प्र 1. जी.एस.टी.एन. क्या है?
उत्तरः वस्तु एवं सेवा कर नेटवर्क (जी.एस.टी.एन.) एक गैर-लाभ गैर-सरकारी कंपनी है, जो करदाताओं और अन्य हितधारकों सहित केंद्र और राज्य दोनों सरकारों को आईटी के बुनियादी ढांचे और सेवा की साझा सुविधाएं प्रदान करेगा। पंजीकरण की फ्रंटएंड सेवाएं, रिटर्न और सभी करदाताओं के लिए भुगतान जी.एस.टी.एन. द्वारा प्रदान किये जाएंगे। यह सरकार और करदाताओं के बीच एक इंटरफेस होगा।
प्र 2. जी.एस.टी.एन. की उत्पत्ति क्या है?
उत्तरः जी.एस.टी. सिस्टम परियोजना एक अद्धितीय और जटिल आईटी पहल है। यह अद्वितीय है क्योंकि यह, पहली बार करदाता के लिये एक समान इंटरफेस स्थापित करना और केंद्र और राज्यों के बीच आम और साझा आईटी बुनियादी सुविधाओं का समान इंटरफेस स्थापित करने का प्रयास करता है। वर्तमान समय में, केन्द्र और राज्य अप्रत्यक्ष कर प्रशासन विभिन्न कानूनों, विनियमों, प्रक्रियाओं और स्वरूपों के अंतर्गत कार्य कर रहे हैं। और उसके परिणामस्वरूप आईटी प्रणाली स्वतंत्र साइट के रूप में काम कर रही है। उन्हें जी.एस.टी. लागू करने के लिए एकीकृत करना बेहद जटिल होगा। क्योंकि इसके लिये समूचे अप्रत्यक्ष कर पारिस्थितिकी (ईकोसिस्टम) तंत्र को एकीकृत करना शामिल है ताकि सभी कर प्रशासनों (केन्द्र, राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों) को करदाताओं और अन्य बाह्य हितधारकों के लिये आईटी के समान प्रारूपों और इंटरफेस के साथ परिपक्वता के स्तर पर लाया जा सके। इसके अतिरिक्त, चूंकि जी. एस.टी. एक गंतव्य आधारित कर है, अंतर-राज्यीय वस्तुओं और सेवाओं (आई.जी.एस.टी.) के व्यापार में राज्यों और केंद्र के बीच एक मजबूत निपटान तंत्र की बहुत आवश्यकता है। यह तभी संभव होगा जब वहाँ एक मजबूत आईटी बुनियादी संरचना और सेवा (सर्विस) आधार उपलब्ध होगा जो हितधारकों (करदाताओं, राज्यों और केंद्र सरकार, बैंक और भारतीय रिजर्व बैंक सहित) के बीच जानकारियां प्राप्त करने, प्रसंस्करण/प्रोसेसिंग और विनिमय करने में सक्षम करेगा।
इस पहलू पर राज्य वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति की 21.7.2010 में आयोजित चैथी बैठक में विचार विमर्श किया गया था। कथित बैठक में ई.सी. ने डाॅ. नन्दन निलेकनी की अध्यक्षता में अपर सचिव (राजस्व), सदस्य (बीएंडसी) सी.बी.ई.सी., महानिदेशक (सिस्टम), सी.बी.ई.सी., एफ.ए., वित्त मंत्रालय, सदस्य सचिव ईसी. और व्यापार करों के पांच राज्यों के आयुक्तों (महाराष्ट्र, असम, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और गुजरात) सहित ’जी.एस.टी.’ के लिए आईटी बुनियादी ढांचे के अधिकार प्राप्त समूह’ (ई.सी. के रूप में संदर्भित ) का सृजन करने के लिये अनुमोदित किया था। समूह को अन्य बातों के साथ, आम पोर्टल कार्यान्वित करने के लिए जिसे जी.एस.टी. नेटवर्क (जी.एस.टी.एन.) के नाम से जाना जाता है नेशनल इंर्फोमेशन यूटिलिटी (एन.आई.यू/एस.पी.वी.) की स्थापना के तौर-तरीकों और संरचना तथा संदर्भ की शर्तों, विस्तृत कार्यान्वयन रणनीति और इसके निर्माण के लिए अंतिम रूपरेखा के साथ-साथ प्रशिक्षण जैसे अन्य मदों के लिये, पहुंच बनाने इत्यादि के सुझाव देने के लिये अधिकार पत्र दिया गया था।
