व वहन किया है, और
ख) सक्षम अधिकारी ऐसा मानता है कि आंकलन आदेश पारित करने में देरी करने से राजस्व हित पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
इस तरह के आदेश अपर आयुक्त/संयुक्त आयुक्त से अनुमति प्राप्त करने के बाद पारित किये जा सकते हैंः

प्र 14. अपीलीय उपाय के अतिरिक्त, क्या सारांश आंकलन आदेश कि विरूद्ध करदाता के लिए कोई अन्य आश्रय/सहारा उपलब्ध है?
उत्तरः एक करदाता के विरूद्ध जो सारांश आंकलन आदेश पारित किया गया है वह इसे वापस लेने के लिये अपर/संयुक्त आयुक्त के न्यायाधिकार में इस आदेश की प्राप्ति के तीस दिनों के भीतर आवेदन कर सकता है। यदि कथित अधिकारी आदेश को गलत पाता है, तब वह इसे वापस ले सकता है और सक्षम अधिकारी को एम.जी.एल. की धारा 51 के संदर्भ अनुसार कर देयता के आंकलन करने के लिये निर्देशित कर सकता है। अपर/संयुक्त आयुक्त यदि सारांश आंकलन आदेश गलत पाता है तब वह अपने स्वयं की प्रेरणा से ऐसी ही कार्यवाही स्वयं भी कर सकता है (एम.जी.एल. की धारा 48)

प्र 15. क्या सारांश आंकलन आदेश कराधीन व्यक्ति के विरूद्ध पारित किया जाना आवश्यक है?
उत्तरः नहीं, कुछ मामलों में जैसे जब वस्तुएं/माल परिवहन में है या मालगोदाम में भंडारण किया गया है, और ऐसी वस्तुओं/माल के संबंध में कराधीन व्यक्ति का पता नहीं लगाया जा सकता, तब उस समय कथित वस्तुओं/माल का प्रभारी को कराधीन व्यक्ति माना जाएगा और उसे कर के लिये आंकलन किया जाएगा। (एम.जी.एलकी धारा 48)

प्र 16. करदाताओं की लेखा-परीक्षण कौन कर सकते हैं?
उत्तरः एम.जी.एल. की धारा 49 के अनुसार, आयुक्त के सामान्य या विशेष आदेश द्वारा अधिकृत सीजीएसटी या एसजीएसटी का कोई भी अधिकारी करदाता का लेखा-परीक्षण कर सकता है। लेखा-परीक्षण की आवृत्ति और विधि यथाक्रम में निर्धारित की जाएगी।

प्र 17. क्या लेखा-परीक्षण आयोजित करने से पहले कोई पूर्व सूचना आवश्यक है?
उत्तरः हाँ, पूर्व सूचना आवश्यक है और कराधीन व्यक्ति को लेखा-परीक्षण के संचालन करने से कम से कम 15 दिन पहले सूचित किया जाना चाहिए।

प्र 18. कितनी अवधि के भीतर लेखा-परीक्षण पूरा किया जाता है?
उत्तरः लेखा-परीक्षण प्रारंभ होने की तारीख से 3 महीने या आयुक्त के अनुमोदन के अधीन अधिकतम 6 महीने की अवधि के भीतर पूरा किया जाना आवश्यक है।

प्र 19. लेखा-परीक्षण शुरू करने का क्या मतलब है?
उत्तरः शब्द ‘लेखा-परीक्षण का प्रारंभ‘ महत्वपूर्ण है क्योंकि लेखा-परीक्षण प्रारंभ होने की तारीख के संदर्भ में एक निश्चित समय सीमा के भीतर पूरा किया जाना है। लेखा-परीक्षण के प्रारंभ का अर्थ आगे निम्न में से एक हैः
क) जिस तारीख को लेखा-परीक्षण अधिकारियों द्वारा रिकॉर्ड/खातों के लेखा-परीक्षण के लिये मांग करने पर उन्हें उपलब्ध कराया जाता है, या
ख) करदाता के व्यापारिक स्थान लेखा-परीक्षण की वास्तविक शरूआत/स्थापना ।

प्र 20. जब एक कराधीन व्यक्ति लेखा-परीक्षण के नोटिस प्राप्त करता है तब उसके क्या दायित्व हैं?
उत्तरः कराधीन व्यक्ति के लिए निम्न आवश्यक हैंः
क) उपलब्ध खातों/रिकार्डों या अधिकारी द्वारा मांगे गए खाते/रिकार्डों के सत्यापन की सुविधा प्रदान करना।
ख) लेखा-परीक्षण के संचालन के लिए आवश्यक ऐसी जानकारी उपलब्ध कराने, और
ग) समय पर लेखा-परीक्षण पूरा करने के लिए सहायता प्रदान।

प्र 21. लेखा-परीक्षण के समापन पर सक्षम अधिकारी द्वारा क्या कार्रवाई की जाएगी ?
उत्तरः सक्षम अधिकारी बिना कोई देरी किये अपने निष्कर्षों, इन
निष्कर्षों के कारण और कथित निष्कर्षों के संबंध में कराधीन व्यक्ति
को उसके अधिकारों और दायित्वों के बारे में सूचित करेंगे।

प्र 22. किन परिस्थितियों के अंतर्गत एक विशेष लेखा-परीक्षण स्थापित किया जा सकता है?
उत्तरः कुछ सीमित परिस्थितियों में ही विशेष लेखा-परीक्षण स्थापित किया जा सकता है जहां छानबीन, जांच, आदि के दौरान, यह पता लगता है कि मामला जटिल है या राजस्व का जोखिम/हिस्सा बहुत अधिक है। यह शक्ति एम.जी.एल. की धारा 50 में दी गई है।

