GST Exam  >  GST Notes  >  GST Acts, FAQs and Updates  >  पाठ 18. FAQ - निपटान आयोग

पाठ 18. FAQ - निपटान आयोग | GST Acts, FAQs and Updates PDF Download

प्र 1. निपटान आयोग का मूल उद्देश्य क्या है?
उत्तरः निपटान आयोग की स्थापना का मूल उद्देश्य इस प्रकार हैः-
1. करदाता के लिए विवाद समाधान के लिए एक वैकल्पिक माध्यम प्रदान करना;
2.  िववादों में संलग्न जी.एस.टी. के भुगतान में तेजी लाने के लिए महंगी और समय लेने वाली मुकदमेबाजी की प्रक्रिया से बचना;
3. उन करदाताओं को साफ सुथरी छवि प्रस्तुत करने के लिये अवसर प्रदान करना जो कर का भुगतान करने से बचते रहे हैं;
4. करदाता को उनके कर दायित्व के मामलों के निपटान लागू करने के लिये एक मंच की सुविधा प्रदान करना, जोकि उनके द्वारा पूर्ण और समग्र कर दायित्व की घोषणा के आधार पर हो।
5.  िववादों के तीव्र निपटारे को प्रोत्साहित करना और कुछ स्थितियों में व्यापार को अभियोजन की चिंताओं से मुक्ति दिलाना;

प्र 2. क्या एम.जी.एल. के अंतर्गत अंतर-राज्य और राज्य के भीतर के लेन-देन के कारण उत्पन्न होने वाले कर विवादों को निपटारा किया जा सकता है?
उत्तरः मॉडल जी.एस.टी. कानून में, केवल आई.जी.एस.टी. अधिनियम के अंतर्गत निपटान आयोग का प्रावधान किया गया है। (धारा-11से 26) इसका मतलब यह है कि राज्य के भीतर लेन-देन से संबंधित कर देयता के मामलों को निपटाया नहीं जा सकता। हालांकि, वहाँ एक संभावना यह है कि उन राज्यों के कर प्रशासन जो निपटान आयोग गठित करना चाहते हैं वह आई.जी.एस.टी. अधिनियम और सी.जी.एस.टी. अधिनियम के अंतर्गत प्रदान किये नमूने/टेम्पलेट के आधार पर ऐसा कर सकते हैं और कथित राज्यों के लिए आईजी.ए स.टी. अधिनियम से उपलब्ध सक्षम प्रावधानों का अनुसरण कर सकते हैं।

प्र 3. एम.जी.एल. में निपटान के प्रावधानों के अंतर्गत मामले का क्या मतलब है?
उत्तरः धारा 11 के अनुसार, मामले का मतलब आई.जी.एस.टीअधिनियम के अंतर्गत करारोपण, आंकलन और आई.जी.एस.टीअधिकारी के समक्ष या प्रथम अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष कथित करारोपण, आंकलन और आई.जी.एस.टी. का संग्रह उस तारीख पर लंबित है जिस पर निपटान के लिए आवेदन किया गया है। मामलों का मतलब न्यायिक प्राधिकरण द्वारा पारित एक आदेश से भी है जिसके लिये अपील की अवधि समाप्त नहीं हुई। इस परिभाषा में यह स्पष्ट किया गया है कि एक अपील की समाप्ति की अवधि के बाद अपील दायर करना या एक मामले में उच्च न्यायिक प्राधिकारी द्वारा निचले स्तर पर भेजे गये मामले को एक लंबित कार्यवाही के रूप में नहीं माना जाएगा और इसलिये ऐसे मामलों में किसी भी तरह से निपटान का आवेदन नहीं दिया जा सकता।

प्र 4. निपटान याचिका पर विचार/सुनवाई करने वाले सदस्यों की संरचना क्या होगी?
उत्तरः निपटान के लिए प्रत्येक आवेदन की सुनवाई एक पीठ द्वारा की जाएगी जिसकी अध्यक्षता राज्य अध्यक्ष करेंगे और उसमें दो अन्य सदस्य सम्मिलित होंगे। राज्य अध्यक्ष उच्च न्यायालय के वर्तमान या सेवानिवृत्त न्यायाधीश होंगे। अन्य दो सदस्य सी.जी.एस.टी. प्रशासन से तकनीकी सदस्य होंगे।