मार्च 2010 में, वित्त मंत्रालय द्वारा टी.ए.जी.यू.पी का गठन किया गया था और उसमें यह सिफारिश की गई कि नेशनल इंर्फोमेशन यूटिलिटीज को एक निजी कंपनी के रूप में जी.एस.टी. सहित बड़ी और जटिल सरकारी आईटी परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिये जन उददेश्यों के साथ स्थापित किया जाना चाहिए। टी.ए.जी.यू.पीका अधिदेश विभिन्न आईटी परियोजनाओं जैसे जी.एस.टी., टी.आई एन., एन.पी.एस, आदि से संबंधित प्रौधोगिकी और सिस्टमगत मुद्दों की जांच करना था।
ई.जी. के तौर-तरीके पर चर्चा करने के लिये 2 अगस्त 2010 से 8 अगस्त 2011 के बीच सात बैठकें हुई थी। गहन विचार-विमर्श करने के बाद, ई.जी. ने जी.एस.टी. व्यवस्था के कार्यान्वयन के लिये एक विशेष प्रयोजन साधन/माध्यम (Special Purpose Vehicle) स्थापित करने की सिफारिश की। भारी मांग भरे माहौल को ध्यान में रखते हुए कुशल और विश्वसनीय सेवाओं के प्रावधान सक्षम करने के लिए, ई.जी. ने जी.एस.टी.एन. एस.पी.वी. में गैर-सरकारी संरचना के साथ सरकार की 49 प्रतिशत (केंद्र 24.5 प्रतिशत और राज्य 24.5 प्रतिशत) हिस्सेदारी/इक्विटी की कुछ मुख्य मापदंडों पर विचार करने के बाद जैसे प्रबंधन की स्वतंत्रता, सरकार का रणनीतिक नियंत्रण, संगठनात्मक संरचना में लचीलापन, निर्णय लेने में तेजी और सक्षम मानव संसाधनों की नियुक्तियों और उन्हें रोके रखना आदि की सिफारिश की।
जी.एस.टी.एन. की भूमिका की संवेदनशीलता को देखते हएु आरै इसमें जो जानकारी उपलब्ध होंर्गी इ.जी. ने जी.एस.टी.एन. पर सरकार के रणनीतिक नियंत्रण के मुद्दे पर भी विचार किया। समूह ने सिफारिश की थी कि एस.पी.वी. पर सरकार का रणनीतिक नियत्रंण बार्डे की संरचना, विशेष प्रस्तावों के तंत्र और शेयरधारकों के समझौतों, सरकारी अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति पर आरम्भ, और जी.एस.टी.एन. एस.पीवी. और सरकारों के बीच समझौतों के उपायों के माध्यम से सुनिश्चित किये जाने चाहिए। इसके अतिरिक्त, हिस्सेदारी ढांचा यह सुनिश्चित करेगा कि व्यक्तिगत रूप से केंद्र और राज्य सामूहिक रूप से प्रत्येक 24.5 प्रतिशत के हितधारक होंगे। संयुक्त रूप में, सरकार की 49 प्रतिशत हिस्सेदारी किसी भी निजी संस्था से काफी अधिक होगी।
ई.जी. ने इस कंपनी को चलाने के लिए प्रौद्योगिकी विनिर्देश की जरूरत को भी प्रवृत किया ताकि वहाँ रिर्टन का 100 मिलान रहे। व्यापार का ज्ञान भारत और राज्य सरकार के अधिकारियों के पास है। भारत सरकार और राज्यों के अधिकारियों के पास व्यावहारिक ज्ञान है। हालांकि, वहां अत्याधुनिक तकनीकी ज्ञान से लैस व्यावसायिकों को स्वतंत्र रूप से इस कंपनी को चलाने की आवश्यकता होगी, उसी तरह जैसे एन.एस.डी.एल. जो व्यावसायिकता और स्वतंत्र रूप से काम कर रहा है। ई.जी. ने एक गैर-सरकारी कंपनी की भी सिफारिश की थी जिसे परिचालन में स्वतंत्रता होगी।
