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पाठ 24. FAQs - परिवर्ती प्रावधान | GST Acts, FAQs and Updates PDF Download

प्र 1. क्या जी.एस.टी. से पूर्व पहले कानून के अंर्तगत आई.टी.सी. के रूप में उपलब्ध पिछले रिटर्न का सेनवैट/आई.टी.सी. आगे जी.एस. टी व्यवस्था के अंतर्गत ले जाया जाएगा?
उत्तरः हाँ, पंजीकृत कराधीन व्यक्ति इस तरह के क्रेडिट प्राप्त करने का हकदार होगा और यह उसके इलेक्ट्रॉनिक खाता बही में क्रेडिट
हो जाएगा - धारा 143।

प्र 2. मान लें कि एक पंजीकृत कराधीन व्यक्ति, वर्ष 2016-17 की अंतिम तिमाही में पूंजीगत माल खरीदता है। जबकि चालान/बिल 31 मार्च के भीतर प्राप्त हो जाता है लेकिन पूंजीगत माल 5 अप्रैल, 2017 (यानि जी.एस.टी. व्यवस्था में) को प्राप्त होता है। क्या कथित व्यक्ति को 2017-18 में सेनवैट का पूरा क्रेडिट मिलेगा?
उत्तरः हाँ, वह वर्ष 2017-18 में पूरा क्रेडिट प्राप्त करने का हकदार होगा - धारा 144(1) का स्पष्टीकरण।

प्र 3. पिछले कानून में श्ग्श् और श्ल्श् मदों पर पूंजीगत वस्तुओं के रूप में वैट क्रेडिट उपलब्ध नहीं था। चूंकि वे जी.एस.टी. में शामिल किये जाते हैं, क्या अब पंजीकृत कराधीन व्यक्ति इनका दावा कर सकता है?
उत्तरः वह केवल तब क्रेडिट का हकदार होगा जब ऐसी वस्तुओं/ माल पर आई.टी.सी. पहले कानून में स्वीकार्य था और वह जी.एस. टी. में भी स्वीकार्य होगा। चूंकि दो मदों पर क्रेडिट पहले कानून के अंतर्गत उपलब्ध नहीं था, कथित व्यक्ति जी.एस.टी. में यह दावा नहीं कर सकता - धारा 144(1) के प्रावधान।

प्र 4. मान लिया जाये कि कथित व्यक्ति ने गलत तरीके से क्रेडिट का लाभ प्राप्त किया है, क्या जी.एस.टी. या इससे पहले कानून में वसूली की जाएगी?
उत्तरः गलत तरीके से आई.टी.सी. का लाभ प्राप्त करने पर केवल जी.एस.टी. के अंतर्गत वसूली की जाएगी - धारा 143 से 146

प्र 5. दो पंजीकृत कराधीन व्यक्तियों के उदाहरण दें जो पहले कानून के अंतर्गत पंजीकरण के लिये जिम्मेदार नहीं थे लेकिन जी. एस.टी. के अंतर्गत उन्हें पंजीकृत करना अनिवार्य है?
उत्तरः मान लेते हैं कि एक निर्माता जिसका टर्नओवर/कुल बिक्री 60 लाख रुपए है और वह पहले एस.एस.आई. छूट का फायदा उठा
रहा था, उसे जी.एस.टी. में पंजीकृत होना अनिवार्य होगा क्योंकि उसका टर्नओवर 10 लाख रुपये की बुनियादी सीमा से अधिक है।
एक व्यापारी जो ई-कॉमर्स ऑपरेटर के माध्यम से बिक्री करता है उसकी टर्नओवर सीमा से कम है उसे जी.एस.टी. में पंजीकृत होना
अनिवार्य होगा। ऐसे व्यक्तियों के लिए कोई सीमा नहीं होगी - धारा 145 धारा 9 और अनुसूची प्प्प् के साथ पढ़ें।

प्र 6. क्या एक सेवा प्रदाता को किसी नियत दिन स्टाॅक के रूप में रखी इनपुट पर वैट के भुगतान के लिये आई.टी.सी. की अनुमति दी जाएगी?
उत्तरः नहीं, वैट सेवाओं को शामिल नहीं करता। इसके अंतर्गत, केवल वस्तुएं/माल शामिल किये जाते हैं।