प्र 5. जब निपटान आवेदन की सुनवाई के दौरान सदस्यों के बीच आपस में मतभेद हो जाता है तब क्या होता है?
उत्तरः आई.जी.एस.टी. अधिनियम की धारा 14 प्रदान करती है कि जहां निपटान आयोग की पीठ के सदस्यों का किसी भी मुद्दे पर मतभेद हो जाता है, तब निर्णय बहुमत की राय के आधार पर लिया जाएगा। यह प्रदान किया गया है कि यदि तीसरा सदस्य अनुपस्थिति, बीमारी या रिक्तता जैसे कारकों की वजह से अनुपस्थित रहता है तब निर्णय पीठ में सम्मिलित केवल दो सदस्यों द्वारा भी लिया जा सकता है। यदि ऐसे कथित दो सदस्यों के बीच कोई मतभेद उत्पन्न हो जाता है, तब मामला तीसरे सदस्य को संदर्भित कर दिया जाएगा; और निर्णय बहुमत की राय द्वारा लिया जाएगा।

प्र 6. निपटान के लिए कौन आवेदन कर सकता हैं?
उत्तरः आई.जी.एस.टी. अधिनियम की धारा 15 के अनुसार, कोई भी कराधीन व्यक्ति एक मामले के निपटारे के लिए आवेदन कर सकता है जिसके संबंध में उसे आई.जी.एस.टी. अधिनियम के अंतर्गत एक या एक से अधिक कारण बताओ नोटिस जारी किये गये हैं और वह एक निर्णायक प्राधिकरण या प्रथम अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष लंबित है।

प्र 7. निपटान आवेदन की सामग्री/सूची क्या होगी?
उत्तरः निपटान आवेदन में निम्न का पूर्ण और सत्य खुलासा शामिल
होगाः

  1.  कर देयता जिसे आई.जी.एस.टी. के सक्षम अधिकारी को प्रकट नहीं किया गया है़;
  2. ऐसे कर दायित्व उत्पन्न करने के तरीके;
  3. कर की अतिरिक्त देय राशि जिसे वह स्वीकार करता है;
  4. अन्य विवरण जैसे गलत वर्गीकरण, छूट की अधिसूचना जिसके कारण वह कम भुगतान पर सहमत है।

प्र 8. किन शर्तों को पूरा किया जाना चाहिए जिन्हें निपटान के लिए आवेदन से पहले स्वीकार किया जा सकता है?
उत्तरः आई.जी.एस.टी. अधिनियम की धारा 15 के अनुसार, निपटान के लिए आवेदन करने से पहले निम्नलिखित शर्तों को पूरा किया जाना चाहिए ताकि निपटान का मामला स्वीकार किया जा सकेः

(क) आवेदक ने रिटर्न प्रस्तुत कर दिया/दी है, जिन्हें उसे या आई.जी.एस.टी. अधिनियम के अंतर्गत प्रस्तुत करना आवश्यक था या इसकी आवश्यकता को निपटान आयोग द्वारा इन कारणों की रिकॉर्डिंग करने के बाद कि वह संतुष्ट था, खारिज कर दिया है कि रिटर्न नहीं भरने के पीछे कुछ वैध परिस्थितियां अस्तित्व में थी;

(ख) आवेदक को कर की मांग के लिए एक कारण बताओ नोटिस प्राप्त हुआ है या आई.जी.एस.टी. अधिकारी द्वारा कर की मांग की पुष्टि जारी करने का आदेश प्राप्त हुआ है जो प्रथम अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष लंबित है;

(ग) आवेदन में आवेदक द्वारा स्वीकार किये गये अतिरिक्त कर की राशि पांच लाख रुपए से अधिक है; तथा (घ) आवेदक ने सी.जी.एस.टी. अधिनियम की धारा 36 के अंतर्गत उसके द्वारा स्वीकृत देय ब्याज सहित कर का अतिरिक्त भुगतान कर दिया है।
 