यह सिफारिशें राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति की 2011 में हुई तीसरी बैठक के समक्ष 19 अगस्त 2011 और 14 अक्तूबर 2011 को आयोजित चैथी बैठक में प्रस्तुत कर दी गई थी। जी.एस.टी.एन. के संबंध में जी.एस.टी. के लिए आईटी बुनियादी ढांचे पर ई.जी. के प्रस्ताव और सरकार के रणनीतिक नियंत्रण के साथ धारा 25 की गैर-लाभ प्राप्त कंपनी के गठन को राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति (ई.सी.) ने 14.10.11 को आयोजित बैठक में अपनी स्वीकृति दे दी।
राजस्व विभाग की एक विशेष प्रयोजन के साधन की स्थापना के लिये की गई टिप्पणी जिसे वस्तु एवं सेवा कर नेटवर्क के नाम से जाना जाता है उपरोक्त पंक्तियों के उल्लेखानुसार मंत्री परिषद द्वारा 12 अप्रेल 2012 को उस पर विचार किया गया और अनुमोदित भी कर दिया गया। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने निम्नांकित स्वीकृतियां भी दे दीः
मंत्री परिषद के निर्णय के अनुपालन में, जी.एस.टी. नेटवर्क को कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 25 के अंतर्गत निम्न इक्विटी
संरचना के साथ एक गैर-लाभ-प्राप्त, प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के रूप में पंजीकृत किया गया था:
केंद्र सरकार | 24.5 % |
राज्य सरकारें | 24.5 % |
एचडीएफसी | 10 % |
एचडीएफसी बैंक | 10 % |
आईसीआईसीआई बैंक | 10 % |
एनएसई रणनीतिक इन्वेस्टमेंट कंपनी | 10 % |
एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड | 11 % |
अपने मौजूदा रूप में जी.एस.टी.एन. का सृजन राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति और केंद्र सरकार द्वारा लंबी अवधि तक विचार-विमर्श और अनुमोदन प्राप्त करने के बाद किया गया था।
प्र 3. जी.एस.टी.एन. द्वारा क्या सेवाएं प्रदान की जाएंगी?
उत्तरः जी.एस.टी.एन. आम जी.एस.टी. पोर्टल के माध्यम से निम्नलिखित सेवाएं प्रदान करेगाः
(क) पंजीकरण (मौजूदा करदाता मास्टर परिवर्तन और पी.ए.एन. आधारित पंजीकरण क्रमांक जारी करेगा);
(ख) भुगतान गेटवे और बैंकिंग सिस्टम के साथ एकीकरण सहित भुगतान प्रबंधन;
(ग) रिटर्न दाखिल और प्रसंस्करण करेगा;
(घ) खाता प्रबंधन, अधिसूचनाएं, जानकारी, और स्थिति का पता लगाने सहित करदाता प्रबंधन;
(च) कर प्राधिकरण खाते और खाता बही प्रबंधन;
(छ) केन्द्र और राज्यों के बीच निपटान की संगणना (आईजी.ए स.टी. निपटान सहित) आई.जी.एस.टी. के लिए क्लियरिंग हाउस;
(ज) आयात पर जी.एस.टी. का प्रसंस्करण और मिलान और सीमा शुल्क के ई.डी.आई सिस्टम के साथ एकीकरण;
(झ) आवश्यकता आधारित जानकारी और व्यावसायिक ज्ञान/इंटैलिजेंस सहित एम.आई.एस.
(ट) आम जी.एस.टी. पोर्टल और कर प्रशासन सिस्ट्म के बीच इंटरफेस का रखरखाव;
(ठ) हितधारकों को प्रशिक्षण प्रदान करना;
(ड) कर अधिकारियों को विश्लेषण और व्यावसायिक ज्ञान प्रदान करना; तथा
(ढ) अनुसंधान कार्यान्वित करना, सर्वोत्तम प्रथाओं का अध्ययन और हितधारकों को प्रशिक्षण प्रदान करना।
प्र 4. जी.एस.टी.एन. और राज्यों/सी.बी.ई.सी. के बीच इंटरफेस सिस्टम क्या है?