प्र 7. एक पंजीकृत कराधीन व्यक्ति के पास उसके पहले रिटर्न से पिछले कानून के अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक क्रेडिट खाता बही में 1000 रुपये आई.टी.सी. जमा है। अब, वह जी.एस.टी. में संरचना योजना में परिवर्तित हो जाता है, क्या उसे आई.टी.सी. रिफंड/वापस होगा?
उत्तरः नहीं, उसे संरचना योजना में परिवर्तित होने की तारीख से तुरन्त पहले की नियत तारीख पर रखी इनपुट के स्टाॅक पर इनपुट टैक्स के क्रेडिट के समतुल्य राशि का भुगतान करना होगा। राशि या तो इलेक्ट्रॉनिक क्रेडिट खाता बही या इलेक्ट्रॉनिक नकदी खाता बही के माध्यम से भुगतान की जा सकती है। जहाँ भुगतान इलेक्ट्रॉनिक क्रेडिट खाता बही के माध्यम से किया जाता है, अतिरिक्त आई.टीसी. रखा हुआ शेष, यदि कोई है, समाप्त हो जाएगा। प्रासंगिक धारा 147।

प्र .8 सीएसटी (अर्थात् केन्द्रीय बिक्री कर अधिनियम) के अंतर्गत रिटर्न/वापसी (Sales return) टर्नओवर/कुल बिक्री से कटौती के रूप में 6 महीने के भीतर स्वीकार्य है? यदि, मान लें कि, एक खरीदार द्वारा बिक्री के 6 महीने के बाद वस्तुएं/माल जी.एस.टी. में वापस किया गया है, क्या वह सीएसटी या जी.एस.टी. में कराधीन होगा?
उत्तरः सबसे पहले, यह पता लगाएं कि क्या वह वस्तुएं/माल जी. एस.टी. में कराधीन है या नहीं। दूसरा यह जांच करें कि क्या वह वस्तुएं/माल नियत दिन के 6 महीने के बाद वापस लौटाई गयी हैं। यदि दोनों प्रश्नों के उत्तर ‘हां‘ में हैं तब जो व्यक्ति वस्तुएं/माल वापस लौटा रहा है उसे कर का भुगतान करना होगा। हालांकि, जहां वस्तुएं/माल नियत दिन से 6 महीने के भीतर वापस लौटायी जाती है, वापस लौटाने वाले व्यक्ति को कोई कर का भुगतान नहीं करना होगा यदि वस्तुओं/माल की पहचान हो जाती है और उसकी बिक्री के समय पहले कानून के अंतर्गत कर का भुगतान कर दिया जाता है, नियत दिन से 6 महीने पहले कि बिक्री पर नहीं। प्रासंगिक धारा 149 है।

प्र 9. क्या एक निर्माता या जाॅब वर्कर कर का भुगतान करने के लिये उत्तरदायी होगा यदि इनपुट या अर्ध-तैयार माल पहले कानून के अंतर्गत जाॅबवर्क के लिए भेजा गया था और नियत दिन के बाद जाॅबवर्क पूरा होने के बाद वापस लौटा जाता है?
उत्तरः निर्माता या जाब वर्कर द्वारा निम्नलिखित परिस्थितियों में कोई कर देय नहीं होगाः

  • पहले कानून के प्रावधानों के अनुसार नियत दिन से पहले इनपुट्स/अर्द्ध तैयार माल जाॅब वर्कर के पास भेजा जाता है।
  • जाॅब वर्कर नियत दिन (या 2 महीने की विस्तारित अवधि) से छह महीने के भीतर उस माल को वापस लौटा देता है।
  •  िनर्माता और जाॅब वर्कर निर्धारित प्रपत्र में नियत दिन पर जाॅब वर्कर के पास रखे गये स्टॉक के विवरण घोषित करेंगे।