प्र 9. किन परिस्थितियों में निपटान के आवेदन पर विचार नहीं किया जा सकता?
उत्तरः आई.जी.एस.टी. अधिनियम की धारा 15 के अनुसार, निम्न परिस्थितियों में, निपटान आयोग निपटान के लिए आवेदन स्वीकार नहीं करेगाः

  1. यदि किसी मामले में शामिल किसी आवेदन पत्र अपीलीय न्यायाधिकरण या किसी अदालत के समक्ष लंबित है;
  2. यदि आवेदन में किसी प्रश्न पर वस्तुओं एवं सेवाओं पर कर के दर का निर्धारण शामिल हो अथवा करदेयता का निर्धारण शामिल हो;
  3. यदि निर्धारित शुल्क का भुगतान नहीं किया गया है।

प्र 10. क्या एक आवेदक अपने निपटान आवेदन को एक बार दायर करने के बाद वापस ले सकता हैं?
उत्तरः नहीं, आई.जी.एस.टी. अधिनियम की धारा 15 के अनुसार, एक बार आवेदन दाखिल करने के बाद, आवेदक द्वारा उसे वापस लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

प्र 11. निपटान आयोग द्वारा कैसे आदेश पारित किये जा सकते हैं?
उत्तरः निपटान आयोग एक आदेश पारित करेगा जिसमें निपटान की शर्तें प्रदान की जाएंगी जो निम्न प्रकार की होंगीः

  1. कर की राशि, ब्याज, जुर्माना या दंड जो आवेदक द्वारा देय है (यदि इस राशि को तीस दिनों के भीतर भुगतान नहीं किया जाता या तीन अतिरिक्त महीने की विस्तारित अवधि के भीतर भुगतान नहीं किया जाता है, तब इसे ब्याज सहित वसूल किया जाएगा क्यांेकि सी.जी.एस. टी. अधिनियम की धारा 54 के अनुसार यह राशि केन्द्र सरकार को देय है); (धारा 16)
  2.  िनपटान के अंतर्गत देय रकम और उसके भुगतान का तरीका; (धारा 16)
  3. आई.जी.एस.टी. अधिनियम के अंतर्गत यदि आवेदन प्राप्त होने की तारीख पर कोई अभियोग गठित नहीं है और यदि निपटान आयोग संतुष्ट हो जाता है कि आवेदक ने अपने कर दायित्व का पूर्ण और सही खुलासा कर दिया है तब उसे अपराध की कार्यवाही के अभियोग से छुटकारा प्रदत्त किया जाएगा; (धारा 20)
  4.  आई.जी.एस.टी. अधिनियम के अंतर्गत जुर्माने से पूर्ण या आंशिक रूप से छुटकारा प्रदत्त किया जाएगा; (धारा 20)
  5. पहले किसी भी कार्यवाही के लंबित रहने के दौरान आवेदक की संपत्ति की अल्पकालिक संलग्नता के आदेश जारी करेगा। इस तरह के अल्पकालिक संलग्नता प्रभाव में नहीं रहेगी, जब केन्द्र सरकार को देय राशि जिसके लिए संलग्नता आदेश दिया गया था, के भुगतान का निर्वहन कर दिया गया है और निपटान आयोग को उसके साक्ष्य प्रस्तुत कर दिये गये हैं; (धारा 17)
  6. यदि निपटान आयोग के विचार में आवेदक ने निपटान आयोग के साथ सहयोग नहीं किया है तब ऐसे मामले को वापस आई.जी.एस.टी. अधिकारी के क्षेत्राधिकार या प्रथम अपीलीय प्राधिकारी के पास भेजें। ऐसे मामले में, प्रासंगिक निर्णायक प्राधिकरण सभी सामग्री और कराधीन व्यक्ति द्वारा निपटान आयोग को प्रस्तुत सभी जानकारियों या निपटान आयोग द्वारा जांच के निष्कर्षों का प्रयोग करने की हकदार है; (धारा 21)
  7. पहले समाप्त हो चुके मामले से जुड़ी किसी भी कार्यवाही को फिर से खोलना और उचित आदेश पारित करनाः इसे केवल आवेदक की सहमति लेने के बाद सम्पन्न किया जा सकता है और निपटान के लिए आवेदन की तारीख से गिनकर यदि समापन कार्यवाही के पांच साल पूरे नहीं हुए हैं; (धारा 18)