उत्तरः जी.एस.टी. व्यवस्था में, जबकि करदाता सम्मुख पंजीकरण के आवदेन चालान/बिलों की अपलोडिगं , रिटर्न दाखिल करना, कर भगुतान करने जसैी मलू सेवाओं की जी.एस.टी व्यवस्था द्वारा प्रदान की जाएगी, कर का भुगतान जी.एस.टी. सिस्टम द्वारा आयाेि जत किया जाएगा, सभी वैधानिक कार्य (जैसे कि पंजीकरण के अनुमोदन, रिटर्न का निर्धारण, जांच और लेखा परीक्षा के आयोजन आदि) राज्यों और केंद्र सरकार के कर अधिकारियों द्वारा आयोजित किये जाएंगे। इस प्रकार, जी.एस.टी.एन. द्वारा फ्रंटेंड प्रदान किया जाएगा और बैकेंड मॉडयूल राज्यों और केन्द्र सरकार द्वारा स्वयं विकसित किया जाएगा। हालांकि 24 राज्यों (मॉडल 2 राज्य के रूप में कहा गया है) ने जी.एस.टी.एन. से उनके भी बैकेंड मॉडयूल विकसित करने का अनुरोध किया है। सी.बी.ई.सी. और बाकी राज्यों (मॉडल 1) ने स्वयं बैकेंड मॉडयूल विकसित और आयोजित करने का निर्णय लिया है।
प्र 5. पंजीकरण में जी.एस.टी.एन. की क्या भूमिका होगी?
उत्तरः पंजीकरण के लिए आवेदन जी.एस.टी. पोर्टल पर ऑनलाइन किया जाएगा।
कुछ प्रमुख डेटा जैसे पी.ए.एन., व्यापारिक प्रकृति, आधार कार्ड, सीआई.ए न./डी.आई.एन. आदि (जो लागू हो) को ऑनलाइन संबंधित
एजेंसी यानि सीबीडीटी, यूआईडी, एमसीए आदि के विरूद्ध विधिमान्य किया जाएगा, इस प्रकार कम से कम दस्तावेज़ सुनिश्चित करता है।
आवेदन डेटा, स्कैन किए गए संलग्न दस्तावेज जी.एस.टी.एन. द्वारा राज्यों/केंद्र को भेज दिये जाएंगे जो उसके बदले पूछताछ करने के बाद, अनुमोदन या अस्वीकृति सूचित कर जी.एस.टी.एनमें डिजिटल हस्ताक्षरित पंजीकरण कर देगा जिसे बाद में करदाता द्वारा डाउनलोड किया जा सकेगा।
प्र 6. जी.एस.टी.एन. में इंफोसिस की क्या भूमिका है?
उत्तरः जी.एस.टी.एन. ने मैसर्स इंफोसिस को एकल प्रबंधित सेवा प्रदाता (एमएसपी), के रूप में डिजाइन, विकास, जी.एस.टी. सिस्ट्म
के इस्तेमाल के लिए नियुक्त किया है, जिसमें सभी एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर, उपकरण और बुनियादी सुविधाओं सहित गो-लाईव से 5 साल की अवधि के लिए संचालन और अनुरक्षण शामिल है।
प्र 7. जी.एस.टी. आम पोर्टल की बुनियादी विशेषताएं क्या हैं?
उत्तरः जी.एस.टी. पोर्टल इंटरनेट द्वारा (करदाताओं और उनके सीए/कर अधिवक्ता आदि) और कर अधिकारियों आदि द्वारा इंट्रानेट
पर सुलभ होगा। पोर्टल सभी जी.एस.टी. से संबंधित सेवाओं के लिए एकल आम पोर्टल होगा उदाहरण के लिए -
प्र 8. जी.एस.टी. पारिस्थितिकी-सिस्टम (Eco-system) की क्या अवधारणा है?
उत्तरः एक आम जी.एस.टी. व्यवस्था सभी राज्य/केन्द्र शासित प्रदेशों के वाणिज्यिक कर विभागों, केंद्रीय कर प्राधिकरणों, करदाताओं,
बैंकों और अन्य हितधारकों को जोड़ने/लिंकेज़ का काम करेगा। पारिस्थितिकी तंत्र में करदाताओं से कर व्यावसायिक से कर अधिकारियों से जी.एस.टी पोर्टल से बैंक से लेखा अधिकारियों सहित भी हितधारक सम्मिलित हैं। नीचे दिये चित्र में समग्र जी.एस.टीपारिस्थितिकी- तंत्र को दर्शाया गया है।
प्र 9. जी.एस.पी. (जी.एस.टी. सुविधा प्रदाता) क्या है?