प्रासंगिक धाराएं धारा 150 और धारा 151 हैं।

प्र 10. यदि जाॅब वर्कर निर्धारित समय के भीतर वस्तुएं/माल वापस नहीं करता है, उस स्थिति में क्या होता है?
उत्तरः जाॅब वर्कर पर कर देय होगा। इसके अतिरिक्त, निर्माता भी निर्धारित समय सीमा की समाप्ति पर कर का भुगतान करने के लिए
उत्तरदायी होगा - धारा 150(1) और धारा 151(1)।

प्र 11. क्या एक निर्माता तैयार माल को परीक्षण के प्रयोजन के लिये किसी अन्य कराधीन व्यक्ति के परिसर पर हस्तांतरित कर सकता है?
उत्तरः हाँ, पहले कानून के प्रावधानों के अनुसार एक निर्माता कथित वस्तुओं/माल को किसी अन्य कराधीन व्यक्ति के परिसर में निर्यात
के लिये नियत दिन के 6 महीने के भीतर या विस्तारित अवधि पर कर का भुगतान करने के बाद या बिना कर का भुगतान किये हस्तांतरित कर सकता हैं - धारा 152।

प्र 12. पहले कानून के अंतर्गत यदि तैयार वस्तुओं/माल को कुछ प्रक्रियाएं करने के लिये कारखाने से बाहर ले जाया जाता है और नियत दिन पर या उसके बाद वापस लौटा दिया जाता है, क्या उस पर जी.एस.टी. देय होगा?
उत्तरः जहां वस्तुओं/माल को कोई प्रक्रिया पूरा करने के लिये भेजा जाता है और जो विनिर्माण नहीं है नियत दिन (या विस्तारित 02 महीने की अवधि) से 6 महीने के भीतर लौटा दिया जाता है वहां जी.एस.टी. में निर्माता या जाॅब वर्कर द्वारा कोई कर देय नहीं होगा
- धारा 152

प्र 13. पुराने कानून के अंतर्गत जाॅब वर्कर के पास विनिर्मित वस्तुओं/ माल भेजने पर जी.एस.टी. में कब कर देय होगा?
उत्तरः माल लौटाने वाला व्यक्ति कर का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होगा यदि कथित वस्तुएं/माल जी.एस.टी. में कर के लिए उत्तरदायी हैं और नियत दिन से 6 महीने बाद उन्हें वापस लौटा जाता है - धारा 152 के प्रावधान।

प्र 14. क्या धारा 150, धारा 151 और धारा 152 में चर्चा के अनुसार दो महीने का विस्तार स्वचालित है?
उत्तरः नहीं, यह स्वचालित नहीं है। इसे पर्याप्त कारण प्रकट करने पर केवल सक्षम प्राधिकारी द्वारा विस्तारित किया जाएगा।

प्र 15. कीमतों में संशोधन के लिए डेबिट/क्रेडिट नोट(स) जारी करने के लिए क्या समय सीमा है?
उत्तरः कराधीन व्यक्ति कीमता ंे म ंे सश्ं ााध्े ान करन े क े 30 दिना ंे क े भीतर
डेबिट/क्रेडिट नोट(स) या पूरक चालान/बिल जारी कर सकता है।
किसी मामले में जहां कीमतें कम करके संशोधित की जाती हैं
कराधीन व्यक्ति को अपने कर दायित्व कम करने के लिए अनुमति
केवल तब दी जाएगी जब चालान या क्रेडिट नोट प्राप्तकर्ता ने
अपनी आई.टी.सी. की कथित कर देयता में उसी समरूपता में कमी
की है - धारा 153।
प्र 16. पहले कानून के अंतर्गत लंबित कर के रिफंड/ब्याज का क्या परिणाम होगा?
उत्तरः लंबित कर के रिफंड के दावों का निपटारा पहले कानून के प्रावधानों के अनुसार किया जाएगा - धारा 154।

प्र 17. पहले कानून के अंतर्गत लंबित सेनवैट/आई.टी.सी. के दावों की किसी अपील या संशोधन का क्या परिणाम होगा? यदि ऐसा कहें, वह उत्पादन के दायित्व से संबंधित है तब?
उत्तरः दोनों मामलों में इसका निपटारा पहले कानून के प्रावधानों के अनुसार किया जाएगा - धारा 155/156।
 

