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पाठ का सार: प्रेमचंद के फटे जूते | Class 9 Hindi (Kritika and Kshitij) PDF Download

परसाई जी के सामने प्रेमचंद तथा उनकी पत्नी का एक चित्रा है। इसमें प्रेमचंद धोती कुरता पहने हैं तथा उनके सिर पर टोपी लगी है। वे बहुत दुबले हैं। उनका चेहरा बैठा हुआ तथा हड्डियाँ उभरी हुई हैं। चित्रा को देखने से ही पता चल रहा है कि वे निर्धनता में जी रहे हैं। वे कैनवस के जूते पहने हैं जो बिलकुल फट चुके हैं जिसके कारण ढंग से बँध नहीं पा रहे हैं और बाएँ पैर की उँगलियाँ दिख रही हैं। उनकी ऐसी हालत देखकर लेखक को चिंता है कि यदि उनकी (प्रेमचंद) फोटो खिंचाते समय ऐसी स्थिति है तो वास्तविक जीवन में उनकी क्या स्थिति रही होगी। फिर उन्होंने सोचा कि प्रेमचंद कहीं दो तरह का जीवन जीने वाले व्यक्ति तो नहीं थे। किंतु उन्हें दिखावा पसंद नहीं था अतः उनकी घर की तथा बाहर की जिंदगी एक.सी ही रही होगी। फोटो में दिख रही तथा वास्तविक स्थिति में कोई अंतर नहीं रहा होगा। तभी तो निश्चिंतता तथा लापरवाही से फोटो में बैठे हैं। वे सादा जीवन उच्च विचार' रखने में विश्वास रखते थे। अतः गरीबी से दुखी नहीं थे।

प्रेमचंद जी के चेहरे पर एक व्यंग्य भरी मुसकान देखकर लेखक हैरान हैं। वह सोचते हैं कि प्रेमचंद ने फटे जूतों में फोटो खिंचवाने से मना क्यों नहीं कर दिया। फिर लेखक को लगा कि शायद उनकी पत्नी ने जोर दिया होगा इसलिए उन्होंने फटे जूते में ही फोटो खिंचा लिया होगा। लेखक प्रेमचंद की इस दुर्दशा पर रोना चाहते हैं किंतु उनकी आँखों के दर्द भरे व्यंग्य ने उन्हें रोने से रोक दिया।

लेखक सोचते हैं कि लोग फोटो खिंचवाने के लिए तो जूते कपड़े यहाँ तक कि बीवी भी माँग लेते हैं  फिर प्रेमचंद ने किसी के जूते क्यों नहीं माँग लिए। लेखक कहते हैं कि लोग सुंदर फोटो इसलिए खिंचवाते हें कि इत्र लगाकर सुगंध आए। लेखक कहते हैं कि मेरा भी जूता फट गया है किंतु वह ऊपर से ठीक है। मैं पर्दे का ध्यान रखता हूँ। मैं अपनी उँगली को बाहर नहीं निकलने देता। मैं इस तरह फटा जूता पहनकर फोटो तो कभी नहीं खिंचवा सकता। लेखक प्रेमचंद की व्यंग्य भरी मुसकान देखकर आश्चर्यचकित हैं। वे सोच रहे हैं कि इस व्यंग्य भरी मुसकान का आखिर क्या मतलब हो सकता है। क्या उनके साथ कोई हादसा हो गया या होरी का गोदान हो गया या हलकु किसान के खेत को नीलगायों ने चर लिया है या माधे ने अपनी पत्नी के कफन को बेचकर शराब पी ली हैघ् या महाजन के तगादे से बचने के लिए प्रेमचंद को लंबा चक्कर काटकर घर जाना पड़ा है जिससे उनका जूता घिस गया हैघ् लेखक को याद आता है कि ईश्वर - भक्त संत कवि कुंभनदास का जूता भी फतेहपुर सीकरी आने.जाने से घिस गया था।

अचानक लेखक को समझ आया कि प्रेमचंद का जूता लंबा चक्कर काटने से नहीं फटा बल्कि वे सारे जीवन किसी कठोर वस्तु को ठोकर मारते रहे हैं। रास्ते में पड़ने वाले टीले से बचकर निकलने के बजाए वे उसे ठोकरे मारते रहे हैं। उन्हें समझौता करना पसंद नहीं है। जिस प्रकार होरी अपना नेम-ध्रम नहीं छोड़ पाए या फिर नेम.ध्रम उनके लिए मुक्ति का साधन था। लेखक मानते हैं कि प्रेमचंद की उँगली किसी घृणित वस्तु की ओर संकेत कर रही है जिसे उन्होंने ठोकरें मार-मारकर अपने जूते फाड़ लिए हैं। वे उन लोगों पर मुसकरा रहे हैं जो अपनी उँगली को ढकने के लिए अपने तलवे घिसते रहते हैं।
 

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FAQs on पाठ का सार: प्रेमचंद के फटे जूते - Class 9 Hindi (Kritika and Kshitij)

1. What is the story of "Premchand ke Phate Jute"?
Ans. "Premchand ke Phate Jute" is a story about a poor schoolboy named Hamid who struggles to get an education due to his family's financial constraints. One day, his teacher notices that Hamid is wearing torn shoes and is unable to concentrate in class. The teacher takes him to a cobbler to get his shoes repaired, but the cobbler tells them that the shoes are beyond repair. The teacher then buys Hamid a new pair of shoes, which makes him very happy.
2. What is the theme of the story "Premchand ke Phate Jute"?
Ans. The theme of the story "Premchand ke Phate Jute" is the importance of education and how it can change a person's life. The story highlights the struggles of a poor student who is unable to focus on his studies due to his torn shoes. It also emphasizes the role of teachers in the lives of students, who can go beyond their call of duty to help their students.
3. What is the significance of the title "Premchand ke Phate Jute"?
Ans. The title "Premchand ke Phate Jute" is significant because it refers to the main character's torn shoes, which are a symbol of his poverty and inability to afford basic necessities. The title also pays homage to the author, Premchand, who was known for his realistic portrayal of the struggles of the poor in society.
4. What is the message conveyed through the character of Hamid in the story "Premchand ke Phate Jute"?
Ans. The character of Hamid in the story "Premchand ke Phate Jute" conveys the message that education is important regardless of one's financial status. Despite being poor, Hamid is keen on studying and improving his life. His determination to learn and succeed inspires others around him and reinforces the idea that education is a powerful tool for social mobility.
5. How does the story "Premchand ke Phate Jute" reflect the socio-economic conditions of the time?
Ans. The story "Premchand ke Phate Jute" reflects the socio-economic conditions of the time by highlighting the struggles of the poor in society. It portrays the harsh reality of poverty and how it can prevent people from accessing basic necessities like education. It also sheds light on the role of teachers in providing support to their students and how they can contribute to breaking the cycle of poverty. The story thus reflects the socio-economic conditions of the time, where poverty was widespread and education was a luxury for many.
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