उत्तरः जी.एस.टी. सिस्टम इंफोसिस द्वारा विकसित की जा रही है, प्रबंधित सेवा प्रदाता (एम.एस.पी.)। इसके प्रमुख कार्य में जी.एस. टी. कोर सिस्टम विकसित करना, आवश्यक आईटी बुनियादी ढांचे की होस्टिंग और कार्यान्वयन और पांच साल के लिये सिस्टम का संचालन का प्रावधान सम्मिलित है।
प्रस्तावित जी.एस.टी. करदाताओं द्वारा सभी इलेक्ट्रॉनिक फाईलिंग की परिकल्पना करता है। इस तक पहुंचने के लिए, करदाता को बिलों, जानकारियों, इनपुट टैक्स क्रेडिट का मिलान (आई.टी.सी.) का दावा, पार्टीवार खातों के सृजन, रिटर्न की अपलोडिंग, करों के भुगतान की जानकारियों को अपलोड करने, कथित दस्तावेज़ों पर डिजिटल हस्ताक्षर करने के लिये टूल्स की आवश्यकता होगी।
जी.एस.टी. सिस्टम में करदाताओं के पास जी.एस.टी. सिस्टम का उपयोग करने के लिए एक जी2बी पोर्टल होगा, हालांकि, जी.एस.
टी. सिस्टम में पारस्परिक क्रिया (interacting) के लिये वह एकमात्र तरीका नहीं है, करदाता अपनी पसंद के तीसरी पार्टी की एप्लीकेशंस के माध्यम से, डेस्कटॉप, मोबाइल, अन्य इंटरफेस के माध्यम से सभीमग्र जी.एस.टीपारिस्थितिकी- तंत्र को दर्शाया गया है।
उपयोगकर्ताओं को इंटरफेस और सुविधा प्रदान करेगा, एवं जी. एस.टी. सिस्टम के साथ समन्वय करने में सक्षम होंगे। थर्ड पार्टी एप्लीकेशंस जी.एस.टी. सिस्टम के साथ ए.पी.आई. के माध्यम से जुड़ जाएंगे। इन सभी एप्लीकेशंस को थर्ड पार्टी सेवा प्रदाताओं द्वारा विकसित किये जाने की अपेक्षा की जा रही है, जिन्हें एक सामान्य नाम भी दिया गया है, जी.एस.टी. सुविधा प्रदाता या जीएसपी ।
करदाता जी.एस.टी. सिस्टम के साथ जी.एस.टी. सिस्टम पोर्टल के माध्यम से या जी.एस.पी. ईकोसिस्टम के माध्यम से एप्लीकेशन्स के
रूप में प्रदान किये गए जैसे पंजीकरण, कर भुगतान, रिटर्न दाखिल करने और जी.एस.टी. कोर सिस्टम के साथ अन्य सूचनाओं का
विनिमय करने जैसी गतिविधियों के लिए इंटरफेस करेंगे। जी.एसपी. जी.एस.टी. सिस्टम ए.पी.आई. की उपभोक्ता एजेंसी बन जाएगी
और करदाताओं के लिये वैकल्पिक इंटरफेस के रूप में एप्लीकेशंस और वैब पोर्टल का निर्माण करेगी।
प्र 10. जी.एस.टी. सुविधा प्रदाताओं की क्या भूमिका होगी?
उत्तरः जीएसपी के विकसित किए गए एप्पस जी.एस.टी. सिस्टम के साथ सुरक्षित जी.एस.टी. सिस्टम एपीआई के माध्यम से जुड़ जाएंगे। जी.एस.पी. के कुछ कार्य निम्नांकित हैंः
जी.एस.टी. सुविधा प्रदाता (जी.एस.पी.) की परिकल्पना करदाताओं और अन्य हितधारकों को नवपरिवर्तनशील और सुविधाजनक साधन प्रदान करने तथा जी.एस.टी. सिस्टम के साथ कंपनी या संस्था के पंजीकरण से बिलों के विवरण अपलोड करने से लेकर रिटर्न दाखिल करने के लिए पारस्परिक क्रियान्वयन ;पदजमतंबजपदहद्ध के लिए की गई है। इस प्रकार वहाँ पारस्परिक क्रियान्वयन ;पदजमतंबजपदहद्ध के दो समूह हैं, एक एप्प उपभोगकर्ता और जी.एस.पी. और दूसरा जी.एस.पी और जी.एस.टी. सिस्टम ।
प्र 11. जी.एस.पी का उपयोग करने में करदाताओं के क्या लाभ हैं?