प्र 18. यदि अपीलीय या पुनरीक्षण आदेश निर्धारिती के पक्ष में जाता है, क्या जी.एस.टी. में रिफंड दिया जाएगा? यदि निर्णय निर्धारिती के विरूद्ध जाता है, तब उस स्थिति में क्या परिणाम होगा?
उत्तरः रिफंड केवल पहले कानून के प्रावधानों के अनुसार दिया जाएगा। किसी मामले में यदि कोई वसूली की जानी है तब इसे जी.एस.टी. के अंतर्गत कर के बकाया के रूप में लिया जाएगा।

प्र 19. पहले कानून के अंतर्गत प्रस्तुत संशोधित रिटर्न से उत्पन्न रिफंड के साथ जी.एस.टी. में कैसे निपटा जाएगा?
उत्तरः रिफंड पहले कानून के प्रावधानों के अनुसार में वापस किये जाएंगे - धारा 158।

प्र 20. पहले कानून के अंतर्गत किये अनुबंध के अनुसरण में, यदि वस्तुओं या सेवाओं की जी.एस.टी. में आपूर्ति की गई है तो कौन सा कर देय होगा?
उत्तरः इस तरह की आपूर्ति पर जी.एस.टी. देय होगा - धारा 159।

प्र 21. यदि पहले कानून के अंतर्गत सेवाओं की विशेष आपूर्ति के लिए प्रतिफल प्राप्त किया गया है और उस पर कर का भुगतान किया गया है, तब क्या जी.एस.टी. व्यवस्था में कथित आपूर्ति पर जी.एस.टी. भी देय होगा?
उत्तरः वस्तुओं/सेवाओं की नियत दिन या उसके बाद आपूर्ति पर कोई कर देय नहीं होगा यदि उसके लिये नियत दिन से पहले प्रतिफल प्राप्त किया गया है और उसके लिये शुल्क/कर पहले से ही पहले कानून के अंतर्गत भुगतान कर दिए गये हैं - धारा 160।
 

प्र 22. पहले कानून के अंतर्गत वस्तुओं/सेवाओं की आपूर्ति की गई है लेकिन प्रतिफल (रिटेंशन मनी कहते हैं) का एक भाग जी.एस.टी. व्यवस्था में प्राप्त होता है, क्या जी.एस.टी. में कर देय होगा?
उत्तरः नहीं, बशर्ते कथित आपूर्ति पर पूरा शुल्क/कर का भुगतान पहले कानून के अंतर्गत पहले से ही कर दिया गया है - धारा 161।
 

प्र 23. यदि आई.एस.डी. द्वारा सेवाए, पहले कानून के अंतर्गत  प्राप्त की गई हैं, क्या इससे संबंधित आई.टी.सी. को जी.एस.टी. व्यवस्था में वितरित किया जा सकता है?
उत्तरः हाँ, बिना इस पर विचार किये कि क्या कथित सेवाओं के संबंध में चालान(नों)/बिलों को नियत दिन पर या उसके बाद प्राप्त किया गया है - धारा 162।

प्र 24. जहाँ किसी नियत दिन पर प्रिंसिपल से संबंधित वस्तुएं/ माल (पूंजीगत माल सहित) एजेंटों के पास रखी हैं, क्या एजेंट उन वस्तुओं/माल पर आई.टी.सी. लेने में सक्षम होगा?
उत्तरः एजेंट निम्न शर्तों को पूरा करने पर कथित केडिट ले सकते हैंः-

  • एजेंट जी.एस.टी. में एक पंजीकृत कराधीन व्यक्ति है;
  •  िप्रंसिपल और एजेंट दोनों को नियत दिन से ठीक एक दिन पहले की तारीख पर एजेंटों के पास रखे स्टाॅक के विवरण घोषित करने होंगे;
  • इस तरह के माल के लिए चालान/बिल नियत दिन के 12 महीने पहले जारी नहीं होने चाहिए;
  •   िप्रंसिपल ने कथित वस्तुओं/माल पर या तो आई.टीसी. को उलट/रिवर्स कर दिया है या उसने लाभ नहीं उठाया है।