प्र 23. विशेष लेखा-परीक्षण के लिए कौन नोटिस दे सकता है?
उत्तरः विशेष लेखा-परीक्षण के लिए सहायक/उपायुक्त केवल आयुक्त के पूर्व अनुमोदन के बाद नोटिस दे सकता है।

प्र 24. विशेष लेखा-परीक्षण कौन करेगा?
उत्तरः आयुक्त द्वारा नामित चार्टर्ड एकाउंटेंट या लागत लेखाकार लेखा-परीक्षण शुरू कर सकते हैं।

प्र 25. लेखा-परीक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए क्या समय सीमा है?
उत्तरः लेखा परीक्षक को 90 दिनों के भीतर या 90 दिनों के लिये आगे विस्तारित अवधि के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करना होगा।

प्र 26. विशेष लेखा-परीक्षण की लागत कौन वहन करेगा?
उत्तरः लेखा परीक्षक को देय पारिश्रमिक सहित परीक्षण और लेखा-परीक्षण के खर्च को आयुक्त द्वारा निर्धारित और वहन किया जाएगा।

प्र 27. विशेष लेखा-परीक्षण करने के बाद कर प्राधिकारियों द्वारा क्या कार्यवाही की जा सकती है?
उत्तरः निष्कर्षों विशेष  लेखा-परीक्षण की टिप्पणियों के आधार पर, एम.जी.एल. की धारा 51 के अंतर्गत कार्यवाही शुरू की जा सकती है।

The document पाठ 13. FAQs - आंकलन और लेखा-परीक्षण | GST Acts, FAQs and Updates is a part of the GST Course GST Acts, FAQs and Updates.
All you need of GST at this link: GST
59 docs

Top Courses for GST

FAQs on पाठ 13. FAQs - आंकलन और लेखा-परीक्षण - GST Acts, FAQs and Updates

1. आंकलन और लेखा-परीक्षण GST क्या है?
उत्तर: आंकलन और लेखा-परीक्षण GST एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो व्यापार धारकों को उनके व्यापार के लिए उचित भुगतान करने की सुविधा प्रदान करती है। यह उन व्यापारों को सुनिश्चित करने में मदद करता है कि वे उचित रिटर्न और टैक्स पेमेंट करते हैं, जो सरकार द्वारा निर्धारित किया जाता है।
2. GST बिल के तहत आंकलन और लेखा-परीक्षण कौन करता है?
उत्तर: GST बिल के तहत आंकलन और लेखा-परीक्षण को सीबीआई (सेंट्रल बोर्ड ऑफ इंडायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स) द्वारा किया जाता है। यह संगठन GST के लिए विभाजन, संगठन और बजट निर्माण के लिए जिम्मेदार होता है।
3. आंकलन और लेखा-परीक्षण की प्रक्रिया में कौन-कौन से चरण होते हैं?
उत्तर: आंकलन और लेखा-परीक्षण प्रक्रिया में निम्नलिखित चरण होते हैं: 1. ग्राहकों से बिक्री के आदान-प्रदान की जांच 2. टैक्स संग्रह की जानकारी की जांच 3. उचित रिटर्न और टैक्स पेमेंट की जांच 4. आंकलन रिपोर्ट की तैयारी 5. लेखा-परीक्षण की प्रक्रिया का पूरा करना
4. GST आंकलन और लेखा-परीक्षण क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: GST आंकलन और लेखा-परीक्षण महत्वपूर्ण है क्योंकि यह व्यापार धारकों को उनके व्यापार के लिए सही टैक्स पेमेंट करने और उचित रिटर्न देने में मदद करता है। यह सरकार को भी लाभ प्रदान करता है क्योंकि यह उन्हें टैक्स संग्रह के लिए सही और सुगम प्रक्रिया प्रदान करता है।
5. GST आंकलन और लेखा-परीक्षण के लिए किन प्रमाण-पत्रों की आवश्यकता होती है?
उत्तर: GST आंकलन और लेखा-परीक्षण के लिए निम्नलिखित प्रमाण-पत्रों की आवश्यकता होती है: 1. व्यापार धारक का पहचान प्रमाण पत्र (आधार कार्ड, पासपोर्ट, वोटर आईडी कार्ड, पैन कार्ड) 2. व्यापार धारक का आवेदन पत्र (GST REG-01 फॉर्म) 3. व्यापार धारक के व्यापार के विवरण की सूची (वस्त्र बन्दार, उत्पादन इकाई, सेवा प्रदाता, आदि) 4. पिछले वित्त वर्ष के व्यापार की विवरण सहित आय-व्यय की सूची 5. बैंक खाता विवरण (बैंक खाता संख्या, बैंक नाम, ब्रांच का पता)
59 docs
Download as PDF
Explore Courses for GST exam

Top Courses for GST

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

Viva Questions

,

Sample Paper

,

shortcuts and tricks

,

Summary

,

पाठ 13. FAQs - आंकलन और लेखा-परीक्षण | GST Acts

,

MCQs

,

FAQs and Updates

,

Previous Year Questions with Solutions

,

Extra Questions

,

video lectures

,

FAQs and Updates

,

FAQs and Updates

,

practice quizzes

,

Important questions

,

study material

,

Free

,

Semester Notes

,

पाठ 13. FAQs - आंकलन और लेखा-परीक्षण | GST Acts

,

Exam

,

pdf

,

past year papers

,

ppt

,

Objective type Questions

,

mock tests for examination

,

पाठ 13. FAQs - आंकलन और लेखा-परीक्षण | GST Acts

;