उत्तरः कर लेखाकंन सॉफ्टवये र पद्र ान कर रहा एक जी.एस.पी. पहले से बड़ी संख्या में करदाताओं की कर कार्यक्षमता में लाभ प्रदान करेगा। यह करदाता की चालान/बिल/रिटर्न और मिलान के अपलोड की डेल्टा प्रक्रिया भी जीएसपी द्वारा प्रदान की जाती है। जबकि जी.एस. टी. पोर्टल के मामले में, अन्य प्रकार के कार्यकलाप स्वयं/मैन्यूअल या दूसरे तरीके से चालान/बिल के डेटा या रिटर्न कार्यान्वित करना होगा। जी.एस.टी. पोर्टल द्वारा उजागर किये गये इंटरफेस और सुविधाएं सभी करदाताओं के लिए एक समान हागें अैार प्रारूप अैार डिजाइर्न में बुिनयादी हो सकते हैं। दसूरी ओर जी.एस.पी. से करदाताओं के विशिष्ट समूह (पूरी तरह से स्वचालित वित्तीय सिस्टम के साथ बड़े करदाता, अर्दध स्वचालित सिस्टम के साथ एस.एम.इ., और छाटे आकार के लिये र्काइे सिस्टम नही)ं द्वारा आवश्यक समद्धृ इटंरफसे आरै विशषेताओं की अपेक्षा की जा रही है। इसके अतिरिक्त, विशाल आकार के कारण जी. एस.टी. पोर्टल जीएसपी जितना तीव्र नहीं होगा। जी.एस.पी. एप्लीकेशन के साथ मौजूदा सॉफ्टवेयर में जी.एस.टी. फाईलिंग की सुविधाओं या एस.एम.ई. और छोटे करदाताओं को उनकी बिक्री/खरीद और जी.एस.टी. फाइलिंग का प्रबंधन करने के लिये शुरू से अंत तक समाधान ;मदक.जव.मदक ेवसनजपवदेद्ध प्रदान करने के लिये लाए जा सकते हैं, उदाहरण के लिये एक आॅफलाइन सुविधा जैसे स्प्रैड शीट, जिसमें करदाता अपने चालान/बिल के विवरण भर सकते हैं और उसके बाद उन्हें प्रोसेसिंग के लिए जी.एस.टी. पोर्टल पर अपलोड कर सकते हैं। इसी तरह, कर सलाहकारों (टीसी) के लिए, जी.एस.पी. एक डैशबोर्ड प्रदान कर सकता है जिसमें उसके सभी ग्राहकों की सूची प्रदर्शित हो सकती है और किसी विशेष ग्राहक पर क्लिक करने पर विशेष ग्राहक द्वारा टी.सी. कार्यवाही/ लंबित कार्यवाही के स्नैपशाॅट दिये जा सकते हैं। जी.एस.पी. नवपरिवर्तनशील/मूल्य वर्धित सुविधाएं प्रदान करता है, जो उसे बाजार में उपलब्ध अन्य जी.एस.पी. से अलग करता है।
प्र 12. जी.एस.टी.एन. द्वारा जी.एस.टी. आम पोर्टल के विकसित करने और रखरखाव के संबंध में करदाताओं की क्या भूमिका होगी?
उत्तरः कुछ कार्य जो जी.एस.टी.एन. के माध्यम से करदाताओं द्वारा निष्पादित किये जाएंगे वह हैंः
प्र 13. जी.एस.टी.एन. द्वारा विकसित किये गये जी.एस.टी. सिस्टम के संबंध में राज्य और केंद्र सरकार से कर अधिकारियों की क्या भूमिका होगी?
उत्तरः अधिकारियों को बैकेंड पर निम्न कार्यों के लिए जी.एस.टी.एनकी जानकारियों का उपयोग करने की आवश्यकता होगीः
प्र 14. क्या जी.एस.टी.एन. प्रत्येक चालान/बिल पंक्ति के लिये जी. एस.टी.आई.एन. सिस्टम में एक विशिष्ट पहचान उत्पन्न करेगा?