यह प्रावधान केवल एसजी.एस.टी. कानून के लिए लागू है -धारा
162ए और धारा 162बी।

प्र 25. नियत दिन से पहले वस्तुएं/माल मंजूरी के लिये भेजे गये थे लेकिन नियत दिन से 6 महीने के बाद विक्रेता को वह वापस लौटा दिये जाते है, क्या जी.एस.टी. में उन पर कर देय होगा?
उत्तरः हाँ, यदि जी.एस.टी. में वह वस्तुएं/माल कर के लिए उत्तरदायी हैं और जो व्यक्ति इन्हें अस्वीकार या स्वीकृत नहीं करता, उसे नियत दिन से 6 महीने (2 महीने के लिए बढ़ाया जा सकता है) के बाद वापस लौटा देता है।
यह प्रावधान केवल एसजी.एस.टी. कानून के लिए लागू है-धारा 162डी।

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FAQs on पाठ 24. FAQs - परिवर्ती प्रावधान - GST Acts, FAQs and Updates

1. परिवर्ती प्रावधान GST क्या है?
Ans. परिवर्ती प्रावधान GST (Goods and Services Tax) भारतीय कर व्यवस्था में एक जीएसटी ज़रिए संगठित कर व्यवस्था है जिसका उद्देश्य देश के विभिन्न उत्पादों और सेवाओं पर एक एकीकृत कर लागू करना है। यह कर व्यवस्था 1 जुलाई 2017 से प्रभावी हुई है।
2. परिवर्ती प्रावधान GST किस तरह काम करता है?
Ans. परिवर्ती प्रावधान GST कार्यक्रम द्वारा, सभी उत्पादों और सेवाओं पर एक मानक कर दर लागू की जाती है। इसका उद्देश्य देश के अलग-अलग राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच करों की टेक्स को एकीकृत करना है। प्रत्येक उत्पाद या सेवा पर लागू होने वाली कर दर राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा तय की जाती है।
3. परिवर्ती प्रावधान GST क्या लाभ प्रदान करता है?
Ans. परिवर्ती प्रावधान GST द्वारा निम्नलिखित लाभ प्रदान किए जा सकते हैं: - एकीकृत कर व्यवस्था के कारण करों का संग्रहन और उनकी नयीकरण प्रक्रिया सरल हो जाती है। - उत्पादों और सेवाओं पर लगने वाले कर दरों की तुलना में जीएसटी शुल्क कम होता है। - व्यापार के लिए सरकारी प्रक्रियाओं में सुधार किया जाता है। - व्यापार की सीमाओं को कम किया जाता है।
4. परिवर्ती प्रावधान GST का लागू होना किस प्रकार व्यापारियों को प्रभावित करता है?
Ans. परिवर्ती प्रावधान GST का लागू होना व्यापारियों को निम्नलिखित तरीकों से प्रभावित करता है: - उत्पाद और सेवाओं पर लागू होने वाले कर दरों में बदलाव के कारण उत्पादों की कीमतों में परिवर्तन होता है। - नयी प्रणाली के अनुसार कर निवेश प्रक्रिया में बदलाव होता है। - तकनीकी सुधारों और सरकारी आवश्यकताओं के कारण व्यापार की प्रक्रिया में परिवर्तन होता है।
5. परिवर्ती प्रावधान GST की जरूरत क्यों पड़ी?
Ans. परिवर्ती प्रावधान GST की जरूरत निम्नलिखित कारणों से पड़ी: - विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच अलग-अलग कर नियंत्रण के कारण व्यापार की प्रक्रिया में समस्याएं थीं। - व्यापारियों को भारत भर में एक मानक कर दर के अनुसार कर भरना पड़ता था। - व्यापार के लिए सरकारी प्रक्रियाओं में सुधार करने की जरूरत थी। - कर नियंत्रण के साथ-साथ कर व्यवस्था में सुधार की जरूरत थी।
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