प्र 12. किन परिस्थितियों में निपटान आयोग के आदेश को रद्द किया जा सकता है?
उत्तरः (i).निपटान आयोग का आदेश अवैध हो जाएगा यदि बाद में यह ज्ञात होता है कि वह धोखे या तथ्यों की गलत बयानी से प्राप्त हुआ है। इसके बाद निपटान में शामिल निपटान आयोग की कार्यवाहियां उसी चरण से पुनर्जीवित हो जाएंगी जिसमें निपटान आयोग द्वारा आवेदन करने की अनुमति दी गई थी और उसका समापन इस तरह के संचार प्राप्त करने की तारीख से दो साल के भीतर प्रासंगिक मूल या अपीलीय प्राधिकारी द्वारा संपन्न किया जाएगा। (धारा 16)
(ii) अभियोग या दंड के भुगतान से छुटकारा देने के निपटान आयोग के आदेश को वापस लिया जा सकता है, जहां इसे बाद में पता चलता है कि आवेदक ने किसी तथ्य को छुपाया था या कोई झूठा साक्ष्य दिया था या वह निर्धारित समय पर निपटान आदेश में विनिर्दिष्ट भुगतान करने में विफल रहा है। (धारा 20)

प्र 13. कौन निपटान आयोग का उपयोग नहीं कर सकते?
उत्तरः निम्नलिखित व्यक्ति निपटान आयोग की सुविधा का लाभ नहीं उठा सकते?
(i) कोई भी व्यक्ति दो बार से ज्यादा निपटान की सुविधा का लाभ नहीं उठा सकता है (धारा 23)
(ii) एक बार निपटान आदेश पारित हो जाने के बाद एक व्यक्ति किसी अन्य मामले में निपटान के लिए आवेदन नहीं कर सकता, ऐसा किसी मामले के संबंध में हैं जब एक व्यक्ति आई.जी.एस.टी. अधिनियम के अंतर्गत किसी अपराध के लिए दोषी पाया गया था, या जहां आवेदक से सहयोग की कमी हो जाती है, और निपटान आयोग प्रासंगिक निर्णायक प्राधिकारी के पास मामला वापस भेज देता है। (धारा 23)

प्र 14. निपटान आयोग की शक्तियां क्या हैं?
उत्तरः आई.जी.एस.टी. अधिनियम की धाराएं 25 और 26 में निपटान आयोग की शक्तियां और प्रक्रियाएं दी गई हैं। इसे नागरिक प्रक्रिया संहिता 1908 के तहत इन मामलों में नागरिक न्यायालयों की तरह व्यवहार कर सकती है यथाः तलाशी और निरीक्षण, व्यक्ति की उपस्थिति लागू करने और शपथ देते समय उसकी जांच करने और लेखा बाहियों और अन्य प्रलेखनों को प्रस्तुत करने के लिये बाध्यकारी शक्तियां निहित हैं। निपटान आयोग को दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 195 के प्रयोजनों के लिए एक नागरिक न्यायालय माना गया है। इसके समक्ष प्रस्तुत किसी भी कार्यवाही को धारा 193 और 228 के तहत और भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 196 के उद्देश्य के लिये न्यायिक कार्यवाही के समान माना जाएगा। निपटान आयोग के पास अपनी प्रक्रिया को नियंत्रित करने की भी शक्ति है।

भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 193 में न्यायिक कार्यवाही के दौरान झूठे साक्ष्य देने पर दंड का प्रावधान शामिल है और भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 228 में जानबूझकर अपमान या निपटान की कार्यवाही में संलग्न व्यक्ति के काम में व्यवधान उत्पन्न करने पर दंडात्मक प्रावधान शामिल हैं। तद्नुसार आईपीसी के यह प्रावधानों को लागू किया जा सकता है, जब भी कोई व्यक्ति झूठे सबूत देता है या निपटान आयोग की कार्यवाही में व्यवधान उत्पन्न करता है।
आई.जी.एस.टी. अधिनियम की धारा 24 निपटान आयोग को इसके रिकॉर्ड से स्पष्ट किसी गलती को सुधारने के लिए आदेश की तारीख से तीन महीने की अवधि के भीतर उसके कथित आदेश में संशोधन करने में सशक्त करती है। ऐसी गलती निपटान आयोग द्वारा उसकी अपनी स्वयं की स्वेच्छा पर या आवेदक या आई.जी.एस.टी. क्षेत्राधिकार अधिकारी द्वारा उसके संज्ञान में लाई जा सकती है। यदि संशोधन में कर दायित्व में वृद्धि करने या इनपुट कर क्रेडिट के परिमाण को कम करने का असर है, तब आदेश पारित करने से पहले आवेदक का पक्ष सुना जाना चाहिये।

The document पाठ 18. FAQ - निपटान आयोग | GST Acts, FAQs and Updates is a part of the GST Course GST Acts, FAQs and Updates.
All you need of GST at this link: GST
59 docs

Top Courses for GST

FAQs on पाठ 18. FAQ - निपटान आयोग - GST Acts, FAQs and Updates

1. निपटान आयोग GST क्या है?
उत्तर: निपटान आयोग GST एक स्वतंत्र और स्वायत्त संस्था है जो भारतीय अर्थव्यवस्था में वस्तुओं और सेवाओं पर लगाए जाने वाले कर (GST) को प्रबंधित करती है। यह आयोग नियमन, निगरानी, न्यायिक और न्यायिक निर्णय बनाने के लिए जिम्मेदार है।
2. GST किस प्रकार कार्य करता है?
उत्तर: GST वस्तुओं और सेवाओं पर लागू होने वाला एक समान कर है जो देशभर में लागू होता है। यह कर उत्पादक से उपभोक्ता तक की पूरी आपूर्ति श्रृंखला में लागू होता है और प्रत्येक स्तर पर कर चुकाने की जिम्मेदारी को बांटता है।
3. निपटान आयोग GST क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: निपटान आयोग GST भारतीय अर्थव्यवस्था में एकीकरण और सुगठन को प्रदान करता है। इसके माध्यम से कर संरचना सरल हो गई है और व्यापार के लिए एक सामान्य कर दर लागू होती है। यह व्यापार को आसान और प्रभावी बनाने में मदद करता है और आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है।
4. निपटान आयोग GST कैसे बनाया गया है?
उत्तर: निपटान आयोग GST भारत सरकार द्वारा बनाया गया है। इसका गठन 2017 में GST संविधान द्वारा हुआ था। यह आयोग वस्तुओं और सेवाओं पर लागू होने वाले कर के नियमों, निगरानी और नियमन के लिए जिम्मेदार है।
5. GST के लाभ क्या हैं?
उत्तर: GST के लाभों में शामिल हैं: एकीकरणीकरण, सरलीकरण, कर संरचना का सुधार, बिजनेस को आसानी से लाभ, आर्थिक विकास को बढ़ावा, कर चोरी की कमी, एक देश में वस्तुओं और सेवाओं की स्वतंत्र आपूर्ति को बढ़ावा देना और व्यापार की क्रियाओं को सरल और प्रभावी बनाना शामिल है।
59 docs
Download as PDF
Explore Courses for GST exam

Top Courses for GST

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

Important questions

,

ppt

,

past year papers

,

पाठ 18. FAQ - निपटान आयोग | GST Acts

,

practice quizzes

,

mock tests for examination

,

FAQs and Updates

,

Free

,

Viva Questions

,

FAQs and Updates

,

video lectures

,

shortcuts and tricks

,

पाठ 18. FAQ - निपटान आयोग | GST Acts

,

Extra Questions

,

Summary

,

study material

,

FAQs and Updates

,

MCQs

,

Previous Year Questions with Solutions

,

Objective type Questions

,

pdf

,

Semester Notes

,

Exam

,

पाठ 18. FAQ - निपटान आयोग | GST Acts

,

Sample Paper

;