उत्तरः नहीं, जी.एस.टी.एन. ऐसी कोई भी नई पहचान उत्पन्न नहीं करेगा। आपूर्तिकर्ता का जी.एस.टी.आई.एन., चालान/बिल नंबर और
एचएसएन/एसएसी कोड सहित वित्तीय वर्ष के संयोजन प्रत्येक पंक्ति को अद्वितीय बना देंगे।
प्र 15. क्या चालान/बिल का डेटा प्रतिदिन आधार पर अपलोड किया जा सकता है?
उत्तरः हाँ, जी.एस.टी. पोर्टल में किसी भी समय के आधार पर चालान/ बिल का डेटा लेने की कार्यक्षमता हागी। पहले अपलाडे करना बहेतर होगा क्योंकि इससे यह प्राप्तकर्ता को प्रतिबिंबित हो जाएगा जो उसे पोर्टल पर देखकर अपने खरीद रजिस्टर से मिलान कर सकते हैं।
प्र 16. क्या जी.एस.टी.एन. जी.एस.टी. पोर्टल पर चालान/बिल का डेटा अपलोड करने के लिए टूल्स प्रदान करते हैं?
उत्तरः हाँ, जी.एस.टी.एन. करदाताओं को स्प्रैडशीट (माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल की तरह) जैसे टूल्स लागत से मुक्त प्रदान किये जाएंग ताकि वे चालान/बिल का डेटा उसमें संकलित करने और एक ही बार में अपलोड करने में सक्षम हो पाएं। यह एक ऑफलाइन टूल होगा जिसका उपयोग बिल के डेटा को बिना आॅनलाइन भरा जा सकता है और उसके बाद कई सौ चालान/बिल एक साथ एक ही बार में अपलोड किये जा सकेंगे।
प्र 17. क्या जी.एस.टी.एन. खाता बहियों और अन्य खातों को देखने के लिए मोबाइल आधारित एप्पस उपलब्ध करांएगे?
उत्तरः हाँ, जी.एस.टी. पोर्टल को इस प्रकार से तैयार किया गया है कि इसे किसी भी स्मार्ट फोन पर देखा जा सकता है। इस प्रकार
नकदी खाता बही, दायित्व खाता बही, आई.टी.सी. खाता बही आदि को मोबाइल फोन पर देखा जा सकता है।
प्र 18. क्या जी.एस.टी.एन. कर व्यावसायिक को बिना करदाता के यजूर आईडी और पासवर्ड पूछने की जरूरत के उनके ग्राहकों (करदाताओं) की आरे से काम करने में सक्षम करने के लिये अलग यजूर आईडी और पासवर्ड प्रदान करेंगे, जैसा कि मौजूदा समय में होता है?
उत्तरः हाँ, जी.एस.टी.एन. करदाताओं के यूजर आईडी और पासवर्ड पूछे बिना कर व्यावसायिक को उनके ग्राहकों (करदाताओं) की ओर से काम करने में सक्षम करने के लिये अलग यजूर आईडी आरै पासवर्ड प्रदान
करेंगे। कर व्यावसायिक करदाता की ओर से वे सभी काम करने में सक्षम होंगे जिन्हें जी.एस.टी. कानून में अनुमति दी गई है सिवाय अंतिम पस््र तुि त/जमा को छाडे क़र, जिसे कवेल करदाता ई-साइन (ओ. टी.पी.)
या डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाणपत्र का उपयोग कर पूरा करेंगे।
प्र 19. एक बार उपरोक्त सुविधा में चुने जाने के बाद क्या करदाता कर व्यावसायिक बदलने में सक्षम होंगे?
उत्तरः हाँ, एक करदाता बस जी.एस.टी.एन. पोर्टल पर यह अचयनित और एक नया टैक्स पेशेवर के लिए प्रतिनिधित्व ;कमसमहंजपदहद्ध द्वारा एक अलग कर पेशेवर चुन सकते हैं।
प्र 20. क्या केन्द्रीय उत्पाद शुल्क या सेवा कर या राज्य वैट के तहत मौजूदा करदाताओं को जी.एस.टी. के अंतर्गत नए सिरे से पंजीकरण के लिए आवेदन करना होगा?
उत्तरः नहीं, मौजूदा करदाताओं जिनका पैन सी.बी.डी.टी. डेटाबेस से मान्य किया गया है उन्हें नए सिरे से आवेदन करने की आवश्यकता नहीं होगी। उन्हें जी.एस.टी. पोर्टल द्वारा अस्थायी जी.एस.टी.आई. एन. जारी किया जाएगा, जो जी.एस.टी. पंजीकरण प्रपत्र के रूप में प्रासंगिक डेटा उपलब्ध कराने हेतु छह महीने के लिए वैध होगा। पंजीकरण डेटा दाखिल करने के बाद अस्थायी पंजीकरण नियमित रूप में परिवर्तित हो जाएगा। संबंधित कर अधिकारियों द्वारा समय सीमा देने के लिये आगे अधिसूचना जारी की जाएंगी।
प्र 21. क्या जी.एस.टी.एन. करदाताओं के लाभ के लिए जी.एस.टी. पोर्टल पर काम करने के विभिन्न पहलुओं पर प्रशिक्षण वीडियो प्रदर्षित करेगा?
उत्तरः हाँ, जी.एस.टी.एन. कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण सामग्री तैयार कर रहा है जिसमें जी.एस.टी. पोर्टल पर प्रदर्शन के लिये प्रत्येक
प्रक्रिया को उनमें वीडियो एम्बेडेड जाएगा। इन्हें जी.एस.टी. पोर्टल के साथ ही सभी कर प्राधिकरणों की वेबसाइट पर डाला जाएगा।
प्र 22. क्या जी.एस.टी. आम पोर्टल पर करदाताओं द्वारा प्रस्तुत रिटर्न और पंजीकरण के डेटा गोपनीय रखे जाएंगे?
उत्तरः हाँ, जी.एस.टी.एन. करदाताओं द्वारा प्रस्तुत उनकी निजी और व्यापारिक जानकारियां को जी.एस.टी. आम पोर्टल पर गोपनीयता
सुनिश्चित करने के लिए सभी कदम उठा रहा है। भूमिका आधारित प्रवेश नियंत्रण (आरबीएसी) ;त्वसम ठंेमक ।बबमे ब्वदजतवसद्ध ;त्ठ।ब्द्ध द्वारा सुनिश्चित किया जाएगा और पारगमन और भण्डारण दोनों के दौरान करदाताओं के महत्वपूर्ण डेटा का एन्क्रिप्शन सुनिश्चित किया जाएगा। केवल अधिकृत कर अधिकारी इन डेटा को देख और पढ़ने में सक्षम हांेगे।
प्र 23. जी.एस.टी. सिस्टम की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जी. एस.टी.एन. द्वारा क्या सुरक्षा उपाय अपनाए जा रहे हैं ? उत्तरः जी.एस.टी. सिस्टम परियोजना द्वारा आंकड़ों और सेवा सुरक्षा के लिए अत्याधुनिक सरुक्षा ढाचें को सम्मिलित किया गया है। हाई एडं फायरवॉल, घसुपठै का पता लगाने विराम आरै गतिविधि के दारैान डेटा एन्क्रिप्शन, समग्र ऑडिट ट्रेल, लगातार हैशिगं एल्गाेिरदम् का प्रयागे करते हएु छडेछ़ाड/टैंपर प्रूफिगं, आऐस और होस्ट हार्डिनगं आदि का उपयागे के अतिरिक्त, जी.एस.टी.एन. एक प्राथमिक और माध्यमिक सरुक्षा संचालन कमान एव नियत्रंण केंद्र स्थापित कर रहा है जो लगातार अगस्रकिय रहकर निगरानी करेगा आरै वास्तविक समय में दुर्भावनापूर्ण हमलों से रक्षा करेगा। जी.एस.टी.एन. सामान्यतः ज्ञात और अज्ञात खतरों के खिलाफ रक्षा करने के लिए स्रोत कोड की निरतंर स्कैनिंग के माध्यम से सुरक्षित कोडिंग प्रथाओं को सुनिश्चित करेगा।
1. जी.एस.टी. पोर्टल पर दश्यपटल व्यापारिक (Frontend Business) प्रक्रिया क्या है? |
2. जी.एस.टी. पोर्टल क्या है? |
3. जी.एस.टी. पोर्टल पर दश्यपटल व्यापारिक प्रक्रिया के लिए क्या आवश्यकताएं हैं? |
4. जी.एस.टी. पोर्टल पर दश्यपटल व्यापारिक प्रक्रिया के द्वारा कौन-कौन सी सेवाएं प्रदान की जाती हैं? |
5. जी.एस.टी. पोर्टल पर दश्यपटल व्यापारिक प्रक्रिया से कौन-कौन से लाभ होंगे? |
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